अध्याय ६०: दिंची क्लब के नए पंछी – १
सबीना:
अगले दिन सुबह जब सचिन की आँख खुली तो वो बिस्तर पर अकेला ही था. वो उठा और बाथरूम गया और नित्य कर्म निपटा कर बाहर निकला तो देखा कि सबीना रसोई में थी. उसके पीछे जाकर उसकी गर्दन चूमकर उसे को बाँहों में भर लिया।
“रुक जाओ, नहीं तो चाय मेरे ऊपर गिर जाएगी.”
सचिन ने उसे छोड़ा और सोफे पर बैठ गया. ये सम्भवतः उसका इस घर में अंतिम दिन था. हालाँकि सना को चोदने के लिए उसे आना होगा. पर सबीना के साथ ये अंतिम दिन था. सबीना को ये पता था और वो रसोई में अपने आँसू छुपाने का प्रयास कर रही थी. सचिन की बात सही थी और क्लब के नियम भी. इस प्रकार प्रेम में पड़ कर वो अपना जीवन नष्ट कर सकती थी. उसके पति और अब्बू ने उसे क्लब जाने की अनुमति इसीलिए दी थी. पर अगर वो किसी एक व्यक्ति का नाम लेती तो बहुत समस्या हो जाती.
मन पर संयम रखकर वो चाय और अल्पाहार लेकर सचिन के पास बैठ गई. दोनों बिना कुछ कहे चाय नाश्ता करते रहे.
“अब आगे क्या है?” सबीना ने काँपते स्वर में पूछा.
“कल मैं आपको क्लब ले चलूँगा और आपको तीन दिन वहीं रहना होगा. पहले आपको राशि मैडम से मिलना होगा जो आपको नियम इत्यादि से परिचित करवाएंगी. उसके बाद मेरे बॉस आपका इंटरव्यू लेंगे. ये आपकी चुदाई की क्षमता और सीमाओं की परीक्षा होगी. जैसा मैंने कहा है, आपके इच्छाओं की पूर्ति ही हमारा ध्येय है. पर एक बात मैं अभी बता देता हूँ. इन तीन दिनों में अधिकतर आपको हमारी आज्ञा के अनुसार ही चलना होगा. अगर कोई कर्म आपको उचित न लगे तो बताइयेगा. कोई भी कृत्य आपकी इच्छा के विरुद्ध नहीं होगा.”
“मुझे कुछ होगा तो नहीं” सबीना ने डरते हुए पूछा.
“बिलकुल भी नहीं! ये उस प्रकार का क्लब नहीं है. ये विशुद्ध चुदाई क्लब है. किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं होती.”
“तुम रहोगे न?”
“मैं पहले दिन रुकूँगा। पर अगले दो दिन आप रहेंगी. चिंता न करो राशि मैडम आपका पूरा ध्यान रखेंगी.”
“तुम रहोगे तो मुझे कोई डर नहीं है.”
“अब मुझे चलना होगा. कल नौ बजे आऊंगा आपको लेने. अपना ध्यान रखना. वैसे आपकी अम्मी और भाभी कब आ रहे हैं?”
“पाँच दिन बाद. नूर भी आ रहा है. मैंने तो निगार से कहा है कि वो भी मेरे साथ रुके. या मैं अम्मी और उसके घर चली जाऊँगी।”
“मेरी मानें तो उनके घर जाइये. मन भी लगा रहेगा साथ रहने से.”
“फिर सना की चुदाई कैसे करोगे?”
“उसका प्रबंध यहाँ कर लेंगे. अब चलता हूँ.” सचिन भरे मन से उठा.
सबीना उठी और उसके सीने से चिपक गई. दोनों यूँ ही खड़े रहे फिर सचिन ने उसके होंठों को चूमा और उसे हटाते हुए उसे देखकर बोला, “ऐसा किया तो जा सकूँगा और सब सत्यानाश हो जायेगा.”
फिर वो पलटा और तीव्र गति से घर से निकल गया. दोनों की आँखों में आँसू थे. अब उन्हें कल ही मिलना था.
