You dont have javascript enabled! Please enable it! जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी) – Incest Story | Update 25 - KamKatha
जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी) – Incest Story Written by ‘Chutiyadr’

जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी) – Incest Story | Update 25

अध्याय 25

आज सोनल और रानी के जाने का दिन था ,सभी बहुत उदास थे, रेणुका अभी भी ससुराल से नहीं आई थी,छुट्टियों इतनी जल्दी खत्म हो जाती है किसी को भी पता नहीं चलता ,दोनों ही तैयार होकर निचे आते है इसबार किशन और विजय उन्हें छोड़ने शहर जाते है साथ में सुमन भी थी वो भी अपने माँ और भाई से मिलना चाहती थी ,साथ में कुछ पहलवान भी होते है जो अलग गाड़ी से जाने वाले थे ………….आँखों में आंसू लिए पूरा परिवार उन्हें विदा करने बहार आता है ,
“घर फिर से सुना हो जायेगा ,तुम लोगो के बिना “अजय सोनल के सर पर हाथ रखकर कहता है
“भईया आप लोग कभी कभी आया करो ना हमसे मिलने और कभी वहा भी रहा करो,”
“हा सोच तो मैं भी रहा था ,पर यहाँ का काम भी बहुत हो जाता है ना ,और ये तो हमारी मिटटी है इसे छोड़कर कहा जायेंगे ,तुम लोग अच्छे से पढाई करो निधि का भी एडमिशन इस सत्र से कॉलेज में करा दूंगा ,कम से कम वो तो मेरे पास रहेगी “सोनल और रानी अजय से लिपट जाते है ,

“वी मिस यु भईया,”
अजय भी दोनों के माथे पर एक किस करता है और उन्हें बिदा करता है ,
दोनों गाड़िया अपने रफ़्तार में थी ,जिस गाड़ी में विजय और बाकि लोग थे वो आगे चल रहा था वही पहलवानों की गाडी पीछे थी ,की अचानक ही पहलवानों की गाड़ी का चक्का हिलने लगता है ड्राईवर गाड़ी स्लो करता है और सर बहार निकल कर देखता है ,
“अरे यार साला टायर पंचर हो गया “डाइवर गाड़ी रोककर निचे उतरता है सभी पहलवान निचे उतर जाते है ,विजय की गाड़ी इतनी तेजी से जा रही थी की उन्हें ये भान भी नहीं रहा की दूसरी गाड़ी पीछे रह गयी है ,दूसरी गाड़ी के ड्राईवर ने विजय को काल कर बताया की गाड़ी पंचर है ,
“ठीक है हम लोग यही रुकते है तुम लोग स्टेपनी लगा कर आओ ,”विजय ने चिंतित स्वर में कहा
वो घने जंगल के बीचो बीच थे दूसरी गाड़ी लगभग 2-3 किलो मीटर ही दूर थी ,एक घना सन्नाटा सभी ओर पसरा था ,वही गाड़ी में बैठी लडकियों की आवाज से वो शांति का वातावरण ध्वनित हो रहा था ,

