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जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी) – Incest Story Written by ‘Chutiyadr’

जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी) – Incest Story | Update 48

अध्याय 48

सभी ओर खुशिया फैली हुई थी वही जंगल के एक पत्थर पर बैठा वो शख्स बड़ा ही गंभीर लग रहा था,अभिषेक भी वही था जो बहुत ही खुश दिख रहा था ,
“मेरी तो फट ही गयी थी जब मुझे ये पता चला की धनुष और निधि ने शादी कर ली ,साला सारे सपने ही चूर हो गए थे ,अब थोड़ा अच्छा लग रहा है,”उसने अपने पेंट के ऊपर से ही अपने लिंग को मसला और एक आह भरी,जिसे उस शख्स ने देख लिया और उसके चहरे पर गुस्से का भाव आ गया,वो अपनी जगह से उठता है और पास ही पड़े लकड़ी से अभिषेक पर हमला कर देता है ,वो उसे पिटे जा रहा था,
“मादरचोद मेरी सालो की मेहनत बर्बाद हो गयी और तुझे अपने ही लंड की पड़ी है,तुझे बस निधि की चुद के अलावा और कुछ सूझता नही क्या,…अगर दोनो शादी कर लेते तो शायद दोनो परिवारों में फिर से वैसे ही दुश्मनी हो जाती और मेरा काम आसान हो जाता और तू कह रहा है की ठीक ही हुआ”

“लेकिन लेकिन सोचो ना अगर मैं निधि को पटा लेता हु तो पूरी दौलत …..”
अभिषेक उससे बचने की ही सोच रहा था वही वो शख्स बस उस मारे जा रहा था ,
“साले मुझे दौलत नही चाहिये मुझे उनकी बर्बादी चाहिये ,दोनो परिवार के लोगो की बर्बादी मैंने तुझपर फालतू में ही भरोषा कर लिया साले तुझे तो आज मार ही डालूंगा….”अभिषेक की हालात खराब हो रही थी उसके घुटनो पर एक वार होता है और वो चिल्ला पड़ता है”
“आह नही मुझे छोड़ दो मैं तुम्हारे बहुत काम आने वाला हु “
“तू मादरचोद मेरे क्या काम आएगा मैं खुद ही सब कर लूंगा,”
“नही नही “
जब उसका मन भर जाता है तो वो अभिषेक को छोड़ देता है …..
“आज के बाद बोलने से पहले सोच लेना की क्या बोल रहा है वरना आज तो तुझे छोड़ रहा हु फिर कभी नही छोडूंगा,उनकी बर्बादी ही मेरे जीवन का एक मात्र मकसद है समाझ गया की नही,चल तुझे हॉस्पिटल छोड़ देता हु “
अभिषेक लंगड़ाते हुए उठता है और वो उसे उठाकर वहां से निकल जाता है ,….

इधर
सभी लोग बहुत ही खुस थे और इसी सिलसिले में रामचंद्र गजेंद्र से कहता है की नितिन और खुसबू को भी यही बुला लो,अपने परिवार से सबका परिचय हो जाएगा ,वैसे ही यही प्लान अजय और बाली भी कर रहे थे,बिजय के चहरे पर सोनल का नाम सुनते ही मुस्कान आ जाती है….वही किशन भी रानी से मिलने को लेकर बेताब हो जाता है ,उसका चहरा देख कर सुमन हस पड़ती है उसके साथ ही अजय ने सुशीला(सुमन की मा जो बेटे की पढ़ाई के कारण फिर से शहर चली गयी थी,इसबार उसे परमानेंट यहां रखने के लिए लाया जा रहा था,बजरंगी उसे अपने पास रखना चाहता था ) और उसके बेटे को भी लाने की बात की जिससे सुमन भी बहुत खुश थी पर पास ही चम्पा खड़ी थी जो उसे एक अजीब से निगाह से देखती है,जिसे देखकर सुमन चुप हो जाती है वही किशन को भी उसकी मा के भाव समझ आ जाते है,वो विजय के पास चला जाता है,और उसके कानो में…
“भाई के बात करनी है अकेले में चल ना “
विजय उसे देखता है कुछ समझने की कोशिस करता है पर उसे कुछ भी समझ नही आता वो उसके साथ चल देता है ,
“क्या हो गया,”
“यार कुछ भी समझ नही आ रहा है ,की मा को क्या हो गया है,”
“क्या हो गया है चाची को”
“पता नही मेरे और सुमन को लेकर उनका व्यवहार कुछ अलग ही हो रहा है ,”
विजय की आंखे चढ़ जाती है,वही किशन उस दिन हुए हर बात को बताता जाता है…..
“ये बड़ी ही अजीब बात है ,अब तो चाची को और भी कुछ प्रॉब्लम नही होनी चाहिये थी,मैं चाची से बात करता हु “
“नही भाई इतने सालो के बाद तो मा हमारे परिवार का हिस्सा बनी है और उसे सुमन से कोई भी परेशानी नही है बस उसे मेरे और उसके रिस्ते को लेकर परेशानी है ,’”

