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कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 58 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ५८: नायक, शिर्के और शेट्टी मिलन

(अध्याय ४५ से आगे )

दृश्य ४: 

वर्षा और मोहन, सुलभा और मेहुल, श्रेया और पवन, महक और समीर, अंजलि और विक्रम, स्मिता और राहुल तथा जयंत उस गोल बिस्तर को घेरे में खड़े हुए थे, जो अभी बाहर नहीं निकाला था. तीनों परिवार के सदस्य एक दूसरे को ताकते हुए उनकी समीक्षा कर रहे थे. शेट्टी परिवार को अवश्य गौड़ा परिवार की कमी अनुभव हो रही थी. अगर वो होते तो इस रंगारंग कार्यक्रम में चार चाँद लग जाते. परन्तु इसकी संभावना आज रात तो नहीं ही थी.

स्मिता चूँकि इस गठबंधन की कथित मुखिया थी और समुदाय के कारण इस प्रकार के कार्यक्रमों से भलीभांति परिचित थी, उसने ही पहल की.

“मुझे लगता है कि हमें एक साथ चुदाई न करके एक के पीछे एक चलना चाहिए.”

उसकी ये बात किसी को समझ न आई.

उसने समझाया, “ मेरा कहना है कि हम एक जोड़े को व्यवस्थित होने का अवसर दें उसके बाद ही अगला जोड़े आगे बढ़े. इस प्रकार के बिस्तर का हममें से किसी को भी अनुभव नहीं है, इसीलिए वर्षा फिर सुलभा, श्रेया, महक और अंजलि एक क्रम में बढ़ें और अंत में मैं भी जुड़ूँगी।”

“ऐसे तो जब तक आप होगी तब तक वर्षा आंटी का समाप्ति पर होगा. क्या मैं कुछ बोलूँ ?” श्रेया ने पूछा।

सबने स्वीकृति दी.

क्यूँकि ये बिस्तर गोलाई में है तो एक जोड़ा एक ओर और दूसरा उसके विपरीत जाकर व्यवस्थित हो जाएँ.” श्रेया ने अपनी सास के शब्दावली का प्रयोग किया. इससे समय की बचत होगी और एक साथ सब आनंद उठाने में सफल होंगे.”

उसका सुझाव व्यवहारिक था और सबको भा गया.

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और सबमें उस रिसोर्ट के एक दूसरे कमरे में उनका अवलोकन कर रहे सात और भी लोग थे. मधुजी ने अपनी चुदाई रुकवा कर टीवी की ओर ध्यान कर लिया था. रिसोर्ट के लड़के बेचारे अपने लौड़े लिए बैठे थे पर रिसोर्ट के स्वामी की माँ के सामने वो कर ही क्या सकते थे. मधुजी उनकी ओर से निश्चिन्त टीवी पर उस आवास को देख रही थी जहाँ वो तीन परिवार एक होने वाले थे. जिस प्रकार से रिसोर्ट के लड़कों की स्थिति थी, लगभग वही सिद्धार्थ, रवि और विलास की भी थी. सिद्धार्थ का लौड़ा रजनी की गाँड पर लगा ही रह गया और रजनी ने उसे हटाकर मधुजी के साथ टीवी की ओर ध्यान कर लिया.

पाँचों युवाओँ को ये आभास हो गया कि वो मात्र उपयोग करने ही हेतु इस कमरे में हैं. इससे उनके गर्व को ठेस तो लगी, पर समुदाय वाले लड़कों को नियम पता थे और रिसोर्ट वाले लड़कों को अन्य अलिखित नियमों का ज्ञान था. वो मन मार कर टीवी को देखने लगे. उन्होंने ये नहीं देखा कि मधुजी और रजनी के बीच में उनकी स्थिति को लेकर मूक संकेत हुआ था. वो चाहती थीं कि इस प्रकार के तिरिस्कार के प्रतिशोध में वो पाँचों उनकी धुआंधार चुदाई करें.

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उधर विक्रम ने रिमोट से बिस्तर को बाहर निकाल लिया था. एक बार फिर सब उसके विशाल आकार से विस्मित रह गए. ये सब बनाने के लिए जितना धन व्यय हुआ होगा उसका अनुमान कठिन था. और ऐसा ये अकेला आवास नहीं था. गोल बिस्तर के बीचों बीच एक छोटी गोल टेबल भी थी. विक्रम ने रिमोट एक ओर रखा तो अंजलि ने उसे ले लिया और देखा कि उसपर एक और छोटा बटन था. उसे दबाया तो टेबल भी ऊपर से खुल गई. और उस पर कई प्रकार की क्रीम, जैल, तेल के साथ गाँड के प्लग इत्यादि रखे हुए थे. सबकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गईं।

विक्रम बोला, “मैं इतना विस्मित हूँ कि मुझे एक दो पेग चाहिए।”

“नो प्रॉब्लम, अंकल. वी ऑल कैन यूज़ ए कपल ऑफ़ ड्रिंक्स.” अंजलि ने उसका साथ दिया.