तभी कही से एक भाला फेका गया जो आकर सीधे गाड़ी के कांच को तोड़ता हुआ ड्राईवर के सीने में घुस गया कोई कुछ समझ पाते इससे पहले कोई एक दर्जन लोग हाथो में हथियार लिए गाड़ी को घेर कर खड़े हो जाते है कुछ वक्ती टंगिये से गाड़ी के सीसे पर वार करते है ,लडकियों के चिल्लाने की आवाजे पुरे माहोल में फ़ैल रही थी ,विजय इस अचानक हुए हमले से स्तब्ध था ड्राईवर के खून के छीटे अभी भी उसके चहरे पर थे ,सभी सिमट कर एक साथ हो गए थे वही कुल्हाडियो से कांच को तोड़ने की कोसिस जारी थी ,विजय फोन निकल कर सीधे पहलवानों को फोन करता है ,सभी पहलवान गाड़ी को वही छोड़कर भागते है वही दूसरी गाड़ी का ड्राईवर अजय को कॉल कर देता है ,इधर विजय अपनी पिस्तौल ढूंढता है पर आज उसकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी पिस्तौल उसके पास नहीं थी ,गाड़ी के सीसे टूटने को थे विजय बाहर निकल कर लड़ भी नहीं सकता है पूरी गाड़ी उनसे घिरी हुई थी और बहार निकलने का मतलब होगा की बहा बैठी लडिकियो पर वो सीधे आक्रमण करते …..विजय और किशन की आँखे मिली और जैसे उन्होंने इशारे में ही कुछ बात कर ली किशन पीछे से एक सरिया निकलकर विजय को देता है विजय अपनी तरफ के टूट रहे काच से उस सरिये को घुसा कर सामने वाले को अपने दरवाजे से हटने को मजबूर कर देता है ,जैसे ही उसे थोडा गेप मिलता है वो फुर्ती से अपने तरफ का दरवाजा खोलता है और बहार आते ही दरवाजा बंद कर देता है किशन भी फुर्ती दिखा उसे अंदर से लॉक कर देता है ,अब विजय बाहर था,कुछ लोग उसपर तलवारों से वार करते है वो अपने सरिये से उसे रोकता है सभी उसे गाड़ी से दूर ले जाने का प्रयास कर रहे थे ताकि जल्दी से जल्दी गाड़ी का कांच तोडा जा सके और अंदर आक्रमण किया जा सके ,
लेकिन विजयी उन्हें गाड़ी से दूर रखने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा था ,लेकिन वो दूसरी तरफ ड्राईवर सिट का शीशा तोड़ने में सफल रहे और गाड़ी को अनलोक कर दिया दूसरी तरफ से आक्रमण होने लगे सभी का बहार निकलना जरुरी हो गया था सभी विजय की तरफ बहार निकल गए किशन और विजय एक रक्षा कवच की तरह तीनो लडकियों को घेरे थे दोनों के हाथो में बस एक सरिया था ,ऐसे तो विजय बहुत ताकती था पर लडकियों को बचाने के कारण वो खुलकर नहीं लड़ पा रहा था ,उसका पहला उद्देश्य था की कैसे लडकियों को सेफ रखा जा सके थोड़ी देर तक किशन और विजय के बचाव के कारन कोई भी उन्हें छू नहीं पाया तभी पहलवानों की चिल्लाने की आवाजे सुनाई देने लगी वो पास आ चुके थे ,की उनमे से एक व्यक्ति ने इशारा किया और सभी उन्हें वही छोड़कर भागने लगे उनकी मद्दत वहा से कुछ दूर पर बैठे कुछ व्यक्ति तीर कमान से कर रहे थे उनके कारण विजय उनके पीछे भी नहीं जा पाया ,पहलवानों के आते ही विजय लडकियों को पहलवानों के सुपुर्द कर उनलोगों के पीछे भागता है पर तब तक वो दूर निकल चुके थे ,

साफ़ था की योजना बड़े ही इत्मिनान से बनायी गयी थी ,और योजना बनाने वाले को पता था की वो कब निकलेंगे और किस गाड़ी से जायेंगे,
सभी शहर वाले घर में बैठे थे ,डॉ चुतिया,बाली और अजय भी वहा पहुच चुके थे ,दोनों ही चिंतित लग रहे थे ,
“पूरी प्लानिंग के साथ आये थे साले “विजय चिंतित होकर कहता है
“डॉ साहब अब मुझे लगता है की बहनों को गाव में ही रहने दिया जाय ,यह अकेले है खतरा भी बढ़ रहा है ,आज इतना बड़ा हमला हो गया पता नहीं आगे क्या होगा,”अजय भी चिंतित स्वर में कहता है ,
“यहाँ अगर हमला होना होता तो हो चूका होता ,यहाँ लडकिय सुरक्षित है ,फ़िक्र की कोई भी बात नहीं है ,लेकिन मुझे लगता है अब हमें कलवा को वापस लाना ही पड़ेगा,वही है जो शायद इसका पता लगा पाय की ये खेल कौन खेल रहा है,” डॉ ने संजीदगी से कहा
“आप समझ नहीं रहे है डॉ ये हमारे परिवार का मामला है “विजय की आवाज थोड़ी जोर से हो गयी थी ,
“विजय डॉ साहब भी हमारे परिवार का ही हिस्सा है,” अजय ने उसे शांत करते हुए कहा ,विजय बस झुंझलाकर रह गया …
“ह्म्म्म सही कहा डॉ अब कलवा को भी वापस आना ही होगा ,”बाली एक गहरी साँस लेता हुआ कहता है ,
“मैं साले इन तिवारियो को छोडूंगा नहीं मेरे परिवार पर हमला करते है ,भईया अब समय आ गया है की खून की होली खेली जाय ,एक लड़ाई आर पार की “विजय की आँखों में खून सवार था …की डॉ के जोरो से हसने की आवाज गूंज गयी सभी आश्चर्य से उन्हें देखने लगते है ,
“तो तुम्हे अब भी लगता है की ये हमला तिवारियो ने करवाया है ,हा हा हा “सभी की निगाहे डॉ पर थी वो आगे कहते है ,

