वो दरवाजा बंद करके जैसे ही बाहर निकला तो उसे शावर बंद होने की आवाज़ आई…और साथ ही दरवाजा खुलने और सोनिया के गुनगुनाने की आवाज़ भी आई…
उसके पैर वहीँ जम कर रह गये…और वो जाते-2 वापिस पलट गया..
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अब आगे
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उसके माथे पर पसीना छलक रहा था…उसके दिल की धड़कनें इतनी ज़ोर से धड़क रही थी की उसे डर था की कहीं उसकी आवाज़ सोनिया ना सुन ले…उसका हाथ अभी तक दरवाजे के हेंडल पर था…दरवाजा अभी तक थोड़ा सा खुला हुआ था…
अंदर से आ रही भीनी-2 शेंपू और पानी की महक ने उसे मदहोश सा कर दिया… उसके कदम वहीं जम कर रह गये….
अंदर से उसके गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी..
”मेरे ख्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए, उससे कहो कभी सामने तो आए….”
उसकी मीठी आवाज सुनकर उसे कुछ – २ हो रहा था , सोनू को आज महसूस हो रहा था की उसके अंदर भी एक शैतान है…. वो शैतान जिसने उसे अपनी बहन के रूम के बाहर अभी तक रोक कर रखा हुआ था… कोई और भाई होता तो कब का नीचे जा चुका होता, पर ये सोनू के अंदर का वो शैतान ही था जो उसे नीचे जाने ही नही दे रहा था…आज सोनू का अपने शरीर पर कोई कंट्रोल ही नही रह गया था..
उसके होंठ तो अभी तक बुदबुदा रहे थे ‘ये ग़लत है…ये ग़लत है…’
पर उस शैतान को वो शब्द तो जैसे सुनाई ही नही दे रहे थे…. और अंदर से ज़ोर लगा कर उस शैतान ने सोनू के सिर को दरवाजे की झिर्री की तरफ धकेल दिया…
सोनू ने अपनी आँखे बंद कर ली…
उसके होंठ काँप से रहे थे….
और अचानक उसे महसूस हुआ की उसके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी है….
अभी तो उसने कुछ देखा भी नही ….
सिर्फ़ अपनी बहन को नंगा देखने की कल्पना मात्र से उसका लंड खड़ा हो चुका था…उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसे अपनी पेंट के साइड में से घसीट कर सीधा किया….
उसके अंदर से एक आवाज़ आई : ‘आँखे खोल सोनू…आँखे खोल….’
सोनू (मन ही मन में) : ‘नही…..वो मेरी बहन है….ये ग़लत है…’
अंदर का शैतान गुर्राया : ‘क्या ग़लत है….कुछ भी ग़लत नही है…. अभी कुछ साल पहले तक तो तुम दोनो एक दूसरे के साथ एकसाथ नहाया करते थे…. बिना कपड़ों के घूमते रहते थे…. तब क्या वो तेरी बहन नही थी… वो ग़लत नही था क्या…. समय बदला है, तू और सोनिया तो पहले भी ऐसे थे और आज भी ऐसे ही है…. इसलिए कुछ ग़लत नही है…’
सोनू की जैसे अपने खुद के जमीर के साथ बहस चल रही थी….
पर असल बात ये थी की सवाल भी वो कर रहा था और जवाब भी वो खुद दे रहा था…
सोनू ने एक और बार कोशिश की : ‘पर….समाज की नज़रों में तो ये सब पाप माना जाता है….किसी को पता चल गया तो क्या होगा..’
अंदर से एक और मंझा हुआ सा जवाब आया : ‘समाज को कैसे पता चलेगा की इस वक़्त तू क्या कर रहा है… जब तक ये काम छुप कर किए जाए कुछ ग़लत नही है….एक बार देख तो ले की इतने सालो में उसकी बॉडी में क्या-2 बदलाव आए है…’
और आख़िरकार उस ‘शैतान’ की बातों में आकर उसने अपनी आँखे खोल ही दी..
और जो नज़ारा उन आँखो ने देखा, उसे देखकर तो सोनू का पूरा शरीर काँप उठा…बदन ठंडा सा पढ़ गया अंदर का गर्म नज़ारा देखकर…
वो पूरी नंगी थी…गीले बालों से निकल रहा पानी उसके बदन पर बूंदे बनकर फिसल रहा था..