महक, श्रेया और अंजलि बार कैबिनेट की ओर गयीं जहाँ कहे अनुसार कई उच्च ब्रान्ड की कई प्रकार की मदिरायें थीं. विक्रम ने सोचा कि लोकेश मुझे जो कुल बिल देगा उसमें तो इनमें से एक बोतल भी नहीं आएगी. उसने लोकेश के परिवार को इसका उचित उपहार देने का वचन लिया. ड्रिंक्स लेकर सब बड़े सामान्य ढंग से बातें करने लगे. किसी को इस बात का ध्यान भी न था कि वे सब नंगे हैं. एक दूसरे के अंगों को अवश्य वो आँखें चुराकर देख रहे थे.

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मधु और रजनी ने एक दूसरे को देखा कि ये खेल तो आधे घण्टे स्थगित हो गया. उन्होंने अपने पाँचों लौंड़ों की ओर देखा और फिर मुस्कुरा दीं. लड़के खड़े हो गए और रिसोर्ट वाले लड़कों ने मधुजी के मुँह के सामने अपने लंड लगा दिया. मधुजी ने मुस्कुराकर उन्हें चाटना आरम्भ किया तो रजनी भी सिद्धार्थ के लौड़े को चूसने लगी. रवि और विलास सामने के बिस्तर और टीवी पर ध्यान रखे हुए थे.

इस बार मधुजी और रजनी के अनुमान के अनुसार लड़कों के मन में उन्हें पाठ पढ़ाने की इच्छा थी. उन्हें क्या पता था कि दोनों घाट घाट का पानी पीकर ही चुदने के लिए उन्हें उकसाना चाहती थीं. रिसोर्ट के लड़कों को अगर रजनी का साथ मिला होता तो वो उसे निर्ममता से चोदते पर उनके साथ तो मधुजी थीं.

रजनी ने उनके इस भाव को समझा और सिद्धार्थ के लौड़े से मुँह हटाकर उन दोनों से पूछा.

“क्यों बच्चों, तुम क्या करने जा रहे हो?”

“जी, मैडम की चुदाई.”

“उसमें उसे आनंद नहीं मिलेगा. ये कहो कि तुम अपने मालिक की माँ चोदने जा रहे हो और उसे रगड़ रगड़ कर चोदो, तब इस बुढ़िया को शांति मिलेगी.”

“ये सही कह रही है, पर तू कौन सी मुझसे कम है? मुझसे एक दो वर्ष ही कम होगी और ऐसे जवान लौंडो से चुदवाती है? सिद्धार्थ बेटा, अब तू इसकी गाँड मार ही ले बहुत बोले जा रही है.” मधुजी ने अपने सामने के दोनों लौडों पर जीभ घुमाते हुए कहा. फिर रवि और विलास से बोली.

“इसका मुँह बंद करने के लिए कहती लेकिन इसकी चीखें सुनने की बड़ी इच्छा है. सिद्धार्थ के लौड़े से गाँड फड़वाएगी तो चीखेगी चिल्लायेगी, तब सुख मिलेगा मुझे.”

लड़कों को ये न पता था कि ये उन दोनों वृद्धाओँ का आपसी खेल था. रजनी को लम्बे मोटे लौंड़ों से गाँड मरवाने में जो सुख मिलता था जिसके कारण ही मधुजी ने अपने बिस्तर से सिद्धार्थ उन्हें भेंट किया था.

अब तक मधुजी के प्रेमी उनके ही अनुसार उन्हें चोद रहे थे पर रजनी के साथ चुदने में एक नया ही सुख मिलता था. इसीलिए इन युवाओं को भड़काना आवश्यक था जिससे कि वे उनकी रगड़कर चुदाई करें. आक्रोश में की हुई चुदाई का आनंद ही भिन्न होता है. सम्भवतः रिसोर्ट के लड़के भी अब मधुजी को पाठ पढ़ाने के बार में सोच रहे थे. उन्होंने एक खतरा उठाया जिसके लिए वो क्षमा माँग सकते थे. उन्होंने मधुजी के बालों को पकड़ा और अपने लौंड़ों से दूर किया.

“अब बहुत हुआ दादी माँ. पिछली बार अपने चुदाई रोक दी थी तो लौड़े भड़क गए थे. अब अपने मालिक की माँ चोदे बिना नहीं हटने वाले. समझीं आप?”

उनके इस कथन पर स्वांग के अनुसार रजनी हंसने लगी.