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दिंची क्लब:
सचिन वहाँ से निकल कर सीधा क्लब पहुँचा। वहाँ राशि थी और कुछ देर में पार्थ, शोनाली और रूचि भी आ गए. इस माह की पार्टी के विषय में गहन चर्चा हुई. पार्थ और शोनाली ने बताया कि अस्थाई रोमियो के लिए उनके पास कुछ नाम आ चुके थे. सचिन ने नूर का नाम सुझाया और बताया कि वो अभी दुबई में हैं पर पांच दिन बाद लौट रहा है. उसके नाम पर निर्णय बाद में ही करना होगा, सबीना की सदस्यता की पुष्टि होने पर. राशि ने अस्थाई रोमियो की परीक्षा करने के लिए एक सूची बनाई. इस में एक ही त्रुटि थी, उनका सामूहिक चुदाई का परीक्षण नहीं किया जा सकता था. इस पर बाद में विचार करने का निर्णय लिया गया.
इसके बाद चारों नई सदस्याओं के विषय में बात हुई. राशि का तीन दिनों का परिचय का सूत्र अधिक अनुभवी महिलाओं के लिए उचित था, परन्तु सबके लिए सार्थक नहीं हो सकता था.
सबीना कल आने वाली थी. अमीना बी और निगार अगले सप्ताह से पहले आने की संभावना नहीं थी. श्रीमती राखी गुप्ता अवश्य इस बीच में आ सकती थीं और इसके लिए शोनाली ने उनसे बात भी कर ली थी. तो सबीना के जाने के पश्चात राखी को निमंत्रण दिया जा सकता था. शोनाली ने उसी समय राखी को फोन लगाया और राखी ने उसे सहमति दे दी. शोनाली ने उन्हें कुछ बातें बताईं फिर पार्थ की देखकर मुस्कुरा दी.
“क्या हुआ, बुआ?”
“कुछ नहीं. राखी बोल रही थी कि जो सुना है वो सच होना चाहिए नहीं तो काट के साथ ले जाएगी!”
“ओह! तब तो सचिन को ही अवसर देते हैं.” पार्थ ने कहा तो सब ठहाका मार के हंस पड़े.
“वैसे जिनसे वो अभी चुदवाती हैं, मुझे उनके लंड कटने का डर है. हमारे क्लब के जैसे लौड़े उन्हें इस नगर में तो मिलने से रहे.”
“ऐसा नहीं है बुआ. अब देखो न, अस्थाई के लिए ही इतने नाम आये हैं. आपको क्या लगता है कि और ऐसे लड़के नहीं होंगे?”
“हाँ, ये भी सच है.”
फिर सचिन ने सबीना की कुंठाओं और रुचियों के विषय में बताया। सचिन ने सबीना की विभिन्न क्रीड़ाओं के प्रति क्या प्रतिक्रिया रही थी. शोनाली ने फिर एक सुझाव दिया जिसे मान लिया गया. राशि ने इसमें कुछ और जोड़ा जिसे सुनकर सब भौंचक्के रह गए. शोनाली और पार्थ ने सभी रोमियो और सदस्याओं को राशि के विषय में बता दिया था तो राशि ने उचित प्रबंध करने का विश्वास दिलाया. इसके बाद राशि को छोड़कर सब अपने अपने अन्य कार्यों पर चले गए. शोनाली और पार्थ ने उनके पास भेजे हुए अस्थाई रोमियो को दिन और समय बताया.
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सबीना:
सचिन के जाने के बाद सबीना सो गई. रात भर की चुदाई ने उसे संतुष्टि तो दी थी, पर सोने का अवसर नहीं मिला था. चूत और गाँड को विश्राम चाहिए था. और सचिन के अनुसार अगले तीन दिन उसकी इतनी चुदाई होनी थी कि जीवन पर्यन्त नहीं भूली जानी थी. जब वो उठी तो लगभग एक बज गया था. उसने थोड़ा बहुत कुछ खाया फिर अपनी अम्मी को फोन लगाया.
