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मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात - Maa Ki Chudai Ki Kahani

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 6

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 6

थोड़ी देर ऐसे ही घिसने के बाद हम दोनों को गर्मी सी मिलने लगी और अब हम शांति से एक दूसरे के शरीर को घिस घिस कर गर्मी ले रहे थे और ठंड से बच रहे थे।

अब हम दोनों ही शायद गर्म हो रहे थे के इतने में मां बोल पड़ी – चिक्कू बेटा ये तेरे लोवर के ऊपर से ना अच्छे से घिसा नहीं जा रहा।

मैं – हां मां, मैं भी ये बात आपको बोलने ही वाला था, आपने तो मेरे दिल की बात पढ़ ली।

मां – अब मां हूं अपने बेटे की तो दिल की बात तो पढ़ ही लूंगी ना।

मैं – सही कहा मां।

फिर मैं ये सोचने लगा के शायद मां अब लोवर को नीचे सरकाने के लिए कहेगी पर मां ने वो नहीं किया बल्कि उन्होंने मेरे लोवर के दोनों साइड में से अंदर की ओर अपने हाथ सरकाए और मेरे पट्टों तक हाथ पहुंचा कर घिसते घिसते बोली – अब सही है।

मैं चुप चाप मां के गर्म हाथों को अपने पट्टों पर महसूस कर ही था था के मां ने दोनों हाथ बाहर निकाल लिए, इस से पहले के मैं मां से कुछ पूछता के क्या हुआ, उन्होंने अपने दोनों हाथों से बिना कुछ कहे मेरे दोनों हाथों को पकड़ा और अपने लोवर के दोनों। साइड से अंदर सरकाकर पट्टों तक पहुंचकर हल्का सा 2- 3 बार घिसा और फिर अपने हाथ बाहर निकाल मेरे लोवर में डाल सेम चीज को दोहराने लगी।

अब मां मेरी टांगों पर लोअर के अंदर से हाथ रगड़ रही थी और इधर मैं उनकी टांगों पर अपने हाथ रगड़ रहा था और चुपचाप बस हम इस ठंडी रात को दिमाग पर हिट करवाकर बिना कुछ कहे एक दूसरे से संतुष्ट हो रहे थे।

थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद मैं मन में सोचना लगा के मां ने एक कदम खुद से उठाया और हम दोनों आनंद लेने लगे, क्यों ना अब थोड़ा और आगे बढ़ा जाए और कुछ और मजे लिए जाए। 2 मिनट तक मैं यूंही सोचता रहा और मां की टांगों को रगड़ता रहा और एक दम दिमाग के एक आइडिया हिट किया तो मैं मां से बोला – मां?

मां – हां मेरे बच्चे?

मैं – मां मेरे हाथों में अभी भी ठंडी लग रही है बहुत।

मां – ओह अच्छा, तो थोड़ा और अंदर डाल कर रगड़ बेटा, फिर नहीं लगेगी।

मैं – मां अगर और आगे डालूंगा हाथ तो हाथ आपके घुटनों पर लगेंगे पर वहां तो इतना मास है ही नहीं के मुझे गर्माहट मिले।

मां – तो फिर अब?

मैं – मां, एक जगह है उस से शायद मेरे हाथों को थोड़ी और गर्माहट मिले।

मां – वो कौनसी बेटा?

मैनें अपने दोनों हाथ उनके दोनों पट्टों से हल्का ऊपर की और और उनकी गांड के साइड में होल्ड कर बोला – यहां पर मां, यहां आपके शरीर का सबसे ज्यादा मास है।

मां भी मूड में आकर एकदम ही बोली – तो रख ले हाथ यहां, बस तु खुदको गर्म रख मेरे बच्चे, हमे बस जिंदा रहकर किसी न किसी तरह ये रात गुजारनी है।

मैंने भी ये सुनते ही हाथ साइड से नीचे सरका लिए और उनकी गांड के नीचे अपनी उंगलियां फेरने लगा। अब मां और मेरी गोद के बीच मेरे हाथ घूम रहे थे, या ये कहो को एक तरह से मां मेरे हाथों पर बैठी थी और अपनी मोटी मस्त उस गांड से मेरे हाथों को सेक रही थी।

मैं धीरे धीरे हाथ आगे पीछे कर उनके दोनों चूतड़ों पर रगड़ रहा था और साथ में अपने होंठ चबा रहा था मस्ती में आकर। कुछ मिनटों तक तो ये चलता रहा फिर मेरे मां के मन में क्या ही आया के वो एकदम पीछे को सरकी जिस से मेरा खड़ा लोड़ा जो अब तक मेरे लोवर की इलास्टिक में कैद था वो सीधा मां की कमर पर लग झटके से खाने लगा।

मैं भी इस से और जोश में आकर एक हाथ की उंगली को उनकी गांड की दरार में ले गया और आगे पीछे जैसे ही किया के मां के मुंह से एक सी की लंबी सी आवाज निकली और हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोले बस अब बारी शुरू हुई थी उंगली के खेल दिखाने की।

मैनें उंगली को गांड की दरार में कई बार आगे पीछे किया तो वो जैसे गीली ठंड में ही गीली सी हो गई हो ऐसा मुझे एहसास हुआ तो मैनें एक हाथ सरकाते हुए बाहर निकाला और उस मां से नजर बचा कर उस ऊंगली को अपने मुंह में डाल चाटने सा लगा के जैसे ही मैनें उंगली अपने मुंह से बाहर निकाली एक पुच्च की आवाज सी आई जिसपर मां पीछे हल्का सा मुड़ी तो मेरा होंठो पर जैसे पाउट बना होता है उस पोजिशन को देख आगे को चेहरा कर हल्का सा हसी।

शायद वो भी समझ गई थी के मैनें अपनी उंगली को उनकी गांड से निकाल कर अपने मुंह में डाला है जिसकी वजह से मेरे होंठ इस पोजीशन में उन्होंने देखे। उनको मुस्कुराता देख मैं भी मन ही मन मुस्कुराया पर हमने एक दूजे से एक लफ्ज़ तक नहीं कहा।

मैनें  उंगली फिर से मुंह में डाली और निकाल कर सीधा नीचे घुसाते हुए मां की गांड की दरार में ले गया और आगे करते करते शायद उनके छेद के द्वार पर जाके मेरी उंगली रुकी।

आंखे बंद करकर मैनें उंगली को पीछे की और किया और सीधा फिर उस गद्देदार छेद में घुसाया ही था के मां के मुंह आह की आवाज आई और मैं उंगली को छेद में ही रोक आंखे खोल बैठा तो मां ने मेरे पट्टों को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया था। शायद वो इशारा कर रही थी के इस उंगली को बाहर निकाल ले।

मैनें जैसे ही उंगली छेद से बाहर निकाली के मां की रगड़ की स्पीड कम हो गई और वो जैसे शांत सी होकर बड़े प्यार से मेरी टांगों को सहलाए जा रही थी और अपनी कमर पर मेरे लंड को रगड़ रही थी।

कुछ देर तक हमारा ये सिलिसला यूंही चलता रहा बस फर्क इतना था के अब मैं उनकी गांड के छेद में उंगली नहीं दे रहा था पर दरार में जरूर फेर रहा था।

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