जगदीश राय: अगर तुम्हे दर्द हुआ तो ?
सशा: मैं सह लूँगी……आप मारो न धक्का।
जगदीश राय ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, सशा ने अपने दोनो हाथों से जगदीश राय के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..
सशा – पापा…पापा फाड़ दो अब…..
जगदीश राय ने कुछ पलो के लिए सशा के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, जगदीश राय ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा।
जगदीश राय के लंड का सुपाडा सशा की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, जगदीश राय का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे सशा की कुँवारी चूत के अंदर जा चुका था…
” हाए मम्मी मर गई हाईए अहह पापाआआआ बहुत दर्द हो रहा है….” सशा छटपटाते हुए, अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी….
सशा के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से जगदीश राय भी घबरा गया, उसने सशा की ओर देखा, उसकी बंद आँखो से आँसू बह कर उसके गालो पर आ रहे थे।
“बेटी मैं बाहर निकाल लेता हूँ” जगदीश राय ने सशा की ओर देखते हुए कहा….
सशा: (अपनी आँखो को खोलते हुए) नही नही पापा बाहर मत निकालना…पूरा अंदर कर दो….मेरी फिकर मत करो…..
जगदीश राय: पर बेटी…
सशा: मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो….आप अपना लंड पूरा मेरी चूत में पूरा डाल दो…..
जगदीश राय ने अपने लंड की तरफ देखा, जो सशा की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा।
सशा: “उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…योर डिक पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…पापा……..”
सशा ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से जगदीश राय के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून जगदीश राय के बाजुओ में गढ़ने लगे, जगदीश राय को अपने लंड के इर्द गिर्द सशा की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी,
दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, जगदीश राय अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर सशा ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से जगदीश राय हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, फिर धीरे-धीरे सशा का दर्द कुछ कम होने लगा, और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने जगदीश राय की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही जगदीश राय की कमर पर सशा की टाँगों की पकड़ ढीली हुई,जगदीश राय ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में सशा की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ सशा की चूत में पेल दिया,
धक्का इतना जबरदस्त था कि सशा का पूरा बदन हिल गया।
सशा: “आह शीईइ पापा उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस”
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽ” सशा ने फिर से अपने पैरो को जगदीश राय के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया।
जब उसे अपनी चूत की दीवार पर जगदीश राय के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद सशा ने जगदीश राय को धीरे से कहा।
“पापा अब अपने लंड को धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है” ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और जगदीश राय ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर सशा के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे जगदीश राय के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था
“ओह्ह पापा मेरी चूत में आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह.” सशा बोली।
जगदीश राय ने जैसे ही अपना लंड सशा की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और सशा के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था।
सशा ने अपने पास रखे एक कपड़े को अपनी चूत पर दबा दिया…ताकि उसमे से खून निकल कर, बेड शीट पर ना गिरे…..
फिर उसने अपनी चूत को उस कपड़े से रगड़ कर साफ किया, और फिर जगदीश राय की तरफ देखा, जो हैरत से उसकी तरफ देख रहा था।
सशा: क्या हुआ पापा आप ऐसे क्या देख रहे हो ?
जगदीश राय: बेटी तुम तो काफी समझदार हो।
“हाँ जानती हूँ” सशा खिलखिलाकर बोली।
फिर सशा उठ कर बैठी और जगदीश राय के लंड को हाथ में लेकर उसे कपड़े से अच्छे से साफ किया, फिर उस कपड़े को साइड में रखते हुए, बेड पर लेट गई , सशा ने अपनी बाहों को खोल कर जगदीश राय को आने का इशारा किया।
जगदीश राय सशा ऊपर झुक गया, सशा ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली “आइ लव यू पापा” और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में मिल गए, और दोनों एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे।फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी।
जगदीश राय का लंड अब उसकी चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, जगदीश राय भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, सशा की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए अपने पापा के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी
थोड़ी देर के बाद अचानक से जगदीश राय के लंड का सुपाडा सशा की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, सशा का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को जगदीश राय के होंठो से अलग किया और फिर जगदीश राय की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैली हुई थी….
जगदीश राय ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को सशा की चूत के छेद में पेलना शुरू कर दिया….
“उंह पापा सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है…..” सशा बोली।
जगदीश के लंड का सुपाडा सशा की चूत के छेद और दीवारो को फ़ैलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, सशा के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे जगदीश राय के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी।
धीरे-2 जगदीश राय का पूरा लंड सशा की चूत में समा गया, सशा ने सिसकते हुए जगदीश राय को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी।
“आह पापा और पेलो उंह आ सीईईई आह पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”