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दीदी और दोस्त – Incest Story written by ‘Chutiyadr’

दीदी और दोस्त – Update 14 | Incest Story

मैंने अपनी आँखे बंद की मुझे ऐसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करना है पर मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और अजनबी राहो में बस चलने लगा बिना किसी मंजिल के तलाश के ,बस चल ही रहा था जहा दिल ले जाए ….अचानक एक बोर्ड देख कर मेरी आँखे चमकने लगी लिखा था

“डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदावाले ” डॉ चुतिया को तो मैं बचपन से जनता था ,और ये भी ये हर समस्या का हल बता सकते है मैं,अंदर गया डॉ साहब धयान में बैठे थे जमीन पर और डॉ की खुर्सी पर उनकी असिस्टेंट मेरी बैठी थी,मुझे देखकर उसने चुप रहने का इशारा किया मैं सामने रखी चेयर पर बैठ गया ,मेरी उठाकर मेरे पास आई और अपना मुह मेरे चहरे के करीब कर दिया मुझे अब उसके सांसो की खूसबू महसूस हो रही थी ,उसने अपने तने उरोजो को मेरे पास ला दिया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी ,उसकी उस हरकत से मेरे लिंग में हलचल होने लगी और मैंने उसे घुर कर देखा मेरे गुस्से से लाल आँखों को देखकर मेरी तुरंत पीछे हट गयी,मैंने अपने पास ना आने का इशारा किया मेरी सांसे थोड़ी तेज हो चली थी मैं उसे सम्हालने में लगा था ,लगभग आधे घंटे के बाद डॉ उठे और मुझे देखकर मुस्कुराये,वो अपनी चेयर पर बैठे की मेरी ने कहा ,

‘सर ये तो हायपर अग्ग्रेसन का केस लगता है,’डॉ मेरी को देख कर मुस्कुरा दिए,

‘आज कैसे रास्ता भूल गए आकाश और घर में सब ठीक है ,’

‘डॉ सब ठीक होता तो आपके पास आने की जरुरत ही नहीं पड़ती ,मुझे सब पता चल गया है ,अब आप बताइए की मैं क्या करू,’डॉ के चहरे पर अब भी मुस्कान थी

‘क्या पता चल गया है,’

‘डॉ आप जानते है,और मैं भी जनता हु की नेहा दीदी ,मेरे पापा और राहुल आपसे पूछे बिना कुछ नहीं करते मैं ये नहीं मान सकता ही शहर में इतनी बड़ी घटना हो गयी जिससे दीदी भी जुडी है और आपको कुछ नहीं पता होगा,अब आप बताइए डॉ की मैं क्या करू,’डॉ अब भी मुस्कुरा रहे थे,

‘तुम्हे कैसे पता चला,’मैंने सब कुछ बताया की कैसे मैंने फोन किया और कैसे मुझे ये सब पता चला ,’डॉ इतना तो समझ गए की मुझे पूरी डिटेल तो नहीं पता है पर जो पता चला है वो काफी है,

‘मैं भी इसी दिन का इंतजार कर रहा था की कब तुम्हे ये पता चलेगा क्योकि नेहा और राहुल दोनों ही दिमाग से सोचते है पर तुम अलग हो तुम दिल से करोगे और उनके हाथ कुछ आयेगा ये कहा नहीं जा सकता पर तुम्हारे हाथ जरूर कुछ आ जायेगा,अब सुनो तुम्हे पहला काम ये करना है की तुम्हे नार्मल रहना है वरना नेहा तुम्हे कुछ नहीं करने देगी,और नेहा और राहुल को कुछ नहीं पता चलना चाहिए …’

‘मैं नार्मल कैसे रह सकता हु डॉ इतना कुछ हो गया मेरी खुद की बहन और मेरे भाई जैसे दोस्त ने ये सब छुपाया ,मेरे जेहन में तो आता है की मैं किसी का क़त्ल कर दू और शुरुवात करू उन विक्की और नानू से,’उसके तेवर देख डॉ के चहरे की मुस्कान गहरा गयी वही मेरी ने डॉ के कानो में कहा ‘मैंने कहा था ना,’डॉ ने उसे चुप रहने को कहा,

‘मैं जो अभी कर रहा था इसे ध्यान कहते है ,कोई जादा कठिन चीज नहीं है बस अपनी आती जाती सांसो को देखना है तुम्हे और बाकि चीजो को कुछ देर के लिए भूल जाओ जब तक तुम ध्यान कर रहे हो क्योकि हमारा दिमाग इतना ज्यादा सोचता है बेमतलब की बातो को की हम कही भी एकाग्र नहीं हो पाते,ध्यान तुम्हे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देगा ,तुम उन चीजो को समझ पाओगे जो तुम इस मन से नहीं समझ पाते ,थोड़ी देर को बैठो अकेले में और आंखे बंद करके देखो को तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है फिर अपने आप को शिथिल करो और सब कुछ शिथिल हो जाने दो और देखो बस देखो अपनी सांसो को देखो,और तुम पाओगे की तुम्हारे विचार शांत हो रहे है और तुम एक अलग ही ताजगी से भर रहे हो ,ये तुम्हारे इमोशन पर काबू करने के काम आएगा ,तुम्हारी ताकत का सही उपयोग करने के काम आएगा,तुम इसे साधो ये तुम्हे सिद्ध बना देगा,’ उनकी बातो में ही नशा था की मेरे संताप कम हो गए मैं अपने को जादा शांत महसूस करने लगा,

