जवानी के अंगारे – Update 19
जाने से पहले दोनो ने एक लंबी सी स्मूच ली और अगली बार जल्दी मिलने का वादा भी किया
वहां से निकलकर जैसे ही सुधीर अपनी कार से मैन रोड तक आया, उसे दूर से अनु आती हुई दिखाई दे गयी
वो बेचारा हक्का बक्का रह गया, क्योंकि अभी भी स्कूल छूटने में आधा घंटा था
वो छुप भी नही सकता था, क्योंकि अनु ने उसे देख लिया था और उसे हाथ हिला कर हाय भी बोल रही थी
बेचारे सुधीर की फट्ट कर हाथ में आ गयी
उसके दिमाग़ ने तेज़ी से काम करना शुरू कर दिया ताकि कोई अच्छा सा बहाना बनाकर उसे सुना सके
बेचारा वो नही जानता था की अनु सब कुछ जानती है,
और वो अब उसके जाल में फंसने जा रहा है
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अनु जब पास आई तो सुधीर ने कार का शीशा नीचे किया
वो चहकति हुई बोली : “सर आप….और यहां ….आपको पता है मेरा घर पास में ही है “
सुधीर अंजान बनते हुए : “ओह्ह ….अच्छा …मैं तो बस एक फ्रेंड से मिलने आया था, उसके घर पर कुछ एमर्जेन्सी थी, इसलिए आज स्कूल से भी छुट्टी करनी पड़ी मुझे “
अनु (मन में ) ‘मुझे पता है सर, कौनसा फ्रेंड और कौनसी एमर्जेन्सी थी…उनसे ज़्यादा एमर्जेन्सी तो मुझे लगी हुई है…’
पर उसने ऐसा कुछ नही बोला सर को, बस मुस्कुराइ और झट से कार का दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गयी
अनु : “आज आप नही आए तो मैं भी रुक कर क्या करती, मैं भी पेट दर्द का बहाना बनाकर जल्दी निकल आई “
ओह्ह ….तभी ये आधा घंटा पहले आ गयी,
सुधीर सर बेचारे सिर खुजलाते रह गये
अनु : “पर अब आप मिल ही गये हो तो आपको मेरे घर चलना पड़ेगा….पास में ही है, और हमारी रोज वाली क्लास हम वहीं कर लेंगे”
आख़िरी के शब्द उसने अपनी जवानी के रस में भिगो कर बोले थे,
जैसे चुदने के लिए बोल रही हो
सुधीर : “अभी !! अर्रे नही, फिर कभी, और वैसे भी तुम्हारी मॉम भी तो होगी घर पे “
उसने ये बात इतने कॉन्फिडेन्स से बोली की अनु की भी आँखे गोल हो गयी
“वो क्यों होगी घर पर, आपको जैसे बहुत पता है उनके बारे में , वो तो अपने ऑफीस में होगी ना , शाम 7 बजे तक आएगी, और अभी तो 1 ही बजा है, हमारे पास 6 घंटे है, चलिए ना प्लीज़, आपको मेरी कसम”
इतना कहते हुए उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से सुधीर सर की जाँघ पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा दबा दिया
सुबह से 3 बार झड़ने के बाद सोए शेर को जब जवान माँस की खुश्बू आई तो वो भी करवट लेकर बैठ गया
सुधीर भी अपने ठरकी लॅंड की इस हरकत से परेशान हो गया पर बेचारा कुछ बोल नही पाया
अनु को उन्होंने फिर भी काफी मना किया पर वो नहीं मानी
आखिरकार उसने अनु की जिद् के सामने घुटने टेकते हुए कार को घुमा लिया