“अगर तिवारियो ने ये हमला कराया होता तो हमलावरों के पास कम से कम एक पिस्तौल तो होती ,लेकिन नहीं थी तलवार ,तीर कमान ,और भाले ,कौन लड़ता है ऐसे आजकल ,जरुर कोई गरीब आदमी होगा ,जिसके पास या तो पैसे नहीं या दिमाग नहीं है ,लेकिन दिमाग तो है इतनी अच्छी प्लानिग किया ,तुम्हे भी पता है की कितना मुस्किल होता है ऐसे किसी पर हमला करना ,जब साथ में 7-8 प्रशिक्षित पहलवान हो हथियारों से लेस हो ,ना जाने कितने दिनों का इन्तजार किया गया होगा इसके लिए की कैसे दो गाडियों को अलग किया जाय ,और अब उनके लिए और भी कठिन हो गया है हमला करना क्योकि वो जानते है की अब तुम लोग सुरक्षा और भी बड़ा दोगे ….सोचो कितने दिनों तक इन्तजार किया होगा इस आदमी ने ये जो भी हो ……….तुम्हारे माँ बाप के ऊपर हमला हुए ही 12-13 साल हो चुके है ,ये दूसरा हमला है ,कितना धैर्य इतनी समझ ……..”डॉ फिर चुप हो गए और सोच में गुम हो गए ,वही डॉ की बातो से बाकि लोग भी सोच में गम हो गए ,ये बात तो सही थी की जो भी किया गया बहुत धैर्य के साथ किया गया था ,और उनके परिवार पर होने वाला दूसरा हमला था…डॉ ने फिर से कहना शुरू किया
“अजय तुम्हे सुरक्षा की फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है ,तुम्हारे पास आज भी पर्याप्त सुरक्षा है ,और हमेशा से रही है ,वो तुम्हारा या तुम्हारे परिवार का कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा और ये बात उसे भी पता हो गयी होगी ,मुझे नहीं लगता की तुम्हारे ऊपर अब कोई दूसरा हमला होगा,इतने दिनों में उसे भी पता चल ही गया होगा की तुम्हारा सुरक्षा घेरा कितना मजबूत है…वो तुम्हे दुसरे तरीको से मारने की कोशिस करेगा ,पहले तो ये पता लगाओ की आखिर अंदर की बाते उन्हें पता कैसे चल रही है ,क्या कोई ऐसा है जो तुम्हारे घर में रह रहा हो और किसी दुसरे के लिए काम कर रहा हो ,”
“डॉ साहब हमारे घर में तो सभी पुराने लोग ही है ,बाकि हम किसी को काम पर रखते ही नहीं ”
“कही सुमन “विजय के मुह से अनायास ही निकल गया
“नही वो लड़की नहीं हो सकती ,कोई और ही है ……..”डॉ बोलते बोलते सोच में पड़ जाते है …
तभी सुमन वहा आती है ,
“;भईया मैं घर जाना चाहती थी माँ और भाई से मिल लेती “सभी उसे घुर कर देखते है विजय अब भी उसे शक के नजरो से देख रहा था पर डॉ और अजय को उसपर भरोसा था ,
“ठीक है तैयार हो जाओ मैं छुडवा दूंगा “अजय कहता है
“ठीक है भईया “सुमन वहा से चली जाती है ,उसके जाते ही विजय फिर से अपनी बात पर जोर देता है
“हमारे घर में सभी लोग पुराने ही है बस यही है जो अभी अभी आई है ,भईया एक बार चेक करने में क्या जाता है ,”
“हा अजय ,विजय की बात ठीक ही है एक बार इसके साथ जा कर चेक किया जाय की इसका बेकग्राउंड कैसा है ,मैं इसके साथ जाता हु आज मुझे यहाँ की समझ भी है पता लगाना आसान हो जायेगा ,”डॉ की बात से सभी सहमत हो जाते है ,
थोड़ी देर में डॉ सुमन के साथ उसके घर की ओर चल देते है ,एक पतली बस्ती में उसका घर था ,डॉ के लिए जगह चिर परिचित थी लेकिन बहुत दिनों से वो वहा आये नहीं थे ,गाड़ी उन्हें घर से कुछ दूर ही छोड़ना पड़ा ,झुग्गी जैसी बस्ती में सुमन और डॉ चलते गए ,पहले तो सुमन ने मना किया था की बहार ही छोड़कर चले जाय पर डॉ ने साथ चलने की जिद कर ली ,…एक छोटा सा मकान का छोटा सा दरवाजा और गलियों के हालात ही डॉ को ये बता रहे थे की इनकी आर्थिक स्थिति क्या होगी ,मकान बस एक कमरा ही था बस एक ही कमरा और सभी चीजे सलीके से जमी हुई थी ,लगता था की सुमन ने ही इस छोटे से एक कमरे के घर को ऐसा सजाया होगा ,खिडकियों के आभाव में कमरे में एक अजीब सी नमी और गंध थी ,कमरे में दवाइयों की गंध फैली हुई थी जो किसी बीमार की मौजूदगी का संकेत देती थी,प्रकाश का साधन केवल एक छोटा सा माध्यम रौसनी से जलता हुआ बल्ब थी था ,जिसका दुधिया प्रकाश कमरे में दुधिया उजाला कर रहा था ,दो बिस्तर जमीन में लगे हुए थे ,जिनमे एक को सलीके से फोल्ड कर रखा गया था जिससे कमरे में थोड़ी जगह बने ,दुसरे बिस्तर में एक महिला उम्र कोई 35-40 की दिखाई दि ,समझते देर नहीं लगी की यही सुमन की माँ है ,वक़्त के थपेड़े ने उसे इतना मारा था जो उसके चहरे और उसकी काय से साफ ही पता लग रहा था ,कुछ किताबे एक और पड़ी हुई थी ,पूरा घर साफ़ सुथरा था ,जो गरीबी के बाद भी खुद्दारी और आत्मविश्वास की निशानी था ,
सुमन को देखते ही महिला उठी और आकर उसे अपने सीने से लगा लिया ,पर जब उसे भान हुआ की साथ में कोई और भी है वो उस वक्ती को देखती है और अपने किये पर शर्मिंदा होती है ,

