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मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात - Maa Ki Chudai Ki Kahani

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 5

मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 5

हम दोनों एक दूसरे के हाथों और पैरों को गर्म करने के बहाने ही सही बस सहलाते जा रहे थे और थोड़ी देर बाद मां ने मेरे कान में कहा – अब ठंडी कम लग रही है मुझे!

मैं – हां मां, मुझे भी।

मां – बस ऐसे ही करते करते रात निकल जाए तो जिंदगी बच जाएगी हम दोनों की ।

मैं – हां मां सही कहा।

मां – अरे इसको भी अभी आना था क्या?

मैं – किसको मां?

मां – पेशाब को।

मैं – अच्छा।

मां – ये ठंडी के मौसम का बस एक यही नुकसान है एकदम से प्रेशर बन जाता है टॉयलेट का।

मैं – हां मां ये तो है, पर हम बाथरूम में ही तो है तो करलो आराम से , परेशानी क्या है इसमें।

मां ये सुनते ही धीरे से मेरे ऊपर से उठने लगी । उन्होंने अपने हाथ मेरी हथेलियों से निकाल कर दोनों साइड ऐसे टिकाए जैसे कोई लण्ड पर राइड करने की पोजिशन में आ रही हो। हाथों को नीचे टिकाते ही एकदम से बोली – उह इतना ठंडा फर्श, तेरे हाथों ने ही बचा रखा था मुझे तो ।

मैं – हां।

मां फिर साइड में खड़ी होकर मुझसे बोली – तेरे सामने पेशाब कैसे करूं मैं चीकू बेटा?

मैं – मैं बाहर तो जा नहीं सकता मां, अब चलो मै दीवार की तरफ देख लेता हूं , आप कर लो।

मां – हां घूम जा बेटा तु।

मैं दीवार की साइड मुड़ा और दीवार पर शीशा देख कर मन ही मन मुस्कुराया। मैं शीशे में टेढ़ी आंखे कर देखने लगा। मां ने सबसे पहले अपने दोनों हाथों को लोवर के दोनों साइड रखा फिर पीछे मूढ कर चेक किया के कहीं मैं देख तो नहीं ना रहा , फिर धीरे से मुस्कुरा कर दूसरी तरफ मुंह कर लोवर को नीचे की और सरकाने लगी।

उफ्फ क्या नजारा था । इतने मस्त एकदम गोरे गोरे मां के चूतड़ वो भी पूरे नंगे आज पहली बार मैं देख रहा था। भले ही शीशे में पर लाजवाब लग रहे थे वो। मां ने नहाने की तयारी की वजह से लोवर के नीचे कोई पैंटी तक नहीं पहनी थी।

मेरी तो रूह जैसे कांप सी गई वो मस्त गांड देखकर। मन तो किया के अभी घूम जाऊं और अपना मुंह उस प्यारी गांड में देकर पागलों की तरह सूंघने लग जाऊं। पर खुद की ठरक पर काबू पाकर मैं मुस्कुराता हुआ शीशे में वो नजारा देख रहा था और नीचे लोवर में अपने लंड को हल्का सा रगड़ सा रहा था।

मेरा लोड़ा तो यूं पूरा खड़ा था पर मैनें उसे इसे लोवर की इलास्टिक के नीचे फसा रखा था के सामने से तंबू ना बने। मां लोवर नीचे सरकते ही बैठ गई और एक सिटी के साथ उन्होंने अपना मूतने का कार्यक्रम शुरू कर दिया। उफ्फ वो सिटी ही ऐसी जान लेवा थी के सोए होए सभी लोडे जगा दे।

करीब 30 सेकंड्स तक ये आवाज सी चली और फिर मां किसी मुर्गी की तरह हल्का सा ऊपर उठी और लोवर के अंदर के हिस्से को अपनी चूत और गांड के निचले हिस्से पर रगड़ने लगी।

शायद वो मूत की लगी छींटो को कोई और कपड़ा ना होने की वजह से अपनी लोवर से ही साफ कर रही थी। साफ कर वो पूरी खड़ी हुई और लोवर ऊपर चढ़ा कर मेरी तरफ घूम कर बोली – हो गया मेरा चिक्कू बेटा, करले इधर अपना चेहरा।

मैं जैसे ही घुमा के मां को फ्रंट से खड़ा देखा वो भी बिना टॉवल के, मतलब मेरी उस सफेद टी शर्ट में जिसमें उनके वो चुचे पूरी तरह से कसे पड़े थे। टी शर्ट के ऊपर से साफ साफ उनके ब्राउन निपल्स चमक से रहे थे।

मां तो ऐसे लग रही थी जैसे काम वासना की कोई मूर्ति हो जो हर मर्द का माल निकलवाने में पूरी तरह से सक्षम है। मस्त चूचों और मोटी गांड , उफ्फ क्या ही तारीफ के पुल बांधू अब उनके।

ये सब के बाद मां बोली – ले हाथ तो धुलवा जरा मेरे चीकू बेटा।

मैनें वो गर्म पानी की बाल्टी जो की अब ठंडी हो गई थी उसमें से एक मग पानी भर मां के हाथ धुलवाए। हाथ धोते ही मां बोली – उह , ये तो ठंडा हुआ पड़ा है इतना।

मैं – कितनी देर तो हो गई मां, ठंडा तो हो गा ही अब तक।

मां – हां, वो भी है, अच्छा तुझे भी पेशाब लगी है क्या?

मैं – नहीं मां

मां – ठीक है फिर अब बैठे?

मैं – हां बैठते है।

मां – चल बैठ जैसे पहले बैठा था, वैसे ही सही लग रहा था ज्यादा ठंडी भी नहीं लग रही थी।

मैं मां के ये कहने पर पहले की तरह उस स्टूल पर बैठ गया और टांगें सीधी कर ली। मां भी धीरे से अपनी एक टांग मेरे ऊपर से उठाकर नीचे रख कर बिल्कुल मेरी गोद में आकर बैठ गई और पैरों में पैर फसाकर बोली – ले अपने हाथ रख मेरे हाथों में थोड़ी गर्माहट मिलेगी।

मैं जैसे ही हाथ ऊपर करके उनके हाथों में देने लगा के हाथ मां के गोडों के ऊपर वाले पट्टों के हिस्से से टकराया तो मैं बोला – मां आपकी टांगें कितनी गर्म है।

मां – हां।

मैं – ऐसा क्यूं?

मां – पता नहीं, शायद यहां मास ज्यादा होता है, इसलिए गर्म लगा होगा।

मैं – हां मां ऐसा ही होगा।

मां – रुक मैं तेरे पट्टों पर हाथ रख कर देखती हु।

मैं – हां देखो।

मां ने अपने हाथ नीचे सरकाए और मेरे पट्टों के साइड वाले हिस्से पर हाथ लगाकर बोली – हां तेरा भी ये ज्यादा मास वाला हिस्सा गर्म है।

मैं – मां मै यहीं हाथ रख लूं क्या थोड़ी देर?

मां – अरे हां, ये भी कोई पूछने की बात है, गर्माहट मिल रही है तो रख ले थोड़ी देर।

फिर मैनें अपने दोनों हाथ मां के दोनों साइड से उनके सॉफ्ट से पट्टों पर रखे और हल्का हल्का घिसने सा लगा गर्मी लेने के लिए। इधर मां भी अपने हाथ मेरे दोनों पट्टों पर रख हल्के हल्के से घिसने लगी और गर्माहट लेनें लगी।

🤞कैसा लगा अपडेट?  😉

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