मेरा तो लोडा बेठने का नाम ही नहीं ले रहा था …सोनिया और अनीता को देखकर.
मम्मी अनीता को लेकर किचन में चली गयी और सोनिया झाड़ू लेकर कमरे में सफाई करने लगी.मैं सोफे पर बैठा हुआ उसके भरे हुए शरीर को देखकर अपनी आँखें सेक रहा था, बैठकर सफाई करने की वजह से उसकी कसी हुई पिंडलियाँ मेरी आँखों के सामने थी,
ये काम करने वाली लड़कियां और औरतें कितनी गठीली होती है, ये तो बॉडी बिल्डिंग की प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले सकती है और जीत भी जायेंगी.. वो झाड़ू लगाती हुई मेरे पास तक आई और मेरी तरफ देखकर बोली “बाबु…अपना पैर उठाना जरा…”
मैंने चोंककर उसे देखा और अपने दोनों पैर उठा दिए और वो मेरे सामने झुक कर सोफे के नीचे तक झाड़ू घुमाती हुई सफाई करने लगी, मेरा मन कर रहा था की अभी अपना लंड बाहर निकलूं और घुसेड दूँ उसके मुंह में..
मैंने उसकी तरफ देखा तो पाया की उसके ब्लाउस से झांकते उसके उरोज़ बाहर की तरफ छलांग मारने को तैयार है, मेरे तो मुंह में पानी आ गया, बड़ी मुश्किल से मैंने अपने हाथों को काबू में किया, वो बड़ी बेफिक्र होकर सफाई कर रही थी, उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं.
मेरा लंड अपने पुरे शबाब में आकर मेरी पेंट में खड़ा हो चूका था, और उसकी वजह से मैं अभी खड़ा भी नहीं हो सकता था, तो मैंने वहीँ बैठे रहना उचित समझा. थोड़ी ही देर में जब वो टीवी के पीछे की तरफ का हिस्सा साफ़ कर रही थी तो उसकी फैली हुई गांड देखकर तो मैं उसका दीवाना सा हो गया, मैंने इतनी दिलकश गांड आज तक नहीं देखी थी.
जैसे आम का रस भरा हुआ हो उसकी गांड में, अब तो मेरे मन में उसको पाने के प्लान बनने लगे थे. वो सफाई करती हुई दुसरे कमरे में चली गयी और मैं भागकर ऊपर की तरफ चल दिया, ऋतू के कमरे से उसकी चीखों की आवाज आ रही थी, मैंने दरवाजा खोला तो पाया की वो घोड़ी बनी हुई अयान से अपनी गांड मरवा रही है…ऋतू ने जैसे ही मुझे देखा तो बोली “भाई …..आओ न….तुम भी…अह्ह्ह्हह्ह मेरी चूत में अपना लंड डाल दो…नाआअ….”
मेरा मन अब उस नौकरानी की तरफ ज्यादा था सो मैंने उसे मना करते हुए कहा…”अभी नहीं ऋतू…और नीचे नयी नौकरानी आई है…तुम अपनी चीखे थोडा धीरे मारो जरा..नहीं तो वो ना जाने क्या सोचेगी….” और ये कहते हुए मैं ऊपर की तरफ चल दिया.
ऊपर छत्त पर जाकर मैंने चारों तरफ देखा और फिर जल्दी से अपनी पेंट को खोलकर अपने लंड को जींस में सही तरह से एडजस्ट किया. और तभी मेरी नजर साथ वाले प्लाट पर पड़ी..जहाँ पर काम चल रहा था, और मैं किनारे पर जाकर नीचे वाली झुग्गी की तरफ देखने लगा जहाँ उन काम वालों ने नहाने के लिए बाथरूम बनाये हुए थे…
और मेरी किस्मत अच्छी थी की वहां वही लड़की जिसे मैंने दो दिन पहले भी नहाते हुए देखा था, नहा रही थी, पर आज वो अकेली नहीं थी, उसके साथ वहीँ पर काम करने वाला एक अधेड़ उम्र का आदमी भी था, जो शायद उसके बाप या दादा की उम्र का था, मैं ये देखकर चोंक गया पर फिर मजे लेने के लिए उन्हें गौर से देखने लगा और मैंने अपना लंड भी बाहर निकाल लिया और उसे आगे पीछे करने लगा उन्हें देखकर. वो लड़की घबरा रही थी और बार बार उचक कर बाहर देख रही थी की कोई आ तो नहीं रहा उस तरफ..पर उनकी झुग्गी सबसे हटकर थी और काफी दूर भी, बाकी के मजदूर दूसरी तरफ काम कर रहे थे,
और शायद बुड्ढ़े को मौका मिला होगा इस नयी कच्ची कलि के रसीले योवन को चूसने का तो वो आ धमका होगा अन्दर ही..जहाँ वो लड़की नंगी होकर नहा रही थी. उस लड़की का शरीर बिलकुल काले रंग का था और उसकी छाती पर लगे उभार लगभग चीकू जितने ही थे और उनपर लगे निप्पल्स अंगूर के दानो जैसे..
