अगली सुबह इन सब लोगो के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आने वाली थी, आराधना और पंकज दिल्ली से वापस देहरादून अपने घर की तरफ रात को ही रवाना हो गये थे, पंकज ने घर पर फ़ोन भी नही किया था कि वो और आराधना वापस घर आने के लिए निकल चुके है, और लगभग सुबह 8 बजे के करीब वो दोनों घर पहुंच जायेंगे, इसलिए स्मृति और कुशल को इस बात की बिलकुल भी भनक नही थी कि अभी अभी शुरू हुआ उनका मिलन सिर्फ एक रात का ही है, क्यूंकि कल से तो पंकज फिर से स्मृति के साथ सोयेगा, इधर प्रीती भी इस खबर से बिलकुल अनजान थी, परन्तु फिलहाल तो सभी लोग अपनी अपनी मस्ती में लगे हुए थे
अब कहानी को वापस कुशल और स्मृति की तरफ मोडते है, सिचुएशन थोड़ी चेंज हो चुकी है पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था, रात को मालिश के बहाने कुशल ने खतरनाक तरीके से अपनी मम्मी स्मृति की चूत और गांड मारी थी और स्मृति ने भी बड़े प्यार से कुशल के लंड को लिया था, चूँकि स्मृति ने पहली बार अपनी गांड मरवाई थी इसलिए उसने कुशल के साथ सिर्फ एक ही बार चुदाई की, हालाँकि कुशल दोबारा स्मृति को चोदना चाहता था परन्तु स्मृति के दर्द की परवाह उसे भी थी, इसलिए उसने चुपचाप स्मृति को अपनी बाँहों में कडल किया और आराम से अपना खड़ा लंड स्मृति की चुत में फंसाकर सो गया, स्मृति को भी कुशल की इस बात पर बहुत प्यार आया कि कुशल उसकी इतनी परवाह करता है, ये सोचकर उसका प्यार कुशल के प्रति एक प्रेमी के रूप में छलकने लगा, और वो भी आराम से कुशल का लंड अपनी चूत में फंसाकर सो गयी
सुबह के लगभग 7 बजने वाले थे, ठंडी हवा के झोंको से स्मृति की आँखे खुल गयी, उसके पुरे शरीर में एक अजीब सी मीठी मीठी खुमारी चढ़ी हुई थी, रोम रोम पुलकित हो रहा था, आँखों में वासना और संतुष्टि के मिले जुले भाव झलक रहे थे, स्मृति ने पीछे पलट कर कुशल की और देखा तो सोते हुए कुशल के मासूम चेहरे को देखकर उसे कुशल पर प्यार आ गया, उसने कुशल का माथा चूमने के लिए घूमना चाहा पर अचानक उसे महसूस हुआ कि उसकी चुत में कुछ फंसा हुआ है ,
उसने अपनी चूत की तरफ देखा तो उसके होठों पर एक कातिल मुस्कान आ गयी, उसकी चुत में अभी भी कुशल का आधा मुरझाया लंड घुसा हुआ था, स्मृति ने महसूस किया कि मुरझाने के बाद भी कुशल का लंड वाकई काफी बड़ा था,
“ये तो अपने बाप से भी आगे निकल गया” स्मृति ने मन ही मन मुस्कुरा कर सोचा, क्यूंकि कुशल का लंड वास्तव में पंकज के लंड से भी ज्यादा बड़ा और मोटा था,
स्मृति ने बड़े प्यार से कुशल के लंड को अपनी कोमल हथेलियों में जकड़ा और बड़े ही धीरे धीरे उसे अपनी चुत से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी, पर बहुत ही जल्दी उसे ये महसूस हो गया कि ऐसे तो बात बनने की बजाय बिगड़ जाएगी, क्यूंकि अर्द्ध निद्रा में भी जब कुशल को अपने मुरझाये से लंड को स्मृति की कोमल और गर्म हथेलियों का अहसास अपने लंड पर हुआ तो धीरे धीरे कुशल का लंड दोबारा स्मृति की चुत के अंदर ही फूलने लगा,
स्मृति को भी अपनी चूत में कुशल के धीरे धीरे मोटे होते लंड का अहसास होने लगा था, और उसकी चुत उस लंड को अपनी दीवारों के इर्द गिर्द कसना शुरू कर चुकी थी, स्मृति को ये अहसास बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने लगा था, और इसीलिए उसकी चुत में से अब कामरस की कुछ बुँदे पिघल कर कुशल के लंड को भिगोने लगी थी,
कामरस की ये अद्भुत बूंदों ने कुशल के लंड के लिए किसी टॉनिक का काम किया और कुशल का लंड अब बड़ी तेज़ी से होश में आने लगा, जल्द ही कुशल का लंड पूरी तरह तनकर स्मृति की चुत की नसों पर कस चूका था.
स्मृति को भी इस कसावट से बड़ी ही मीठी मीठी उत्तेजना महसूस होने लगी, और उसे पता ही नही चला कि कब उसने अपनी गांड को मटका कर अपनी चूत के अंदर कुशल के लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, बेचारा कुशल तो अभी भी नींद में था और उसे लग रहा था कि ये कोई सपना चल रहा है,
स्मृति ने कुशल को नींद में चोदना शुरू कर दिया, स्मृति के लिए इस प्रकार का ये पहला सेक्स था और इसीलिए उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना की अनुभूति हो रही थी, अब स्मृति ने तेज़ी से अपनी चुत को आगे पीछे करके कुशल का लंड घिसना शुरू कर दिया था,
स्मृति के मुंह से अब उत्तेजना पूर्वक आवाज़े निकलनी शुरू हो गयी थी,
“उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह गलपप्प्प्प्प्प गलपप्प्प्प्प्प गलपप्प्प्प्प्प्प आराम्म्म्ममममम सीईई अहह
उःन्ह्ंहंहंहंह्न बेटेयाआया नहियीईईईई अन्न्णणन् उःन्णणणन् ईई श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
उफफफफफफफ्फ़ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फाड़ दो मेरी चुत ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे लायन आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, हाऽऽऽऽऽऽऽयय्यय मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है” स्मृति की सिस्कारिया अब जोर पकड़ चुकी थी,
स्मृति के मुंह से आ रही आवाजो ने जल्द ही कुशल को उसकी नींद के आगोश से बाहर ला दिया और उसकी आँखे खुल गयी, पर जब उसने देखा कि उसकी मम्मी उसके लंड को बड़ी तेज़ी से अपनी चुत में आगे पीछे ले रही है तो बड़ा ही उत्तेजित हुआ और फिर उसने धीरे से अपनी मम्मी की नंगी कमर पर अपना हाथ रख दिया
स्मृति को जब अपनी कमर पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ तो उसने पीछे मुडकर देखा और जब उसने कुशल की ऑंखें खुली पायीं तो स्मृति ने एक बड़ी ही कातिल मुस्कान कुशल की और बिखेर दी,
