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लंड के कारनामे - फॅमिली सागा - Incest Sex Story

लंड के कारनामे – फॅमिली सागा – Update 51

अगले तीन दिनों तक हम सभी ने हर तरीके से एक दुसरे को कितनी बार चोदा बता नहीं सकता..
और अंत में वो दिन भी आ गया जब हमें वापिस जाना था..
मैंने हिना और सोनी-मोनी का नंबर ले लिया ताकि कभी जरुरत पड़ने पर उनसे मिल सकूँ.
मुझे इतना मजा आज तक नहीं आया था, मैंने इस टूर पर ना जाने कितनी चुते चोदी थी, मैं गिनती भी नहीं कर पा रहा था. वापिस जाते हुए मैं कार मैं बैठा सोच रहा था की कैसे विशाल और सन्नी को ऋतू की चूत दिलाई जाए और इसके लिए कितना चार्ज किया जाए….मैं तो ये भी सोच रहा था की मम्मी को भी इसमें शामिल कर लेना चाहिए…देखते है.
तभी मम्मी के फोन की घंटी बज उठी और उन्होंने कहा “अरे…दीपा का फोन है…” और ये कहते हुए उन्होंने फोन उठा लिया और बाते करने लगी.
दीपा मम्मी की छोटी बहन है, यानी हमारी मौसी …वो मुम्मी की तरह ही गोरी चिट्टी है, बाल कटे हुए, दुबली-पतली , पर उनके चुचे देखकर मेरे मुंह में हमेशा से पानी आ जाता था, वो इंदौर में रहती है और उनके पति सरकारी जॉब करते हैं, उनके दो बच्चे हैं अयान और सुरभि दोनों लगभग हमारी ही उम्र के हैं.
मैं गोर से उनकी बाते सुनने लगा.
बात ख़तम होने के बाद मम्मी ने खुश होते हुए कहा “अरे सुनो..दीपा आ रही है अपने परिवार के साथ, वो लोग भी छुट्टियों में घुमने के लिए शिमला गए थे और वापसी में वो लोग कुछ दिन हमारे पास रुकना चाहते हैं और दिल्ली देखना चाहते हैं….”
मुम्मी की बात सुनकर पापा बड़े खुश हुए, उनकी नजर हमेशा अपनी साली पर रहती थी, ये मैंने कई बार नोट किया था, पर दीपा मौसी बड़े नक्चाड़े सव्भाव की थी, वो पापा की हरकतों पर उन्हें डांट भी देती थी, इसलिए पापा की ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी…पर अब बात कुछ और थी, मम्मी पापा हमारे साथ खुल चुके थे इसलिए वो खुल कर बात कर रहे थे हमारे सामने..
पापा बोले “इस बार तो मैं इस दीपा की बच्ची की चूत मार कर रहूँगा…बड़े सालों से ट्राई कर रहा हूँ…भाव ही नहीं देती साली…”
मम्मी ने कहा “अजी सुनो…तुम ऐसा कुछ मत करना…वो पहले भी कई बार मुझसे तुम्हारे बारे में बोल चुकी है और इस बार तो उसके साथ सभी होंगे, उसके बच्चे और उसका पति गिरीश भी….तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे कोई परेशानी हो…समझे…”
देखेंगे…. पापा ने कहा और ड्राइव करने लगे..
जल्दी ही हम सभी घर पहुँच गए और सीधे अपने कमरे में जाकर बेसुध होकर सो गए, ऋतू मेरे साथ मेरे कमरे में ही सो रही थी, नंगी, पर हमारे में इतनी भी हिम्मत नहीं थी की चुदाई कर सके, सफ़र में काफी थक चुके थे.
मैं नंगा अपने बिस्तर पर ऋतू के साथ बेसुध सो रहा था.
*****

सुबह करीब 9 बजे के आस पास मेरी आँख खुली, ऋतू उल्टी लेती हुई थी और उसने अपनी एक टांग मोड़ कर अपने पेट से चिपका रखी थी, जिसकी वजह से फैली हुई मोटी गांड की फेलावट काफी सुन्दर लग रही थी जिसे मेरा लंड खड़ा हो चूका था, मैंने अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया , मैं अब सुबह-२ ऋतू की गांड मारना चाहता था.
तभी मम्मी की आवाज आई, “ऋतू… आशु …उठ जाओ …देखो कितना टाइम हो गया है…” और ये कहती हुई वो अन्दर आ गयी, वैसे तो अब उनके सामने भी मैं ऋतू की चूत मार सकता था पर ना जाने मुझमे कैसी झिझक सी आ गयी और मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा.
