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मां के हाथ के छाले - Seductive Incest Sex story

मां के हाथ के छाले – Update 10 | Incest Sex Story

मां के हाथ के छाले
Part : 10
मैं अपने आप को संभालता हुआ मां की पजामी और उनकी पैंटी को बैड के नीचे सरका कर गेट खोलने के लिए गया तो देखा पड़ोस वाली एक आंटी थी , ये देखकर मेरे मन को राहत मिली।
मैनें आंटी से कहा : जी आंटी?
आंटी : बेटा, मम्मी है घर पर?
मैं: नहीं आंटी, वो तो नहीं है, कुछ काम था आपको?
आंटी : हां,बेटा , चलो कोई बात नहीं , मैं बाद में मिल लूंगी उनसे।
मैं: ठीक है आंटी।
फिर वो चली गई और मैंने गेट बंद किया और भगवान का शुक्र किया के पापा नहीं थे। फिर आंटी के जाने पर और पापा के ना होने की बात से खुश होकर लोड़े को पकड़कर खुद से बोला: वाह बेटे, बाप का नाम सुनते ही सो गया था। जैसे ही मैंने ऐसा किया और मां को याद किया तो लोड़ा फिर से धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मैंने सोचा : क्यूं ना थोड़ी मस्ती की जाए और मां को थोड़ा और डराया जाए। मैंने प्लान बनाया के मां को कहूंगा के पापा हैं और फिर उनके हावभाव देखता हु और वो इसपर क्या कहती हैं देखता हूं। मैं 5 मिनट तक तो सब सोचता रहा और फिर सोच कर अपने कमरे में घुसा, अंदर से कुंडी लगाई और देखा तो कमरे में कोई था ही नहीं।
फिर मैनें मां को आवाज लगाई धीरे से : मां, ओ मां
मेरे रूम के बाथरूम में से मां की धीरे से आवाज आई : बेटा, मैं यहां हूं।
मैं जब वहां बाथरूम के गेट के पास गया तो मां आधी नंगी खड़ी घबराई हुई बोली : कोन था, पापा आगए क्या?
मैं हल्का सा घबराहट वाला चेहरा बनाकर : हां मां
मां : हे भगवान, अब क्या करूं, उन्होंने ऐसे देख लिया तो सवाल पे सवाल पूछेंगे।
मां घबराहट में आधी नंगी बाथरूम में ही छुप कर खड़ी रही और मुझसे बात करती रही। अपने रूम से हड़बड़ाहट में मेरे रूम में भाग भाग कर आने में उनके मोटे चूचे इतने उछले होंगे की वो आधे कमीज से बाहर की ओर झांक रहे थे। मैंने मां की घबराहट को संभालते हुए उन्हें हाथ से पकड़ कर बाथरूम से कमरे में लाते हुए कहा : मां, आप टेंशन मत लो, मैं हूं ना, मैं कुछ करता हूं।
मेरी इस बात से मां को भले नाम मात्र ही सही पर एक तसल्ली सी मिली और वो फिर इधर उधर फैले कपड़ों वाले मेरे कमरे में नीचे बिछे मैट पर बैठ गई और बोली : कुछ कर बेटा, ऐसे कैसे मैं उनके सामने जाऊंगी? और ये छाले देखकर वो मुझसे पूछेंगे के सुबह फोन पर तो कुछ नहीं बताया, फिर मैं क्या कहूंगी?…कुछ कर बेटा।
मैं: अरे आप इतना मत घबराओ मां, कुछ करता हूं मैं रुको।
मैंने थोड़ा सोचा फिर बोला : मां, ये छालों वाली बात तो हम बोल देंगे के आज आपके फोन के बाद हुआ ये सब पर आपको उनके सामने जाने से पहले कुछ कपड़े डालने पड़ेंगे, बस इतनी सी ही प्रोब्लम है, और आप यूंही परेशान हो रही हैं।
मां थोड़ा सोचने लगी और फिर हल्की सी नॉर्मल होकर बोली : अरे हां बेटा, बस वो मैं शायद यूंही , मेरे उस वक्त उस तरह बैठने के कारण परेशान हो गई।