स्मृति को यूँ मुस्कुराता देख कर कुशल और भी ज्यादा मदहोश और उत्तेजित हो गया और फिर उसने बड़े ही कस कस कर शॉट लगाने शुरू कर दिए स्मृति की चुत में, कुशल के इन आक्रामक धक्को से स्मृति तो निहाल ही हो गयी, कुशल बड़े ही जबरदस्त तरीके से अब स्मृति को चोदने लगा,
लगभग 20 मिनट की धुआंदार चुदाई के बाद कुशल को लगा कि उसका मुठ निकलने वाला है
“हय्य्य्य…….मम्मीईईइ…….मेरा निकलने वाला है……..कहाँ निकलूं??????…….” कुशल लगभग चिल्लाता हुआ बोला
“हय्य्य्य…………लायन बेटा. ……….निकाल दे अपने वीर्य को अपनी मम्मी की प्यासी चुत में……..मैं तेरे पानी को अपनी चुत में महसूस करना चाहती हूँ….निकाल दे बेटा निकाल दे हाय्य्यय्य्य्य………” स्मृति भी बोली
“हय्य्य….मैं गया……….मोम……….फचाक …..फ्चाक्क्कक्क्क्क………करके कुशल ने ढेर सारा वीर्य अपनी मोम की चुत में उडेंल दिया और फिर धीरे धीरे उसका लंड मुरझा कर खुद ब खुद स्मृति की चूत से फिसलता हुआ बाहर आ गया
स्मृति ने अपनी चुत की ओर देखा, वहां अभी भी कुशल के लंड से निकला पानी उसकी चुत से होता हुआ बेडशीट को भिगोने की कोशिस कर रहा था पर इससे पहले की ये अनमोल खज़ाना बेडशीट पर गिरकर खराब होता, स्मृति ने झट से उसे अपनी ऊँगली में लपेटा और चटकारे लेकर उसे चाटने लगी
“थैंक यू मोम ……….आज आपने मुझे बहुत ख़ुशी दी है” कुशल बोला
“तुझे कितनी बार कहा है कि तू जब मेरे साथ अकेला होता है तो तू मेरा बेटा नही बल्कि लायन होता है ……” स्मृति ने कुशल के गाल पर एक हलकी सही चपत लगाते हुए बोला
“ठीक है मेरी रानी, अब से ध्यान रखूंगा, अब चलो हम तैयार हो जाते है, प्रीती का आने का भी वक्त हो चूका है” कुशल ने कहा
कुशल अब पूरी तरह संतुस्ट हो चूका था,
वो अब उठा और सीधा बाथरूम की और जाने लगा, वहां खड़े होकर पेशाब करने की कोशिश करने लगा, पर एक बार वीर्य निकलने के बाद पेशाब आने में थोडा वक्त और मेहनत दोनों ही लगती है, कुशल ने बाथरूम का दरवाज़ा अभी भी खोल रखा था,
कुछ ही पलो में स्मृति भी बिलकुल नंगी अपने कुलहो को मटकते हुए वहां आई और अपने चेहरे और चूत को पानी से धोने लगी. कुछ देर बाद ही कुशल ने भी पेशाब कर लिया और उसके बाद स्मृति भी उसके सामने ही नंगी कमोड पर बैठकर मुतने लगी, उसकी चुत से पेशाब के साथ निकलती सिटी की मधुर आवाज़ से कुशल फिर से उत्तेजित होने लगा, पर उसे पता था कि अब प्रीति किसी भी वक्त आ सकती है इसलिए अब कुछ भी करना खतरे से खाली नही होगा, क्यूंकि प्रीति पहले से उस पर थोडा शक करती थी
थोड़ी देर में ही कुशल और स्मृति ने अपने अपने कपड़े पहन लिए, कुशल हॉल में आकर बैठ गया और स्मृति एक भोली भाली घरेलू ओरत की तरह किचन में जाकर नाश्ता तैयार करने में जुट गयी, क्यूंकि उसे भी इस बात का पता था कि प्रीती के आने का वक्त हो चला है ऐसे में अब कुछ भी करना मुमकिन नही
कुशल ने देखा कि बाहर हल्की हल्की बारिश आ रही थी, उसने सोचा कि शायद बारिश की वजह से प्रीति देर से भी आ सकती है, और वो अपनी मोम के साथ कुछ देर और मजे ले सकता है, यही सोचकर कुशल बस अभी खड़ा होकर किचन की तरफ जाने ही वाला था कि तभी बहार की बेल बज गयी
कुशल और स्मृति दोनों को इस बात का अच्छी तरह पता था कि ये कौन है? कुशल के अरमानो पर पानी फिर चूका था
पर फिर भी कुशल ने बड़े ही रिलैक्स तरीके से जाकर दरवाज़ा खोला, सामने प्रीती ही थी, प्रीती ने कुशल को देखते ही मन में सोचा कि जरुर पूरी रात मोम की चूत मारी है इसने और अब देखो कितना भोला बनकर खड़ा है
प्रीती –“अरे बुद्धू अब हट तो सही, आने दे मुझे, क्या बारिश में पूरी भिगोने का इरादा है पागल” प्रीती लगभग कुशल को धकेलते हुए बोली,
कुशल ने हटकर प्रीती को आने के लिए जगह दी पर तभी अचानक प्रीती का पैर फिसल गया और वो सामने की तरफ गिरने ही वाली थी की कुशल ने बड़ी फुर्ती से उसे पकड़ लिया और गिरने से बचा लिया, प्रीती अब कुशल की बाँहों में थी, उसका टॉप थोडा गिला हो गया था, और वो थोड़ी झुकी हुई थी इस कारण उसके गीले टॉप का गला लटक गया और कुशल को प्रीती की ब्रा दिखाई दे गई, प्रीती ने वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी थी, कुशल बड़ी होशियारी से प्रीटी की ब्रा में से उसके खूबसूरत मोटे बोबे देखने की कोशिश करने लगा
थोड़े गीले बाल, थोडा सा गीला उसका स्लीव लेस टॉप, सामने से थोड़ी सी गीली ब्लैक जींस वाली केप्री, उसके कंधे पे कुछ पानी की बूंदे फिसल कर उसके चिकने गोरे गोरे हाथों पे आ गई थी, उसका गीला टॉप सामने से चिपक गया था जिस वजह से प्रीती के बोबे बाहर निकल रहे थे, उसके टॉप के गीले होने के कारण कुशल को उसकी ब्रा की स्ट्रैप्स का शेप साफ़ साफ दिख रहा था और उसे साफ पता चल रहा था कि उसने अंदर वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी है
प्रीती को इस तरह देखकर कुशल के दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था, और वो बस प्रीती की सुन्दरता में ही मंत्र मुग्ध सा हो गया, और फिर अगले ही पल उसने तुरंत प्रीती के गुलाबी पतले होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया और जोर जोर से चुसने लगा
पर प्रीती ने तुरंत अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे अपने से अलग किया और बोली
प्रीती –“ओये स्टुपिड, यहाँ खुले में क्यों ऐसा कर रहा है, अगर मोम ने देख लिया तो ……पागल कहीं का” प्रीती ने उसे कहा पर उसकी बात में गुस्सा कम और चिंता ज्यादा थी कि कहीं कोई देख ना ले
कुशल –“पर मोम तो अभी किचन में है, करने दे ना यार किस….पूरी रात तेरे बिना तडपा हूँ…….”