“अब पता चलेगा इस बुढ़िया को. पर बच्चों तुम्हारे जैसे लौंडो से कई बार चुदी है ये माँ की लौड़ी. तुममे है इतना दम की लोकेश की माँ चोद पाओ?”

अब उन दोनों लड़कों में जोश भर गया और उनके लौड़े तन कर ऊपर नीचे होने लगे. मधुजी ने उन्हें हाथ में लिया.

“मुझे तो लगता है कि ये मेरी प्यास मिटा सकते हैं. पर परखे बिना विश्वास नहीं करना चाहिए, है न रजनी?”

“बिलकुल.” फिर उसने चयन किया और एक लड़के से कहा कि वो लेट जाये. ये लड़का पिछली बार गाँड मार रहा था पर बीच में ही रुकना पड़ा था. उस लड़के ने बिस्तर पर लेटकर अपना लंड पकड़ लिया। मधु उस पर बैठ गई और पूरा लंड अपनी पौराणिक चूत में ले लिया. रजनी ने देखा और कहा.

“इसकी गाँड और मेरी गाँड एक साथ मारना है. देखते हैं तुममे से कौन जीतता है. जो बाद में झड़ेगा उसे जीता माना जायेगा.”

“और उसे मिलेगा क्या दादी माँ?” सिद्धार्थ ने पूछा.

“ये सोचना होगा. पर कुछ अच्छा ही मिलेगा. अब चलो मेरी गाँड बहुत कुलबुला रही है.”

सिद्धार्थ फिर रजनी की गाँड के पीछे आ गया. और रिसोर्ट के दूसरे लड़के ने भी मधुजी की गाँड के पीछे आकर अपना लंड उनकी गाँड पर लगाया.

“स्टार्ट?” उस लड़के ने कहा तो सिद्धार्थ ने कहा “ओके” और इसी के साथ दोनों लौड़े दो वृद्धाओं की गाण्डों में प्रवेश कर गए.

इस पूरे कथानक में ये समझना होगा कि रिसोर्ट के लड़के किसी भी मापदण्ड में समुदाय के लड़कों से भिन्न नहीं थे. सिद्धार्थ को अवश्य प्रकृति ने एक बड़े लंड का उपहार दिया था, पर ये लड़के भी एक प्रक्रिया से निकले थे. हालाँकि नौकरी होने के कारण उन्हें एक सीमा में रहना होता था, जिसे उनके अतिथि तय करते थे. मधुजी ने कुछ न कहकर उन्हें दुविधा में डाल दिया था. सिद्धार्थ ने उस लड़के को देखा चूँकि अभी मधुजी और रजनी का चेहरा दूसरी ओर था और उसे संकेत में समझाया कि कोई दया न करे और उन्हें दबा कर चोदे. उस लड़के ने ये संदेश नीचे लड़के तक प्रसारित कर दिया.

मधुजी को पता न चला कि अचानक क्या हुआ, पर उनकी चूत और गाँड में चल रहे लौड़े तीव्रता में उन्हें चोदने लगे. चूँकि ये उनकी रूचि के अनुसार ही था तो उन्होंने इसका भरपूर आनंद उठाने का निर्णय लिया. और वैसे भी दोनों लौड़े उनके दोनों निचले छेदों को भरपूर तीव्रता और गहराई से पेल रहे थे. उन्होंने अपना शरीर नीचे झुकाया और रिसोर्ट के लड़के के मुँह में अपनी जीभ डालकर उसे चूमने लगीं. सिद्धार्थ ने देखा कि उसकी युक्ति कार्य कर गई है तो उसने रजनी की गाँड पर ध्यान दिया, पर उससे पहले उसने अपने समुदाय के भाई रवि और विलास को आगे आने का संकेत दे दिया. ये मधुजी की आज्ञा के अनुसार नहीं था.

“दादी, अगर चीखने का मन करे तो जी भर कर चीखना. पर तब तक मेरे भाइयों के लौड़े भी चूस दो.” सिद्धार्थ ने रजनी के कान में कहा.

रजनी ने तुरंत अपने सामने के दोनों लंड चूसने आरम्भ कर दिए. सिद्धार्थ ने अपनी गति बढ़ाई और रजनी की गाँड में पूरे लंड से चुदाई करने लगा. रजनी ने कुछ समय प्रतीक्षा की फिर अपने मुँह निकाले और चीखने लगी.

“क्या लौड़ा है मादरचोद. गाँड फाड़ दी मेरी. और पेल मेरी गाँड भोसड़ी के. आअह क्या लंड है रे मधु. सच में तेरी बार सही निकली. गाँड मरवाने का सच्चा सुच ऐसे ही लौड़े से है. मेरी बहू को भी बताऊँगी इसके बारे में. वो भी अपनी गाँड मरवाने के लिए सदा उत्सुक रहती है. चोदेगा न मेरी बहू को भी सिद्दार्थ. उसकी गाँड मुझसे अधिक तंग है, पर मरवाने में नंबर वन है.”