बुड्ढे ने उन अंगूरों को चूसा और उसकी चूत के अन्दर अपनी ऊँगली डालकर उसे अपनी ताकतवर बाजुओं से ऊपर उठा लिया…वो मचल रही थी उसकी बाँहों में, और फिर उसने उस बुड्ढे के मुंह में अपनी जीभ डालकर उसे चूमना शुरू कर दिया, बुड्ढे का लंड काफी मोटा था, पता नहीं ये लड़की उसे अन्दर ले भी पाएगी या नहीं, और जैसा मैंने सोचा था वैसा ही हुआ, जैसे ही बुड्ढे ने उसकी चूत में अपना लंड डाला वो रोने लगी, पर उसने कोई परवाह नहीं की और उसकी कमर पकड़कर अपना पूरा लंड डाल दिया..
वो चीखती रही और बुड्ढा अपना काम करता रहा, और जल्दी ही वो लड़की भी मजे ले लेकर अपनी चूत से उसके लंड को चुदवाने लगी… और फिर बुड्ढे ने अपना रस उसकी कुंवारी चूत में ही डाल दिया..और फिर लंड को पानी से साफ़ करके, एक धोती पहनकर वो बाहर चला गया.
अब तक मेरा लंड भी झड़ने के काफी करीब था, और जैसे ही मैंने उस लड़की को अपनी चूत के अन्दर से ऊँगली डालकर उसे चाटते हुए देखा तो मेरे लंड से गाड़े वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर दीवार पर गिरने लगी…
और मैं दीवार का सहारा लेकर हांफने लगा, मैंने अपना लंड अन्दर किया ही था की मेरे पीछे से आवाज आई “अरे बाबु…तुम ऊपर क्या कर रहे हो..”
मैंने मूड कर देखा तो सोनी खड़ी थी वहां अपने हाथ में कपडे की बाल्टी लिए, मशीन से कपडे निकाल कर वो उन्हें ऊपर लायी थी धुप में सुखाने के लिए.
मैंने उसे कहा “कुछ नहीं…मैं बस ऐसे ही आया था..यहाँ ”
वो मुस्कुरा दी और कपडे उछाल कर तार पर डालने लगी.
उसने अपनी साडी को अपने पेट से लपेट रखा था, क्या सपाट पेट था उसका, अगर थोड़ी देर पहले आई होती न छत्त पर तो मैं उसको वहीँ पकड़ कर चोद देता . पर मैं इसके मजे धीरे-२ लेना चाहता था, और उसकी मर्जी से ही..वो बोली ” बाबु…आपने हमारा नुकसान करा दिया आज….
मैं : “मैंने तुम्हारा नुकसान कराया…कैसे…? ”
सोनिया : “वो हमारी पगार को आपने 3500 कर दी…मैंने कहा था न की मुझे पहली जगह पर 5000 मिलते थे, जहाँ मैं अपनी माँ के साथ काम करती थी.”
मैं : “अरे..इसमें निराश होने वाली बात नहीं है…अगर तुम चाहती हो तो मैं तुम्हे अलग से अपनी तरफ से 2000 और दे दूंगा…” और ये कहकर मैंने अपने पर्स से 2000 निकाल कर उसकी तरफ बड़ा दिए.