“बिना बात किये कुछ भी समझ नही आएगा की क्या परेशानी है और चाची से नही तो चाचा से बात करता हु “
“पागल हो गया है क्या ,जानता नही की पापा इतने सालो के बाद तो मां से बात करना शुरू किये है मैं नही चाहता की कोई ऐसी बात हो जाय की वो दोनो फिर से अलग हो जाय….”
“ह्म्म्म तो कौन किससे बात किया जाय ,अच्छा मैं कलवा चाचा से बात करता हु वो दोनो के नजदीक रहे है वो चाची से बात कर लेंगे ….”
“हा ये ठीक रहेगा ….“
इधर
सभी को बुलावा भेज दिया जाता है,खुसबू और सोनल दोनो ही गांव जाने के खबर से बहुत ही खुश थे ,नीतिन अपने भाई बहन के साथ तुरंत ही निकल गया वही सोनल और रानी को लाने सुबह के ही विजय और किशन निकल पड़े…
इधर विजय ने कालवा से ये बात की और सुमन और किशन की प्रॉब्लम के बारे में बताया,कालवा को तो पहले से ही ये पता था की आखिर क्यो चम्पा उन दोनो के प्यार को स्वीकार नही कर रही है पर बच्चों के प्यार को भी समझ सकता था और इसलिए वो चम्पा से बात करने पहुचा,इस समय बाली घर में नही था और डॉ भी चले गए थे,सो उसे यही समय उचित लगा ,कलवा चम्पा के कमरें में जाता है उसे देख चम्पा चहक उठती है,