अमीना ने फोन उठाया और माँ बेटी की सामान्य बातें होती रहीं. सबीना ने अमीना को दुबई से कुछ वस्तुएँ लाने के लिए कहा. अमीना ने बताया कि उसके अब्बू सलीम भी आने की योजना बना रहे हैं. इस पर सबीना ने उन्हें बोला कि वो उन्हें क्लब की पार्टी होने के बाद ही आने को बोलें अन्यथा उनके रहते अमीना तो क्लब नहीं जा पाएंगी. अमीना ने कुछ देर सोचा और फिर ऐसा ही करने का आश्वासन दिया. सबीना ने बताया कि अगले तीन दिन वो क्लब में ही रहेगी तो सम्भव है बात न हो पाए.
पर अमीना ने कहा कि ये ठीक नहीं है. तो सबीना ने सुबह और शाम फेसटाइम पर वीडियो कॉल करने का आश्वासन दिया. बात समाप्त करने के बाद उसने सचिन को फोन किया और अमीना की माँग बताई. सचिन ने कहा कि चूँकि फोन साथ रखने की सदस्याओं को अनुमति नहीं है, इसके बारे में वो राशि से बात करे. राशि अवश्य उसकी सहायता करेंगी. इसके बाद सबीना ब्यूटी पार्लर गई और शरीर के हर अंग से अनचाहे बाल निकलवा दिए. हर प्रकार के फेशियल इत्यादि करवाए और जब वो समाप्त हुए तो उसका पूरा शरीर चमक दमक रहा था. संतुष्ट होकर वो घर आ गई और फिर सना से कुछ देर बातें कीं और उसे नूर के लौटने के बारे में बताया तो वो उनके आने वाले दिन लौटने के लिए सहमत हो गई.
रात का भोजन करने के बाद, अगले तीन दिन क्या होना था इसकी कल्पना करते हुए सबीना शीघ्र सो गई.
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दिंची क्लब:
अगले दिन सुबह सचिन आया और सबीना के साथ हल्का नाश्ता करने के बाद उसे क्लब ले गया. वहाँ मंजुल ने उससे आवेदन भरवाया और दस हजार का चेक लिया। फिर वो सबीना को राशि के कार्यालय में ले गई जहाँ राशि ने उसका भरपूर स्वागत किया. कॉफी पीते हुए दोनों बड़ी सामान्य बातें करती रहीं. कुछ एक दूसरे के विषय में भी बताया. सबीना का राशि की आयु का अनुमान अमीना के निकट ही था. उसे इससे संतुष्टि हुई कि उसकी माँ अकेली नहीं होगी.
इसके बाद क्लब के नियम इत्यादि बताये. सबीना को ये समझाया गया कि क्लब की हर चुदाई का वीडियो बनता है जो एक गुप्त स्थान पर रखा जाता है. इसका तात्पर्य क्लब के कार्य कलापों की गोपनीयता बनाये रखना है. रोमियो की चुप्पी का अन्य कारण भी हैं जिसे सबीना को जानने की आवश्यकता नहीं है.
इसके बाद सबीना के आज के पूरे कार्यक्रम के बारे में बताया गया. पहले दो घण्टे पार्थ के साथ उसका साक्षात्कार था. इसमें उत्तीर्ण होने पर उसकी सदस्यता की पुष्टि होगी और शुल्क की भरपाई करनी होगी. एक घंटे के विश्राम के बाद, जिसमे कुछ जलपान भी होगा, उसका अगला चरण लगभग तीन घंटे का होगा. इसके लिए उन्होंने किसी विशेष अथिति को आमंत्रित किया है, इसी कारण यही समय उपलब्ध है. भोजन इसी कारण देर से होगा. इसके बाद उसे क्लब का टूर कराया जायेगा, फिर सात बजे से अन्य कार्यक्रम होंगे. रात्रि के भोजन का समय वो स्वयं तय कर सकती है.