प्रीती –“वो तो मुझे पता है कि कितना तडपा है……जरुर पूरी रात मोम की जमकर ली होगी” प्रीति ने बड़े ही स्लो वौइस् में कहा ताकि कुशल को भी न सुनाई दे
कुशल –“क्या हुआ, दे न एक किस”
प्रीती –“नही कुशल समझा कर यार, अभी मोम है, अभी नही प्लीज़” प्रीती ने उसे समझाते हुए कहा
ये कहकर प्रीती ने कुशल को साइड हटाया और फिर अपने कमरे की तरफ जाने के लिए सीढियों की तरफ बढने लगी, तभी अचानक स्मृति भी किचन से बाहर आ गयी,
स्मृति – “अरे प्रीती बेटी, आ गयी तू, अच्छा तू हाथ मुंह धोकर आजा फिर साथ में नाश्ता करते है”
प्रीती –“मोम, आपने तो खा लिया होगा ना” प्रीती ने कहा, दरअसल वो तो ये कहना चाहती थी कि मोम आपने तो कुशल का लंड खा लिया होगा ना अपनी चूत में
स्मृति –“नही बेटा,हम भी तेरा ही वेट कर रहे थे”
प्रीती – “मुझे लगा कुशल यहाँ है तो आपने तो जी भरकर खा लिया होगा……नाश्ता”
स्मृति –“नही बेटी, हम दोनों ने ही नही खाया, अब तुम जल्दी से हाथ मुंह धोकर आ जाओ फिर हम साथ में मिलकर खाते है”
प्रीती तो आज डबल मीनिंग बाते कर रही थी, और जब स्मृति ने कहा कि साथ में खाते है तो उसे लगा कि उसकी मोम उसे कह रही है कि वो दोनों साथ में मिलकर कुशल का लंड अपनी चूत में ले, ये सोचकर ही उसका दिमाग भन्ना गया, और उसके गाल लाल होने लगे
पर उसने अपने दिमाग को झटका और बोली
प्रीती –“मोम आप नाश्ता लगाओ मैं बस 5 मिनट में आती हूँ”
ये कहकर प्रीती अपने कमरे में चली गयी, इधर कुशल ने एक बात नोटिस की कि प्रीती कल पहन कर कुछ और गयी थी और आज वापस कुछ और पहन कर आई है, पर कुशल ने सोचा की शायद बारिश की वजह से चेंज किया हो और उसने इस ओर ज्यादा ध्यान नही दिया
हकीकत में तो कल रात सिमरन और प्रीती की मस्ती के चक्कर में प्रीती के कपड़े पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चुके थे, और उस पर पड़ी सलवटो से कोई भी अनुभवी इन्सान बता सकता था कि रात को उसने क्या गुल खिलाये होंगे, इसिलए सिमरन ने उसने अपने कपडे दे दिए
इधर पंकज और आराधना भी बस अब घर पहुचने ही वाले थे
प्रीती अब फ्रेश होने के लिए अपने रूम की तरफ चली गयी, और स्मृति दोबारा किचन में घुस गयी, प्रीती के जाते ही कुशल बड़ी फुर्ती से खड़ा हुआ और सीधा जाकर किचन के अंदर घुस गया, स्मृति को भी इस बात की भनक थी कि जरुर कुशल प्रीती की जाते ही किचन में आ जायेगा और उससे छेड़ छाड़ करेगा, इसलिए उसने भी आज अपनी अदाओ से कुशल और उसके लंड पर कहर ढाने की तैयारी कर रखी थी, जैसे ही कुशल किचन के अंदर दरवाजे तक पहुंचा, स्मृति जानबुझकर अपनी गांड को मटकाते हुए वाश बेसिन में बर्तन धोने लगी
कुशल ने बड़ी गोर से स्मृति की ओर देखा, स्मृति आज वाकई बहुत ही हसीन और सेक्सी लग रही थी, उसने पिंक कलर की झीनी सी सलवार और कुर्ती पहन रखी थी, जिसमे से उसकी गदराई मोटी गांड साफ नज़र आ रही थी, जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी, और उसकी तनि हुई चुचियो को देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो वो उसे चुदाई का खुला निमंत्रण दे रही हों,
जब स्मृति बर्तन धोने के बहाने अपनी गांड को मस्ती से इधर उधर मटकाती तो ऐसा जान पड़ता था कि स्मृति की गांड में कोई छोटी सी बेअरिंग फिट है जो उसकी गांड को मस्त गोल गोल घुमाती है, भले ही स्मृति की उमर ज्यादा हो पर आज भी वो अपनी अदा से अच्छे अच्छे लंडो का पानी निकलवाने की काबिलियत रखती थी, और कुशल तो उसका बहुत बड़ा दीवाना था, वो अच्छी तरह जानती थी कि बिना छुए भी कैसे अपने जलवो से कुशल के खड़े लंड का पानी निकाल सके,
कुशल तो उस वक्त खुद को जन्नत की किसी परी के पास बैठे किसी राजा महाराजा की तरह महसूस कर रहा था क्यूंकि इस वक्त उसके सामने जो मस्त ख़ूबसूरती थी, उसका रसपान वो पिछले 24 घंटे में कई मर्तबा कर चूका था, पर अब भी उसकी प्यास बुझी नही थी,
कुशल तो बेचारा किचन के दरवाजे पर खड़ा उस मस्त गदराई जवानी को देखकर अपने लंड को पेंट के उपर से ही सहलाये जा रहा था, उसकी आँखे बर्तन धोते वक्त उपर निचे होती उसकी मोम की भारी भारी चुचियो पर भी गडी हुई थी,
इधर जब स्मृति जोर लगाकर किसी बर्तन को धोने के लिए निचे की ओर झुकती तो उसकी नारंगी जैसे दूधिया मम्मे उसकी कुर्ती के गहरे गले से से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाते , यहाँ तक कि उसकी ब्लैक ब्रा के कप्स भी कुशल को साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे
इधर स्मृति ने वाशबेसिन में बर्तन धोने से पहले अपनी कुर्ती को चुपके से साइड में कर लिया था, जिससे उसकी सुंदर सी गांड उभरकर और भी ज्यादा सामने आ रही थी, कुशल की धोकेबाज़ नज़रे तुरंत उसकी ठुमकती गांड की तरफ उठ गई, उस पर जैसे बिजली सी गिर पड़ी, स्मृति भी जान बूझकर बर्तन धोते समय अपनी कमर और गांड को होले होले हिला रही थी,
कुशल ने तुरंत अपनी नज़रे दूसरी तरफ फेरकर देखने की कोशिश की कि कहीं प्रीती तो नही आ रही पर जब उसने मैदान साफ पाया तो वापस अपनी नज़रे अंदर की तरफ घुमानी चाही,पर इससे पहले कि वो अपना चेहरा घुमा पाता, उस पर एक और गाज गिर पड़ी, स्मृति ने जानबुझकर एक बर्तन नीचे गिरा दिया था और अब वो उसे हटाने के लिए झुकी हुई थी
उसकी पतली सी सलवार उसकी मांसल जांघो से बिल्कुल चिपक गयी थी, और स्ट्रेच होने की वजह से सलवार हल्की सी पारदर्शी हो गयी थी, जिसमे से उसकी ब्लू कलर की छोटी सी खूबसूरत पैंटी कुशल की आंखों के सामने आ गयी, उसकी मोटी सी मांसल गदरायी गांड पर उस छोटी सी पैंटी को देखकर कुशल की सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी, उसका चेहरा गरम होने लगा, उसे अपने लंड में तनाव महसूस होने लगा,और जल्द ही उसने विकराल रूप ले लिया जिससे उसके पेंट में उभार बन गया था , स्मृति जानबुझकर बर्तन उठाने में ज्यादा वक्त लग रही थी, उसने कनखियों से कुशल की ओर देखा तो पेंट में उसके लन्ड का उभार उसकी आँखों से छुप नहीं पाया, उसके चेहरे पर एक शातिर हंसी आ गयी
इधर अब कुशल से बर्दास्त करना बिलकुल नामुमकिन हो गया था, भले ही उसे प्रीती के आने का डर था, परन्तु स्मृति इस समय जो नज़ारे उसे दिखा रही थी उसे देखकर उसका सारा डर गायब हो गया और अब उसके दिलो दिमाग पर सिर्फ और सिर्फ स्मृति ही छाई हुई थी,
कुशल अब धीरे धीरे आकर सीधा स्मृति की ठीक पीछे आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से अपने हाथो को स्मृति के पेट के इर्द गिर्द लपेट दिया,
स्मृति अपने शरीर पर कुशल के हाथ का स्पर्श होते ही सिहर उठी, और हद तो तब हो गई जब कुशल ने अपनी एक उंगली कुर्ती को उठाकर स्मृति की नाभि में ले जाकर उसे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया, मानो वो नाभि में से कोई बहुमूल्य वस्तु निकलना चाह रहा हो
कुशल की इस हरकत से स्मृति तो मज़े से पागल हो गई, उसकी वासना अब चरमोत्कर्ष पर पहुंचने लगी, जब उससे बर्दास्त करना मुश्किल हो गया तो उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर कुशल के बालों में लगा दिया जिससे कुशल का चेहरा स्मृति के सिर से खिसककर उसकी गर्दन पर आ पहुंचा,
कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए तुरन्त अपने लबों को स्मृति की गोरी गर्दन से चिपका दिया, और कहते है कि लड़की की गर्दन पर अगर कोई किस करे तो उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती है, और यही स्मृति के साथ भी हुआ