मम्मी अन्दर आई तो उन्होंने देखा की ऋतू तो बेसुध नंगी पड़ी हुई है और मैंने अपने लंड पर चादर डालकर उसे ढक सा लिया था, जिसकी वजह से उन्हें मेरा खड़ा हुआ लंड न दिखाई दे जाए…
वो बेड के पास आई और मेरे सर पर हाथ फेरकर धीरे से बोली “उठ जा मेरे राजकुमार…सुबह हो गयी है…” और उन्होंने नीचे झुककर मेरे माथे को चूम लिया, उनके झुकते ही उनकी साडी का पल्लू नीचे गिर गया और उनके गिले बाल मेरे चेहरे से आ टकराए, वो सीधा नहाकर आ रही थी, और उनमे से बड़ी ही मादक सी महक आ रही थी, मेरे चेहरे पर गीलापन आते ही मैंने उठने का नाटक किया और बोला “मम्मी…प्लीस सोने दो न…” पर तभी मैंने उनके ब्लाउस से बाहर निकलते गोरे -२ चुचों को देखा तो मेरी आँखें झट से खुल गयी, मम्मी ने भी जब मुझे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया तो उनके होंठों पर भी एक गहरी मुस्कान तेर गयी..
वो बोली “ओये बदमाश क्या देख रहा है…कल रात को ऋतू के साथ तेरा मन नहीं भरा क्या..” उन्होंने साथ लेटी नंगी ऋतू की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“अरे नहीं मम्मी, रात को तो हम इतने थक गए थे की कुछ करने की हिम्मत ही नहीं थी, बस कपडे उतारे और सो गए…” मैंने मासूमियत से कहा.
“अच्छा जी…तभी आपको सुबह – सुबह शरारत सूझ रही है..” और ये कहते हुए उन्होंने चादर के अन्दर हाथ डालकर मेरा फनफनाता हुआ लंड पकड़कर जोर से दबा दिया..
“आआआह्ह्ह मम्मी….” मेरे मुंह से करह निकल गयी उनके ठन्डे हाथों का स्पर्श अपने गर्म लंड पर पाकर.
मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और उनको अपने ऊपर खींच लिया…उनके ब्लाउस से आधे बाहर निकले हुए चुचे सीधे मेरे मुंह के ऊपर आ टकराए…और मैं उन्हें चाटने लगा.
“ओह्ह्ह…बेटा…..छोड़ो ना…इतनी सुबह नहीं….” वो बोल कुछ रही थी पर उनका शरीर कुछ और हरकतें कर रहा था उन्होंने अपनी आँखें बंद करी और मेरे बालों को पकड़कर अपनी छाती से मेरा सर कुचल सा दिया.
इतनी नशीली वो आज तक नहीं लगी थी, सुबह -२ वो जैसे मेरे लिए ही नहाकर तैयार हो कर आई थी, उनके मोटे मुम्मो को मैंने चाट चाटकर पूरा गिला कर दिया, और जल्दी ही मैंने उनके ब्लाउस के हूक खोल डाले और उनकी सफ़ेद रंग की ब्रा मेरे सामने थी, मैंने इनकी ब्रा के स्ट्रेप कंधो से उतार दिए और दोनों छातियाँ उछल कर बाहर आई और मैंने उनके उभरे हुए दानो को एक एक करके चुसना शुरू कर दिया…
मम्मी की हालत बड़ी अजीब हो रही थी, उन्होंने शायद सोचा भी नहीं था की मैं सुबह -२ उनके साथ ऐसी हरकत करूँगा जिसकी वजह से चुदाई के रास्ते बनते चले जायेंगे..
अब उनसे भी सहन नहीं हो रहा था.. उन्होंने अपनी साडी पेटीकोट समेत अपने घुटनों तक मोड़ी और उछल कर मेरे ऊपर बैठ गयी, उन्होंने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी, मैंने अपना लंड सीधा किया और उन्होंने आग उगलती हुई चूत सीधा मेरे लंड के ऊपर रख दी और धम्म से नीचे बैठ गयी..
“अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्म्मम्म्म्मम्मsssssssssss….” उन्होंने अपनी आँखें बंद की और आनंद के सागर में गोते लगाने लगी.