इसके बाद उसे फिर बताया कि उसे हर आज्ञा का पालन करना होगा पर वो कोई भी क्रीड़ा अपनी इच्छा के विरुद्ध न करे, परन्तु जितना सम्भव हो अपनी सीमाएं जानने का प्रयास करे. इन तीन दिन वो किसी को कोई आज्ञा देने की स्थिति में नहीं होगी. पर उसके बाद हर रोमियो उसकी आज्ञा का पालन करेगा.
“तीन दिन हमारे, शेष सब तुम्हारे!” राशि ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा. फिर अपने सामने के टीवी को ऑन किया और बताया कि वो दोपहर के सत्र से हर क्रीड़ा पर ध्यान देगी. अगर कहीं भी उसे लगेगा कि सबीना असुविधा में है, वो हस्तक्षेप करेगी.
“अब चलो, पार्थ तुम्हारी प्रतीक्षा में होगा.” राशि ने समय देखा और सबीना को लेकर पार्थ के कमरे में चल दी.
राशि सबीना के साथ कमरे में गई और फिर उसका चेहरा अपने हाथों में लिया.
“सबीना, तुम जाकर स्नान करो और वहाँ जो गाउन है उसे पहन लेना. पार्थ कुछ ही समय में आएगा. मैं तुम्हें विश्वास दिलाती हूँ कि तुम्हारा निर्णय तुम्हारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और उचित निर्णय है. तुम अब से हमारे इस परिवार का हिस्सा हो, जिसका उद्देश्य केवल तुम्हें सुख देना है. जो भी तुम्हें रुचिकर लगेगा तुम यहाँ उसको पा सकती हो. अब जाओ और आनंद लो.”
राशि के इन शब्दों ने सबीना के मन की शंका को दूर कर दिया.
“थैंक यू, मैडम.”
“सचिन के साथ तुम्हें जो आनंद मिला है, उससे तुम अनुमान लगा सकती हो कि जीवन में अब कितना सुख रहेगा. पार्थ इतना पारखी है कि तुम्हें ऐसा सुख देगा जो तुम्हें आज तक नहीं मिला होगा. तुम्हारे अतीत के बाद भी ये तीन दिन तुम्हें सदा स्मरण रहने वाले हैं. अब जाओ.”
राशि उसे बाथरूम तक छोड़कर चली गई. सबीना ने सुगंधित तेल मिलाकर स्नान किया और गाउन पहन लिया. सुगंधित तेल से अधिक उसकी चूत की सुगंध कमरे में फैली हुई थी. वो कुछ देर खड़ी रही फिर सोफे पर बैठ गई. सामने एक अल्बम रखी थी जो उसने उठाई और देखने लगी. ये राशि का सुझाव था. उसमें क्लब के सभी रोमियो अपने खड़े लौंड़ों के साथ चित्रित थे. उन्हें देखकर सबीना की गीली चूत और पानी छोड़ने लगी. जैसे ही उसने अंतिम पृष्ठ देखा कमरे का द्वार खुला और एक लम्बा चौड़ा अति सुंदर व्यक्तित्व का लड़का अंदर आया. अगर ये पार्थ है तो इससे तो मैं हर दिन चुदवा सकती हूँ.
वो लड़का आगे आया और सबीना के सामने खड़ा हो गया.
“हैल्लो सबीना जी. मेरा नाम पार्थ है और मैं इस क्लब का स्वामी हूँ. आज मैं आपकी क्लब की सदस्य्ता के लिए आवेदन का सम्पादन करने आया हूँ.”
“हैलो। मैं सबीना हूँ.” सबीना ने लड़खड़ाते स्वर में पूछा.
“जी, आप कुछ पीना चाहेंगी? सचिन ने बताया है तो क्या आप एक ड्रिंक लेना चाहेंगी?”
“हाँ.”
