अध्याय 19
इधर अजय के कमरे में ,
निधि चम् चम् करती हुई कमरे में आती है तब तक अजय नहीं आया हुआ होता ,वो बचे खुचे काम निपटा कर कमरे में प्रवेश करता है कमरे में निधि को देखकर उसके चहरे में एक मुस्कान आ जाती है ,वो बहुत ही थका हुआ होता है और निधि दर्पण के सामने खड़ी हुई अपने को निहार रही थी ,अजय भी अपने कपडे निकल कर एक निकर पहन लेता है निधि को देखता हुआ हसता है ,
“अभी तक अपने को देख रही है मेरी बहन “निधि उसे देखकर एक हलकी सी हसी में हस्ती है और उसके पास जाती है अजय अपने कपडे उतर रहा होता है ,
“भाई बहुत थक गयी हु आज तो मैं ,मैं नहाने जा रही हु आप भी चलोगे क्या ,”
“नहीं अभी थोड़ी एक्सेरसयिस कर लेता हु फिर नहाऊंगा,”
“ओके तो जल्दी से करो फिर दोनों साथ नहायेंगे,”अजय उसकी बात सुनकर हलके से मुस्कुराता है ,लेकिन कुछ कहता नहीं क्योकि उसे पता था की अगर निधि ने कह दिया तो कह दिया ,अजय जाकर थोड़ी मोड़ी एकसरसाइज करता है ,जब पसीने से लथपथ हो जाता है तब थोड़ी देर के लिए हवा में बैठ कर अपने पसीने को सुखा रहा होता है ,की निधि भी उसके पास आकार बैठ जाती है ,और उससे लिपट जाती है ,
“अरे तू कपडे तो चेंज कर ले ,अभी तक इतने भरी कपड़ो में घूम रही है ,”निधि हसते हुए वहा से उठ कर अपने कमरे में चली जाती है वापस आने पर वो एक काली nighty पहने थी ,अजय को पता नहीं कुछ दिनों से क्या हो जा रहा था की वो अपने बहन के जिस्म से नजरे ही नहीं हटा पता था ,उसका निधि के लिए प्यार तो सबको ही -पता था पर यु जो उसे एक आकर्षण की अनुभूति हो रही थी वो उसके समझ में नहीं आ रही थी,निधि मुस्कुराती हुई उसके पास जाती है ,अजय भी नहाने को तैयार हो जाता है ,अजय बाथरूम में जाकर एक टब में लेट जाते है ,हलके गर्म पानी में उसे बहुत सुकून मिल रहा था ,वो निधि को देखकर पास आने का इशारा किया निधि ने अपनी nighty वही उतर कर रख दिया और नग्गे है आकर अजय के ऊपर लेट गयी ,निधि का ऐसा करना अजय के लिए कोई नयी बात तो नहीं थी पर उसे निधि के अंगो का जो अनुभव हो रहा था वो उसके लिए बहुत ही आश्चर्य जनक था ,क्योकि वो निधि के नग्गे और गुप्त अंगो को छूने से बच रहा था ,आज तक उसकी कोई भी लड़की से दोस्ती या महोब्बत नहीं रही ,उसने नारी को जाना ही नहीं था ,जो उसे पता था वो अपनी बहनों से या मौसी से पर वो केवल और केवल प्यार ही था ,
अजय की उम्र तो अब शादी की हो चली थी उसके भाइयो का सम्बन्ध कई लडकियों से था ,उसे भी वासना का पता था ,और उस क्रिया का भी जो एक मर्द और ओरत के बीच होता है पर वो निधि को एक बच्ची ही मानता था ,पर ना जाने क्यों उसे लगने लगा था की अब समय आ गया है की निधि से दुरी बनायीं जाय ,वो पगली शर्म से अनजान थी ,लेकिन अजय के लिए ये भी आसान नहीं था,निधि से दुरी वो बना भी ले लेकिन निधि ,निधि उससे दूर नहीं हो सकती …..