सिद्धार्थ मन ही मन मुस्कुरा रहा था. जब से उसने समुदाय में प्रवेश किया था इन दादी, नानी और मम्मियों ने उसके लौड़े का भरपूर सुख उठाया था. उसकी माँ अब उसे गाँड मारे बिना घर से नहीं जाने देती थी कि जहाँ जायेगा किसी को चोद कर ही आएगा.

मधुजी रजनी की बकवास सुन रही थीं पर उनका अपना सुख उन्हें इस पर ध्यान देने से रोक रहा था. उनको चोदने वाले दोनों लड़के भी उसे पूरे जोश और शक्ति से चोद रहे थे. कल रात की चुदाई के बाद भी उनकी प्यास मिटी न थी और ये दोनों उनके दोनों छेद पूरे सामर्थ्य से मथ रहे थे. अब उन्होंने भी चीख कर अपना संगीत रजनी के संगीत में मिला दिया था. रवि रजनी से हटकर उनके सामने जा खड़ा हुआ और उनका सिर पकड़ कर उनके मुँह में लौड़ा पेल दिया. अब मधुजी के तीनों छेदों में लंड थे और रजनी भी अपने सामने खड़े विलास के लंड को लालच से देख रही थी.

अपना लंड चुसवाने का कारण केवल ये नहीं था कि वो लड़के इसके लिए उत्सुक थे. पर वो मधुजी और रजनी को टीवी देखने से रोकना चाहते थे. वे नहीं चाहते थे कि इस बार उन्हें फिर से नायक और शेट्टी परिवार के समागम को देखना नहीं चाहते थे. और इसमें वो सफल थे, क्योंकि जो वहाँ हो रहा था उसे देखकर उनकी चुदाई में अवश्य विराम लग सकता था.

**************

मोहन ने वर्षा को अपनी बाँहों में भींचा और उसे चूमते हुए धीरे से उसके कान में कहा, “आप आज मुझे अपना दामाद समझकर चुद सकती हैं.”

इस बार वर्षा ने उसके होंठ चूमे, “नहीं, ये ठीक नहीं होगा, पर तुम मुझे जो समझो वो मानकर चोद सकते हो.”

मोहन ने तर्क न करना भी ठीक समझा। और उन्हें लेकर गोल बिस्तर पर बैठाया और वर्षा के पैरों के बीच में बैठकर उसकी चूत को हाथों से सहलाया और फिर अपनी जीभ से छेड़ा. उसने अपनी जीभ को वर्षा के भगनाशे पर चलाया तो वर्षा की सिसकी निकली और उसने मोहन के सिर को पकड़ लिया. मोहन उसके भग्न और चूत पर जीभ से हल्के प्रहार करने लगा और वर्षा की उत्तेजना उत्कर्ष पर पहुंचने लगी. उसकी चूत से गाढ़ा पानी मोहन के मुँह में छोड़ दिया जिसे मोहन ने निःसंकोच पी लिया. वर्षा उसी अवस्था में हाथों को पीछे करके बैठ गई. इतनी देर का ठहरा हुआ जवालामुखी जो फूटा था.

अन्य सब उन दोनों के इस प्रेमालाप को देख रहे थे और कुछ ईर्ष्या कर रहे थे, जो स्वाभाविक था. इसमें मेहुल अग्रणी होता अगर सुलभा उसका हाथ पकड़कर उसे गोल बिस्तर के दूसरी ओर न ले गई होती. सुलभा ने उसकी आँखों में झाँका.

“वर्षा को क्यों देख रहे हो, मैं तुम्हें उतना ही सुख दूंगी.”

“नहीं आंटी, मैं उन्हें इस कारण नहीं देख रहा था. ये देख रहा था कि मोहन भैया ने उन्हें दो ही मिनट में पानी छोड़ने पर विवश कर दिया। मैं भी देखना चाहता हूँ कि मैं ये कर सकता हूँ भी या नहीं.”

“ये जानने का एक ही ढंग है.” सुलभा भी वर्षा के ही समान गोल बिस्तर पर बैठी और अपने पैर फैला लिए. “जिस आग में वो जल रही है दिन भर से उसमें ही मैं भी पक रही हूँ. मुझे नहीं लगता तुम्हें अधिक परिश्रम करना होगा.” फिर मानो उसे छेड़ते हुए बोली, “अगर तुम जानते हो कि क्या करना है.” ये कहते हुए सुलभा धीमे से मुस्कुराई. मेहुल उसकी इस चाल को समझ गया.