‘पर डॉ मैं शुरुवात कहा से करू,’

‘रस्ता दिख ही जायेगा ,तू चलना तो शुरू कर,अब अपने आप को खोल दे तेरे आसपास ही बहुत कुछ हो रहा है जिससे तुझे पता चलेगा की क्या करना है,अपने दिल की सुनना क्योकि तेरा दिल बहुत ही विकसित है वो तुझे गलत मार्गदर्शन नहीं करेगा,बाकि कुछ पता चले तो मुझे बताना,मैं भी इसी मामले में लगा हुआ हु,और कई लोगो पर निगाह रखे हुआ हु..

मैंने डॉ से आज्ञा मांगी और घर के तरफ चल पड़ा मुझे आयशा की याद आई पर मैंने सबसे पहले दीदी के मोबाईल से काल हिस्ट्री को मिटाना उचित समझा…

 

‘एक अँधेरा कमरा जहा एक खुर्सी पर एक शख्स बैठा सिगरेट पि रहा था ,हलकी हलकी रोशनी कमरे में दरवाजे के बीच से आ रही थी ,सामने एक लड़के को उल्टा टांगा गया था उसके मुह में कपडा भरा था और एक पोलिश वाला उसे मार रहा था ,उसके जख्मो से खून बहने लगा था,वो पसीने से लथपथ था और कुछ बोलना चाहता था,पोलिश वाले ने उसका मुह खोला ,

‘सच कह रहा हु सर मुझे नहीं पता की वो विडिओ कहा गया मैंने तो उसे सम्हाल के रखा था,,’आदमी ने फिर इशारा किया और पोलिश वाले ने उसे फिर मरना शुरू कर दिया,इस बार उसकी चीख कमरे से बहार तक गयी ,

‘साले सालो की मेहनत को तूने ऐसे ही जाने दिया,कितना पैसा खर्च किया उन लडकियों पर ,तेरी ऐसयाशियो पर,तेरे कारन उन्हें धंधे में नहीं बैठाया की तू मुझे पूरी तैयार माल देगा और तू मदेरचोद ,और अब तूने एक ही सहारे को भी खो दिया ,मार साले को,..’पोलिश उसे फिर से मारने लगा और वो आदमी कमरे से बहार चला गया,..थोड़ी देर में पोलिश वाला भी बहार आया

‘सर मुझे नहीं लगता की इसे कुछ भी पता है साला ये तो ऐयाश था ,कुछ प्लान करके नहीं किया होगा,पर अब तक आप इससे भी छिपे हुए थे अब इसको आप का भी पता चल गया है क्या करना है इसका ,’

‘मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसा करना पड़ेगा साला सोचा था की इसे जाने दो विडिओ के सहारे किसी और से ये काम करूँगा पर सब पानी फिर गया फिर इसके केस के बाद से सब बहुत सजग हो गए है ,साल काम करना मुस्किल हो जायेगा,भरोसेमंद लड़के मिलना भी मुस्किल है ,साला इतने दिनों की मेहनत कोई लूट के ले गया,अब इसका क्या करना है,किसी और से मिलेगा तो मेरा नाम बोल देगा,इसे यही ख़तम कर जादा से जादा तू सुस्पेंद हो जायेगा ,इसे कुछ दिन नजरो में बहला फुसला के रख और जब इसके घाव भर जाए तो इसे फंसी में टांग देना और आत्महत्या बता देना …अभी तक कौन कौन इससे मिलाने आये है ,’

‘सर वही दोनों इसके साथी ,नानू और विक्की कल ही आये थे ,उसके बाद से तो कोई नहीं आया है,’

‘ह्म्म्म इसे अब किसी से मिलाने ना देना बोल देना की तबियत ख़राब है या कुछ भी करके फिरर काम तमाम ,’…

परसेंट डे इन कहानी

मैं डॉ के क्लिनिक से निकल कर सीधे घर पहुचता हु,राहुल की बाइक अभी भी बहार खड़ी है,मुझे डॉ की बाते याद आई मैंने अपने को नार्मल रहने का सजेसन दिया ,कुछ गहरी सांसे ली और अंदर गया दीदी की रूम से अभी भी हसने की आवाजे आ रही थी वही मम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी,मैं किचन में गया .