कुशल के होठों के स्पर्श अपनी गर्दन पर पाते ही स्मृति अपने काबू से बाहर होने लगी और उसके मुंह से हल्की हल्की आहें भरनी शुरू हो गई
“उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस
ओह्हहहहहह आआआ…आआआ…… ओह्ह”
स्मृति की आहों की आवाज़ अब धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी
इधर कुशल समझ गया था कि अब स्मृति गरम होने लगी है, कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए स्मृति की नाभि में फंसी अपनी उंगली निकाली और होले होले नीचे की तरह ले जाने लगा, स्मृति को जैसे कोई होश ही नही था,
कुशल का हाथ स्मृति के गोरे पेट से होते हुए अब उसके सलवार की पट्टी पर आ पहुंचा था, कुशल अभी भी लगातार स्मृति की गर्दन पर किस किये जा रहा था, अब कुशल ने धीरे से अपने हाथ की उंगलियों के इस्तेमाल कर सलवार के नाड़े को ढीला किया और स्लो मोशन में अपना हाथ स्मृति की सुलगती चुत की ओर बढाने लगा, कुशल के हाथ और स्मृति की चुत में अब बेहद ही महीन सी पेंटी का कपड़ा था, कुशल अब अपनी उंगलियों को स्मृति की चुत पर पैंटी के ऊपर से ही फेरने लगा,
इधर स्मृति को अब बर्दास्त करना नामुमकिन हुए जा रहा था,उसने कुशल के बालों से अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे कुशल की पेंट की ओर बढ़ने लगी, स्मृति ने अब तुरन्त ही कुशल का लंड उसकी पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, लंड के अहसास से ही स्मृति बुरी तरह गनगना गई, उसकी सांसे भारी होती जा रही थी, अब उसने एक झटके में ही कुशल के पेंट की ज़िप खोली , उसने महसूस किया कि कुशल ने आज चड्डी नही पहनी थी अंदर, ये जानकर स्मृति की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गयी, उसने तुरंत ज़िप के अंदर हाथ डाल लिया और उसके तने हुए लंड को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया
अपने हाथों मे अपने बेटे के लंड की अकड़न महसूस करते ही स्मृति का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, उसकी चूत की फाँकें बुरी तरह कुलबुलाने लगी, स्मृति ने थोड़ी देर तक कुशल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाया और फिर अचानक से उसने कुशल के लंड पर मुठ मारनी शुरू कर दी
अपने लंड पर अपनी मोम की गर्म हथेलियों का स्पर्श पाकर कुशल को लगा जैसे उसका लंड इस गर्मी के अहसास से पिघल ही जायेगा, वासना का तूफान दोनों माँ बेटे के दिलो में आ चुका था,
इधर अब कुशल ने भी तुरंत अब स्मृति की पैंटी के इलास्टिक को ऊपर उठाकर अपनी उंगलिया सीधे उसके चुत से सटा दी, और उसकी चुत के दाने को मसलने लगा,
स्मृति तो इस चौतरफा हमले से बुरी तरह आहें भरने लगी
“उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह, उम्ह्ह्ह्ह्ह लायन ऽऽऽऽऽऽऽ…..ऽऽऽऽऽऽऽ…योर बिग डिक माय लायन …स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग……ओहहहहहह आआआ
मसल डालो मेरी चुत को….ओह यस…”
सससससहहहहहहह….” इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह स्मृति अपनी भरावदार गांड को कुशल की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी, कुशल की सांसे तेज हो चली, उससे अब रुक पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा था, वो अब तुरंत अपनी मोम की सलवार को पकड़कर निचे की तरफ सरकाने लगा, स्मृति की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी, धीरे धीरे करके कुशल ने अपनी मोम की सलवार को घुटनों तक सरका दिया, कुशल बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था, सलवार के घुटनों तक आते ही स्मृति ने खुद अपने दोनों हाथों से अपनी कुर्ती को थाम लिया और कुशल अपनी मोम की पेंटि को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा,
जैसे-जैसे पेंटी नीचे सरक रही थी, स्मृति की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमकने लगी , कुशल की तो हालत ही खराब होने लगी थी , अपनी मोम की गोरी गोरी गांड को देखकर उसका गला सूखने लगा था, उसका पूरा बदन उत्तेजना में सराबोर हो चुका था, कुशल ने धीरे धीरे पेंटी को भी घुटनों तक पहुंचा दिया
ये नजारा देखकर कुशल से रुक पाना नामुमकिन सा हो गया था, और वो तुरन्त अपनी पेंट भी उतारने लगा , कुशल को पेंट उतारता देख स्मृति के बदन में गुदगुदी सी होने लगी और वो कुशल से बोली,
“बेटाआआआ पेंट रहने दे, ज़िप से बाहर निकाल कर ही कर ले, प्रीती कभी भी आ सकती है जल्दी कर”
कुशल तो ये सुनकर आसमान पर ही पहुंच गया कि उसकी मोम खुद उसे चुदवाने के लिए बोल रही है जबकि उसकी बेटी भी अभी घर पर है, कुशल के लिए तो इस बात ने आग में घी का काम किया और उसका लंड और भी विकराल हो गया
“कोई नही आएगा मोम आह”
इतना कहने के साथ ही कुशल ने एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए थोडा चौड़ा किया और स्मृति की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया, स्मृति आश्चर्यचकित होते हुए कुशल के निर्देश का पालन कर रही थी,
कुशल ने अब बिना वक्त गंवाए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चुत के गुलाबी छेद पर टीकाया और पूरी ताकत से एक करारा धक्का उसकी चुत में लगा दिया, इस धक्के की ताकत इतनी थी कि पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे चुत के अंदर समा गया, स्मृति के मुहं से हल्की सी आह निकल गई
दोनों माँ बेटो के शरीर में आनंद की एक तेज़ लहर दोड गयी, उन्हें इस बात से और भी ज्यादा मजा आ रहा था कि वो लोग छुप छुप कर सेक्स कर रहे है,
कुशल ने अब अपने लंड को थोडा पीछे खीचा और फिर से एक दनदनाता हुआ शॉट सीधा स्मृति की चुत में पेल दिया, स्मृति इस करारे धक्के को सम्भाल नही पाई और गिरना से बचने के लिए उसने अपने दोनों हाथो को किचन की पट्टी पर जोर से पकड लिया
कुशल अभी तीसरा धक्का लगाने ही वाला था कि उन दोनों के कान में एक जोरदार आवाज़ गूंजी
“मोम………आपने नाश्ता लगा दिया क्या, मैं निचे आ रही हूँ खाने” ये प्रीती की आवाज़ थी जो अभी अपने कमरे से बाहर ही निकली थी और वो जोर जोर से चिल्ला कर नाश्ते के बारे में पूछ रही थी, प्रीती अब सीढियों से निचे आने लगी
इधर प्रीती की आवाज़ सुनते ही जैसे स्मृति और कुशल सपने से जागे, स्मृति ने बड़ी ही फुर्ती से अपनी पेंटी और सलवार को उपर चढ़ाया और पलक झपकते ही सलवार का नाडा बांध लिया,
पर यहाँ कुशल को थोड़ी परेशानी हो रही थी,क्यूंकि उसका विकराल रूप लेकर खड़ा हुआ लंड उसकी ज़िप के अंदर जा ही नही रहा था, और वो पेंट खोलकर लंड अंदर करने का रिस्क नही ले सकता था, स्मृति भी उसकी और बड़ी ही डरी हुई नजरो से देख रही थी मानो वो कह रही हो कि जल्दी कर कुशल अपने लंड को अंदर डाल फटाफट
पर कुशल का लंड था कि आज बगावत पर उतर आया था, कुशल जोर लगाकर अपने लंड को अंदर ठूंसने की कोशिश कर रहा था पर इसका कोई फायदा उसे नही हो पा रहा था,
इधर प्रीती के कदमो की एक एक आहट किचन में स्मृति और कुशल की धडकनों को बढाये जा रही थी क्यूंकि कुशल का लंड उसकी पेंट के अंदर जा ही नही रहा था,
और तभी अचानक प्रीती किचन के अंदर आ गयी,