“डॉ साहब आइये ना ,माफ़ कीजिये हमारे घर में आपको बैठाने के लिए खुर्शी भी नहीं है ,यहाँ आइये “सुमन ने बड़े प्यार और इज्जत से डॉ को बिस्तर पर बैठने का इशारा किया डॉ बहुत ही ख़ुशी से इस आग्रह कोई स्वीकार करते है ,
“माँ ये डॉ चु….ये डॉ साहब है हमारे मालिक के खास दोस्त है और यहाँ के जाने माने इंसान है,और डॉ साहब ये मेरी माँ है ”
डॉ के चहरे पर एक हलकी सी मुस्कान आ गयी लेकिन उन्होंने बता ही दिया ,
“नमस्ते मेरा नाम डॉ चुन्नीलाल है लोग मुझे प्यार से चुतिया डॉ कहते है “जहा डॉ की बात से सुमन शर्मिंदा सी हो गयी और डॉ को गुस्से से देखती है डॉ एक मुस्कान सुमन की ओर देते है वही सुशीला के चहरे का भाव बदलने लगता है ,
“चुतिया डॉ “उसकी माँ हलके आवाज में कहती है मानो अतीत की किसी यादो में कोई भुला हुआ सा याद ढूंड रही हो ,उसके चहरे के भाव को दोनों जन पढ़ लेते है ,
“क्या हुआ माँ “सुमन थोड़ी सी घबरा जाती है ,
“आप ही डॉ चुतिया है ,”वो बड़े ही आश्चर्य से डॉ को देखती है ,
“जी हा क्या आप मुझे जानती है ”
“हा हा यानि नहीं जानती तो नहीं पर मैंने आपके बारे में बहुत सुना है “वो बहुत ही उत्तेजित होकर कहती है जैसे उसे कोई पुरानी बात याद आ गयी हो
“किससे “डॉ उसे इस तरह व्यवहार करता देख उत्सुकता से पूछता है
वो बताना शुरू करती है ,उसकी आँखों में पानी की धार थी जो कडवे अतीत की यादो से आई थी वही सुमन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या बाते हो रही है और क्यों …लेकिन डॉ ……डॉ के चहरे पर एक ख़ुशी साफ़ तौर से खिल गयी थी उसका चहरा चमकने लगा था ……..

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