वो जानता था की घर पर शेफाली होगी, और वो जब उसे दोबारा अपने घर पर देखेगी और वो भी अपनी बेटी अनु के साथ, तो पता नही क्या होगा
पर अब तो जो होगा वो होगा
इन सब हालातों को ऊपरवाले पर छोड़कर वो फिर से शेफाली के घर की तरफ चल दिया
घर पहुँचकर अनु ने अपने बेग से चाभी निकाली और दरवाजा खोलने लगी,
ये जानते हुए भी की अंदर मॉम है फिर भी वो सर को दिखाने के लिए ये नाटक कर रही थी
पर लॉक तो पहले से ही खुला था, और दरवाजा अंदर से बंद था
उसने हैरानी वाला चेहरा बनाया और दरवाजा पीटकर बोली : “हेलो, कोई है अंदर, मॉम , आप अंदर हो क्या ? “
शेफाली ने भी जब अपनी बेटी की आवाज़ सुनी तो चोंक गयी, और सोचने लगी की भला ये कैसे आ गयी अभी से
वो अभी तक नंगी लेटी थी बेड पर
पहले तो उसने सोचा की ऐसे ही उठ कर चली जाए दरवाजा खोलने क्योंकि अपनी बेटी के सामने तो वो पिछले कई दिनों से नंगी ही रह रही थी
पर फिर ये सोचकर की वो भला क्या सोचेगी उसके बारे में की ‘दिन के टाइम छुट्टी करके नंगी क्यों हो घर में’ तो वो घबरा गयी
उसने एक गाउन पहन लिया और दरवाजा खोल दिया
उसने मुस्कुरा कर अपनी बेटी को देखा पर पीछे खड़े सुधीर को देखकर उनकी वो मुस्कुराहट गायब ही हो गयी
कुछ देर के लिए दोनो एक दूसरे को टकटकी लगाए देखते रहे
आँखो से इशारे करके शेफाली ये पता करने की कोशिश कर रही थी की वो फिर से क्यों आ गया वापिस और वो भी उसकी बेटी के साथ
कुछ देर तक तो अनु भी उनकी खामोशी के मज़े लेती रही फिर चहकते हुए बोली : “मॉम, आप तो जानती है ना सुधीर सर को, मैं स्कूल से घर आ रही थी तो ये मैन रोड पर ही मिल गये, ये अपने किसी रिलेटिव से मिलने आए थे यहाँ, इसलिए आज स्कूल भी नही आए, मैने देखा तो घर ले आई, पर आप आज ऑफीस क्यों नही गये ?”
शेफाली : “वो….वो….मेरी भी तबीयत खराब सी लग रही थी आज….इसलिए तैयार होने के बाद हिम्मत ही नही हुई जाने की…”
अनु उनकी चालाकी भरे जवाब से मुस्कुरा उठी
शेफाली ने उन्हे अंदर आने को कहा पर बेचारी ये नही पूछ पाई की भरी दोपहरी में अपने सर को ऐसे अकेले घर क्यों लेकर आई, क्योंकि उसकी माँ घर पर है ये तो उसे अब पता चला था
खैर, अंदर आते हुए भी सुधीर बुदबुदा कर उसे बताने की कोशिश कर रहा था की अनु ज़बरदस्ती ले आई है उन्हे घर
शेफाली तो उसे अपनी बेटी की मामूली सी ज़िद समझ रही थी , उसे क्या पता था की उसका ये आशिक़ सुधीर उसकी बेटी के साथ कौनसे मज़े ले रहा है
सुधीर की भी बुरी हालत थी
दोनो माँ बेटियाँ एकसाथ उसके सामने होंगी ये तो उसने दूर-2 तक नही सोचा था
वो तो अपने आप को ऐसा चालाक समझ रहा था की दोनो से अलग-2 मज़े लेगा और किसी को कानो कान खबर नही होगी
पर अनु की ज़िद ने सब गड़बड़ करके रख दिया था.