कुशल बड़ी ही मेहनत से अपने लंड को अपनी पेंट में ठूंसने की कोशिश कर रहा था पर उसका लंड था कि आज पूरी तरह से बगावत पर उतर आया था, स्मृति भी बड़ी टेंसन में आ चुकी थी कि अगर प्रीती ने कुशल को इस हालत में देख लिया तो ना जाने क्या होगा,
और तभी अचानक प्रीती किचन के अंदर आ गयी
प्रीती के इस तरह अचानक आते ही स्मृति और कुशल बुरी तरह सकपका गये, कुशल ने बड़ी ही फुर्ती से अपने आपको अपनी मम्मी के बदन के पीछे कर लिया और स्मृति अब ठीक उसके आगे थी जिससे प्रीती को कम से कम कुशल का खड़ा हुआ लंड तो नही दिख पा रहा था,
स्मृति – “अरे प्री……प्रीती… बेटा….. , बड़ी …..जल्दी फ्रेश हो गयी तुम तो……. चलो तुम बाहर बैठो, मैं अभी तुम्हारे लिए नाश्ता लगाती हूँ टेबल पर…..” स्मृति ने घबराते हुए कहा, क्यूंकि कुशल ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसका तना हुआ लंड अभी भी स्मृति की गांड को टच किये जा रहा था,
प्रीती – “क्या हुआ मोम , आप इतनी घबराई हुई क्यूँ हो, और ये कुशल आपके पीछे क्यूँ खड़ा है” प्रीती ने तो ये सवाल पूछ कर उन दोनों पर जैसे कोई बम ही गिरा दिया था”
स्मृति –“नही बेटा, मैं कहाँ घबराई हुई हूँ, वो तो बस गैस के नजदीक होने की वजह से पसीना आ रहा है” स्मृति हकलाते हुए बोली
प्रीती – “वो सब तो ठीक है मोम, पर ये कुशल का बच्चा आपके पीछे छुपकर क्यूँ खड़ा है, और कुछ बोल क्यूँ नही रहा”
कुशल की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी, ये तो स्मृति थी जो किसी तरह सिचुएशन को सम्भालने की कोशिश कर रही थी, वरना अभी तक तो आराम से पकडे जाते,
स्मृति –“कुछ नही प्रीती बेटा , वो मुझे कोई डब्बा चाहिए था, पर वो ऊंचाई पर रखा है न इसलिए कुशल को बुलाया था ताकि वो मेरी हेल्प कर दे उसे उतारने में” स्मृति ने बड़ी सी कुशलता से बचाव करने की कोशिश की
प्रीती –“पर वो आपके पीछे छुपकर क्यूँ खड़ा है, क्यूँ बे कुशल बाहर निकल वहां से, मुझे तुझसे कुछ काम है अपने रूम में”
कुशल –“ तू…तू…तू चल……..म.म्मम्म …मैं अभी 2 मिनट में आता हूँ बस” कुशल घबरा कर बोला
प्रीती को अब थोडा शक हुआ कि “आखिर मोम और कुशल दोनों ही इतने घबरा कर क्यूँ बाते कर रहे है, कहीं एसा तो नही कि मेरे उपर जाते ही कुशल और मोम……ओह माय गॉड……. ये कुशल तो बड़ा ही कमीना है, एक मिनट का सब्र नही होता इससे, पर मोम को क्या हुआ,, उसने कैसे उसे करने दिया कुछ मेरे होते हुए भी यहाँ…. मोम तो बड़ी ही छिनाल निकली, अपनी बेटी के घर में होते हुए भी देखो कैसे अपने जवान बेटे के साथ रंगरेलिया मना रही है”
स्मृति –“क्या सोचने लगी प्रीती….. तू…तू चल बाहर बैठ मैं अभी कुशल को डब्बा उतरवाने के बाद बाहर भेजती हूँ”
इधर प्रीती को अब अपनी मोम से थोडी जलन होने लगी थी, कि “आखिर मोम में ऐसा क्या है जो कुशल मेरी बजाय मोम के पीछे पागल है, आज तो मोम और कुशल को सबक सिखा ही देती हूँ”
ये सोचकर प्रीती बोली
प्रीती –“नहीं मोम मुझे अभी कुशल से बात करनी है कुछ इम्पोर्टेन्ट काम है, ये ऐसे बाहर नही आएगा, मैं खुद ही इसे खींचकर बाहर निकालती हूँ”
ये कहकर प्रीती अब धीरे धीरे स्मृति और कुशल की तरफ बढने लगी
इधर कुशल और स्मृति के दिलो की धडकन लगातार बढ़ते ही जा रही थी, उनका चेहरा अब पीला पड़ने लगा था, कुशल की तो डर के मारे हालत पतली हो गयी थी
कुशल मन ही मन सोचने लगा “ हे भगवान कहाँ फँस गया, आज तो मैं गया काम से, अगर प्रीती को पता चल गया तो वो पक्का घर में सबको बता देगी और अगर पापा को पता चला तो वो तो मेरी गांड ही तोड़ देंगे और शायद मुझे घर से बाहर भी निकाल दें, हे भगवन आज बचा लो फिर कभी ऐसी गलती नही करूंगा, प्लीज़ ….”
कुशल और स्मृति अपने अपने मन में भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि किसी तरह आज वो बच जाये, पर प्रीती अब धीरे धीरे उनके करीब आने लगी थी और स्मृति और कुशल के आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा था कि तभी
तभी बाहर गाडी के हॉर्न की आवाज़ आई, प्रीती को एक पल में समझ आ गया कि ये तो पापा की गाडी की आवाज़ है, इसका मतलब पापा आ गये,
स्मृति –“ अरे…..अरे…प्प्प्पप….प्रीती….लगता है तेरे पापा….आ गये है…..जा…जा गेट खोल दे जल्दी से…….” स्मृति ने कांपते होठों से कहा
प्रीती –“जी मोम……” ये कहकर प्रीती किचन से सीधा स्पीड में बाहर निकल गयी और गेट की तरफ बढ़ने लगी
इधर पीछे से कुशल ने फटाफट अपने लंड को पेंट के अंदर फिट करने की कोशीश की, स्मृति ने पलट कर देखा तो पाया की अभी भी कुशल का लंड पूरी तरह नही बैठा था, क्यूंकि स्मृति के पीछे खड़े होने की वजह से कुशल का लंड अपनी मोम की गांड से छु रहा था
स्मृति को कुशल के लंड पर बड़ा गर्व सा हुआ और प्यार भी आ गया, पर वो जानती थी कि ये वक्त सही नही प्यार जताने का, इसलिए स्मृति ने कुशल के लंड को पकड़ा और उसे फटाक से जोर लगाकर ज़िप के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगी
पर ये क्या, स्मृति के स्पर्श से तो लंड फिर से ओकात में आने लगा, ये देखकर स्मृति के होठो पर एक मुस्कान सी आ गयी, और उसने तुरंत लंड को छोड़ दिया
स्मृति –“ ते तेरा लंड तो बैठने का नाम ही नही ले रहा”
कुशल –“क्या करूं मोम, आपके हाथो के स्पर्श से अपने आप बड़ा हो रहा है”
स्मृति –“पर अभी सही टाइम नही इसे बड़ा करने का, चल जल्दी से अपनी पेंट खोल कर फिर इसे अंदर डाल ले,
तेरे पापा किसी भी वक्त आ सकते है”
कुशल –“हाँ ये सही रहेगा”
ये कहकर कुशल ने फटाक से अपनी पेंट के बटन खोले और फिर अपनी पेंट निचे करके अपने लंड को पेंट में किसी तरह एडजस्ट करके फिर से पेंट पहन ली,
अब जाकर दोनों के साँस में साँस आया,
स्मृति –“आज तो बाल बाल ही बच गये, वरना शामत आ जाती” स्मृति ने अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा
कुशल –“हम्म्म्म सही कहा मोम आपने”
स्मृति –“अच्छा अब चल लगता है तेरे पापा आये है देल्ही से”
कुशल –“चलो मोम”
ये कहकर दोनों माँ बेटे किचन से बाहर आ गये और गेट की तरफ बढ़ चले
प्रीती ने अब तक गेट खोल दिया था, पीछे से अब कुशल और स्मृति भी आ गये,
जैसे ही प्रीती ने गेट खोला तो सामने पंकज और आराधना दोनों खड़े थे, उन्हें वहाँ देखकर प्रीती के साथ साथ कुशल और स्मृति भी चोंक गये,
प्रीती –“अरे आरू दीदी , आप पापा के साथ कैसे??? आप तो कोई फैशन डिजाइनिंग का कम्पटीशन था ना”
इससे पहले कि आराधना कुछ जवाब देती पंकज बिच में ही बोल पड़ा
पंकज –“अरे प्रीती पहले हमे अंदर तो आने दे, देखती नही बाहर अभी भी हल्की हल्की बारिश हो रही है, पूरा भिगाएगी क्या हमें”
प्रीती –“ओह सोरी डैड, आइये”
ये कहकर प्रीती ने गेट पूरा ओपन कर दिया ताकि पंकज और आराधना अंदर आ सके, प्रीती ने गौर किया कि आराधना दीदी थोड़ी बदली या कहे कि गदराई सी नजर आ रही थी, और पहले से भी ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी, पर प्रीती ने इस ओर ज्यादा ध्यान नही दिया,
अंदर स्मृति और कुशल भी बस अभी अभी किचन से बाहर निकले थे, और उन्होंने देखा कि पंकज और आराधना अपने गिले बालो को झड़काते हुए अंदर आ गये है, आराधना को पंकज के साथ देखकर उन्हें भी सरप्राइज हो रहा था, पंकज और आरू सोफे पर आकर बैठ गये,
स्मृति – “अरे आप बिना बताये, मेरा मतलब है कि एक कॉल तो कर देते कि आप आ रहे हो, और ये आरू आपके साथ क्या कर रही है, इसका तो कम्पटीशन था ना दिल्ली में????”