छुट्टियों से पहले , ऋतू के साथ मिलकर, काफी पैसे जमा कर चूका था मैं, इसलिए मेरी जेब में रुपयों की कोई कमी नहीं रहती थी अब. उसकी आँखों में चमक आ गयी उन्हें देखकर, वो बोली “पर आप ऐसा क्यों करेंगे…अपनी मम्मी से क्या बोलेंगे…”
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी और उसने झट से मेरे हाथों से पैसे लेकर अपने ब्लाउस में ठूस लिए.. मैं अपने प्लान को साकार होता देखकर काफी खुश था.
वो कपडे डालती रही और मैं उसे निहारता रहा. अब वो होले होले मुस्कुरा भी रही थी, पता नहीं रूपए मिलने की ख़ुशी में या मेरी वजह से.
वो बोली : बाबु…कल भी आना होगा क्या…काम पर ”
मैंने पूछा : “कल…क्यों पूछ रही हो…”??
सोनी : “वो कल होली है ना…इसलिए..बदमाश लड़के सड़कों पर निकल आते हैं…और कई तो आज भी गुब्बारे मार रहे थे..” मुझे याद तो था की कल होली है, और इसी बहाने मैंने सोचा की इसके शरीर को छूने का मौका भी मिल जाएगा..
इसलिए मैंने जल्दी से कहा “कल आना तो पड़ेगा…क्योंकि हमारे घर में मेहमान आये हुए हैं…इसलिए तो तुम्हे पहले दिन ही रख लिया…वो सन्डे तक यहीं रहेंगे, उसके बाद छुट्टी करने में कोई परेशानी नहीं है..पर अभी तो आना ही होगा..और तुम भी उन्हें गुब्बारे मार दिया करो न, जो तुम्हे सताते हैं …तुम्हारे पास भी तो हैं..गुब्बारे..”
मेरी बात सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी और फिर मैंने उसके मुम्मो की तरफ इशारा किया तो वो समझ गयी और शरमा गयी और बोली “धत्त्त ….तुम बड़े शैतान हो बाबु…” और ये कहते हुए वो नीचे की तरफ दौड़ गयी..
मैं मन ही मन खुश होता हुआ नीचे चल दिया, मैं समझ गया की इसे चोदने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. फर्स्ट फ्लोर पर जाकर ऋतू के कमरे में गया और पाया की अयान और ऋतू नंगे एक दुसरे से लिपटे बातें कर रहे हैं, झड़ने के बाद.
मैं फिर से नीचे चल दिया और सोनी को ढूंढने लगा, वो मम्मी से बात कर रही थी, वो उनसे भी होली के बारे में ही बात कर रही थी,
मम्मी ने उससे कहा की शाम तक के लिए आ जाना और सफाई करने के बाद चली जाना, रात का खाना हम सभी बाहर जाकर कर लेंगे. वो इसी में खुश हो गयी की उसे आधे दिन की तो छुट्टी मिल ही गयी, और जब उसकी नजर मुझसे मिली तो ऊपर वाली बात को सोचकर वो फिर से मुस्कुराने लगी. और मेरी बगल से होकर दुसरे कमरे की तरफ चल दी.
मैं अभी तक इतनी चूतें मार चूका हूँ, पर हर बार नयी चूत देखकर ना जाने मुझे क्या हो जाता है, पता नहीं ये सब के साथ ही होता है या मुझे कुछ अलग ही बीमारी है.
मम्मी ने मेरी तरफ देखकर कहा “आशु…तुम इस अनीता का ध्यान रखना…मैं जरा तुम्हारे अंकल के पास जा रही हूँ….” और उन्होंने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी, मैं समझ गया की वो अंकल के कमरे में चुदने जा रही है. मैं किचन में अनीता को गौर से देखने लगा, उसने जींस पहनी हुई थी और उसकी फंसी हुई गांड देखकर मेरा मन हुआ की पीछे से जाकर, जींस उतार कर , शेल्फ पर उसे झुकाकर उसकी गांड में लंड पेल दूं,
मेरे लंड में ये सोचकर फिर से दर्द होने लगा की कैसे ये चीखें मारेगी अगर मैंने इसे किचन में ही चोदना शुरू कर दिया तो. उसने मुड़कर मेरी तरफ देखा, तो मुझे अपनी गांड की तरफ घूरता पाया, मैं जल्दी से संभल गया और उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया. उसके चुचे उसकी अपनी बहन सोनिया से थोड़े ज्यादा बड़े थे, और बड़े होने की वजह से लटके हुए से थे, टी शर्ट में काफी मजेदार लग रहे थे, पता नहीं ये शायद किसी से चुसवा भी चुकी हो, इन काम वालियों का कुछ पता नहीं होता, जैसे अभी मैंने ऊपर छत्त पर उस छोटी सी लड़की को चुदते हुए देखा था उस बुड्ढे से..