सब अंदर आकर बैठ गये, अनु ने शेफ़ाली के कपड़े देखे , गाउन के अंदर कुछ नही पहना था उन्होने, इसलिए उनके मोटे मुम्मो पर लगे गोल निप्पल दूर से ही चमक रहे थे, अनु उनके करीब गयी और धीरे से बोली : “मॉम, आई थिंक आपको ब्रा पहन लेनी चाहिए, आपके बल्ब जल रहे है “
ये कहकर वो खि खि करके हंस दी
शेफाली ने शरमाते हुए उसे एक चपत लगाई और अपने रूम में चली गयी ब्रा पहनने
सर तब तक सोफे पर बैठ हुके थे, यहीं कुछ घंटे पहले वो शेफाली को स्मूच कर रहे थे
वो ये सोच ही रहे थे की अनु धड़ाम से उनकी गोद में आकर बैठ गयी और अपनी बाहें उनके गले में डालकर अपने होंठ सुधीर सर के होंठो पर लगाकर उन्हे स्मूच करने लगी

जैसी माँ, वैसी बेटी
एकदम गर्म माल
और ये अनु तो अपनी माँ से भी चार कदम आगे है गर्मी के मामले में
पर परिस्थिति ऐसी थी की सुधीर सर की गांड फट्ट रही थी ये स्मूच करते हुए
अपनी माँ के घर पर होते हुए वो ऐसे क्यों कर रही है
वो अंदर ही तो गयी है , पता नही क्या करने
और कब वापिस आ जाए, ये भी नही पता
ऐसे में ये रिस्क लेने की क्या ज़रूरत है
उन्होने बड़ी मुश्किल से अनु को पीछे धकेला
पर तब तक अनु अपना काम कर चुकी थी
अपनी लार की अच्छी ख़ासी मात्रा उसने सुधीर सर के मुँह में जमा कर दी थी
जिसकी मिठास को वो पूरे दिन के लिए महसूस करते रहेंगे
वो खिलखिला कर हंस रही थी सर की हालत पर
उसकी नज़रों का पीछा करते हुए सुधीर सर ने नीचे देखा तो उनका लॅंड टेंट बनकर खड़ा था पेंट में
दूर से कोई भी देख कर पता करले की उनका लॅंड अकड़ कर खड़ा है इस वक़्त
पहले माँ के निप्पल और अब सर का लंड , यही देखकर अनु का हंस हंसकर बुरा हाल था
सुधीर ने उसे बिठाने की कोशिश की पर उनका लॅंड भी एक नंबर का हरामी था, बैठने को राज़ी ही नही हो रहा था
तब तक शेफाली के कदमों की आहट आने लगी तो सुधीर ने झट से पास पड़ी सोफे की छोटी गद्दी अपनी गोद में रख ली और अपने लॅंड को छुपाया
शेफाली ने उन्हे पानी पिलाया और चाय बनाने के लिए किचन में चली गयी
अब सुधीर सर थोड़े गुस्से में फुसफुसाए और अनु से बोले : “ये क्या बदतमीज़ी है अनु, तुम्हारी मॉम है घर पर, ऐसी हरकत क्यों कर रही हो उनके रहते हुए
अनु : “वो तो अंदर थी, सामने थोड़े ही खड़ी थी जो मैं डरती, वैसे कल स्कूल में जब हमने वो सब किया, वहां भी तो कई लोग थे, हम अकेले थे तभी किया था ना, बस वही यहां भी ट्राइ किया, कितना रोमांच है ना ऐसे ये सब करने में ”
वो सैक्सी तरीके से मुस्कुरा रही थी
सुधीर भी उसके कॉन्फिडेंस को देखकर कुछ नही बोल पाया
अलबत्ता उसने पिल्लो को अपने लॅंड पर थोड़ा और ज़ोर से दबा दिया क्योंकि वो अपने पूरे आकार में आ चुका था
कुछ देर पहले किए गये स्मूच ने उसके पूरे शरीर को झिंजोड़कर रख दिया था
इस वक़्त अगर शेफाली सच में घर पर ना होती तो आज ही इसकी चिकनी चूत का उद्घाटन कर देता वो
और अनु की बात सही थी, रोमांच तो उसे भी महसूस हुआ था
ठीक कल की तरह जब स्कूल में पीयून के आने का डर सता रहा था और वो अनु को अपना लॅंड चुसवा रहे थे
काश आज भी ऐसा कुछ हो पाए
ये सोचते हुए उन्होने किचन की तरफ देखा , शेफाली अभी भी चाय बनाने में बिज़ी थी, वो चाय में दूध डाल रही थी
यानी एकदम से वो पलट नही सकती