“इतने दिन हो गए कभी फुरसत से बात करने की नही सोची आज क्या बात है की हमारे द्वार पर आ रहे हो “
उसकी बात सुनकर कालवा को वही पुरानी चम्पा याद आ गयी जो कभी उसकी दोस्त और बाद में दुश्मन हुआ करती थी ,जवानी के दिनों में उसने और बजरंगी ने उससे बहुत मस्ती की थी ,सभी यादे उसके जेहन में एक चित्र की तरह एक ही पल में गुजर गयी ,जो उसकी आंखों से चम्पा को भी समझ आ गया और वो भी कुछ असहज हो गयी ,उसने कालवा से बाहर चलकर बात करने को कहा,कालवा भी समझता था की इसतरह उसके कमरे में बात करना उचित ना होता,ऐसे किसी को कोई भी परेशानी तो नही होती पर जो भी उनके बीच हो चुका था वो इन्हें इसतरह अकेले में बात करना गवारा नही कर रहा था….
दोनो कमरे के बाहर जाकर एक गैलरी में बैठे और बाते करने लगे ऐसे तो दोनो को ही ये समझ नही आ रहा था की आखिर बात कहा से स्टार्ट की जाय,…
“जो हमारे बीच हुआ वो सब पुरानी बाते थी कालवा इन्हें हमे भूल जाना चाहिये,”
“तुम्हे क्या लगता है की मैं इन सभी बातो को याद कर रहा हु “
चम्पा के होठो पर एक मुस्कान सी खिल गयी,
“बीती बातो को भुलाना इतना भी तो आसान नही होता ना,क्या करे ना चाहते हुए भी वो जेहन में आ ही जाती है “
चम्पा ने धीरे से कहा
“हा ये तो है,पर मैं यहां तुमसे कुछ और बात करने आया हु ,देखो चम्पा हमने तो हमारी सारी जिंदगी दुसरो से लड़ने में ही निकल दी,हमे तो नफरतों और तन्हाई के सिवा कुछ भी हाथ नही लगा,तुम्हारी और मेरी दोनो की कहानी एक सी ही है,(चम्पा की नजरे नीची थी और आंखों में पानी जो शायद कालवा को भी महसूस हो रहा था पर वो उसे कुछ भी कहना चाहता ,शायद जो दर्द चम्पा के सीने में दफन था आंसू बनाकर बाहर आ रहा था,)
लेकिन हमे अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही करना चाहिये ,उन्हें वो प्यार मिला है जो हमे कभी भी नही मिल पाया और तुम उसे उनसे छीनना चाहती हो ,नही चम्पा ये अन्याय होगा,ये अन्याय होगा बच्चों पर ,तुम हमारी गलती की सजा उन्हें क्यो देना चाहती हो …”
चम्पा ने अपने आंसू पोछे
“तुम हमारी गलती क्यो कह रहे हो कालवा,गलती तो सिर्फ मेरी ही थी मैंने ……..”बोलते हुए वो रुक गयी और कुछ देर का सन्नाटा वहां फैल गया ,

