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मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात - Maa Ki Chudai Ki Kahani

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 7

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 7

🌺  Part – 7 🌺

हमारी इसी चुप रहने की कशमकश का मां ने आखिरकार अंत करना चाहा और बोली – चीकू बेटा?

मैं – जी मां?

मां – मुझे तो नींद आने लगी है बेटा, ऐसे बैठे बैठे तो थक गई मैं।

मैं – आप ऐसे ही मेरे ऊपर सो जाओ मां।

मां – नहीं नहीं, ऐसे तुझे और परेशानी होगी बेटा।

मैं – फिर नीचे जमीन पर कैसे सोओगी मां?

मां – अम्मम, कोशिश करते हैं बेटा, शायद सोया ही जाए।

मैं – ठीक है मां।

मैनें मां को ये बोलकर अपने दोनों हाथ उनके पजामे से बाहर निकाले और मां ने भी अपने हाथ मेरे पजामे से बाहर निकाले और दोनों टांगों को साइड में रख खड़ी हो गई और मेरे लोवर की और देखने लगीं। लोवर की और देखकर वो हल्का सा मुस्कुराई और इतने में मैं भी खड़ा हो गया।

फिर मां जैसे ही फर्श पर नीचे लेटी के एकदम से उठ खड़ी होई और बोली – ये तो ठंडा लग रहा है बहुत।

मैं – टाइल्स हैं मां, ठंडा तो लगेगा ही।

मां – अब कैसे सोएं फिर?

मैं – शायद टेबल पर बैठ कर ही सोना पड़ेगा हमे मां।

मां – वैसे तो नींद ही नहीं आएगी।

मैं – तो फिर आप ही बताओ क्या करे ।

मां – नीचे कोई कपड़ा बिछा कर सोएं तो शायद उतना ठंडा ना लगे फर्श।

मैं – हां , पर कपड़ा कहां है अब हमारे पास?

मां – है तो पर…..

मैं – पर क्या मां?

मां – देख चीकू बेटा, जब तु छोटा था ना तो अक्सर मैं तुझे अपने साथ ही बाथरूम में नहला लिया करती थी, और अभी भी तु मेरे लिए मेरा छोटा बच्चा ही है।

मैं – मतलब?

मां – मतलब ये के क्यूं ना हम दोनों अपने कपड़े उतार कर नीचे बिछा ले और फिर लेट जाएं उन पर।

मैं थोड़ा हैरान सा होकर – मतलब न न नंगे?

मां – हां , पर अब मजबूरी है तो, वैसे भी तु मेरा बच्चा ही है और मैनें तू तुझे बचपन से कितनी दफा नंगा ही देखा है।

मैं – पर मैनें तो आपको नहीं देखा ना?

मां – चल चुप कर बड़ा आया नहीं देखा ना का बच्चा, तुझे याद भी है कुछ बचपन का या सब भूल गया?

मैं – क्या मां?

मां – बचपन में तु मेरे साथ अक्सर नंगा होकर ही नहाया करता था और जब कोई इंसान नहाता है तो कपड़े थोड़ी ना डालता है तो मैं भी तो नंगी होकर ही नहाती थी, और तूने मुझे हर दफा ऐसे ही देखा है तब से और अब तु बोल रहा है के मैनें तो नहीं देखा ना।

मैंने भी फिर मन में सोचा के क्यूं अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहा हूं मैं, जब मां सामने से नंगे होना का न्योता दे रही है तो चुप चाप हो जा ना, क्यूं ये शानदार मौका खोना चाहता है इतनी बातें करके । फिर मैनें फट से मां के बिना कुछ कहे पहले टॉवल उतारा फिर लोवर उतार सिर्फ कच्छे में खड़ा हो गया और मां के हाथ में लोवर थमा कर बोला – लो मेरी प्यारी मां, बिछाओ इसे और बताओ कैसे सोना है।

मां भी खुश सी होकर बोली – अब एकदम से राजी हो गया, कितना परेशान करता है तु मुझे। पागल कहीं का।

मां ने फिर नीचे बैठ कर मेरा लोवर नीचे बिछा दिया और खुद खड़ी होकर मेरे सामने ही अपना लोवर उतारने लगी बिना किसी झिझक के, पहले तो पेशाब करते वक्त भी मुझे दीवार की तरफ देखने को बोली थी पर अब खुद ही।

शायद ये सब मां नहीं मां की चूत की गर्मी उस से ये सब करवा रही थी । फिर जैसे ही मां का लोवर नीचे सरका मैं हैरान सा आंखे फाड़ कर मां की चूत देखने लगा। वो चूत दरअसल थी ही इतनी प्यारी, जैसे कोई पोर्नस्टार की हो।

हल्की हल्की ब्राउन कलर की थोड़ी सी बर्गर बन की तरह फूली हुई , जिसपर एक भी बाल नहीं था। उफ्फ क्या चूत थी मां की, कमाल की एकदम। इस उम्र में भी मां चूत के बाल पूरे साफ रखती थी ये मुझे उसी रात पता चला।

अब ये चूत पर एक भी बाल न होने की वजह को जानने की इच्छा को साइड में रख अभी मैं बस उस चूत की खुशबू कैसी होगी ये सोच पर फोकस कर रहा था के मां एकदम से घूम गई और मेरी तरफ अपनी को मस्त सी गांड कर झुक गई और लोअर को नीचे बिछाने लगी। उफ्फ क्या नजारा था , मां के झुकते ही उनकी गांड के नीचे से चूत की उन फांकों का थोड़ा सा ही सही पर जो व्यू था लाजवाब था।

फिर लोवर के नीचे बिछते ही मां नीचे लेट गई और मुझे बोली – आजा चीकू बेटा, अब थोड़ा ठीक लग रहा है।

मैं जैसे ही नीचे लेटने लगा के मां ने मेरी ओर अपनी गांड कर ली और बोली – मेरे बच्चे तुझे ठंड ज्यादा ना लगे इसलिए तु जैसे पहले हाथ रख कर बैठा था न वैसे ही अब लेट कर हाथ रख लेना।

मैं खुशी से पागल होकर – ठीक है मां।

मैं भी मां की गांड के पीछे वैसे ही पोजिशन में लेट गया और अपने दोनों हाथों को उनकी गांड पर टेक दिया। अब बस मेरा अंडरवियर ही था जो गांड और लंड के मिलन के बीच आ रहा था ।

मां बड़ी ही चालाकी से बातों का बहाना बना नंगी मेरे साथ लेट गई थी वो भी अपनी गांड को मेरे से चिपका कर। उफ्फ क्या सीन था ये तो……बस

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