चुदने की इतनी उत्सुकता मैंने आज तक किसी में नहीं देखी थी..उन्होंने अपने कपडे भी ढंग से नहीं उतारे थे.उनके ब्लाउस से बटन खुले हुए थे पर ब्रा अभी तक बंधी हुई थी, पर उनके उभार बाहर निकल कर उछल कूद मचा रहे थे, उनकी कॉटन की साडी को भी उन्होंने उतारने की जहमत नहीं उठाई थी..पिछले कई दिनों की चुदाई के बावजूद भी उनमे चुदने की कितनी आग थी वो देखते ही बनती थी.
वो जोर से चिल्ला रही थी…”ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ आः अह्ह्ह अहह अहह अह ह अह हा अह्ह्ह्ह अहहह …” और तेजी से हांफ भी रही थी.
साथ लेटी ऋतू की तरफ मैंने देखा तो पाया की वो अभी भी बेसुध होकर सो रही है, उसे बेड पर हो रही चुदाई से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था.
मैंने हाथ आगे करके ऋतू की चोडी गांड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया..और दुसरे हाथ से मम्मी के उछलते हुए चुचे को पकड कर जोर से दबाने लगा.

मम्मी भी मेरे दुसरे हाथ को ऋतू की गांड के ऊपर थिरकता देखकर मुस्कुरा दी..फिर उनके मन में ना जाने क्या आया की वो एकदम से मेरे लंड से उतर गयी और घोड़ी बन कर अपनी गांड उठा कर लेट गयी, मैं उठा और उनके पीछे जाकर अपने गिले लंड को उनकी रसीली चूत में फिर से डाल कर जोर से धक्के देने लगा और उनकी गांड के गुदाज मांस को अपने हाथों से दबाने लगा.
मम्मी ने ऋतू की टांगो को खोला और उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसे चूसने लगी.
मैं भी उनकी इस हरकत से हैरान रह गया.
शायद उन्हें प्यास लगी थी और वो ऋतू की चूत का रस पीकर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..
ऋतू को जैसे ही अपनी चूत पर मम्मी के होंठो का गीला आभास हुआ वो हडबडा कर उठ गयी उसकी नजरें सीधा अपनी चूत को चाटती मम्मी पर गयी और उनके पीछे खड़े होकर चूत मारते हुए मुझपर. उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उसने सोचा भी नहीं था की इतनी सुबह चुदाई का खेल शुरू हो गया है, और मैं मम्मी की चूत तो मार ही रहा हूँ, मम्मी भी उसकी चूत को चूसकर उसे अपने साथ चुदाई के इस खेल में शामिल होने को उकसा रही है..
पर उसमे भी सोचने समझने की शक्ति ख़त्म होने लगी, क्योंकि मम्मी द्वारा उसकी चूत को चाटने की वजह से उसके शरीर में भी उत्तेजना की तरंगे उठने लगी थी और उसने अपने एक निप्पल को उमेठते हुए दुसरे हाथ से मम्मी के सर को अपनी चूत पर और तेजी से दबा दिया और उन्हें और जोर से अपनी चूत को चाटने के लिए उकसाने लगी.
येस्स्स्स.ममीईईइ….चतूऊऊओ अह्ह्ह्हह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म …….
बड़ा ही कामुक दृश्य था, ऋतू का नंगा शरीर नीचे पड़ा हुआ मचल रहा था और मम्मी उसकी चूत में से अमृत रूपी रस को चाटने में लगी हुई थी, कमरे में सिर्फ ऋतू की सिस्कारियां और मम्मी के मुंह से निकलती सड़प – २ की आवाजें निकल रही थी.
मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी और मम्मी के मोटे कूल्हों को पकड़कर अपनी गाडी दौड़ा दी उनकी चूत के हाईवे पर…
ऋतू के चेहरे को देखकर लगता था की वो जल्दी ही झड़ने वाली है, वो अपना सर ऊपर करके बैठ गयी और मम्मी के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी, उसने अपने दोनों हाथ नीचे लेजाकर मम्मी के दोनों मुम्मे पकड़ लिए और उन्हें जोर से दबाने लगी, उसके अपने चुचे मम्मी के सर के ऊपर थे.
अपनी चूत में मेरे लंड की घिसाई और अपने चुचों पर अपनी बेटी के हाथों की सिकाई ने जल्दी ही रंग दिखाया और वो चिल्ला चिल्लाकर झड़ने लगी…
स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फफ्फ्फ़ मरररर गयीईईई अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ….