“गलती मेरी ही थी चम्पा की मैंने बाली को नही रोका ,तुमसे मैं इतनी नफरत करता था की ….”
चम्पा कालवा को देख कर हल्के से मुस्कुराती है ,
“नफरत ….हा कालवा मैंने काम है ऐसा किया की तुम मुझसे नफरत करो ,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैं तुम्हारे भाई के साथ सो गयी,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैंने तुम्हारे भाई के बच्चे को अपने पेट में रखा ,ये तुम्हारी गलती नही थी कालवा की मैंने बाली को फसाया और उससे शादी करके फिर से तुम्हारे घर में आ गयी ,मेरे ही कारण तुमने इतने सालो का वनवास काटा…ये तुम्हारी गलती नही है कालवा की वही बच्चा आज बड़ा होकर अपनी ही सौतेली बहन के प्यार में पड़ गया है…..तुम्हारी तो बस एक ही गलती थी की तुमने मुझ ऐसी बाजारू लड़की को इतना प्यार किया जो कभी भी उसका प्यार समझ नही पाई…जो उसके सामने ही उसके भाई के बांहो में जाकर सो गयी,जिसने उसके दोस्त को फसाया सिर्फ अपने फायदे के लिए जिसने तुम्हारा दिल तोड़ा ये जानते हुए भी की तुम मुझसे कितना प्यार करते हो…हा कालवा मुझे हमेशा से पता था की तुम मुझे कितना प्यार करते हो पर मैंने हमेशा इसी प्यार का फायदा उठाया और तुम्हे असीमित दुख पहुचाया ….हो सके तो मुझे माफ कर दो कालवा हो सके तो मुझे माफ कर दो ….”
चम्पा फुट फुट कर रोने लगी ,और कालवा….जैसे बरसो से दबाया जख्म फिर से हरा हो गया पर उसे अब चम्पा पर गुस्सा नही था ,वो भी जानता था की वक़्त ने चम्पा को कितना बदल दिया है,वो उसके रोते हुए चहरे को देखता है,वही वो लड़की थी जो गांव में यू इठलाती हुई चलती थी की सभी की सांसे रुक जाय,कालवा ही वो पहला शख्स था जिसने इसके यौवन के उस नाजुक डोर को तोड़ा था,कालवा पहले तो उसे सिर्फ भोगता था पर धीरे धीरे वो इसके प्यार में पड़ गया ,लेकिन अपने यौवन के द्वार के टूटते ही चम्पा की खुजली ऐसे बढ़ी की वो मतवाली सी होकर इधर उधर मुह मारने लगी ,और लोगो के लिए वो एक रखेल की तरह हो गयी ,जिसमे सबसे अय्याश लोग शामिल थे ,एक था बजरंगी और दूसरा महेंद्र तिवारी,…ये अपने इलाके के सबसे प्रभावशाली लोग थे और बहुत ही अय्याश भी थे ,कालवा और बजरंगी उस समय एक जिस्म दो जान हुआ करते थे ,पर ना कालवा ने कभी बताया और ना ही बजरंगी कभी समझ पाया की कालवा चम्पा से इतना प्यार करता है,उसे तो ऐसे ही लगा की जैसे बाकी लडकियो को वो साथ भोगते है वैसे ही ये भी है,लेकिन चम्पा को हमेशा से ये पता था,क्योकि जब भी कालवा के सामने ही बजरंगी चम्पा को नंगा कर उसे भोगता तो कालवा के चहरे पर एक उदासी सी आ जाती ,जो चम्पा को बहुत ही पसंद आती थी ,वो उसे यू ही दर्द पहुचने में मजा लेती …आखिरकार कालवा ने सबको अपने दिल की बात बताने की ठान ली,लेकिन पहले वो चम्पा से पूछना चाहता था,उसने चम्पा से अपने दिल की बात कर ही ली ,लेकिन चम्पा ने उसका तिरिस्कार ये कहकर कर दिया की उसके आशिको में तो तेरे मालिक भी है ,तू तो बस उनका कुत्ता है ,उस समय तक बजरंगी के बाली भी चम्पा के पास आने लगा था,वो एक तरह से महेंद्र ,बजरंगी ,और बाली की रांड थी पर बाली वहां कम ही आता था और महेंद्र को भी नई नई लडकिया चहिये थी इसलिए वो बजरंगी की ही माल थी, इसका असर ये हुआ की कालवा चम्पा के पास आना ही छोड़ दिया और उसके प्रति एक नफरत से भर गया,और उसने अपने दिल की बात किसी को भी नही बताई….वक़्त बढ़ता गया और बजरंगी ने चम्पा के पेट में अपना बच्चा छोड़ दिया,उसी समय बजरंगी शहर गया और उसे सुशीला से प्यार हो गया उसके बाद वो सब कुछ भूल कर उसके ही पीछे पड़ गया ,इसी समय बाली भी चम्पा के पास आया लेकिन बजरंगी और कालवा के ना रहने के कारण तिवारियो को इसका पता चल गया ,और उन्होंने साजिस के तहत बाली को फंसा दिया ,उन्हें भी पता था की अगर बजरंगी को ये पता चलेगा तो वो कभी भी इसके लिए तैयार नही होगा,बजरंगी के आते तक बाली की शादी भी हो चुकी थी ,बजरंगी चाह कर भी कुछ नही कर पाया ,किशन बाली का नही बजरंगी का बच्चा है ये बात केवल चम्पा को ही पता थी ना ही तिवारियो को ना ही बजरंगी को,ना बाली को और ना ही कालवा को ….लेकिन चम्पा को तो कालवा को जलाने में मजा आता था,उसने कालवा को जलाने के लिए सारी बात उसे बता दी,और कालवा भी खून का घुट पीकर रह गया क्योकि किसी को अब बताने से भी कोई फर्क नही पड़ना था,कुछ दिनों बाद ही बजरंगी ने सुशीला से शादी कर ली और सुमन का जन्म हुआ,और कुछ दिनों बाद वीर की मौत और फिर दोनो भाइयो में दुश्मनी ,वीर की मौत के बाद से कालवा बहुत टूट गया था,वो इस घर में वीर के कारण ही रह रहा था,इसलिए वो वहां से जाने की ठान लिया…..