निधि अपने भाई की विशाल छाती पर सर रखे अपने शारीर को बस उसके हवाले कर लेटी थी ,उसके स्तनों की नुकीली गोलाईया अजय के सीने में दब रही थी वही पानी से भीगा उसका चिकना बदन अजय के बालो से भरे शारीर पर रगड़ खा रहा था ,ऐसे तो ना ही अजय को ना ही निधि को इससे कोई भी आपत्ति थी ,ना ही उनके बीच वासना की कोई झलकी भी थी पर अजय ने ठान लिया था की इस बारे में वो निधि से बात करेगा ,
“निधि ,…..निधि सो गयी क्या ,”
“नहीं भाई ,बस इतना अच्छा लगा रहा है की कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा ,”निधि ने अचानक हलचल की और अजय से अपने को रगडा,अजय उसे अपनी मजबूत बांहों में घेरा हुआ उसके सर को सहला रहा था वही निधि अपने स्तनों को उसके बालो से भरे छाती पर रगड़ रही थी ,इसमें तनिक भर भी वासना नहीं थी पर एक अजीब सा सुकून दोनों को मिल रहा था ,
“सुन ना मेरी जान ,तू अब बड़ी हो गयी है ,अब इस तरह से हमारा रहना ठीक नहीं है ,”अजय ने डरते हुए कहा क्योकि उसे निधि का गुस्सा नहीं झेलना था ,निधि भी सर उठाकर उसे देखती है ,
“क्या ऐसे रहना मतलब ”
“मतलब की नंगे रहना ,मैं तेरा भाई हु ,”
निधि ने हलके से सर उठाकर उसे देखा
“तो ,तो क्या हुआ की आप मेरे भाई हो ”
“अब तू बड़ी हो गयी है बहन ”
“तो ,”निधि ने रूखे हुए स्वर में कहा
“तो अब तुझे और मुझे ऐसे नहीं रहना चाहिए और क्या ,”
“क्यों “निधि के सवाल थे बड़े ही आसान पर आसान से सवालो के उत्तर देना कभी कभी बहुत मुस्किल हो जाते है ,
“क्यों क्या बोला तो बड़े हो गए है ,”
“तो “निधि ने मुस्कुराते हुए कहा
“तो ऐसे नहीं रहना चाहिए ,”अजय ने प्यार से उसके सर को सहलाते हुए कहा ,
“क्यों “निधि की मुस्कान और बड गयी थी ,
“अरे क्यों क्या यार बोल तो रहा हु की अब हम लोग बड़े हो गए है ,अब तू भी बच्ची नहीं रही बड़ी हो गयी है “अजय ने हलके से झल्लाते हुए कहा
“तो ……………..”एक शांति सी छा गयी और अजय ने निधि को घुर के देखा और निधि खिलखिला कर हस पड़ी ,अपनी गुडिया को हसते हुए देखकर फिर अजय सब भूल गया
“खरगोस कही की “अजय ने उसके बालो को पकड़कर उसका सर उठाया और उसके गालो में किस करने लगा ,निधि भी हसते हुए अपने भाई के प्यार का मजा लेने लगी ,दोनों के शारीर गिले होने के कारण आपस में बखूबी फिसल रहे थे अजय के हाथ उसके कुल्हो पर चले गए और वो उसे सहलाने लगा ,उसका हाथ अपने निताम्भो पर महसूस कर निधि को भी बहुत अच्छा लगने लगा और वो ऊपर उठाकर अजय के होठो को अपने दांतों से काट लिया ,अजय के चहरे पर एक मुस्कान ने घर कर लिया वो उसके बालो को पकड़कर अपनी ओर खीचा और उसके होठो पर अपने दांत लगाने लगा निधि ने अपने चहरे को हस्ते हुए हटा लिया और पलट गयी अजय का हाथ फिसलता हुआ उसके योनी के ऊपर आ गया वो उसके योनी के बालो को सहला रहा था वो की पानी से भीगे होने के बाद भी शायद घने होने के कारण पूरी तरह से भीगे नहीं थे ,अजय ने अपना हाथ ऊपर लाया जो सीधे उसके पेट से होता हुआ उसकी स्तनों के पहाड़ो पर आकर रुक गया उसके हाथ बिना किसी प्रयास के ही चल रहे थे वही निधि भी अपने भाई के प्यार में डूबी हुई उसके चहरे हो अपने बांहों में समायी अजय के गालो पर अपने चुम्मानो की बारिश कर रही थी ,