पंकज –“अरे इसका कम्पटीशन अचानक कैंसिल हो गया, उधर मेरा जो काम था वो भी पूरा हो गया तो सोचा कि आरू को भी साथ ही ले चलू घर पर”
स्मृति –“चलो ये तो आपने अच्छा किया, वरना ट्रेन में तो परेशान हो जाती बेचारी, पर आपको कम से कम एक कॉल तो कर देना चाहिए था ना”
आराधना ने मन में सोचा –“ ये मोम बार बार कॉल के पीछे क्यूँ पड़ी है, जरुर अपने उस आशिक के साथ गुलछर्रे उडाये होंगे मोम ने, जो उस दिन कैसे बुरी तरह इनकी चुद….कर रहा था”
(रीडर्स को शायद याद होगा कि दिल्ली जाने से पहले आराधना ने कुशल को स्मृति की चुदाई करते हुए देख लिया था, बस उसने कुशल का चेहरा नही देखा था इसलिए उसे पता नही था कि स्मृति किसके साथ सेक्स कर थी, उसे तो यही लग रहा था कि जरुर कोई बाहर का आशिक होगा मोम का )
आराधना –“अरे मोम, वो मैंने ही पापा को मना किया था कॉल करने को क्यूंकि हम लोग आपको सरप्राइज देना चाहते थे” आराधना ने बड़ी सफाई से झूठ बोल दिया
स्मृति –“चलो कोई बात नही, अब आप दोनों अपने अपने कमरों में जाके फ्रेश हो जाइये, और अपने सर भी पोंछ लेना वरना जुकाम हो जाएगी”
फिर पंकज अपने रूम में चला गया और आराधना अपने रूम में उपर चली गयी, प्रीती भी आराधना के पीछे पीछे उसके साथ ही चली गयी
इधर निचे कुशल और स्मृति ही बचे थे बस,
कुशल –“मोम, अब हम कैसे कर पाएंगे”
स्मृति –“तू चिंता क्यूँ करता है, निकालेंगे कोई न कोई रास्ता, अब तो मैं भी लायन के बिना नही रह सकती, पर अब हमे घर में थोडा सम्भल के रहना होगा, आज भी बड़ी मुसीबत में फँस सकते थे, अगर प्रीती देख लेती तो”
कुशल –“मोम, शायद उपर वाला भी यही चाहता है कि हमारा रिश्ता ऐसे ही बना रहे तभी तो देखो एन वक्त पर हमे बचा लिया और पापा और आराधना दीदी को भेज दिया”
स्मृति उसकी बात पर बस मुस्कुरा दी
कुशल –“अच्छा मोम, मैं अभी बाहर जा रहा हूँ अपने एक फ्रेंड के पास, दोपहर तक आ जाऊंगा”
स्मृति –“अरे पर बाहर तो बारिश हो रही है, और तूने तो नाश्ता भी नही किया अभी तक”
कुशल –“अरे मोम, बारिश तो लगभग खत्म हो चुकी है, और नाश्ता मैं अपने फ्रेंड करण के घर पर कर लूँगा”
स्मृति –“अरे बेटा, ये करण वही है ना जिसकी मोम तेरी क्लास टीचर है, क्या नाम है उनका”
कुशल –“ प्रिया मेम”
स्मृति –“हाँ हाँ प्रिया मेम, चल ठीक है तू जा, पर जल्दी आ जाना घर, मैं लायन का वेट करूंगी, शाम को हमे
स्विमिंग क्लास भी तो जाना है, याद है या भूल गया”
कुशल –“ऑफ़ कोर्स याद है मोम, और आज आप लायन के साथ ही जाओगी स्विमिंग” ये कहकर कुशल ने स्मृति की तरफ एक आँख मार दी, स्मृति भी उसकी और देखकर मुस्कुरा दी [/
अपनी मम्मी को स्विमिंग क्लास ले जाने का वादा करके कुशल अपने दोस्त करण से मिलने के लिए निकल पड़ा, करण उसका बचपन का दोस्त था, या कहें कि लंगोटिया यार था उसका, करण ने ही कुशल के दिल में सेक्स के प्रति इच्छा जगाई थी, दोनों दोस्त मिलकर अक्सर नंगी तस्वीरे और ब्लू फिल्मे देखा करते थे, करण के पापा तो जब वो 10 साल का था तभी चल बसे थे, अब उसकी मम्मी प्रिया ही उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सम्भालती थी, दो माँ बेटे में बड़ा ही प्यार था,
करण अक्सर स्कूल में नंगी तस्वीरे लाया करता था जिसे कुशल और वो मिलकर छुप छुप कर देखते थे, दोनों में बड़ा ही याराना था, मुठ मारना भी दोनों ने साथ ही सिखा था, और कई बार तो साथ में मुठ भी मारी थी,
…………………………………….
कुशल अब करण से मिलने के लिए बाइक से उसके घर की तरफ रवाना हो गया, थोड़ी ही देर बाद कुशल करण के घर पहुंच गया, उसने डोर बेल बजाई तो दरवाज़ा प्रिया मेम ने खोला
प्रिया मेम ने एक बहुत ही सुंदर और झीनी सी स्टाइलिश मैक्सी पहनी हुई थी, प्रिया मेम सच में बहुत ही मस्त बदन की गदराई सी ओरत थी, बड़े बड़े मम्मे एकदम गोल गोल और पूरी तरह से टाइट थे, नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी, उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का अहसास कुशल को मस्त किये जा रहा था, दरअसल कुशल तो पिछले कई सालो से प्रिया मेम को चोदने वाली नजरो से देख रहा था, पर चूँकि वो उसके बेस्ट फ्रेंड की मोम थी इसलिए वो कभी हिम्मत ही नही कर पाया, कुशल खासकर प्रिया मेम के चुतडो पर फ़िदा था, हाय कितना गज़ब का और उठा हुआ पिछवाडा था प्रिया मेम का, उसकी सेक्सी गांड के तो टीचर्स के साथ साथ स्टूडेंट्स भी दीवाने थे, पर उसके स्ट्रिक्ट नेचर की वजह से उसके पास फटकने की कोई हिम्मत भी नही करता था,
कुशल अपने ख्यालो में खोया हुआ था तभी प्रिया मेम ने उसे उसके ख्यालो से बाहर खीचा और बोली
प्रिया मेम – “ अरे कुशल बेटा, कहाँ खोये हुए हो इतनी देर से, अंदर आ जाओ, बाहर अभी भी हल्की हल्की बारिश हो रही है”
कुशल – “ओह सॉरी मेम, वो मैं कुछ सोचने लग गया था मेम”
प्रिया मेम – “सोचना बाद में, पहले अंदर आ जाओ, चलो” ये कहकर प्रिया मेम ने कुशल को अंदर आने के लिए कहा, कुशल भी फटाफट अंदर आ गया
प्रिया मेम – “अच्छा कुशल बेटा, आज इतने सुबह सुबह कैसे आना हुआ यहाँ”
कुशल –“मेम वो मैं करण से मिलने आया था, कई दिन हो गये न मिले हुए, तो सोचा कि मिल आऊ”
प्रिया मेम –“अरे पर कुशल तो अभी घर पर है ही नही वो तो कल रात अपने किसी फ्रेंड के यहाँ गया था, तो कल से वहीं है, उसे आने में तो अभी 2 घंटे और लगेगे बेटा”
कुशल –“तो फिर मैं चलता हूँ आंटी, फिर कभी आ जाऊंगा”
प्रिया मेम –“अरे ऐसे कैसे चले जाओगे, इतनी दूर से आये हो, कम से कम नाश्ता तो करके जाओ”