सभी यादे उसके जेहन में एक तीर सी चल गयी और उससे उठाने वाला दर्द उसके चहरे पर बस एक आंसू के रूप में बह गया,वो अपनी आंखों को पोछ कर चम्पा को देखा वो अब भी आंसू बहा रही थी ,उसने अपना हाथ चम्पा के कंधे पर रख दिया ,
“जो हुआ वो हो चुका है चम्पा अब हमारे और तुम्हारे सोचने से कुछ भी बदल नही जाएगा,मुझे अपना प्यार नही मिला और मैं जानता हु की प्यार को ना पाने की तकलीफ क्या होती है,मैं चाहता हु की बच्चों को उनका प्यार मिले ….”
चम्पा अब भी सुबक रही थी ,
“हा कालवा मैं भी यही चाहती हु पर …वो भाई बहन है .कैसे ….नही कालवा मैं जानते हुए भी ये पाप नही कर सकती ..”
कालवा ने उसके कंधे पर रखे अपने हाथ को जोर से दबाया ,जिससे चम्पा उसकी तरफ देखने लगी .
“ये बात सिर्फ मुझे और तुन्हें पता है ….तो दुनिया के नजर में तो ये गलत नही हुआ ,और रही बात पाप की तो जब दोनो ही एक दूसरे से प्यार करते है तो क्या पाप और क्या पूण्य ….”
चम्पा ने भी अपनी सहमति में सर हिलाया ….
और कालवा को देखकर मुस्कुराई …
“क्या तुमने मुझे माफ कर दिया “चम्पा हल्के से हँसकर कहा जिसे देखकर कालवा का दिल खिल गया ,
“सालो पहले …”कालवा और चम्पा दिनों के चहरे पर एक मुस्कान थी …
पर कोई था जिसके आंखों से इनकी बात को सुनकर आंसू टपक रहे थे,वो थी सुमन …
आज शहर जाने से पहले किशन ने उसे बताया था की कालवा चाचा माँ से हमारे बारे में बात करेंगे और इससे वो बहुत ही खुस थी वो कालेज से आकर पहले चम्पा के कमरे की तरफ भागी और कालवा और चम्पा को गैलरी में बैठे बात करते देख उनकी बात सुनने लगी….पर जैसे जैसे बात आगे बड़ी सुमन के आंखों में बस पानी था,चम्पा और कालवा सच जानते हुए भी उनके प्यार के संबंध के लिए राजी हो गए थे पर क्या सुमन अपने ही भाई के साथ…….
उसका मन उत्तर देने के हालात में तो नही था….और ना मैं अभी उत्तर देने के हालात में हु,….

इधर

विजय और किशन शहर पहचे ,सोनल और रानी की ख़ुर्शी का ठिकाना नही था,दोनो उनसे ऐसे लिपटे की अलग ही ना हो ,विजय को तो ऐसे लगा की जैसे कोई खालीपन भर गया हो ,वो अनचाहे ही सोनल को अपने ओर इतने जोरो से खिंच रहा था जैसे वो उसे अपने अंदर ही भरना चाहता हो ,वासना नही प्यार भी इतनी बेसब्र हो सकती है ये उन्हें देख कर जाना जा सकता था,जब सभी अलग हुए तो सभी के आंखों में आंसू था,ये अजीब सा प्यार इनके बीच था ,अजय और निधि के बीच सोनल और विजय के बीच और रानी और किशन के बीच…

ये इतना गहरा लगाव था जो कभी कभी रिस्तो की सीमा को भी तोड़ देता था,वो उफान सा आता और उनके बीच के रिस्तो की दीवार को तहस नहस ही कर देता,..

रानी ने विजय को देखा और उसके गले से लग गयी वही सोनल के लिए तो किशन मानो बच्चा था,वो भी उसे अपनी छाती से लगा ली,दोनो तैयार अपने भाइयो के इंतजार में बैठी थी,वो जल्द ही गांव के लिए निकल जाना चाहती थी ,कुछ ही देर में सुशीला और उसका बेटा(वरुण )भी वहां आ गए ,सभी गांव की ओर निकल पड़े थे….