पार्थ ने दो पेग बनाये, पर इनका उद्देश्य सबीना के मन को शांत करना था. दोनों शांति से चुस्कियां लेते रहे और एक दूसरे के विषय में बताते रहे. पार्थ पूर्ण स्वामी नहीं था, इसमें दो और भागीदार थे. पर अधिकतर प्रबंधन पार्थ के ही हाथ में था. राशि अभी नई थीं, परन्तु अत्यंत कुशल थीं और क्लब में उन्नति करने के लिए संकल्पबद्ध थीं. पार्थ ने बताया कि उसे शाम को क्लब में घुमाया जायेगा जिससे कि वो क्लब की सुख-सुविधाओं का आकलन कर सके.
“वैसे सचिन के कहने मात्र से आपको मैं सदस्यता दे सकता हूँ. मुझे उसपर पूरा विश्वास है.” पार्थ ने सबीना की आँखों में झाकते हुए कहा, “पर उन आपकी इतनी प्रशंसा की है कि चखे बिना भी नहीं रह सकता. और इसका अधिकार तो मुझे है ही कि आपको क्लब में प्रवेश करने में सबसे पहले मैं ही वो व्यक्ति रहूं जिसके साथ आप सम्भोग करें.”
पार्थ की बातों ने वातावरण को सामान्य से गर्म कर दिया.
“हाँ, बनता तो है.” सबीना ने भी अब अपना आवरण हटाने का निर्णय लिया.
“गुड, क्योंकि चुदाई में कोई बंधन नहीं होना चाहिए.” ये कहकर पार्थ बाथरूम में गया और कुछ ही पलों में गाउन पहने हुए लौट आया. उसके बालों को देखकर पता लग रहा था कि उसने भी स्नान किया है.
पार्थ उसके सामने खड़ा हुआ और अपना हाथ बढ़ाया. सबीना उसके साथ खड़ी हुई तो पार्थ ने उसका गाउन उतार दिया. सचिन का वर्णन सही था. सबीना अत्यंत रूपवती और सुडौल थी. और चुदक्क्ड़ भी.
“सचिन ने जो आपके बारे में बताया था आप उससे भी अधिक सुंदर हो. आप मेरे क्लब में चार चाँद लगा देंगी.”
सबीना ने कुछ कहा नहीं पर उसका कल का ब्यूटी पार्लर जाना सफल हुआ था.
“आइये अब हमें समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। आपका दूसरा सत्र लम्बा है.” सबीना के कंधे पर हाथ रखकर उसे घुटनों पर बैठा दिया. सबीना के सामने पार्थ का लंड झूल रहा था जो सचिन के लौड़े के लगभग ही था. और अगर क्लब के सभी लौंडों के लौड़े ऐसे थे तो उसकी तो चाँदी होने वाली थी. सबीना मुस्कुराई और पार्थ के लंड को निगल गई.
सबीना के लंड चूसने की कला अद्भुत थी. इतने वर्षों से जो वो अपने अब्बू के लंड को चूस कर सीखी थी. और फिर उसके पति और भाई ने उसे अभ्यास करने का असीम अवसर दिया. उसकी अम्मी और निगार ने भी उसे लंड चूसने के कई ढंग सिखाई थी. इसका लाभ सचिन उठा चुका था और आज पार्थ उसका लाभार्थी था. पार्थ उसकी इस कला का लोहा मान गया. कई भिन्न भिन्न ढंग से वहीँ बैठी हुई सबीना ने पार्थ के लंड को इस प्रकार चूसा कि उसे लगा कि उसकी बुआ और माँ को सबीना सीखना होगा. दस मिनट में ही पार्थ के लंड ने अपना पहला स्खलन सबीना के मुँह में छोड़ दिया जिसे सबीना ने निसंकोच पी लिया और एक बूँद भी बाहर न गिरने दी. पार्थ के साथ ये पहला अवसर था जब किसी स्त्री ने बिना एक बूँद गिराए हुए पूरा रस पी लिया था.