निधि के होठ फिसल कर अजय के होठो के पास आता है और दोनों के गिले होठ आपस में मिल जाते है ,थोड़ी देर तो यु ही दोनों आपस में अपने होठो को रगड़ते है पर अजय के हाथो के स्तनों तक पहुचने और उसके स्तनों को हलके हाथो से सहलाने से निधि को इतना मजा आता है की उसके होठ अनायास ही खुल जाते है और अजय की जीभ मानो इसी क्षण की प्रतीक्षा में था वो उसके होठो के अंदर चला जाता है निधि बस आँखे बंद किये पहली बार घट रहे इस सुखद आभास को महसूस कर रही थी वही अजय भी अपनी सबसे प्यारी बहन के होठो को चूस रहा था ,दोनों की आँखे बंद थे और दोनों ही प्यार के सागर की लगारो में झूम रहे थे उन्हें समाज के बंदिशों का नहीं पता था ना ही वो जानना भी चाहते थे ,सही गलत के उनके लिए कुछ भी मायने नहीं रह गए थे ,वो तो बस एक ही भाष को समझने लगे थे वो थी प्यार की भाषा ……निधि ने भी अपने भाई के जीभ का स्वागत किया और अपने होठो से उसके जीभ को जकड कर चूसने लगी,पता नहीं इस खेल में एक बात और हुई की अजय ने निधि के स्तनों को हलके हाथो की जगह थोड़ी जोर से दबाया ये भी अजय ने जानबूझ के नहीं किया था पर निधि और अजय के ऊपर इसका सीधा प्रभाव हुआ और निधि ने अजय के सर को जोर से जकड लिया वही अजय के लिंग में भी एक हलचल सी हो गयी ,वो पूरी तरह से अकड़े इससे पहले ही दोनों का चुम्मन समाप्त हुआ और दोनों एक दुसरे को देखकर मुस्कुराने लगे ,निधि ने नजर उठा कर जैसे ही अजय के मुस्कुराते हुए चहरे को देखा तो निधि शर्मा गयी और अजय के सीने में जा लगी ,थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे ,
“भईया ये क्या था ,बहुत अच्छा था ”
अजय क्या कहता की ये क्या था उसे तो खुद भी इसका पता नहीं था की ये क्या था ,
“ये किस था बहन और क्या था ,और चल अब सोते है बहुत रात हो गयी है ,”निधि ने अजय को और जोरो से पकड़ लिया
“नहीं मुझे नहीं सोना यही अच्छा लग रहा है मुझे आपकी बांहों में ”
अजय उसके सर को सहलाता है और प्यार से उसकी ओर देखता है वो एक मासूम से बच्चे की तरह उससे लिपटे हुए सो रही थी ,अजय उसकी इस ख़ुशी में खलल नहीं डालना चाह रहा था ,इसलिए वो उसे ऐसे ही छोड़ देता है और उसके बालो को सहलाता हुआ अपनी भी आँखे बंद कर लेता है ,उसकी आँखे कब लगती है उसे भी पता नहीं चलता ,जब उसकी नींद खुलती है तो वो उठकर निधि को पोछता है और उसे उठाकर अपने बिस्तर पर लिटाता है ,………..