कुशल –“नही मेम कोई बात नही मैं करके आया हूँ नाश्ता घर से”
प्रिया मेम –“देखो कुशल मैं कुछ नही सुनने वाली, नाश्ता तो तुम्हे करना ही पड़ेगा, और इसी बहाने मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जाएगी”
कुशल –“चलो ठीक है मेम, आप कहती हो तो रुक जाता हूँ”
प्रिया मेम –“तुम यहीं बैठो, मैं अभी तुम्हारे खाने के लिए कुछ बनाकर लाती हूँ”
ये कहकर प्रिया मुड़कर किचन की तरफ चली गयी, उसके मुड़ते ही कुशल को प्रिया की बड़ी सी गदराई गांड नजर आ गयी, और सुबह से उसका लोडा जो बगावत पर उतर आया था, वो अब दोबारा इस कातिल नज़ारे को देखकर होश में आने लगा, कुशल टकटकी लगाये प्रिया मेम की मोटी गांड को निहारने लगा,
पर तभी अचानक प्रिया मुड़ी और उसने तुरंत कुशल की नजरो को भांप लिया, कुशल तो बिलकुल सकपका गया, पर प्रिया बिलकुल शांत खड़ी रही और बोली
प्रिया मेम –“सैंडविच चलेगी ना कुशल बेटा”
कुशल –“जी…जी….मेम…चलेगी….” कुशल हकलाता हुआ बोला
कुशल को इस तरह हकलाता हुआ देख कर ना जाने क्यूँ प्रिया के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान सी आ गयी, पर उसने इसे ज़ाहिर नही होने दिया
इधर कुशल मन ही मन सोचने लगा “अबे चूतिये, कहीं तो लंड की बजाय दिमाग से काम लिया कर, साले वो तेरी टीचर होने के साथ साथ तेरे बेस्ट फ्रेंड के माँ भी है, और तेरी भी माँ जैसी ही है,,,,,,,,, पर मैं तो खुद अपनी मोम की ले चूका तो इसकी लेने में क्या हर्ज़ है……अरे नही नही बहनचोद …अगर उसको थोड़ी सी भनक लग गयी तो यही बुरी तरह गांड कुटाई हो जाएगी……..और दोस्ती टूटेगी सो अलग……पर मेरे इस लंड को कैसे समझाऊ, ये तो जब देखो मुंह उठाये खड़ा हो जाता है साला….”
कुशल अपनी दुविधा में फंसा था कि तभी प्रिया मेम हाथो में दो प्लेट्स लिए बाहर आ गयी,
प्रिया मेम –“चलो आओ कुशल बेटा, टेबल पर बैठ जाओ, नाश्ता बिलकुल तैयार है”
अब दोनों लोग आकर टेबल पर अगल बगल बैठ गये और प्रिया कुशल और खुद के लिए नाश्ता सर्व करने लगी, जब वो कुशल को खाना दे रही थी तब वो उसके बिलकुल पास थी और कुशल को उसकी मांसल कलाइयाँ और उसकी बग़लें दिखायी दे रही थी जहाँ से पसीने की मस्त तेज़ गंध आ रही थी, अब वो उत्तेजित होने लगा, तभी वो उसके सामने बैठ गयी और बातें करते हुए खाना खाने लगी, कुशल ने देखा कि उसने बड़े गले की मैक्सी पहनी थी और उसकी बड़ी बड़ी पुष्ट गोलाईयां झाँक रही थीं, उफ़ कितने सुडौल दिख रहे थे उनके गोरे दूध,
प्रिया मेम –“ अरे मैं पानी लाना तो भूल ही गयी”
और ये कहकर वो उठ कर फ्रिज के सामने झुक कर पानी की बोतल निकालने लगी, झुकने की वजह से उसकी झीनी सी मैक्सी उसकी गांड की गहरी दरार में फंस गयी, अब तो प्रिया मेम की गांड की मस्त छटा देखते ही बन रही थी, कुशल तो एक टक प्रिया मेम की मस्त गांड को घूरे जा रहा था,
प्रिया मेम को भी अपनी मैक्सी अपनी गांड की खाई में धंसी हुई महसूस हुई तो उसने बड़े ही प्यार से अपने एक हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर धीरे धीरे अपनी फंसी हुई मैक्सी को दरार से निकालना शुरू कर दिया
कुशल तो ये नज़रा देखकर बहुत ही ज्यादा गरम हो गया, उसका लंड अब पुरे उफान पर आ चूका था, और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका लंड जल्द ही उसकी पेंट को फाडकर बाहर निकल आयेगा,
तभी वो हुआ जिसकी उम्मीद कुशल ने सपने में भी नही की थी,
प्रिया मेम ने बड़े ही प्यार से कुशल की ओर देखा और फिर धीरे धीरे अपने रसीले होठो पर अपनी जीभ को फिराने लगी, और साथ साथ अपनी गांड में से अपनी मैक्सी को जान बुझकर और भी धीरे धीरे निकालने लगी
अब कुशल कोई इतना भी बेवकूफ नही था कि इतना भी ना समझे, अब तो कुशल ने सोच लिया कि आज तो माल पूरा गरम है, आज उसे अपनी बचपन की इच्छा जरुर पूरी करनी चाहिए,
ये सोचकर कुशल ने भी धीरे से अपने लंड पर पेंट के उपर से ही हाथ इस तरह से फिराया कि प्रिया मेम को सारा नजारा आसानी से दिख जाये, वो समझ गया था कि चिड़िया प्यासी है, जल्दी ही जाल में फँस जाएगी,
अब प्रिया मेम पानी की बोतल लाकर उसके साथ दोबारा टेबल पर बैठ गयी, इधर कुशल ने अब प्रिया मेम की फ़िट्नेस की तारीफ़ करनी शुरू की,
वो बोला: आंटी आप तो लगता है कि फ़िट्नेस पर बहुत ध्यान देती हैं, आप तो एकदम फ़िट हैं,
प्रिया मेम अपनी तारीफ़ से ख़ुश होकर बोली: हाँ मैं रोज़ सुबह योगा करती हूँ और व्यायाम भी करती हूँ,
कुशल : तभी तो आप करण की मम्मी नहीं उसकी दीदी लगती हैं, ऐसा बोलते हुए वो उसकी छातियाँ देखते हुए जीभ होंठ पर फेरा और बोला: आप इतनी सुंदर भी तो हैं, कि आप को देखकर कोई भी दीवाना हो जाये,
प्रिया मेम –“अच्छा तुझे मैं इतनी सुंदर लगती हूँ क्या?”
कुशल मन ही मन ख़ुश होकर बोला: आंटी, आप इतनी सुंदर हो आपको तो स्कूल के सब बच्चे भी पसंद करते है, और आपको मा- मतलब पसंद मतलब लाइक करते हैं,
प्रिया मेम : तू अभी मा- क्या कह रहा था?
कुशल : कुछ नहीं आंटी, वो बस ऐसे ही मुँह से निकल गया था,
प्रिया मेम : तू माल बोलना चाहता था क्या?
कुशल : आंटी, सॉरी , वो मेरा मतलब है कि बस ऐसे ही कुछ लड़के बोलते हैं,
प्रिया मेम उसकी आँखों मेंदेखते हुए बोली: तू क्या बोलता है? मैं माल हूँ?
कुशल : नहीं आंटी मैं ऐसे कैसे बोल सकता हूँ, आपको,
अब प्रिया मेम को भी इन बातों में मज़ा आ रहा था और वो गरम हो रही थी, उसने अपनी छातियों को खुजाते हुए कहा: तो क्या मैं बेकार दिखती हूँ? माल नहीं लगती तेरे को?
