You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 53 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 53 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ५३: सबीना की कहानी –

 

*************************

अब तक:

राशि के घर से निकलकर सचिन सबीना के घर जा रहा था. वो उसे क्लब में होने वाली कुछ चुदाई के प्रकरण दिखाना चाहता था. इस उद्देश्य से पहले वो नूतन के घर गया जहाँ से नीलम ने उसे कुछ हार्ड डिस्क दे दीं. पार्थ ने उसे बता ही दिया था कि किन दृश्यों और क्रीड़ाओं के डिस्क देनी थीं. नूतन सचिन को देकर मुस्कुराई और सचिन चला गया.

अब आगे:

सचिन जब सबीना के बँगले पहुंचा तो शाम के सात बजे थे. उसने पहले ही से खाने के लिए भी कुछ ले ही लिया था. और पीने की भी व्यवस्था की थी. हालाँकि उसे ये नहीं पता था कि सबीना मदिरा पान करती है या नहीं. परन्तु पार्थ के अनुसार उच्च वर्ग के लोगों में इसका सेवन सामान्य था. पार्थ ने ही उसे एक महँगी व्हिस्की लेने के लिए पैसे भी दिए थे. अब पाँच लाख की ग्राहक पर भी अगर पैसा नहीं व्यय करेंगे तो अन्याय होगा.

सबीना के साथ घर में प्रवेश करते ही सबीना उससे लिपट गई. और उसे चूमने लगी. वो इस समय अत्यंत कामोदमादित थी. सचिन ने उसकी व्यथा को समझा और उसे शीघ्र ही शयनकक्ष में ले गया. लाया हुआ थैला भी वहीँ रख दिया और सबीना के वस्त्र उतारने लगा. वैसे भी सबीना ने एक नाइटी ही पहनी थी जिसे नीचे गिरने में कुछ ही क्षण लगे. समय सचिन के वस्त्रों को निकलने में लगा था. सचिन के नंगे होते ही सबीना उसके लंड को चूसने लगी और बाद दो तीन ही मिनट चूसकर बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गई. उसकी चूत दूर से ही गीली दिखाई पड़ रही थी.

सचिन ने अपने मिशन को बाद में पूर्ण करने का वचन लेते हुए सबीना के ऊपर चढ़करउसकी चूत में एक ही शॉट में लंड पेला और सबीना की आनंद भरी चीख के साथ उसकी चुदाई करने लगा. ये शुद्ध चुदाई ही थी.

सचिन स्वयं भी चुदाई छोड़कर आया था और बहुत जोश में था. इसका परिणाम ये हुआ कि आधे घण्टे तक सचिन और सबीना चार पाँच आसनों में चुदाई में जुटे रहे. अंततः दोनों झड़े और हाँफते हुए एक दूसरे को बाँहों में लेट गए. जब श्वास एकत्रित हुई तो सबीना उठी.

“क्या लेकर आये हो? मैं बना देती.”

“अरे खाना बनाने में क्यों समय खोना? उतने समय में तो एक बार चुदाई हो जाएगी. एक बार क्लब में सम्मिलित हो गयीं तो मेरा आना कम हो जायेगा. नए नए लौंडे मिलेंगे चोदने के लिए. तो मेरे लिए तो एक प्रकार से अंतिम रात है जब मैं आपको जी भर कर चोद सकूँगा।”

सबीना ने सचिन की बात का अर्थ समझा और सिर हिलाकर स्वीकृति दी, “पर मैं फिर भी चाहूँगी कि तुम समय निकालकर मेरे पास आया करो.”

सचिन ने नकारते हुए कहा, “अगर ऐसा भी है तो आपको क्लब के माध्यम से ही आना होगा. अधिकतर ऐसे अनुरोध स्वीकार किये जाते हैं. पर मैं स्वयं नहीं आ पाउँगा.”

सबीना ने थैला खँगाला, “ओह तो व्हिस्की लाये हो. अच्छा ब्रांड है. बहुत महँगा है ये तो.”

सचिन उठा और सबीना को बाँहों में लेकर कहा, “तुमसे न अधिक नशीली है न कीमती. वैसे और भी कुछ लाया हूँ. क्लब में किस प्रकार के सुख और चुदाई इत्यादि की आप आशा कर सकती हैं उसका नमूना. और कुछ अन्य स्थानों का है जिसे आप चाहें तो परख सकती हैं. परन्तु ये सब आपकी इच्छा पर आधारित है. आपकी रूचि के अनुसार मैं वीडियो लाया हूँ. देखो फिर बताओ.”