मैं हल्का सा मामला ठीक करने के लिए हस्ते हुए : किस तरह मां?
मां हल्का सा मुस्कुराकर : अरे वही …जो पहले भी बताया था
मैं: क्या मां..
मां : अरे पागल, वो तेरी भाषा में क्या कह रहा था तु, अरे हां वो घोड़ी बनकर और ऊपर से तु मेरे पीछे था तो शायद मैं उस वक्त डोरबैल बजने से ज्यादा सोच में पड़ गई थी।
मैं और मां फिर नॉर्मल हुए और हसने लगे। वैसे तो मैं पहले से ही नॉर्मल था पर मां को अपने मस्ती के प्लान में बनाए रखने के लिए जो घबराहट चेहरे पर लाया था, वो अब हट गई थी।
फिर मां बोली : एक काम कर, मेरे रूम में जा और मेरी कोई सलवार ले आ, मुझे पहना दे, फिर मैं मोका देख कर बाहर से आने का नाटक करूंगी, ठीक है ना।
मैं: हां मां, ये बाहर से आने का नाटक करने वाला तो ठीक है, पर आपके लिए कपड़े कहां से लाऊं?
मां : अरे मेरी अलमारी में से ले आ ना।
मैं: पर मां, पापा पूछेंगे के कहां लेकर जा रहा है तो?
मां : क्या, वो कमरे में ही हैं क्या।…अरे यार, अब बेटा तू ही बता क्या करूं मैं।
मैं: मां एक तरीका है, अगर आप कहो तो बताऊं?
मां : हां, बता ना जल्दी से।
मैं: क्यूं ना आप मेरी कोई पैंट या लोअर डाल लो और ऊपर से वो आपकी कमीज से ढक ही जाएगा …फिर मोका देख कर अपनी अलमीरा से उठा लेना सलवार और मैं चेंज करवा दूंगा।
मां पहले तो थोड़ा सोच में पड़ी फिर हंसने लगी। मां को हंसता देख
मैं बोला : क्या हुआ, हंस क्यूं रही हो।
मां : अरे बेटा, तु अपना शरीर देख और मेरा देख।
मैं: क्या मां?
मां : अरे मेरे बुद्धू बच्चे, तु अपना साइज देख और मेरा देख
मैं: कोनसा साइज मां?
मां : अरे पागल मेरा मतलब है, तु अपनी गांड़ देख और मेरी देख।
इसपर हम दोनो हसने लगे और मैं पता नहीं अचानक बोल पड़ा : दिखाओ
मां हंसते हुए : चुप कर बदमाश, पापा के पास घर की दूसरी चाबी होती ना तो पकड़े जाते, उसका शुक्र मना रही हूं मैं और तुझे यहां मस्ती सूझ रही है।
मैं फिर से मस्त होकर : आपके पास कोई और आइडिया है?
मां (सोच कर) : हां, वो जो तूने अभी पजामी उतारी थी, वो ले आ, वही डाल लूंगी, जा।
मैं: मां वो तो जल्दबाजी में मैनें आपके बैड के नीचे सरका दी थी और साथ में आपकी वो गीली पैंटी भी।
मां : लो कर लो बात, तूने तो मुझे मरवाने का पूरा इंतजाम कर दिया है, अगर तेरे पापा को पता चला ना कुछ तो मेरी जान ले लेंगे।
मैं (थोड़ा रोमांटिक होते हुए) : ऐसे कैसे कोई आपकी जान ले लेगा।
मां भी माहोल में गर्म होते हुए एक स्माइल पास की और बोली : अच्छा जी,…
फिर मैं बोला : अब फिर करने हैं मेरे कपड़े ट्राई या यूंही आधी नंगी पापा के सामने जाओगी।
मां हंसते हुए : चुप कर , बदमाश।
ऐसा कहते ही मां खड़ी हुई और अपनी गांड़ मेरी तरफ कर अपने हाथ के ऊपरी हिस्से से अपनी कमीज को साइड करके हल्की सी हंसी और बोली : ले देख, इतनी मोटी गांड़ पर आ जाएगी क्या तेरी कोई जींस या लोवर?

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