इधर

सुनसान जंगल में वो शख्स जिसे लोग मिस्टर एक्स कहते थे,जो दोनो परिवारों का जानी दुश्मन था अलग अलग रूपो में घूमने वाला ,आज किसी की तलाश में भटक रहा था ,उसके साथ ही गांव का कोई व्यक्ति था,जो की वहां की आदिवासी भाषा में बात कर रहा था,

“यही है “उस आदिवासी ने एक गुफा की ओर दिखते हुए कहा ,एक्स उसे अपने जेब से थोड़े पैसे निकाल कर देता है और वो आदिवासी वहां से चला जाता है ,वो थोड़ा डरा हुआ भी लग रहा था,वो जल्दी से अपना रास्ता नापता है,एक्स वहां खड़े उस गुफा को देखता है,उसकी फूली हुई सांसे और आंखों ने एक अजीब सी उम्मीद के साथ ही एक भय की धार भी उसके शरीर मर दौड़ रही थी,एक सकरा सा गुफा था ,जिसमे इतनी जगह नही थी को कोई खड़ा हो सके ,बहुत हिम्मत के बाद वो बड़ी उम्मीद से वहां आया था,उसने सुन रखा था की यह कोई बहुत ही पॉवरफुल तांत्रिक रहता है ,जो की शैतान की साधना करता है,साफ था की उसका काम वही कर सकता था,अच्छे तांत्रिक तो बुरे विचार भी अपने से दूर रखते है,शैतानी साधना करने वाले को तांत्रिक कहना गलत होगा लेकिन ये तो एक मजबूरी ही है की उसे कुछ और नाम से नही पुकारा जा सकता,

उसकी सांसे सर्द हो रही थी ,एक डर की लहर से उसके शरीर में झुनझुनी सी दौड़ रही थी,पर वो हिम्मत करके उस गुफा के तरफ बड़ा,उसे अपने घुटने के बल चल कर जाना था,पता नही की आगे और कितनी सकरी हो जाय ,वो हिम्मत कर आगे जाता गया ,,थोड़ी दूर जाने के बाद वो घने अंधेरे से घिर गया,उसने अपनी टार्च जलाई और आगे के मार्ग में सरकने लगा,उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो किसी नर्क में आ गया हो ,लेकिन उसे एक आश जगी उसे कुछ रोशनी सी आती हुई दिखी,अब उसका डर और रोमांच दोनो ही बड़ गया था,उसने बहुत कुछ सुन रखा था पर उसे देखने वाला कोई भी अभी तक जिंदा नही बचा था,उसे अपने जीवन की परवाह भी नही थी उसे तो बस ठाकुरो और तिवारियो की बर्बादी से ही मतलब था,उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी पर वो फिर भी हिम्मत नही हारा और चलता गया,…

लगभग 20 मिनट ही चलने के बाद उसे के बड़ी सी जगह दिखाई दी ,जिसे वो क्या कोई भी नही सोच सकता था की जमीन के अंदर इतना भव्य सी जगह है ,एक काले राक्षस की विशालकाय मूर्ति वो देखने में ही भयानक लगता था उसके चरणों के पास बैठा वो तांत्रिक ,जो अभी आंखे मूंदे ऐसे बैठा था जैसे की वो धयन में बैठा हो ,पास में बहुत से नर कंकाल पड़े थे…..जिसे देखकर एक्स की हालात ही खराब हो गयी,पर वो हिम्मत कर उसके पास पहुचा,और उसके पैरो के पास देशी दारू और बकरे का मांस रख दिया जैसा की उसने सुन रखा था,की अचानक ही वो तांत्रिक अपनी आंखे खोल जिसे देखकर एक्स दो कदम पीछे हो गया ,पूरी तरह लाल आंखे ,जैसे जलते हुए अंगारे हो …बड़े बड़े बाल जो बिखरे हुए थे,लंबा चौड़ा और हट्टा कट्टा उसका बदन बड़ी हुई दाढ़ी मूंछे ,और पूर्ण रूप से नग्न उसे देखकर तो कोई भी डर जाय ,वो एक्स को देखकर जोरो से हँसने लगा ,…..