क्या पता इसने भी चुदवा ली हो अपनी चूत किसी से…तभी शायद इतने बड़े हैं इसके मुम्मे..
मुझे कुछ सोचता पाकर उसने कहा “क्या सोच रहे हो ..आप बाहर बैठिये..कुछ चाहिए तो बता देना…” और मैं बाहर जाकर बैठ गया.
मैंने सोनी को कहा “तुम जरा ऊपर चलो…मैं तुम्हे अपना कमरा दिखता हूँ, उसे भी साफ़ कर दो..”
“ठीक है…चलो…” वो मेरे पीछे चल दी ऊपर की तरफ.
ऊपर जाते हुए मैं देखा की अयान और ऋतू नीचे आ रहे हैं, चुदाई के बाद…
ऋतू ने मेरे पीछे सोनी को आते देखा और बोली “भाई …आल द बेस्ट..” और हंसती हुई नीचे चली गयी.
मैं तो जैसे सोनी को चोदने जा रहा था…पागल कहीं की.
तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने जल्दी से एक पोर्न साईट खोली और फोटो वाले सेक्शन में जाकर वहां पर एक थ्रेड ओपन करी, जिसमे नयी नवेली दुल्हन और उनके हनीमून की पिक्चर थी..मैंने तिरछी निगाहों से सोनी की तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी. मैंने एक एक करके फोटो देखनी शुरू की..उसमे लड़की ब्रा और पेंटी पहन कर समुन्दर में नहा रही थी, अलग अलग पोज़ में वो अपने जलवे दिखा रही थी, मुझे मालुम था की जल्दी ही अगले पेज पर वो नंगी भी दिखाई देगी..मैंने फिर से सोनी की तरफ देखा, वो हाथ में झाड़ू पकड़ कर एकटक कंप्यूटर स्क्रीन को घूर रही थी,
मैंने उससे पूछा “क्या हुआ…?”
वो बोली “वो…वो बाबु…तुम ये किसकी फोटो देख रहे हो…कौन है ये..” !!
मैं उसकी मासूमियत देखकर मुस्कुरा दिया और बोला “ये कौन है, मुझे नहीं पता, ये तो लोग अपने मजे के लिए इन्टरनेट पर डाल देते हैं…
मैं तो वही देख रहा हूँ ” और फिर मैंने उसे इन्टरनेट के बारे में काफी कुछ बताया, वो हैरानी से सब सुनती रही और अंत में बोली “हे भगवान्….ऐसा भी होता है क्या…”
वो बोल भी रही थी और अपनी आँखों से स्क्रीन पर देख भी रही थी..
मैंने अगला पेज देखा उसमे अब वो लड़की बिना ब्रा के बेड पर लेती थी और अपने हाथों से अपने मुम्मे छुपा कर हंस रही थी, मेरे साथ -२ उसकी जिज्ञासा भी बढ़ रही थी, मेंने आगे देखा तो उसकी आँखे बंद थी और दोनों हाथ फेला कर आधी नंगी, मस्त मुम्मे, दुनिया को दिखाते हुए, लेटी थी,
मेरा तो लंड टाईट हो गया उसका पोज़ देखकर, मैंने अगली फोटो देखी तो उसमे उसके पति के लंड को चुस्ती हुई वो ऊपर की तरफ देख रही थी.
मेरे पीछे से गहरी सांस की आवाज आई , मैंने मूड कर देखा तो पाया की सोनी तो उस फोटो को देखकर अपने सुध बुध खो बैठी थी, उसके हाथ से झाड़ू छूटकर नीचे गिर गया उसकी आँखों में लाल डोरे तैर गए, उसकी नजर मुझसे मिली , मैं उठा और उसे अपनी सीट पर बिठा दिया और उसके पीछे खड़ा होकर माउस से उसे आगे की फोटो दिखाने लगा.