“हम्म्म, अब देखना होगा कि क्या मुझे पता है कि क्या करना है. हैं न आंटी?” ये कहते हुए मेहुल ने अपनी उँगलियों से सुलभा के भग्नाशे को हल्के से मसला और फिर अपने होंठों में दबाकर चूस लिया. सुलभा के तन में मानो विद्युत् का संचार हो गया. उसका शरीर अकड़ा और जड़ हो गया. मेहुल ने अपनी जीभ से उसकी चूत चाटनी आरम्भ की और उँगलियों से भग्न को सहलाता रहा. सुलभा को लगा कि वो किसी भी पल झड़ जाएगी. दिन भर की प्रतीक्षा अब उस पर भी भारी पड़ने लगी थी.

पवन अपनी पत्नी के सामने आया और उसके सिर पर हाथ फेरा. “क्यों रोक रही है, झड़ ले, यहाँ कौन सी कोई प्रतियोगिता चल रही है?”

ये सुनकर सुलभा ने अपना शरीर ढ़ीला किया और मेहुल ने अवसर देखकर अपनी जीभ उसकी चूत में उतार दी और भग्नाशे को जोर से मसल दिया. सुलभा का रुका हुआ बाँध टूट गया और वो मेहुल के मुँह में झड़ने लगी. पवन ने उसका सिर थपथपाया और श्रेया के पास लौट गया. उसने श्रेया का हाथ पकड़ा और उसे वर्षा और मोहन के पास के स्थान पर बैठा दिया.

“जब तक चूत का पानी नहीं पी लेता मेरी प्यास नहीं बुझेगी, श्रेया बेटी. मुझे सेवन कराओगी न?”

“जी, अंकल.” श्रेया ने उन्हें अपनी जाँघों के बीच आने का न्योता दिया.

और पवन उसकी चूत की सौंधी महक को ढूंढते हुए चाटने में जुट गया.

श्रेया और पवन को आगे जाते देख महक ने समीर को देखा और मुस्कुरा दी. समीर ने उसे श्रेया और पवन के दूसरी ओर चलने का संकेत दिया और महक को आगे जाने दिया। पीछे से वो महक के हिलते हुए चूतड़ देखकर उन्मादित हो गया.

“लगता है कि चूत चाटने का ही कार्यक्रम पहले करने का निर्णय हुआ है.”

“जी अंकल, एक बार चुदने के बाद आप पुरुषों में से कोई इसे चाटने चूमने जो नहीं आएगा.”

“ये भी सच है. तो आओ बैठो और मुझे अपनी चूत का स्वाद चखाओ.”

इसके साथ ये जोड़ा भी व्यस्त हो गया.

समीर को अपनी बेटी के साथ संलग्न देख विक्रम ने अंजलि का हाथ पकड़ा और बिना किसी प्रकार की बात किये उसे चूमने लगा. अंजलि ने उसका पूरा साथ दिया और फिर दोनों श्रेया और पवन के एक ओर जाकर बैठ गए. कुछ और देर चूमने के बाद विक्रम अंजलि की जाँघों के बीच बैठकर उसकी चूत चाटने लगा.

सभी जोड़ों को एक ही प्रकार के कृत्य में लीन देखकर स्मिता दुविधा में पड़ गई क्योंकि उसके साथ राहुल और जयंत जो थे. राहुल ने उसकी इस दुविधा को दूर करने में देर न की. उसकी ऊँगली ने स्मिता की गाँड को कुरेदा और फिर राहुल ने उसके होंठ चूमकर उसे आँख मारी. स्मिता उसका तात्पर्य समझ गई और मुस्कुरा दी. जयंत को राहुल आगे का किला संभालने का आमंत्रण दिया तो जयंत गोल बिस्तर के अंतिम स्थान पर जाकर लेट गया, पर उसका चेहरा बाहर की था. स्मिता उसके मुँह पर जाकर बैठी और जयंत की लपलपाती जीभ ने शीघ्र ही अपने लक्ष्य को भेद दिया. राहुल स्मिता की गाँड को देखकर लार टपका रहा था पर स्मिता के स्थगित होते ही उसने गाँड फैलाकर उसमें अपनी लार टपकाई और फिर उसे चाटने में जुट गया.

छहों जोड़े अब प्रथम चरण में संलग्न थे.

*********

दूसरी ओर मधुजी के कमरे में वासना का चक्रवात अपने अंतिम चरण पर था. अब मधुजी और रजनी का ध्यान नायक और शेट्टी परिवारों के बीच चल रहे वृत्तांत पर नहीं था. उनकी अपनी तृप्ति ही अब उनका एकमात्र ध्येय था. और इसमें रिसोर्ट के लड़के और सिद्धार्थ पूर्ण रूप से उन्हें केंद्रित करने में सफल थे. सिद्धार्थ के विशाल लौड़े ने रजनी की गाँड के धागे खोल दिए थे. उन्हें स्मरण नहीं पड़ रहा था कि पिछली बार कब उनकी गाँड की इस क्षमता से इस प्रकार के लौड़े से चुदाई की गई थी. उनकी चूत से बहता रस इसका साक्षी था कि उन्हें इस भीषण चुदाई से आनंद मिल रहा था.

