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मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात - Maa Ki Chudai Ki Kahani

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 8

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 8

ठंडे फर्श पर लोवर बिछा हम दोनों मां बेटे नंगे लेते थे। मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी गांड को मसल रहा था और वो चुपचाप दूसरी तरफ मुंह कर लेती थी। शायद अपने ही बेटे के साथ बिल्कुल नंगी होकर लेटने से वो अंदर ही अंदर शर्म से पानी पानी हो रही थी पर बाहर से तो ऐसे दिखा रही थी के मैं जैसे कोई छोटा बच्चा हूं और वो मेरे साथ अपनी नंगी गांड टीका कर अगर लेटेगी भी तो भी उसे कोई फरक नहीं पड़ेगा।

मां को उस सॉफ्ट सी गांड को हल्के हल्के हाथों से मसल मसल कर मेरा तो लण्ड एकदम सख्त होकर अभी भी अंडरवियर की इलास्टिक में ही फसा हुआ था जिसे मैं चाहता तो बाहर निकाल सकता था पर मैं एकदम से ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था के धीरे धीरे बनती बात पर कहीं पानी ना बिखर जाए।

वैसे मजा तो मुझे इस सब में ही बहुत आ रहा था। मन तो ये कर रहा था के ये रात बस खत्म ही ना हो और हम मां बेटे यूंही नंगे लेटे रहें एक दूसरे से लग कर।

करीब 10 मिनट हो गए थे हमें यूंही चुप चाप लेटे हुए के मां बोल पड़ी – सुन चीकू बेटा?

मैं – हां मां?

मां – ये तेरा अंडरवियर का इलास्टिक मेरी कमर पर रगड़ सा रहा है और चुभ रहा है मुझे।

मैं – ओह अच्छा।

दरअसल मां के दोनों चूतड़ों पर टिके मेरे दोनों हाथों के बीच के गैप में मेरा अंडरवेयर मां को ना लगता पर लोड़ा खड़े होने की वजह से हाथों के बराबर होकर वो अंडरवेयर की इलास्टिक के उपर के हिस्से पर लगे दानेदार वार्डिंग वाले ब्रांडिंग स्टिकर के घिसने से शायद मां को एक अजीब सी चुभन सी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मां ने मुझे ऐसा कहा।

मां – हां वो चुभ सा रहा है बार बार मुझे जैसे ही तु अपने हाथ मसलता है मेरे पीछे।

मैं – तो फिर क्या हाथ रहने दूं मैं मां?

मां – नहीं नहीं, मेरा मतलब वो नहीं, मैं तो ये कह रही थी के तु अपना ये अंडरवेयर उतार क्यूं नहीं लेता।

मैं – पर मां…. बिल्कुल नंगा होकर फिर मैं……..

मां – क्या ….मैं भी तो देख बिल्कुल नंगी हूं और तु तो ऐसे शर्मा रहा है जैसे मां नहीं कोई और अनजान औरत हो ।

मैं – हां ठीक है।

मैनें जैसे ही ये बोला के मां ने अपना एक हाथ पीछे कर मेरा अंडरवियर का इलास्टिक पकड़ लिया और बोली – चल हल्का सा ऊपर उठ।

मैंने हल्का सा टेढ़े लेटे ही खुदको जमीन से ऊपर की और उठाया के मां ने फट से मेरे घुटनों पर मेरा अंडरवियर सरका दिया। घुटनों तक सरका कर फिर बोली – चल उतार दे अब इसे।

मैनें जैसे ही हाथ टांगों तक ले जाने के किए हल्का सा नीचे की और झुका के मेरी चेस्ट मां की कमर पर पूरी टच सी हुई और उनकी गर्दन से एक महक सी मेरे रोम रोम में पड़ी।

वो बड़ी मादक महक थी मां की गर्दन से आ रही थी जो। मेरे हल्का सा झुकने से मेरे चूतड़ थोड़े पीछे को हो गए तो लोड़ा मां को लगा नहीं था अभी मेरा। पर जैसे ही अंडरवेयर उतार मैं आगे हो फिर से मां से गांड चिपकाने को हुआ के मेरा लोड़ा अब बिल्कुल सीधा था , उसपर कोई बंदिश नहीं थी किसी भी इलास्टिक की।