पार्थ का लंड अब भी तना हुआ था और सबीना उसे बहुत समय तक चाटती रही. उसे सच में वीर्य से प्रेम था. पार्थ ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटाया और उसके पैरों को फैलाकर उसकी चूत चाटना आरम्भ कर दिया. सबीना अभी लंड चूसने के आनंद के शिखर से लौटी भी नहीं थी कि पार्थ के इस आक्रमण ने उसे फिर से आनंद के शिखर की ओर धकेल दिया. उसकी चूत जो पहले ही बह रही थी अब और भी अधिक मात्रा में रस छोड़ने लगी. पार्थ पूरी तन्मयता से सबीना की चूत चाटता रहा और उस रस का सेवन करता रहा. और ये क्रम तब तक चला जब तक कि सबीना की चूत से रस बहना बंद न हुआ. तब जाकर पार्थ ने अपना चेहरा उसकी जाँघों के बीच में से हटाया. सबीना इतनी ही देर में संतुष्टि की पराकाष्ठा पार कर चुकी थी. और अभी उसकी चुदाई होना शेष थी और वो जान गई कि क्लब से जुड़कर उसने जीवन का सबसे सार्थक निर्णय लिया था.
पार्थ उसके साथ लेट गया और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
“सचिन ने सच कहा था.” दोनों के मुँह से एक साथ निकला और फिर दोनों हंसने लगे.
कुछ देर यूँ ही लेटने के बाद पार्थ उठा और दो और पेग बनाये. दोनों सोफे पर बैठ गए और पार्थ ने सबीना से उसकी इच्छाओं के विषय में फिर से पूछा.
“सचिन ने आपके मूत्र प्रेम के विषय में भी हमें बताया है. और ये भी बताया है कि आप क्लब में भी इसमें भाग लेने की इच्छुक हैं. क्या ये सही है? मैं आपसे सुनना चाहता हूँ ताकि कोई शंका न रहे.”
सबीना ने अपना सिर हिलाया, “हाँ मुझे इसमें अब बहुत आनंद आता है. सचिन ने पता नहीं आपको बताया है या नहीं पर मैं अपने बेटे नूर के साथ अब इसका आनंद लेना चाहूँगी।”
“सचिन ने मुझे बताया है निगार और आमिर के विषय में भी बताया है, तो आप खुलकर बात कर सकती हैं.”
“धन्यवाद. निगार और अम्मी ने नूर को भी मूत्र पीना सीखा दिया है और अब वो घर लौटकर मेरा मूत्र चखने के लिए आतुर है. और मैं उसका.”
“फिर सचिन की बोतलों का क्या करेंगी?” पार्थ ने हंसकर पूछा.
“वो विशेष है. क्या आप भी मुझे उसी राह पर ले जाना चाहते हो, पार्थ?”
“अभी नहीं.” पार्थ ने उत्तर दिया और सबीना के चेहरे पर छाए निराशा को पढ़ लिया.
अब तक उनका पेग समाप्त हो चुका था और सबीना की चूत अब लौड़े के लिए तड़प रही थी. वो पार्थ के सामने बैठी और उसके लंड को चूसने लगी. उसका संकेत था कि अब उसकी चूत की आग को बुझाने का समय आ चुका था. पार्थ ने उसे कुछ देर लंड चूसने दिया और फिर उसे खड़ा किया.
“आप जानती हो न कि आपकी चुदाई किसी दया भावना से नहीं की जाएगी. हमारे क्लब में महिलाएं चुदवाने के उद्देश्य से आती हैं और उन्हें वही प्राप्त होता है.”
“मैं भी निर्ममता से चुदने के लिए बैचेन हूँ. अब देर न करो और मेरी चूत की आग बुझा दो!” सबीना उसके लंड को छोड़कर खड़ी हुई और पलंग पर जाकर पसर गई.
“सुंदर, अति सुंदर!” पार्थ में धीरे से कहा और सबीना के चेहरे पर मुस्कुराहट फ़ैल गई. पार्थ ने अपने शक्तिशाली मोटे लंड को सबीना की गीली चूत पर रखा. वो जानता था कि सबीना मोटे लौड़े लेने की अभ्यस्त थी इसीलिए उसने अपने लंड को उसकी चूत पर दबाया और सुपाड़े के अंदर जाने के बाद लंड बाहर खींचा और एक लम्बे धक्के के साथ चूत में पूरा धकेल दिया.