उसकी नन्ही मुन्नी सी ब्रेस्ट देखकर सोनू के तो होंठ ही सूख गये…
अपनी जीभ से उन्हे तर करना चाहा पर जीभ भी लक्कड़ बन चुकी थी…
सामने का नज़ारा ही ऐसा था…
सोनू ने उपर से नीचे तक अपनी बहन के शरीर को नाप डाला….
बड़े ही क्यूट सी ब्रैस्ट थी उसकी और उतने ही क्यूट से चूतड़ थे उसके….
छोटे-2 और गोल मटोल…
पूरा शरीर एक दम गोरा चिट्टा ….
और छूट पर हल्के फुल्के रोँये थे बस…
सोनू को तो ऐसा लगा जैसे कमरे से निकल रही भीनी खुश्बू उसकी चूत से ही आ रही है…
वो अपनी बहन को हर एंगल से देखता रहा…और देखता भी क्यो नही, वो पोज़ ही ऐसे बना रही थी की उसके शरीर का हर हिस्सा ना चाहते हुए भी देख लिया उसने…
वो एक सफेद रंग का बॉक्सर टाइप का उंडरवीयर था…जिसमें उसकी नन्ही गांड पूरी समा गयी….
उसने घूम-2 कर अपनी गांड पर कसी हुई पेंटी को शीशे में निहारा… और मुस्कुरा दी…. शायद अपनी फिटिंग देखकर उसे खुद ही मज़ा आ रहा था..
सोनू की नज़रें कभी उसकी कसी हुई गांड पर तो कभी उसके कसावदार मुम्मों पर जा रही थी…. ऐसा नज़ारा उसने आज तक नही देखा था… उसे इस तरह मस्ती में भरकर अपनी बहन को निहारते देखकर अंदर बैठा शैतान भी हंस दिया..
‘मैने कहा था ना… कुछ ग़लत नही है…. ऐसा रूप अगर ना देखा तो वो ग़लत होता है… ‘
अपने ‘शैतान’ की बात सुनकर उसने भी हाँ में हाँ मिला दी…
अब उसके अंदर की झिझक, शर्म और दुविधा दूर तक दिखाई नही दे रही थी…
पर एक प्राब्लम हो रही थी उसे….
उसका लंड फटने जैसी हालत में पहुँच चुका था… ऐसा लग रहा था जैसे उसमें से लावा फूटकर बाहर आ जाएगा…कुछ देर अगर वो और खड़ा रहा तो अपनी पेंट उसने गीली कर देनी थी..
खड़ा तो वो और भी देर तक होना चाहता था…पर उसके लंड के प्रेशर ने उसके कदम हिला दिए….और वो ना चाहते हुए भी नीचे बने बाथरूम की तरफ चल दिया….और वहाँ पहुँचकर उसने अफ़रा तफ़री में अपनी पेंट खोली, अंडरवीयर नीचे किया और अपने अकड़े हुए नागराज को पकड़कर जोरों से मसलने लगा…और जो प्रेशर उसके लंड में काफ़ी देर से बना हुआ था,वो किसी ज्वालामुखी की तरह फट गया…ढेर सारे पेशाब के बाद सफेद रंग का माल निकलकर ज़मीन पर गिरने लगा…हर बूँद के साथ उसके शरीर में मस्ती भरा एहसास दौड़ जाता…उसकी आँखे बंद थी…और बंद आँखो के पीछे उसने लाख कोशिश कर ली की सुबह स्कूल वाली किस्स याद करे इस वक़्त, पर उसकी सोच पर उसका कोई ज़ोर ही नही रह गया था… बार-2 उसकी आँखो के सामने उसकी बहन ही आ रही थी..और आख़िरकार उसके मुँह से निकल ही गया
”ओह…… सोनिया……….उम्म्म्मममम”
सब कुछ शांत होने के बाद उसे खुद पर शर्म आ रही थी…उसने जल्दी-2 अपने कपड़े ठीक किए और पानी डालकर अपने गुनाहों को सॉफ किया..
बाहर आया तो उसकी लाइफ का और भी बड़ा झटका उसका इंतजार कर रहा था..