इस मौके का फ़ायदा उठाकर उन्होने पास बैठी अनु को अपनी तरफ खींचा और उसके तपते हुए होंठो पर अपने होंठ रखकर एक बार फिर से उसे स्मूच करने लगे, इस बार ये पहल उनकी तरफ से थी, इसलिए अनु ने पहले से ज़्यादा रोमांच का अनुभव किया

उसकी जवानी के अंगारे सुलग उठे और स्कूल शर्ट से सॉफ नज़र आने लगे
जिसे सुधीर ने अपनी चुटकी में दबाकर ज़ोर से मसल दिया
एक ज़ोरदार आवाज़ निकली अनु के मुँह से
“आआआआआआआआआहह”
चाय बनाती हुई शेफाली ने जब वो सुनी तो भागती हुई सी बाहर आई
तब तक अनु अपनी सीट पर वापिस बैठ चुकी थी पर उसकी साँसे उखड़ रही थी
शेफाली : “क्या हुआ मेरी बच्ची , क्या हुआ, तू चीख़ी क्यूँ “
अनु (डरते हुए) : वो…वो….एक चूहा चढ़ गया था अभी मेरे पैरों पर…”
शेफाली : “पागल कहीं की, ऐसे भला कोई चीखता है, तूने तो मुझे डरा ही दिया था “
शेफाली तो सपने में भी नही सोच सकती थी की वो चूहा कोई और नही सुधीर सर थे
खैर, वो चाय लेकर आई तो अनु और सुधीर सर आँखो ही आँखो में एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे
अनु : “मॉम , मैने आपको बताया था ना वो मैथ ओलम्पियाड के बारे में , जिसमें मैं सर की हेल्प कर रही हूँ , आप कहे तो आज का काम हम यहीं कर ले “
शेफाली अभी तक तो सोच रही थी की अनु की जिद्ड़ की वजह से वो सर को घर ले आई है
अब भला 1-2 घंटे रुककर वो क्या करेंगे
इसलिए वो बोली : “देखो बेटा, सर को भी कुछ काम होगा , उन्हे तुम घर तो ले आई, ये अच्छी बात है, पर उन्हे इसके अलावा भी तो कोई काम हो सकता है ना “
वो सुधीर सर को ज़्यादा देर तक घर पर रोके रखना नही चाहती थी, क्योंकि उसके मन में चोर जो था , अपनी पोल् खुल जाने का, अपनी बेटी के सामने वो कोई तमाशा नही बनना चाहती थी
अनु ने सर को सैक्सी तरीके से देखा तो वो तपाक से बोले : “अर्रे नही, आप प्लीज़ ऐसा मत सोचिए, मुझे जो काम था वो तो मैने निपटा ही लिया है, अब ये काम भी कर ही लेते है, वैसे भी ओलम्पियाड का डाटा देने में सिर्फ़ 4 दिन रह गये है”
फिर अनु को अपनी कार की चाबी देकर बोले : “अनु, तुम बाहर मेरी कार से मेरा लैपटॉप बेग ले आओ प्लीज़, फिर स्टार्ट करते है “
अनु ने चाभी ली और हिरनी की तरह उछलती हुई बाहर निकल गयी
अनु के जाते ही शेफाली थोड़े कठोर शब्दों में बोली : “ये क्या कर रहे हो सुधीर, अनु के सामने हम दोनो की पोल् खुल गयी तो ? “
सुधीर भी अब पूरी मस्ती के मूड में आ चुका था,उसने शेफाली का हाथ पकड़कर अपनी गोद में खींचा तो वो सीधा उसके खड़े लॅंड पर आकर बैठ गयी, मोटी गद्देदार गांड में लॅंड की चुभन वो अच्छे से महसूस कर पा रही थी
सुधीर : “तुम क्यो फ़िक्र कर रही हो मेरी जान, मेरे होते हुए ऐसा कुछ नही होगा “
शेफाली ने हाथ नीचे लेजाकर उसका लॅंड पकड़ लिया और बोली : “अनु अभी घर ना होती तो इसे अभी अंदर ले लेती, पर वो देख लेगी”
उसका ध्यान बाहर के दरवाजे पर था, अनु कभी भी आ सकती थी
सुधीर : “मेरी कार थोड़ी दूर खड़ी है, अभी तो वो पहुँची भी नही होगी वहां तक,तब तक के लिए एक स्मूच तो बनता है “
सुधीर को दोबारा कहने की ज़रूरत नही पड़ी, क्योंकि रोमाँच तो शेफाली को भी बहुत महसूस हो रहा था इन परिस्थितियों में
शेफाली ने अपने रसीले होंठ सुधीर के होंठो पर रखे और अपनी गांड को उनके लॅंड पर रगड़ते हुए उन्हे ज़ोर से स्मूच करने लगी

अपनी बेटी के रहते हुए वो अपने आशिक़ को ऐसे किस्स् करेगी ये तो उसने भी सपने में नही सोचा था