“हा हा हा इतने दिनों बाद किसी ने मेरे पास आने की कोसिस की ,जो भी यहां आया वो कभी भी बाहर नही जा पाया ये देख उनके कंकाल …तुझे किसी ने बताया नही की मैं नरभक्षी हु …और तू यहां मरने चला आया …”

उसकी हँसी से पूरी गुफा गूंज गयी ,गुफा में एक ओर से पता नही कहा से कुछ रोशनी फैली थी और एक हल्की सी जलप्रवाह की आवाज आ रही शायद पास ही कोई जलस्रोत हो,हवा तो वहां बिल्कुल भी नही चल रही थी पर जहा रोशनी पहुच रही हो वहां कही से हवा भी आ ही रही होगी …

उसकी हँसी से एक्स में दहसत फैल गयी पर वो वहां डरने तो नही आया था वो पहले आने वालो की तरह किसी खजाने की तलाश में या और किसी प्रलोभन में नही आया था उसका मकसद कुछ जायद ही तबाही थी ,वो अपनी जान की परवाह करता तो शायद यहां कभी नही आ पता….

“मैं आपके समक्ष कुछ बहुत ही जरूरी काम से आया हु महाराज आप ही मेरा काम कर सकते है …’

“यहां हर कोई अपने ही प्रलोभनों से आता है मूर्ख …लेकिन तूने मेरे लिए इतनी शराब और बकरा लाया इसलिए जब तक ये खत्म ना हो जाय मैं तेरी बात सुनूंगा फिर तुझे भी मार कर अपने शैतान को भोग लगाऊंगा…बोल “

वो बिना पके मांस को ही चबाना शुरू कर दिया ,जिसे देख एक्स को भी उल्टी सी आने लगी पर उसके पास समय बहुत ही कम था…

“मुझे वीर ठाकुर और रामचंद्र तिवारी के परिवार को तबाह करना है ,और मुझे आपकी मदद चाहिये …”वो थोड़ा निर्भीक होते हुए कहा …लेकिन उनका नाम सुनकर वो अपना खाना ही छोड़ दिए वो रुक सा गया और उसके चहरे को ध्यान से देखने लगा ……

“पुनिया ….तू पुनिया है “

एक्स घबरा गया ,ये तो वो नाम था जो की उसने सालो पहले ही छोड़ दिया था….ये कौन है जो उसे इतने अच्छे से पहचानता है आज उसका ना तो पुराना नाम कोई जानता था ना ही उसका अतीत के बारे में और कुछ…

वो उसे घूर के देखने लगा ….

“तूने मुझे नही पहचाना,देख मैं हु “वो खड़ा हो गया ,लेकिन ये क्या उसके दोनो पैर लकडी के थे वो लड़खड़ाता हुआ पुनिया तक पहुचा

“देख मैं हु “

पुनिया उसे देखते हुए मानो दुखो के सागर में डूब गया ,उसके आंखों से आंसू की धार निकलने लगी वो जैसे जैसे उसके पास आ रहा था उसका दिल और भी दहल जा रहा था ,उसे पता था की उसे चलते हुए कितनी तकलीफ हो रही होगी ,वो लकड़ियां उसी ने तो बंधी थी वो अपने घुटनो पर गिर जाता है साथ ही वो तांत्रिक भी उसके पास बैठ जाता है ,और उसके चहरे को अपने हाथो में ले लेता है ,

“जग्गू मेरे भाई,उस गजेंद्र ने तेरा क्या हाल बना दिया है ….तू यहां कैसे पहुचा …ये सब तू तांत्रिक कैसे बन गया …”