कुशल का लंड झटके मारने लगा,उसका लंड पूरा खड़ा होकर एक तरफ़ से पैंट में तंबू सा बना लिया था, वो चाहता था कि आंटी उस तंबू को देख ले , वो खड़ा हुआ और बोला: आंटी आप सच में बहुत मस्त माल हो, और वो उसकी आँखो में झाँक कर बोला: अगर मैं अंकल होता तो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता,
प्रिया मेम का ध्यान अपने लंड पर ले जाने के लिए उसने अपने तंबू को दबाया और प्रिया मेम की आँखें उसके तंबू को देखकर हैरानी से फटी की फटी रह गयीं, इस छोटे से लड़के का इतना बड़ा हथियार ? अब उसके निपल्ज़ कड़े हो गए और उसकी बुर में जैसे चिटियाँ चलने लगी , वह कई सालो से चुदीं नहीं थी और उसने बुर में ऊँगली भी काफ़ी दिनों से नहीं की थी, इस लिए उसकी बुर गीली होने लगी, उसका हाथ अपने आप ही बुर के पास चला गया और वो उसे दबाने लगी,
प्रिया मेम को अच्छी तरह से अपने तंबू का दर्शन कराकर कुशल हाथ धोकर आया और आकर प्रिया मेम के पीछे खड़ा हो गया, अब उसने प्रिया मेम के कंधे सहलाना शुरू किया और बोला: आंटी आपके गर्दन की मालिश कर दूँ? मम्मी कहती हैं कि मैं बहुत अच्छी मालिश करता हूँ,
उसका स्पर्श पाकर प्रिया मेम सिहर उठी और बोली: मुझे भी हाथ धोने दे ना, बाद में मालिश कर लेना, अब कुशल उसके कंधों के ऊपर से झुक कर ऊपर से उसकी छातियों के बीच में देख रहा था, और बेशर्मी से मुस्करा रहा था और बोला: आंटी आपके ये तो बहुत मस्त हैं, मुझे लगता है कि मैं इनको छूकर देखूँ कि ये असली हैं या नक़ली?
प्रिया मेम हँसते हुए बोली: चल हट बदमाश कहीं का, कुछ भी बोल रहा है?
जब कुशल ने देखा कि वो ग़ुस्सा नहीं हुई है तो उसने रिस्क लेकर उसके साइड में आकर अपने तंबू को छूकर कहा: आंटी, आप भी इसको ग़ौर से देख रही थी, बताइए ना ये कैसा लगा आपको?
प्रिया मेम हड़बड़ा गई और बोली: चलो हटो मुझे हाथ धोने दो,
कुशल इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, उसने और बड़ा रिस्क लिया और प्रिया मेम का उलटा हाथ पकड़कर अपने पैंट के तंबू पर रख दिया और उसके पंजे को अपने पंजे से पकड़कर अपने लंड को दबाने लगा,
प्रिया मेम की सिसकारि निकल गई, वो बोली: आह ये क्या कर रहे हो, करण आ जाएगा ? छोड़ो मेरा हाथ,
कुशल समझ गया कि वो गरम हो चुकी है वो बोला: आंटी, वो तो 2 घंटे बाद आएगा ना , आप इसको सहलाओ ना प्लीज़,
अब उसने अपना हाथ प्रिया मेम की मैक्सी के ऊपर से उसके चुचि पर रखा और हल्के से दबा दिया, प्रिया मेम की बुर तो जैसे मस्ती से पानी ही छोड़ने लगी, अब वो भी थोड़ा बेशर्मी से उसके लंड को ऊपर से नीचे तक महसूस करने लगी, अब वो समझ गयी कि ये लंड बहुत लंबा और मोटा है, और उसे बहुत मज़ा देगा, उधर अब कुशल ने भी अपना दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखा और उनको दबाने लगा और ऊपर से ही निपल्ज़ को मसल कर उसने प्रिया मेम के अंदर के औरत को जगा दिया और उसे चुदायी के लिए तय्यार करने लगा,
तभी प्रिया मेम बोली: कुशल हटो एक मिनट ,
कुशल एक अच्छे बच्चे की तरह हट गया और प्रिया मेम उठकर हाथ धोकर आइ और खाना सम्भालने लगी,
कुशल ने झूठे बर्तन हटाने में उसकी मदद की और किचन में अचानक उसको बाहों में लेकर उसके होंठों को चूमने लगा, प्रिया मेम ने थोड़े से विरोध के बाद जैसे सम्पर्पण कर दिया, अब कुशल के हाथ उसकी छातियों से होता हुआ उसके चूतरों तक पहुँचा जिनको वो ज़ोर से दबाने लगा,
प्रिया मेम का हाथ उसके लंड पर पहुँच गया और वह भी उसे मसलने लगी, अचानक प्रिया मेम को होश आया और वह बोली: चलो छोड़ो तुम मेरे कमरे में चलो मैं अभी आती हूँ ,
कुशल अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप चला गया, इधर प्रिया भी थोड़ी देर बाद अपने कमरे की तरफ चल पड़ी
प्रिया जैसे ही अपने रूम में आई तो देखा कि कुशल बड़े प्यार से बेड पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था, प्रिया को एक पल के लिए लगा कि उसके पति भी उसका ऐसा ही इंतज़ार करते थे अक्सर, अपने पति की याद आते ही प्रिया मेम की आँखों में हल्का सा पानी आ गया
मेम को इस तरह से देख कुशल बोला –“ क्या हुआ मेम, आप रो क्यूँ रही है, क्या आप ये सब नही करना चाहती, अगर नही चाहती तो मुझे बता दीजिये मैं चला जाऊंगा यहाँ से” यह कहकर कुशल बेड से खड़ा हुआ और बाहर जाने के लिए बढने लगा,
पर तभी प्रिया मेम ने उसे पकड़ा और तुरंत बेड पर साथ लेकर बैठ गयी और खुद अपने मुंह को कुशल की बाँहों में देकर सुबकने लगी
कुशल –“क्या हुआ मेम बताइए ना”
प्रिया मेम –“कुछ नही कुशल, बस तेरे अंकल की याद आ गयी वो भी ऐसे ही अक्सर बेड पर बैठकर मेरा इंतज़ार करते थे, उनके जाने के बाद जो जिन्दगी में जैसे चुदाई वीरान ही हो गयी, पर आज तूने मेरी सोयी हुई वासना को दोबारा जगा दिया, मुझे छोड़ कर मत चले जाना तू भी”
कुशल अब प्रिया मेम को अपनी ओर खींचकर बोला: आंटी प्लीज़ चुप हो जाओ, मैं हूँ ना, अब वो अपने हाथ से उसके गाल को सहला कर उसके आँसू पोंछने लगा, कुशल की नाक में उसके सेंट और उसके बदन की मादक गंध भी समा रही थी, ,वो उसको चुप कराते हुए उसके पेट पर से ले जाकर उसकी चिकनी कमर पर एक हाथ रखा और प्रिया मेम को अपनी ओर खिंचा और गाल सहलाकर बोला: आंटी पहले आप चुप हो जाओ, अब प्रिया मेम की एक चूची उसकी बाँह से पूरी सट गयी थी, उसका सिर कुशल के कंधे पर था, प्रिया मेम की आँखें बंद थीं, उसके होंठ खुले थे मानो कह रहे हों मुझे चूस लो,
कुशल का लौड़ा अब पूरी तरह से सख़्त हो चुका था, वो अब उसके ऊपर झुका और उसकी आँख को चूमा और बोला: आंटी प्लीज़ रोना बंद करो, मैं कुछ ना कुछ करूँगा, फिर वो उसकी दूसरी आँख को भी चूमा , अब वो नीचे आकर उसके गाल चूमा और बोला: मेरे रहते आपको कभी आँसू नहीं बहाना पड़ेगा, फिर वो कसकर प्रिया मेम को अपनी बाँह में भींच लिया और प्रिया मेम भी उसकी छाती में अपना मुँह घुसा दी, अब कुशल उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था जहाँ ब्लाउस के नाम पर एक छोटा सा पट्टा भर था, अब वो उसके कंधे को चूमने लगा, प्रिया मेम भी मस्ती में आ गयी थी और उसने कुशल के पैंट में तने हुए तंबू को साफ़ साफ़ देख लिया था और अंदाज़ा कर लिया था कि इसका तगड़ा हथियार है, अपना हाथ प्रिया मेम ने उसकी जाँघ पर रखा जो कि तंबू के काफ़ी पास ही था,