पर वो कर रही थी और मज़े भी आ रहे थे उन्हे
काश ये सब ऐसे ही चलता रहता, पर अनु किसी भी वक़्त आ सकती थी, इसलिए उन्होने किस्स तोड़ी और शेफाली सुधीर की गोद से उठकर सामने के सोफे पर बैठ गयी
सुधीर सर चाय पीने लगे, दो जोड़े मुममे दूध पिलाने को तैय्यार थे पर उन्हे चाय पीनी पड़ रही थी, ये कैसी विडंबना थी
अनु भी तब तक उनका लॅपटॉप ले आई
दोनो के चहरों के उड़े रंग से सॉफ पता चल रहा था की अभी कुछ हुआ है दोनो के बीच
अनु तुरंत भाँप गयी
यानी सर ने उसे भी किस्स किया और उसकी माँ को भी
बड़े हरामी है ये सुधीर सर भी
पर उनका यही हरामीपन तो उसे भा गया था
चाय ख़त्म करके अनु उन्हे लेकर अपने रूम में आ गयी
बेड पर फेले अंडरगार्मेंट्स, और ड्रेसस को देखकर सर से रुका नही गया और उन्होने उसकी पिंक कच्छी उठाकर झट्ट से जेब में डाल ली
ये देखकर अनु हंसते हुए बोली : “वो तो धुली हुई है, आपको मेरी पुस्सी की स्मेल का पता करना है तो पहनी हुई लेकर जाओ ना”
इतना कहकर उसने अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और अपनी पेंटी उतारकर सुधीर सर के हाथ में रख दी, वो भीगी हुई थी, जिसमें से सोंधी सी महक निकलकर पूरे कमरे को मदहोश बना रही थी
सर ने पहले वाली पेंटी वापिस कर दी और अभी वाली को अपनी नाक से लगाकर अच्छे से उसे सूँघा जैसे कोई नशेड़ी अपना फ़ेवरेट नशा कर रहा हो
फिर अपनी जीभ निकालकर उन्होंने उस गीली जगह को चखा भी , ऐसा लगा जैसे ब्लैक लेबल का ढक्कन उड़ेल रखा हो वहां पर

उनकी आँखे उसे सूंघकर और चख़कर नशीली हो गयी, काश वो उसकी चूत को चूस पाते
पर शेफाली के होते हुए वो पासिबल नही था
वो ये सोच ही रहे थे की शेफाली अंदर आ गयी और अनु से लंच करने के लिए पूछने लगी, सर से भी उसने लंच करने के लिए कहा क्योंकि टाइम तो हो चला था
उन्होंने मन किया पर वो नहीं मानी , इसलिए उन्होंने सिर हिला कर हामी भर दी
शेफाली भी सुधीर सर के लिए खाना बनाने का सोचकर खुश हो रही थी
वो जाकर खाने की तैय्यारी करने लगी और अनु एक बार फिर से सुधीर सर से चिपक गयी
वो सुधीर सर के सामने काफ़ी छोटी थी, और उनके बलिष्ट शरीर के सामने काफ़ी हल्की भी
उन्होने एक झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसने उनकी कमर पर टांगे लपेट कर उन्हे बाँध लिया और दोनो एक बार फिर से एक गहरी स्मूच में डूब गये

पहले अनु को किस्स किया, फिर शेफाली को और अब फिर से अनु को
एक सॅंडविच सा बन चुका था किस्सस का उनके होंठो पर माँ बेटी के नाम का
सुधीर सर के हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर थे , उसकी मोटी जांघे वो ज़ोर-2 से दबा रहे थे
अनु भी अपनी नन्ही बूबियाँ उनके मर्दाना सीने से रगड़कर उत्तेजित हो रही थी
वो किसी आइस्क्रीम की तरह उनके होंठो को चूस भी रही थी
इस तरीके की किस्स वो पहली बार कर रहे थे
सुधीर ने एक हाथ उपर करके उसके बूब्स को भी सहला दिया, वो चिहुंक उठी फिर उन्होंने मुंह नीचे करके उसके निप्पल को शर्ट के ऊपर से ही मुंह में भरकर चूस लिया
मन तो बहुत कुछ करने का था उनका पर एक युगल प्रेमी प्रेमिका की तरह डर-डरकर वो जो कुछ भी कर रहे थे उसमें उन्हे काफ़ी मज़ा मिल रहा था
सुधीर सर ने अचानक अपनी एक उंगली उसकी लटक रही और टपक रही चूत में घुसा दी, अनु की साँसे हलक में अटक कर रह गयी