सिद्धार्थ न केवल एक बड़े मोटे लौड़े का स्वामी था परन्तु उसकी युवावस्था के कारण उसमें कई मिनटों तक चोदने का सामर्थ्य भी था.उसकी माँ उसके लंड से चुदने में असीम सुख पाती थी. और अन्य स्त्रियां जो भी उससे चुदवाती थीं उसकी चुदाई सदा के लिए मन मस्तिष्क में समा जाती थी. समुदाय की जिन स्त्रियों से उसका संसर्ग हुआ था उनमें उससे अनेकानेक बार चुदने की इच्छा घर कर जाती थी. मधुजी और रजनी भी उनमें से ही थीं. और मधुजी जिस प्रकार से उसका प्रचार कर रही थीं उसके कारण उसकी प्रतिष्ठा और माँग कई गुना बढ़ चुकी थी. रजनी स्वयं अब अपनी बहू को उससे चुदवाने की इच्छा जता चुकी थीं. उसके मुँह में जो लंड था वो अब फूलने लगा था और उन्हें ज्ञात था कि अब उन्हें युवा वीर्य का पहला स्वाद मिलने वाला है.

मधुजी की गाँड मारने वाले लड़के के मुँह से अब अंतिम पड़ाव पर पहुँचने की ध्वनि निकल रही थी. मधुजी के साथ हुए पिछले अनुभव के आधार पर उसे मधुजी की गाँड में ही वीर्यपात करना था. उसके फूलते हुए लौड़े के आभास से मधुजी ने आने मुँह में उपस्थित लौड़े से मुँह हटाया और अनुमान अनुसार उस लड़के को गाँड में ही पानी छोड़ने की आज्ञा दी. और फिर से लंड चूसने लगीं. उस लड़के ने कुछ देर और धक्के लगाए और फिर अपना रस मधुजी की गाँड में छोड़ दिया. लंड निकालने का कोई प्रयास नहीं किया. चूत चोदते हुए लड़के को भी गाँड में तनाव कम होने का अनुभव हुआ और उसने कुछ और देर के परिश्रम के बाद अपने लंड का रस मधुजी की चूत में छोड़ दिया. तीनों उसी स्थिति में बने रहे जब तक कि मधुजी ने रवि के लंड का रस पी नहीं लिया.

सिद्धार्थ ने बिना तक तोड़े आगे झुककर रजनी के कान में कहा, “क्यों दादी? गाँड भर दूँ तुम्हारी?”

रजनी ने हाँफते हुए उत्तर दिया, “बेटा, तुझसे माँग तो भरवाने से रही, गाँड ही भर दे.”

ये सुनकर मधुजी के शरीर में सिहरन सी उठी. उन्होंने एक कुटिल मुस्कान के साथ विलास की ओर संकेत किया जिसका लंड रजनी के मुँह में था. विलास ने स्वीकृति दी और अपने लंड से रजनी के मुँह को और तीव्रता से चोदने लगा. सिद्धार्थ ने अब अंतिम कुछ धक्के लगाए और अपना रस रजनी की गाँड में छोड़ दिया. उसकी आयु के अनुसार बहुत समय तक उसका लंड रजनी की गाँड में पानी भरता रहा. विलास जो अब झड़ने वाला था उसने अपने लंड को रजनी के मुँह से निकालने का असफल प्रयत्न किया. पर रजनी की चूत ने फिर पानी छोड़ा तो उसका मुँह खुल गया. विलास ने अपना लंड बाहर निकालकर रजनी के बालों के ऊपर लंड रख दिया और जैसे ही पानी छोड़ा रजनी की माँग गाढ़े वीर्य से भर गई.

विधवा रजनी आज फिर से सुहागन बन गई थी. जब उसे इस बात का आभास हुआ तो वो आक्रोश में आ गई और मधुजी से बोली.

“देख क्या किया इस लड़के ने? इस विधवा की माँग भर दी.”

मधुजी ने उसे देखा. “रजनी, क्यों इतना ढोंग कर रही है. क्या तू कभी भी मन से विधवा हुई है. तेरे पति की तेरहवीं के अगले ही दिन तू अपने पति की इच्छानुसार अपने पोतों से चुदवा रही थी. कितने पुरुषों और महिलाओं के साथ चुदाई कर चुकी है. ये समझ कि तू आज रात फिर से दुल्हन बन गई है. एक रात की दुल्हन.”