अब जग्गू एक जोरो की हँसी हँसता है,और पुनिया को देखकर उसे उठाकर पास ही बैठा देता है और खुद वो उसी जगह पर बैठ जाता है जहा पर वो पहले था,

“तू तो गांव और मुझे छोड़कर चला गया ,और मैं इस जख्मी पैरो को लेकर कहा जाता ,मैं निराश सा जंगल में आकर रहने लगा,मेरी बीवी को वो हरामी अपनी रखेल बना कर रखे थे,उसके पैसे से ही घर चल रहा था,मेरी निराशा जब ज्यादा बढ़ गयी तो मैंने अपनी जान देने की ठान ली और जंगल में चलता हुआ सोच रहा था की किसी जंगली जानवर के सामने अपनी जान दे दु ,पर इसी गुफा से एक तांत्रिक निकाला उसे देखकर मैं डर से काँपने लगा पर मुझे याद आया की मैं तो यहां पर मारने आया हु तो मैं इससे क्यो डर रहा हु ,वो वही तांत्रिक था जिसकी खोज में तू यहां आया है,उसी नरभक्षी तांत्रिक की सभी जगह पर इतनी दहसत है ,आज लोग मुझे वही समझते है पर वो मैं नही बल्कि मैं तो उसका शिष्य हु,वो तो कब के मर चुके है .,,,मेरी हालात को देख और मेरे साहस को देख उसने मुझे यहां आने का कारण पुझा मैंने उन्हें सब बताया वो बोले की अगर तू मरने मारने को तैयार है तो मैं तुझे ये विद्या सीखा दूंगा,मेरा कोई भी शिष्य नही है सब मुझसे इतना डरते है ,

मुझे तो मरना ही था मेरे भाई मैं उसकी बात मानकर ये विद्या सिख ली और देख आज तेरे भाई से दुनिया डरती है ,”

एक जोरो की हँसी माहौल में गूंज गयी ….

पुनिया के चहरे पर भी एक मुसकान आ गयी …

“मैं भी उनके अत्याचारों को नही भुला हु,और उनसे बदला लेने को तडफ रहा हु….”

उसने अपनी जेब से दो फ़ोटो निकाली ,और गज्जू को दिखाया जिसे देखकर उसके चहरे में चमक आ गयी …

“ये उनके घर की लडकिया है,ये निधि है अभी मासूम है ,ये वीर की बेटी है,और ये जिसका शायद तुझे बेसब्री से इंतजार होगा,इसका नाम खुसबू है ये गजेंद्र की बेटी है….”

गज्जू के चहरे में बदले की आग धधक उठी थी वो चिल्ला उठा …

“इनका भी वही हश्र होगा जो हमारी बीबियों और बहनों का उन्होंने किया था,चहरे तो मासूम लग रही है इनकी सील तो मैं तोडूंगा,और इन्हें शैतान से चुदवाऊंगा ….इनकी बली से शैतान मुझे और भी शक्ति देगा जब वो इन दोनो कुवारी लड़कियों को भोगेगा..हा हा हा ….हम इन्हें अपनी रंडिया बना कर रखेंगे…”

ऐसी हँसी की दिल दहल जाय,शैतानियत उनके चहरे से टपक रही थी…

“हा जग्गू ये दोनो अभी तक सील बंद है,इसे हमारे बदले के लिए ही बनाया गया है…(उन्हें नही पता था की निधि अब कुवारी नही है,अजय ने ही अपनी बहन को भोगा है,और खुसबू का कोई भरोसा नही की कब अजय उसे भी भोग ले)”

“पुनिया मेरे भाई ना जाने कितने दिन हो गए किसी लड़की को भोगे हुए इन कच्ची कलियों का तो मैं मांस ही उतार दूंगा…जल्दी से इनको मेरे पास ले के आ फिर कोई भी हमे नही रोक सकता उन्हें बर्बाद करने से …”

फिर से दोनो की हँसी से पूरी गुफा गूंज उठी …

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