You dont have javascript enabled! Please enable it! पूर्णिमा की रात्रि – Update 8 | Incest Story - KamKatha

पूर्णिमा की रात्रि – Update 8 | Incest Story

पूर्णिमा की रात्रि – Update 8

पापा का फोन आने से कुछ देर पहले…

“चल निकल बाहर” एक हवलदार पापा को बाहर आने को कहता है लॉकअप से..

पापा की नजर सीधे ही इंस्पेक्टर के साथ बात कर रही सामने खड़ी औरत पे जाति हे और पापा बिना उस उसका मुंह देखे की उसे पहचान लेते है.. कैसे न पहचाने वैसे भी उस हुस्न की मलिका को जिस के नंगे जिस्म को एक रात पहले ही निचोड़ दिया हो..

पापा शर्म से अपनी नजरे नीचे करते हुए आगे बड़े…

भाभी की नजर पापा की हालत पे गई मार मार के पुलिस ने पापा का पूरा शरीर लाल कर दिया था..

“चलिए रमन जी हमारे पास वक्त नहीं” प्रतिज्ञा भाभी ने पापा को कहा और उनका हाथ पकड़ अपने साथ ले जाने लगी..

“अरे मैडम क्या जल्दी है पहले उसे साइन तो कर लेने दो फिर ले जाना अपने आशिक को”

प्रतिज्ञा को गुस्सा आया लेकिन वो कुछ बोले बिना खड़ी रही और जैसे ही पापा ने साइन की वो पापा को बाहर ले आई..

“चलिए बैठिए.. अरे बैठिए ना इतना सोचने का समय नहीं और घर पे पता दीजिए की घर से नीकल जाई मेरे ससुर आप के घर जरूर आएंगे”

पापा को कुछ समझ नहीं आ रहा था.. वो प्रतिज्ञा भाभी की और बड़ी हैरानी से देख रहे थे..

भाभी ने दो पल कुछ सोचा फिर पापा से लिपट गई और अपने सर को पापा के सीने पे रख दिया और धीमे मीठी आवाज में बोली “में आप के बच्चे की मां बनने वाली हु.. आप मुझ पे यकीन कर सकते है” और पापा को अपनी कार में बैठा दी…

पापा एक मुंह से ये सब सुन एक शब्द नही निकला और वो चुप चाप बैठ गई.. कार ने रफ्तार पकड़ी और पापा ने मुझे फोन कर सब कहा.. वही प्रतिज्ञा पूरी तेज़ी से गाड़ी भागा रही थी…

एक लाल रंग की कार उनका लगातार पीछा कर रही थी..

“आप का बहोत बहोत शुक्रिया मैंने जो आप के साथ किया उसके बाद भी आप ने मुझे छुड़ाया वहा से मेने आप के साथ ठीक नही किया में आप का गुनेगार हु”

पापा ने भाभी ने अपनी नजरे झुकाई भाभी से कहा…

“देखिए ये सही समय कही बात करने का देखिए हमारा पीछा किया जा रहा है.. हमें किसी तरह इन से बचाना होगा”

पापा तो जैसे भाभी की ऐसी बातों से बड़े हैरान थे.. वही वो उनकी हिम्मत पे फ़िदा हो गई थे.. वही दूसरी और भाभी को हरी सारी में देख पापा को बार बार कल रात हुए घटना याद आती.. वो इतना शर्मिंदा थे अपने किए पे की पापा आंख उठा के ठीक से भाभी की और देख तक नही पा रहे थे…

वही दूसरी और में मां और मेरा दोस्त वहा से तुरत निकल गई और रास्ते में मेने मेरे दोस्त को उतार दिया…

कुछ देर में मुझे मेरे दोस्त का फोन आया “भाई तेरे पीछे एक पुलिस की गाड़ी लगी हुए है वो लोग सिविल ड्रेस में हे भाई संभल के”

मेने मां को ये बता दिया.. हम बहुत डर गई थे क्या करे…

की हम सहर से बाहर निकल आई.. की तभी वो कार हमारे आगे हो गई और हमे ब्लॉक कर दिया..

मेने ब्रेक मारी.. गोली की रफ्तार से दो आदमी मुझे बाहर निकलने को कहने लगे..

उनकी नजर मां की और बार बार जा रही थी.. वो मां को बड़ी गौर से देख रहा था उसकी नज़र मां की क्लीवेज पे जाती फिर वो अपनी नजरे वापस मां को आखों में मिला लेता…

मां रोने जैसी हो गई थी.. बस कुछ और हरकत होती और मां की आखों से आसू निकल जाने थे…

में बार बार उन्हें समझा रहा था कि हमारी क्या गलती है हमें जाने दो.. आप कोन है आप को क्या चाहिए…लेकिन एक आदमी बस मां की और देख कुछ सोच रहा था…

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top