ये सुनकर रजनी कुछ शाँत हुई और विलास के लंड को चाटकर साफ किया. वो बैठने लगी तो उसकी गाँड से धीरे सारा रस बिस्तर पर फ़ैल गया. उसकी गाँड की तृप्ति हो गई थी. अब उसका ध्यान टीवी पर गया जहाँ पर चूत चटाई का अभियान चल रहा था. उसने मधुजी का उस ओर ध्यान खींचा।

मधुजी ने उस ओर देखा और बोला, “अरे रुक जा, अभी उन्हें समय लगेगा। तब तक ऐसा कर कि तू मेरी चूत साफ कर दे.

रजनी बोली,”हाँ हाँ, क्यों नहीं?” और उसने मधुजी को सीधा किया और उनकी चूत को ऊपर चाटने लगी.

“आह!” मधुजी ने सिसकी ली. उनके पाँचों प्रेमी अब उन दोनों की इस रतिक्रिया को और टीवी को देख रहे थे. अपने रस को इस प्रकार से चाटे जाते देख रिसोर्ट के दोनों लड़के प्रसन्न हो गए. बस उनकी एक और इच्छा था, पर वो कुछ बोल नहीं सकते थे.

रजनी ने मधुजी की चूत के बाहर चाटने के बाद अपनी जीभ को अंदर डाला और कुछ और वीर्य निकालकर चखा. फिर अपने होंठ चूत पर लगाकर से जोर सोखा। जब वो निश्चिन्त हो गयीं तो अपना चेहरा उठाया और रिसोर्ट के लड़कों से कहा.

“बहुत स्वादिष्ट है तुम्हारा रस. और पीने की इच्छा है.” लड़के गर्व से फूल गए और फिर रजनी ने जो किया उससे उनकी मूक इच्छा भी पूरी हो गई. रजनी ने मधुजी के पैरों उठाया और अपना मुँह उनकी गाँड पर रखा और बाहर बहते रस चाट लिया. लड़के आशा कर रहे थे कि गाँड के अंदर के रस को भी रजनी चाटेगी, पर उसने ऐसा कुछ न किया और मधुजी को सामान्य स्थित में कर दिया.

“अरे इतना तो मैं भी तेरे लिए कर सकती हूँ. आ मेरे ऊपर आ.”

रजनी ने कोई समय व्यर्थ नहीं किया और अपनी बहती हुई गाँड को मधुजी के मुँह पर लगाया. जो कमी रजनी ने रखी थी उसे मधुजी ने पूरा कर दिया और गाँड के अंदर के रस को चूस लिया. पाँचों लड़कों के लौड़े फिर से फनफना उठे, पर अब उन्हें रुकना था.

क्योंकि टीवी पर अगला चरण आरम्भ होने वाला था.

***********

और यही सच था. चूतों का पानी छूट चुका था. और अब लौडों की बारी थी. परन्तु वर्षा और स्मिता ने कहा कि इसमें अधिक समय न व्यय किया जाये और उन्हें केवल चुदाई के लिए उपयुक्त बनाया जाये। उनकी बातों पर किसी को आपत्ति नहीं थी क्योंकि सभी चुदाई के लिए लालायित थे.

सहमति पाते ही लौड़े मुँह में खो गए और स्त्रियों ने अपने साथियों के लंड चाटकर, चूसकर चुदाई के लिए गीले करने का कार्यक्रम आरम्भ कर दिया. और ये बहुत थोड़े समय के लिए चला. चूतों को चुदने और लौंड़ों को छोड़ने की लालसा थी.

और लंड मुँह से बाहर निकले और अपने साथी के चेहरों के सामने झूमने लगे.

रजनी और मधुजी ने टीवी पर मेहुल का लंड देखा तो उनकी आँखें खुली रह गयीं. मेहुल का लंड सिद्धार्थ से बीस ही था. और मोटाई में भी कुछ अधिक प्रतीत होता था.

रजनी: “मधु, ऐसा लौड़े को चोदकर अगर जीवन भी समाप्त हो जाये तो दुःख नहीं होगा.”

मधुजी: “मैं न मरने वाली इससे भी. मैं तो मेहुल और सिद्धार्थ से एक साथ चुदने की योजना बना रही हूँ. सोच, ऐसे लम्बे मोटे दो दो लौड़े चूत और गाँड खंगालेंगे तो क्या आनंद आएगा.”

रजनी: “सच कहती है. इसको अपने समुदाय में लेना चाहिए.”

मधुजी: “ये स्मिता और विक्रम का छोटा बेटा है. इस माह इसका उद्घाटन होना है अपने मिलन समारोह में.”

रजनी: “वचन दे, तू इससे चुदने के बाद मेरे ही पास भेजेगी.”