उनकी चीख सुनकर ऋतू की चूत ने भी उनका साथ दिया और वो भी अपनी माँ के साथ साथ अपनी चूत से गर्म रस के फुव्वारे निकलने लगी..मैंने भी आज्ञाकारी बेटे की तरह अपनी माँ की चूत के रस की गर्मी को अपने लंड पर पाते ही अपने लंड का दूध उनकी चूत में अर्पण कर दिया.
हम सभी हाँफते हुए बेड पर लेट गेर और एक दुसरे के शरीर से खेलने लगे.
मम्मी ने टाइम देखा तो जल्दी से खड़ी हो गयी और बोली “तुम्हारे चक्कर में तो काफी देर हो गयी..आशु चलो तैयार हो जाओ, तुम्हे पापा के साथ रेलवे स्टेशन जाना है, मोसी को लेने..”
मैंने ऋतू की तरफ देखा, वो अपनी चूत में उँगलियाँ डाले ना जाने किस दुनिया में खोयी हुई थी, मम्मी ने अपने कपडे ठीक किये और बाहर निकल गयी, मैं भी उठा और सीधा बाथरूम में जाकर अपने सारे काम निपटाए और तैयार होकर नीचे चला गया, ऋतू भी अपने कमरे में जा चुकी थी नहाने के लिए.
मैंने और पापा नाश्ता करने के बाद स्टेशन की तरफ निकल गए.
मौसी लगभग ३ सालों के बाद दिल्ली आ रही थी, मेरे जहन में उनके बच्चों की तस्वीर थोड़ी धुंदली सी थी, उनका बेटा बिलकुल काला था, अपने पापा जैसा, और बेटी भी मरियल सी थी, वो दोनों देखने में अपनी मम्मी जैसे बिलकुल भी नहीं लगते थे अब उनके बच्चे भी बड़े हो चुके होंगे..ये सोचते -२ कब उनकी ट्रेन आई पता ही नहीं चला.
ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रुक गयी
मैं और पापा उनके डब्बे के पास जाकर उनके बाहर आने का इन्तजार करने लगे.
सबसे पहले मौसी बाहर निकली, उन्हें देखकर तो मैं दंग रह गया, उन्हें मौसी कहना गलत होगा क्योंकि वो किसी कॉलेज की लड़की जैसी लग रही थी, उतनी ही सुन्दर, पतली, टी शर्ट से उभरते उनके गोल गप्पे और टाईट जींस पहनने के कारण उनके चूतड़ों की गोलाई साफ़ देखी जा सकती थी, ऊपर से नीचे तक वो लेटेस्ट फेशन से लबालब थी. पापा भी हैरानी से अपनी प्यारी साली को देखकर पलके झपकाना भूल से गए, दीपा जब पास आई तो उन्होंने पापा की आँखों के सामने चुटकी बजायी और उन्हें निंद्रा से जगाया और हंसने लगी.

पापा ने दीपा से हाथ मिलाया और उन्हें अपने गले लगा लिया, दीपा इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी, उसके एक हाथ में हेंड बेग था और दुसरे में पानी की बोतल, इसलिए उसके उभरे हुए उभार सीधा पापा के सीने से जा टकराए और पापा ने भी मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें जोर से अपनी छाती से दबा लिया.
पीछे से मौसी के पति हरीश अंकल बाहर आये और उनके पीछे -२ उनके दोनों बच्चे भी.
दोनों काफी बदल चुके थे, खासकर उनकी बेटी सुरभि जो अपनी माँ की तरह ही फेशन में डूबी हुई सी थी, उसने भी जींस पहन राखी थी और उसके ऊपर टी शर्ट, उसके उभार नाम मात्र के थे पर उसके कुलहो की चोडाई देखकर उसकी जवानी का अंदाजा लगाया जा सकता था, नहीं तो उसकी लगभग सपाट छाती को देखकर तो येही लगता था की वो शायद 10th में ही होगी..पर वो असल में कॉलेज के दुसरे साल में थी.
उसका भाई अयान काफी बदल गया था, और मोटा भी हो गया था..उसने मुझे देखते ही “यो ब्रथर…” कहते हुए गले लगा लिया.
सुरभि ने भी मुझसे हंस कर हाथ मिलाया और मैंने हरीश अंकल के पैर छुए और मौसी की तरफ बड़ा उनके पैर छूने के लिए तो उन्होंने मुझे गले से लगा लिया..उनके नर्म मुलायम गोले मेरी गर्दन से मिल कर फुले नहीं समाये..मैंने मोसी पीछे खड़े पापा को आँख मारी और पापा मेरे साथ गहरी हंसी हंस दिए.
हम सभी ने सारा सामान उठाया और बाहर आकर कार में बैठ गए और घर की तरफ चल दिए.