‘क्या बना रही हो माम ,’

‘कुछ नहीं बेटा राहुल ने पराठे खाने की जिद की थी तो सबके लिए पराठे बना रही हु,तू क्या खायेगा,और आज अकेले कहा निकल गया तू,कभी तो अकेले कही नहीं जाता,’मैंने मुस्कुराके माँ को देखा ,खुदा की दूसरी मूरत मेरी माँ ,

‘कही नहीं बस काम से गया था,अच्छा मेरे लिए भी बना दो मैं दि के कमरे में हु ,’

मैं दीदी के कमरे में गया और जाकर सीधे दीदी के गोद में जा पड़ा,

‘अरे क्या हुआ इतनी जल्दी कैसे आ गया ,गया था की नहीं कॉलेज,’दीदी में मेरे सर में हाथ फेरते हुए पूछा,मैं दीदी के चहरे को देखकर मुस्कुराने लगा और थोडा ऊपर होकर मैंने उनके गालो में किस किया और फिर उनकी कमर को पकड़कर अपना मुह उनके कमर में छिपा लिया,

‘साला ऐसे शर्मा रहा है लगता है बात बन गयी इसकी,’राहुल की आवाज आई जिसमे खुसी की एक झलक भी थी,मैंने मन में सोचा भाई बात तो बन गयी मेरी लेकिन तुझे कैसे बताऊ,

‘बोल ना भाई क्या हुआ ,’दीदी फिर मेरे सर पर अपना हाथ फेर रही थी,उनके प्यार का अहसास मेरे बालो से सीधे मेरे दिल तक पहुच रहा था और मेरी आँखे सकून से बंद हो गयी,लेकिन मेरी इस हरकत से उनमे चिंता बढ़ गयी और मैं भी अपने खवाबो से बहार आ गया,

‘कुछ नहीं दीदी नहीं जा पाया पता नहीं क्यों मन ही नहीं ,किया ‘

‘साले मन नहीं किया की फट गयी,’राहुल ने थोड़े गुस्से में कहा पर मैंने बड़े आराम से उसकी बातो को सुना ,

‘अब मैंने डरना बंद कर दिया भाई,क्योकि मेरी दीदी ने कहा की दिल की सुनना ,अब मैं अपने दिल की सुनुगा,’ये कहकर मैं फिर दीदी के गालो में एक किस किया और दीदी के मोबाईल को पकड़कर एक सेल्फी ली और बड़े आराम से काल हिस्ट्री को डिलीट कर दिया,दीदी मेरी बात सुनकर थोड़ी इमोशनल हो गयी वही प्रीति ने अभी तक अपनी जुबान नहीं खोली थी उसने भी अपने मुख का द्वार खोल दिया,

‘मेरे बारे में तेरा दिल क्या कहता है,’बोल कर प्रीति बड़ी प्यारी निगाहों से मुझे देख रही थी,

‘तेरे बारे में तू मेरी सबसे प्यारी दोस्त है,’बोलते हुए मैं प्रीति के पास आया जो अभी भी दीदी से थोड़ी दूर बिस्तर में बैठी थी और पीछे से आकर उसे अपने से लपेट लिया ,मेरे ऐसा करने से राहुल और दीदी ने मुझे हैरानी से देखा वही प्रीति तो शर्म से लाल हो गयी ,क्योकि मैं दीदी के सिवा किसी लड़की के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करता था दीदी और राहुल के मुह खुल गए थे,

‘दीदी आपने सच में इसे ना जाने कौन सा गुरु मंत्र दे दिया ,मेरा भाई तो एक ही दिन में बदल गया है,’मैं अब भी प्रीति को ऐसे पकडे हुए था ,

‘मेरा भाई अब दिल की सुनने लगा है ना ,नजर ना लग जाए इसे ,ना जाने क्या क्या हमेशा से अपने उसूलो के कारण अपने दिल में दबा के रख लेता था ,अब मेरा भाई भी खुल के जिए इससे जादा मुझे क्या चाहिए ,’दीदी के आँखों में हलके आंसू की बूंद आ गयी थी जिसे मैंने आगे बढकर अपने होठो से चूम लिया दीदी ने मुझे एक हलकी चपत मरी और बड़े प्यार से मेरी और देखा,

‘भाई प्रीति तक तो ठीक है पर आयशा को ऐसे मत पकड़ लेना नहीं तो दीदी का मंत्र फेल हो जायेगा ,’राहुल की एक हसी गूंजी वही बाकि लोग मुस्कुरा दिए,

‘भाई दीदी का मंत्र कभी फेल नहीं होगा ,क्योकि अगर मुझे लगेगा की किसी को मेरे व्यवहार से कोई परेशानी है तो मैं उसे करूँगा ही नहीं ना,वो मेरा दिल मुझे बताएगा की क्या सही है और क्या गलत,’मेरी बातो से राहुल तो चुप हो गया और उठाकर मेरे करीब आकर मुझे गले से लगा लिया ,मैंने फिर प्रीति को देखा वो अभी भी शर्मा रही थी मैंने एक स्माइल उसे दि ,तभी मम्मी पराठे लेकर कमरे में आ जाती है,

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