मधुजी: “तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं कर सकती, पर उसे ये सुझाव अवश्य दे दूँगी और स्मिता से भी कहलवा दूँगी।”

रजनी: “अच्छा है.”

उधर सारी महिलाएं अब गोल बिस्तर पर लेट चुकी थीं और चुदाई आरम्भ होने वाली थी.

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वर्षा की चूत को चूमने के बाद मोहन ने अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया और वर्षा ने अपने पैरों से उसकी कमर को बाँध लिया. हल्के धक्कों के साथ मोहन और वर्षा की चुदाई का शुभारम्भ हुआ. मेहुल ने पवन और राहुल के लौंड़ों का आकार देखकर ये जान लिया था कि सुलभा की चूत खुली हुई है और उसके लंड को लेने में सक्षम भी है. उसने अपने भाई के विपरीत एक लम्बे धक्के के साथ सुलभा की चूत में अपना लंड डाला पर आरम्भ में उसने चुदाई की गति धीमी ही रखी. पवन श्रेया को प्रेम से ही चोदने का इच्छुक था और उसने अपने लंड को श्रेया की चूत में डालने में कोई हड़बड़ी नहीं दिखाई. और फिर धीमी गति से चुदाई आरम्भ कर दी.

श्रेया के साथ पवन का व्यवहार देख समीर ने भी महक को धीमे चोदने का निर्णय लिया। और यही विक्रम ने अंजलि के साथ भी किया. परन्तु स्मिता की चुदाई में राहुल और जयंत कोई कमी नहीं रखना चाहते थे. राहुल ने अपने साले जयंत को पहले स्मिता की चूत का आनंद लेने के लिया बोला और स्वयं स्मिता के मुँह के सामने लंड झुला दिया. स्मिता ने राहुल का विशाल लंड मुँह में लिया और जयंत ने तगड़े धक्के के साथ उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया.

अब छहों जोड़ियां चुदाई में मग्न हो गयीं. सिसकारियों और आहों कराहों के साथ धीमी गति से आरम्भ हुई चुदाई शीघ्र ही वेग पकड़ने लगी. और कुछ ही देर में थप थप की अनेक ध्वनियों से कमरे का वातावरण गुंजायमान हो उठा.

पूरे दिन का रोका हुआ लावा पुरुषों के लौंड़ों से निकलने के लिए उद्द्यत था. यही कारण था कि नीलम और स्मिता ने लंड चूसने को सीमित ही रखा था. अगर ऐसा न किया होता तो अब तक इस स्थिति में न होते. चुदाई की गति और भीषणता अब बढ़ चुकी थी. जिन्होंने प्रेम से चुदाई आरम्भ की थी वो भी अब तीव्र चुदाई में व्यस्त थे. पुरुषों का एक ही लक्ष्य था, किसी प्रकार से इस चरण को पार किया जाये जिससे कि अगले चरण में उन्हें गाँड मारने का अवसर मिले. पर्याप्त समय की चुदाई के बाद एक एक करके सभी झड़ने लगे. पुरुष और स्त्रियां दोनों की पहली खुजली अब शांत होने लगी थी.

मौखिक सहवास से अवश्य स्त्रियां एक बार झड़ी थीं पर लंड की चुदाई का आनंद ही विशिष्ट होता है. झड़ने के पश्चात् भी सब एक दूसरे से ही जुड़े रहे और चूमा चाटी में लीन हो गए थे. स्मिता ने निर्देशक की भूमिका में फिर घोषणा की कि ये चरण समाप्त हुआ है और कुछ देर के विश्राम के बाद अगले चरण में गाँड मारने का कार्यक्रम चलेगा. ये सुनकर सबकी आँखों में चमक आ गई. महक और श्रेया उठकर सबके लिए पेग बना लायीं और फिर बाथरूम में जाकर सफाई करके लौट आयीं.

दिन भर का वासना का ज्वर अब उतर गया था और सबके मन में एक शांति थी. अब बैठकर बातें की जा सकती थीं. अगले चरण में स्मिता ने कुछ समय रुकने का सुझाव दिया. उसका कहना था कि हम यहाँ तीन दिन हैं तो किसी प्रकार का तनाव नहीं है. वैसे भी ये सब जोड़े बनाने की योजना कल शाम तक की है. उसके बाद सब अपनी रूचि के अनुसार अपने साथी का चयन कर सकते हैं.

ये सुनकर सबने प्रत्यक्ष तनाव कम होने का अनुभव किया. और कल शाम से उन्मुक्त होकर अपना साथी चुना जा सकता था, ये सुनकर अत्यंत प्रसन्नता हुई.

सब अपने पेग पीने लगे.

रात अभी आरम्भ ही हुई थी.

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क्रमशः

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