“हाय अम्मी!” पूरी अपेक्षा होने के बाद भी पार्थ के लंड की शक्ति ने उसकी चीख निकाल दी.
“उन्हें भी चोदुँगा बस कुछ ही दिन रुकिए, पर आज तो आपकी बारी है.” पार्थ ने धीमी गति से धक्के लगते हुए कहा.
“ऊह ऊह!” सबीना के मुँह से बस इतना ही निकल पाया और पार्थ ने उसकी भीषण चुदाई आरम्भ कर दी. सबीना मिमियाती रह गई और पार्थ पूरी शक्ति के साथ उसकी चूत की माँ चोदता रहा. कई मिनट तक इस आसन में चोदने के बाद उसने सबीना को घोड़ी बनने की आज्ञा दी. सबीना हिलती कांपती हुई घोड़ी बन गई और पार्थ ने उसे फिर चोदना आरम्भ किया. इस आसन में वो अधिक गहराई तक चोद सकता था जिसका अनुभव सबीना को भी हो रहा था. उसकी चूत से पच्च पच्च की ध्वनि आ रही थी जो उसके अपने रस से बने झाग के रूप में बाहर बह रहा था.
पार्थ न जाने आज किस मनोदशा में था कि उसे थकान का आभास ही नहीं हो रहा था. वो एक मशीन के समान सबीना की चुदाई किये जा रहा था और सबीना इसमें कुछ आनंद तो कुछ कष्ट का अनुभव कर रही थी. पार्थ ने अपने लंड को कुछ देर की इस वीभत्स चुदाई के बाद बाहर निकाला और लेट गया.
“मेरे लंड पर चढ़िये!” उसने सबीना को कहा. सबीना बेचारी पहले ही इतनी काँप रही थी, पर उसने साहस जुटाकर पार्थ के लंड की सवारी कर ली.
“अब उछलो और मुझे चोदो!” पार्थ ने कहा तो सबीना उसके लंड पर उछलकूद करने लगी. पार्थ ने उसकी ताल को मापा और फिर अपने धक्के लगाने लगा. जब सबीना नीचे आती तो पार्थ ऊपर धक्का लगता. दोनों ओर से कार्यवाई होने के कारण अब पार्थ का फूला हुआ लौड़ा अब और अधिक चोट कर रहा था. जिस स्थान से सबीना ने नूर और सना को जन्मा था वहाँ आज पार्थ का लंड दस्तक दे रहा था. कई मिनटों की चुदाई के बाद अंततः सबीना उसके ऊपर ढह गई. अब उसमें शक्ति शेष न थी. पार्थ मुस्कुराया और सोचने लगा कि क्या सोच कर आई थी कि हम इससे हार जाएँगे!
कुछ और धक्के लगाने के बाद उसने सबीना को अपने ऊपर से हटाया. सबीना की आँखें बंद थीं और होंठ काँप रहे थे. सबीना की नीचे लिटाकर पार्थ फिर उस पर चढ़ गया और उसको चोदने लगा. कुछ देर तक चुदाई के बाद पार्थ के लंड ने अपना वीर्य सबीना की चूत में छोड़ दिया और वो भी सबीना के साथ लेट गया.
पार्थ ने उसके होंठों को चूमा तो सबीना ने आँखें खोलीं.
“मैं मरी नहीं क्या?”
“अभी नहीं. पर अब आप उठिये और मेरा लंड चूसकर साफ कीजिये.”
“तुम ही मेरे ऊपर चढ़कर कर दो, मेरी शक्ति नहीं है.”
पार्थ ने उसके सीने के पास जाकर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और सबीना ने साफ किया.
“बहुत निर्दयी हो! मेरी माँ चोद दी.” फिर हंसने लगी और पार्थ भी उसके साथ हंस पड़ा.
अब विश्राम का समय था. और बातचीत का.
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क्रमशः
1408700