उनकी मोटी उंगली इस वक़्त अनु के लिए किसी लॅंड से कम नही थी
वो उसकी कुँवारी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर अंदर जाने में सक्षम थी
पर उन्होने उसे और अंदर नही धकेला
उसे तो वो अपने लॅंड से ही भेदना चाहते थे
ऐसे उंगली से किसी लड़की की झिल्ली तोड़ना उसका अपमान करने जैसा होगा
उसके लिए तो लॅंड ही लगेगा
उनका मोटा और करारा लॅंड
उन्होने अपनी उंगली उपर करी और उसे चूस लिया
अनु ने भी अपने होंठ उपर रखकर सर के होंठो के साथ-2 अपनी चूत के रस से भीगी उनकी उंगली को चूसना शुरू कर दिया
एक साथ 2 नशे मिल रहे थे सुधीर को
एक अनु के होंठो की बीयर
और दूसरी उसकी चूत की शराब
अब नशा सिर चड़कर बोलने लगा था
अनु : “उम्म्म्मम…..सर…..कितना मज़ा आ रहा है, डु यू वॉंट टू सक्क मी “
सुधीर ने उसे अपनी गोद से उतार दिया, शेफाली का भी डर था दर आने का
वो बोले : “यस , आई वॉंट टू सक्क यू , पर कैसे पासिबल होगा ये…”
अनु शायद तब तक कुछ सोच चुकी थी,
वो बोली : “आप बस यहीं रुकिये, मैं सब सेट करके आती हूँ ”
उसने अपना फोन उठाया और सुधीर से उसका फोन माँगा
फिर उसने सर को वीडियो कॉल मिलाकर कॉल उठा ली
अब दोनो मोबाइल पर वो अपने आप को देख पा रही थी
फिर उसने सर का फोन उन्हे पकड़ाया और अपना फोन लेकर बाहर आ गयी
शेफ़ाली किचन में काम कर रही थी
उसने फोन का बैक कैमरा ऑन करके उसे एक गमले के पीछे छुपा दिया और कैमरे को किचन तरफ कर दिया, ताकि उसकी मॉम अगर वहां से निकलकर अंदर आए तो उन्हे सर के फोन पर पहले से दिख जाए
पर मॉम को भी थोड़ी देर तक बाहर उलझाए रखना ज़रूरी था
इसलिए कैमरा सेट करने के बाद वो किचन में आ गयी
अनु :”क्या बना रही हो मॉम ? ”
शेफाली : “वो कल रात की दाल पड़ी थी, मैने ये चावल चड़ा दिए है “
अनु : “ओफो मॉम , आपको हो क्या गया है, सर पहली बार आए है घर पर , उनके लिए सिर्फ़ दाल और वो भी कल रात की, आप रूको “
और फिर वो फ्रिज में से पनीर ले आई और बोली : “ये बना लो, पनीर भुजिया, और साथ में रोटी ज़रूर बनाना, मुझे राइस पसंद नही है , यू नो देट “
उसने फ्रिज़ में देख लिया था, आटा भी नही पड़ा था, यानी मॉम को आता भी गूँधना पड़ता और पनीर की सब्जी भी बनाना पड़ती, इतना समय उसके लिए बहुत था
शेफाली ने बुरा सा मुँह तो ज़रूर बनाया पर अनु की बात सही थी, सुधीर पहली बार उसके घर पर खाना खा रहे थे, उन्ँके लिए सिर्फ़ दाल चावल काफ़ी नही थे
इसलिए वो कमर बाँधकर सारे काम करने में जुट गयी
अनु भागकर अंदर आई और उसने दरवाजा बंद कर दिया
सर के हाथ में मोबाइल था, जिसमें किचन में काम करती हुई शेफाली सॉफ दिख रही थी
वो अनु की चतुराई देखकर हैरान था की एक लड़की मज़े लेने के लिए क्या-2 कर सकती है
अनु ने मोबाइल उनके हाथ से लिया और बोली : “चलो मास्टरज़ी, अब काम करने का टाइम आ गया है, दिखाओ ज़रा अपनी जीभ का कमाल मुझे भी “
‘मुझे भी’ उसने जान बूझकर बोला था
क्योंकि कुछ घंटे पहले सुधीर सर उसकी माँ की चूत भी उसी जीभ से चाट रहे थे
पर सुधीर ने उसकी इस बात पर गोर नही किया और उसे लेजाकर बेड पर पटक दिया,
अनु के हाथ में मोबाइल था, जहाँ से वो बाहर खड़ी मॉम को लाइव देख पा रही थी
उसने साउंड भी म्यूट कर दिया ताकि उसकी सिसकारियाँ मोबाइल से होते हुए दूसरे मोबाइल तक ना चली जाए और वो पकड़े जाए
अब असली खेल शुरू होने वाला था