मेरा एक हाथ उसके बांये कंधे पर था और दूसरा माउस पर, उसके गर्म गाल मेरे गालों से टच हो रहे थे, और उसकी धोंकनी जैसी साँसे मुझे साफ़ महसूस हो रही थी, मैंने सोचा भी नहीं था की पहले ही दिन वो मेरे जाल में फंसती चली जायेगी, उसने आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था, इन्टरनेट क्या होता है, उसे मालुम भी नहीं था,
पर आज जब मैं उसे नयी -२ बाते बता रहा था तो उसकी जिज्ञासा बढती चली जा रही थी, वो कुछ अपनी तरफ से बोल नहीं रही थी, पर मना भी नहीं कर रही थी, मैंने उसके कानो में धीरे से कहा “तुम्हे ये सब देखने में अच्छा लग रहा है क्या…”??
वो कुछ ना बोली और देखती रही, मैंने उसे वो सारी फोटो दिखाई, जिसमे लड़की ने बाद में अपनी पेंटी भी उतार दी थी और उसकी चूत का क्लोज अप देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया, मैंने सोनी से फिर पूछा “क्या ऐसी होती है…लड़कियों की…चूत…”
“हाय…राम….कैसी गन्दी बातें करते हो तुम बाबु….आप ये सब देखते हैं…आपको नहीं पता क्या…” उसकी आवाज लडखडा रही थी.
“मैंने आज तक इतनी सुन्दर चूत नहीं देखी…कोई दिखाता ही नहीं तो क्या करूँ…इसलिए…इन्टरनेट पर ही देखनी पड़ती है…” मैं उसे बोतल में उतार रहा था. जहाँ मैं खड़ा हुआ था , वहां से उसके मुम्मों के बीच की सुरंग साफ़ दिखाई दे रही थी,
एक बार मन तो हुआ की अभी दबोच कर उन्हें मसल दूं, गरम तो हो ही चुकी है ये साली, पर फिर सोचा की अपने आप जब कहेगी तब ही पकडूँगा….अभी तो बस मजे लेने दो.
मैंने अगली थ्रेड देखी, जहाँ अंग्रेजी जोड़े सेक्स करते हुए दिखाए गए थे, जिन्हें देखकर वो चोंक गयी…और धीरे से बोली “बाबु…ये सब असली के हैं क्या इनके….”
उसका इशारा पोर्न स्टार के लंड की तरफ था…उसने शायद आज तक कोई लंड नहीं देखा था या छोटे ही देखे थे…मैंने उससे पूछा “ये सब असली है…इसलिए तो ये अंग्रेजी फिल्मो के हीरो होते हैं….इनके लंड ही इनकी पहचान होते हैं वहां की फिल्मो में…” वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी
“मैं नहीं मानती…” वो ठुनक कर बोली
“तुमने कभी किसी का लंड देखा है क्या ?” मैंने उसके कानो के पास जाकर उसके पसीने की खुशबु लेते हुए पूछा.
“एक दो बार….वो गली में पेशाब करते हुए देखा था किसी का…पर वो इतने बड़े नहीं थे…” उसे भी अब मजा आने लगा था इन बातों में. बीच बीच में मैं फोटोज़ भी चेंज कर रहा था, जिसमे तरह -२ से लड़कियां लंड को चूस भी रही थी और अपनी साफ़ सुथरी सी चूत में ले भी रही थी.
“तुम्हे मालुम है….लंड जितना बड़ा होता है…लड़की को उतना ही मजा आता है…” मैंने ये कहते हुए अपनी जीभ निकाल कर उसके कान से टच कर दी.
उसके मुंह से सिसकारी सी निकल गयी…वो बोली “मुझ…मुझे…क्या पता…..
माँ कहती थी…की ये सब बाते शादी के बाद अच्छी लगती हैं…इसलिए…मैंने कभी इन बातों पर ध्यान ही नहीं दिया…” वो कांप सी रही थी.
“लेने को कोन कह रहा है….देख तो सकती हो न….” ये कहते हुए मैं घूमकर उसके सामने आया , मेरा लंड जींस को फाड़कर बाहर आने को तैयार था.मैंने उसे अपने हाथों से रगडा.और उसकी आँखों में देखा.
उसकी छाती तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी…आगे का सोचकर..
मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड के ऊपर रख दिया…अब तो जैसे उसकी साँसे ही रुक गयी.. पर उसने अपना हाथ नहीं हटाया वहां से..मैंने धीरे से अपनी पेंट की जिप खोली और अपना फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाल कर उसकी आँखों के आगे परोस दिया..
उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, इतने करीब से, पहली बार, और वो भी इतना मोटा और लम्बा लंड देख रही थी वो… उसने मेरी तरफ देखा ,
मैं बोला “अब बताओ…लम्बे लंड होते हैं या नहीं….”
वो एक नजर स्क्रीन पर और एक नजर मेरे लंड की तरफ देख रही थी, जैसे तुलना कर रही हो…की किसका ज्यादा लम्बा/मोटा/सुन्दर है..मैंने फोटो आगे करी जिसमे लड़की उस लम्बे से लंड को चूस रही थी..मैंने लंड आगे करके उसके होंठों की तरफ बढाया.
वो समझ गयी, उसने आँखें बंद की और उसके होंठ अपने आप खुलते चले गए..
तभी नीचे से ऊपर आती उसकी बहन अनीता की आवाज आई “दीदी sssssssssssss……ओ दीदी………कहाँ हो तुम….”??
मैंने जल्दी से लंड को अन्दर धकेला और कंप्यूटर की स्क्रीन बंद कर दी, वो भी झटके से उठी और झाड़ू पकड़ कर सफाई करने लगी.
वो अन्दर आई और सोनी से बोली “दीदी..नीचे चलो..खाना तैयार है…और आशु बाबु..आप भी नीचे चलो, खाना खा लो.”
मेरा तो मन कर रहा था की इस कुतिया को ही खा लू इस समय, साली ने सारा मूड खराब कर दिया.
मैंने उसे कहा, “ठीक है, तुम जाओ..मैं थोड़ी देर में आता हूँ…” मेरी बात से निराशा साफ़ झलक रही थी. और मुझे लगा की मेरी बात सुनकर शायद अनीता को कुछ शक सा हो गया है, क्योंकि सोनी बिना कुछ बोले उससे आँख मिलाये बिना , काम करती जा रही थी.
खेर, मेरी बात सुनकर, अनीता नीचे चली गयी, और मैं जल्दी से सोनी की तरफ मुड़ा और उसकी बाहें पकड़कर उसे दीवार से सटा दिया. उसके दोनों हाथ मैंने उसके सर से ऊपर करके दीवार से चिपका दिए, जिसकी वजह से उसके उभार और ज्यादा बाहर निकल कर बाहर की और आ गए.
“नहीं…बाबू…अभी नहीं…कोई आ जाएगा…छोड़ दो मुझे…सब नीचे बुला रहे है….मत करो न…..” वो दीवार से चिपकी हुई कसमसा रही थी.
मैंने गौर से पहली बार उसे देखा, उसका चेहरा मेरे बिलकुल सामने था, गहरा रंग, काली आँखें, मोटे होंठ, पतली सुराहीदार गर्दन जिसपर उसकी पतली नसें चमक रही थी, पसीने की वजह से.. और उसके शरीर से उठती एक अजीब तरह की महक मुझे मदहोश सा किये जा रही थी, मैं जानता था की मैं अभी उसे चोद नहीं सकता, पर पहले ही दिन मैंने उसे अपना लंड दिखा दिया और वो चूसने को भी तैयार थी,
ये मेरे लिए काफी अच्छे संकेत थे, अभी समय कम था इसलिए कुछ ज्यादा नहीं कर सकता था, पर मैं उसे चखना तो चाहता था, इसलिए मैंने अपने होंठ आगे बढाये..
उसकी गरम साँसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी, वो मना तो कर रही थी, पर अपने शरीर से कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी, शायद वो भी चाहती थी की मैं उसे मजे दूं..जैसे मैं चाहता था की मैं उसके मजे लूं.
उसकी आँखें अभी तक लाल थी, मैंने उससे कहा “चुप रहो…कोई नहीं आएगा…बस एक बार मुझे चूम लेने दो…तुम्हारे ये शरबती होंठ…” और ये कहते हुए मैंने अपने होंठ आगे किये…और उसके ठन्डे होंठों को हलके से चूमा. वो थरथराने लगी,
मैंने सोचा, अभी समय है, इसको चोद ही देता हूँ, पर न जाने क्यों, में उसके मजे धीरे-२ लेना चाहता था, इसलिए अपना इरादा बदल दिया और उसके होंठों पर अपने होंठों का शिकंजा कस लिया और उन्हें चूसने लगा.