घर पहुंचकर मम्मी ने दरवाजा खोला और अपनी बहन को देखते ही उस से लिपट गयी.
“अरे दीपा…तू तो बिलकुल नहीं बदली…पहले जैसी ही सुन्दर है..लगभग १ साल के बाद देख रही हूँ मैं तुझे..” मम्मी ने कहा.
और फिर मम्मी ने अपने जीजाजी और दोनों बच्चो को भी मिलकर उन्हें अन्दर लेजाकर बिठाया और चाय बनाकर ले आई.
सभी लोग बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी ऊपर से ऋतू भी नीचे आ गयी और सबसे मिलने के बाद वो भी वहीँ बैठ गयी.
मैंने नोट किया की अयान ऋतू के मोटे चुचे देखकर बार -2 अपनी नजरें उधर ही ले जा रहा था. ऋतू भी उसे अपनी तरफ बार बार देखते पाकर समझ गयी की उसके एटम बोम्ब कुछ कमाल दिखा रहे हैं..
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शाम को सभी बाहर घुमने गए और एक अच्छे से रेस्तरा में खाना खाया और अगले दिन कहाँ -२ जाना है इसका प्लान भी बनाया. हरीश अंकल ने कहा की उन्हें अपने चाचा को मिलने के लिए मेरठ जाना है इसलिए वो कल घुमने नहीं जा पायेंगे, मौसी और बच्चो ने उनके साथ जाने के लिए पहले से ही मना कर दिया था सो उन्होंने कहा की वो सुबह -२ चले जायेंगे और शाम तक वापिस आ जायेंगे.
रेस्तरां से वापिस आते – आते 11 बज चुके थे, वो लोग लम्बे सफ़र से आये थे और थक चुके थे, मम्मी ने कहा की सुरभि ऋतू के साथ और अयान मेरे साथ सो जाएगा, दीपा मौसी और हरीश अंकल गेस्ट रूम में जाकर सो गए.
रात को मुझे सोते हुए नींद नहीं आ रही थी, मैंने देखा की अयान सो चूका है तो मैं चुपके से उठा और छेद से ऋतू के कमरे में झाँका, वो दोनों सो चुकी थी, मैं सुबह से उसकी चूत मारने के चक्कर में था, पर मौका नहीं मिला था, मेरा लंड अकड़ कर डंडे जैसा हो चूका था, मैं दबे पाँव बाहर आया और ऋतू के कमरे में दाखिल हो गया.
उसके बेड के पास आकर मैंने देखा की दोनों गहरी नींद में सो रही हैं..
मैंने ऋतू को हलके से हिलाया और वो जाग गयी, उसने मेरी तरफ हैरानी से देखा और बोली “भाई…तुम यहाँ क्या कर रहे हो..किसी ने देख लिया तो..”
“कोई नहीं देखेगा…” मैंने कहा और ऋतू के ऊपर झुककर उसके होंठों को चूम लिया.
मैंने देखा की साईड में लेती हुई सुरभि गहरी नींद में सो रही है, मैंने पहली बार उसका चेहरा इतने पास से और गोर से देखा, उसके होंठ बड़े ही मोटे थे, जो उसके पतले शरीर से बिलकुल मेच नहीं करते थे, उसके चेहरे का कटाव बड़ा ही दिलकश था, उसने टी शर्ट पहन रखी थी और शायद अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, क्योंकि उसके ना के बराबर स्तनों के ऊपर लगे छोटे-छोटे निप्पल्स टी शर्ट के अन्दर से भी साफ दिखाई दे रहे थे.
ऋतू ने मेरा चेहरा अपनी तरफ खींचा और बोली “अपनी आँखों से ही चोद डालोगे क्या इसे भाई….” और हंसने लगी.
मैंने अपना ध्यान वापिस ऋतू की तरफ किया और उसे चूसने और चाटने लगा.
ऋतू बोली “भाई..हमें ये सब अभी नहीं करना चाहिए…अगर सुरभि उठ गयी तो क्या होगा…”
“ये नहीं उठेगी, ये सब काफी थके हुए हैं, सुबह से पहले नहीं उठेंगे…मैं सुबह से तड़प रहा हूँ तुम्हारी चूत मारने के लिए…मुझे और मत तडपाओ…मुझसे और सब्र नहीं होता..” और ये कहते हुए मैंने ऋतू की टी शर्ट को ऊपर किया और उसके मोटे ताजे गुब्बारों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.

 

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