कोई भी बंदिश ना होने के कारण मेरे खड़े लंड का टोपा सीधा मां की गांड की दरार के उपर वाले हिस्से पर जा कर लगा। एकदम से ऐसा होने से मैं भी सिसक सा गया और उधर मां भी सिसक गई।

पर हम दोनों चुप रहे और मेरे हाथ फिर से मां की गांड को हल्के हल्के से मसलने लगे।

अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और मैं गांड पर हाथ रख सहलाता हुआ लण्ड के टोपे को उनकी गांड के उपर लगाए तेज सी सांसे ले रहा था के मां के कानों में मेरी उन सांसों की आवाज जैसे ही गई वो बोली – क्या हुआ चीकू बेटा, ठंडी ज्यादा लग रही है क्या, मेरे बच्चे को?

मैं – हां मां।

मां – मेरे बच्चे अच्छे से चिपक कर लेट ना, फिर नहीं लगेगी।

मां ने ऐसा बोलते ही खुदको थोड़ा पीछे की और किया और अपनी कमर और मेरी चेस्ट बिल्कुल चिपका ली और अपनी गांड को हल्का सा और पीछे की और सरका कर मेरे लंड को पूरी अपनी दरार से होता हुआ टांगों के बीच समा कर एक मादक आवाज में बोली – अब अब थोड़ी कम लग रही है ना मेरे बच्चे।

मैं भी मस्त सा होकर उनकी गर्दन को फिर से एक सांस सी भरकर आंखे बंद कर सिसकता हुआ बोला – हां मेरी प्यारी मां।

मां की गांड थी ही इतनी मोटी के उनके दोनों चूतड़ों की फांकों के बीच से होता हुआ मेरा सख्त लंड अपना टोपा नीचे को करके छुपकर जैसे बैठा था। अब टोपा जैसे ही गांड की दरार से होता हुआ गया के उसने अपना प्री कम छोड़ना शुरू कर दिया और मां की टांगों के बीच में कुछ बूंदे गिरा दी। इसपर मां ने मुझे कुछ नहीं कहा।

अब हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैनें अपने दोनों हाथ उनकी गांड से हटा कर ऊपर की और निकाल लिए और थोड़ा आगे को खिसक कर लोड़ा अच्छे से उनकी टांगों में फसा अपनी साइड की झांटों को उनकी गांड पर रगड़ा और पूरी तरह से चिपक गया। मेरे चिपकते ही मां ने अपना एक हाथ पीछे की और किया और मेरे चूतड़ पर रख मुझे खुदसे और चिपकाने लगी।

हमें ठंडी का तो अब जैसे कोई नामों निशान ही नहीं लग रहा था और दोनों जिस्म की आग में अब तप से रहे थे। ऐसे ही लेटे लेते मैनें हल्का सा खुदको घिसना शुरू कर दिया जिस से मेरा लंड भी मां की टांगों के बीच घिसना शुरू हो गया और मां की एकदम से आह निकल गई।

आह निकलते ही मैं थोड़ा सा रुका और अपने दोनों पैरों को उनके पैरों में फसा जैसे बड़े प्यार से हल्के हल्के झटके देने लगा और वो भी आगे को हल्का हल्का सा झटका ले हिलने लगी। घिसने के बहाने से अब मैं धीरे धीरे मां को झटके देता जा रहा था और मां चुपचाप बस हल्की सी आहें भरती हुई लेटी रही।

झटके देते देते लोड़ा मां की चूत के निचले वाले भाग पर जाकर लगने लगा और प्रीकम और शायद चूत के रस ने इन झटको से एक आवाज निकालनी शुरू कर दी। ठंडी रात में बाहर एक दम शांति थी और अंदर हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे तो गीले लण्ड के टोपे और भीगी चूत के भाग के मिलन से एक पच्च पच्च की आवाज सी हमारे कानों में पड़ रही थी।

चाहता तो मैं उसी वक्त मां की चूत में लंड सेट करके चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ कर देता पर जो मजा इस सब में आ रहा था वो अलग ही था और मैं इसी में खुश होकर धीरे धीरे मजे ले रहा था और मां को भी धीरे धीरे मजे लेने में शायद आनंद आ रहा था। ना वो एकदम से चुदाई चाह रही थी और ना ही मैं एकदम से बस चुदाई तक पहुंचना चाहता था।

हम चुप रहकर ही फोरप्ले कर मजे लूट रहे थे इस से बड़ी बात और क्या ही हो सकती है।

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