सही में, शरबत जैसे ही थे उसके होंठ, बड़े ही मीठे, मुलायम और अनछुए से…मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसके मुंह में डाल दी, वो समझ नहीं पायी की वो उसका क्या करे,
और फिर मैंने जब उसकी जीभ कुरेद कर बाहर निकली और उसे चूसने लगा तो वो समझ गयी और अगली बार जैसे ही मैंने जीभ अन्दर डाली, उसने उसकी मसाज करनी शुरू कर दी अपने होंठों से.
मेरी चौड़ी छाती उसके उभारों से टकरा रही थी, मैंने उसके हाथ छोड दिए और हाथ सीधे उसके मुम्मो पर जमा दिए, अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, बल्कि पतली सी शमीज / बनियान जैसी कोई चीज थी, उसके गोल मटोल गुब्बारे मेरे हाथों में ऐसे लग रहे थे जैसे उनमे पानी भरा हो और मेरे ज्यादा दबाने से वो फट ना जाए, मैंने उन्हें हलके-२ से दबाना शुरू किया तो उसके होंठों का गीलापन बढता चला गया और उनसे एक अजीब तरह की मिठास निकलने लगी, मैंने उन्हें और जोर से चुसना शुरू कर दिया..
“ऊऊओह बाबू……क्या कर रहे हूऊऊ……..अह्ह्ह्हह्ह …”
सोनिया पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी, उसने अपनी बाँहों से मेरी कमर को जकड़ा हुआ था, और मेरी पीठ पर अपने नन्हे हाथ घुमा रही थी, मैंने हाथ नीचे करे और उसकी मोरनी जैसी फैली हुई गांड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे सहलाना शुरू कर दिया, और जैसे ही मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा तो उसका पूरा शरीर कांपा और उसने अपने सूट के अन्दर ही पानी छोड दिया. मेरा पूरा हाथ गीला हो गया, मैंने उसको सुंघा तो मैं समझ गया की वो नीचे से भी उतनी ही मीठी है जितनी ऊपर से.
वो गहरी साँसे ले रही थी, झड़ने के बाद. उसे बड़ी शर्म भी आ रही थी, वो बोली “सोरी….वो मेरा…पेशाब…निकल गया….” नादान कही की. मैंने उसे समझाया की ये तो उसका रस है जो मजे की वजह से निकला है…और उसे मर्द और औरत के झड़ने के बारे में बताया.. वो हैरानी से मेरी बातें सुनती रही, मुझे लग रहा था की अब ये मेरा कर्त्तव्य है की इस भोली भाली सी लड़की को सेक्स का सारा ज्ञान मैं ही दूं…
मैंने उसे बाथरूम में जाकर साफ होने को कहा और मैं नीचे चला गया. खाना खाने.
हम सब ने बैठकर खाना खाया, अनीता सच में काफी स्वादिष्ट खाना बनाती है, सभी उसकी तारीफ कर रहे थे, हमारे खाने के बाद उन दोनों बहनों ने भी किचन में जाकर खाना खाया.और फिर सभी लोग सुस्ताने के लिए (चुदाई के लिए) अपने-२ कमरे की तरफ चल दिए.
दीपा आंटी ने मुझे इशारे से अपने कमरे में चलने को कहा, पर मैंने उन्हें मना कर दिया, तो उन्होंने अपने बेटे को बुलाया और अन्दर चली गयी.
मेरा ध्यान तो सोनी की तरफ ही था, उसकी नजर जब भी मुझसे मिलती तो उसके होंठों पर एक मुस्कान आ जाती, उसे शायद बड़ा मजा आया था आज के खेल में.
मैं वहीँ बैठा टीवी देख रहा था, सोनी और अनीता किचन में बर्तन साफ़ कर रही थी, थोड़ी देर बाद मम्मी ने उससे कहा की कपडे सूख गए होंगे, ऊपर जाकर उन्हें उतार लाओ.
वो जैसे ही ऊपर गयी, मैं भी उसके पीछे – चल दिया.
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