“अम्मी ने भी एक वीडियो भेजी है. नूर (सबीना का बेटा) और समीर (निगार का बेटा) का विशेष प्रकरण है. कह रही थीं कि मेरे बेटे को भी ट्रेन कर दिया है. न जाने क्या ट्रेन किया है. मेरी तो गाँड लुपलुप कर रही है.मैं तुम्हारे ही आने के लिए रुकी थी. सोचा साथ देखूँगी। अब पहले व्हिस्की पीते हैं फिर एक बार गाँड मारना फिर खाना खाएंगे.”

सचिन को कोई आपत्ति भी नहीं थी. पार्थ की बात सत्य होती दिखी कि उच्च घरों में मदिरापान एक सामान्य कार्य है. सबीना ने एक बार भी कोई नाक भौंह नहीं सिकोड़ा. सबीना रसोई से ग्लास और प्लेट ले आई. सचिन के लाये अल्पाहार को प्लेट में सजाया और दोनों के लिए बहुत अनुभवी ढँग से पेग बनाये. सचिन ये देखकर अचरज में था कि सबीना ने ये सारे कार्य यूँ ही नग्नावस्था में ही किये थे.

“हाँ तो क्या सोचा है तुम लोगों ने हम तीनों की सदस्यता के विषय में?”

“देखिये, ये वैसे तो इंटरव्यू के बाद ही निर्णय किया जाता है, पर मैंने अपने बॉस से आप तीनों के लिए विशेष अनुरोध किया है.” सचिन ने इसके आगे बात बनाते हुए कहा, “आपके लिए तो बॉस आश्वस्त है, परन्तु आपकी अम्मी और भाभी के विषय में हमें कुछ भी नहीं पता है. इसीलिए, उसमें कुछ अड़चन है.”

“अड़चन काहे की मादरचोद, वो तो मुझे भी बड़ी चुड़क्कड़ हैं. देख लेना जब लौटेंगी. तुम्हें तो ऐसे चट कर जाएँगी कि पता भी नहीं चलेगा.” सबीना अपने पुराने चिर परिचित स्वरूप में आ गई.

पर सचिन को अपनी बात पूछनी ही थी. उसने साहस जुटाया और अपना पेग एक ही बार में पी लिया. सबीना ने देखा तो पूछ बैठी.

“गाँड क्यों फट रही है तेरी. जो पूछना है पूछ.”

“क्या वो दोनों भी आपके समान मूत्र क्रीड़ा में रूचि रखती हैं?”

सबीना का मुंह खुला रह गया. फिर उसने उत्तर दिया.

“निगार का बेटा समीर तो उसका मूत पीता है. ये हम सबको पता है. सबके सामने पी लेता है वो तो. पर निगार ने मुझे बताया था कि वो भी कभी कभी, नियमित नहीं, पर कभी कभी अपने पति नदीम और बेटे समीर का मूत पीती है. पर अधिक कुछ नहीं बोली. अम्मी का मुझे पता नहीं.”

“ओके, क्योंकि हमें अपनी सदस्याओं की रूचि का ध्यान रखकर उनके लिए उसे प्रकार के कार्यक्रम बनाने होते हैं.”

“ओह, मैं पूछ लूँगी। अम्मी और निगार से प्राइवेट में पूछूँगी.”

सचिन ने एक और पेग बनाया और सबीना को भी उसका पेग दिया.

“आओ न मेरी गोद में बैठो.” सचिन ने कहा तो सबीना उसकी गोद में आ बैठी.

“मैं तो चाहती थी कि मेरी बेटी सना को भी तुम्हारे जैसे लम्बे मोटे लौंड़ों से चुदने का सुख मिले. पर तुम मना कर रहे हो.”

“मैं क्लब की ओर से ऐसा नहीं कर सकता, न ही किसी और को आमंत्रित ही कर सकता हूँ क्लब में से, पर व्यक्तिगत रूप से तो उसे चोद ही सकता हूँ. इसके लिए कोई मनाही नहीं है.”

सबीना प्रसन्न हो गई और सोचने लगी कि अब अपनी बेटी को घर आने के लिए मनाने का उपाय मिल ही गया.

सना के बारे में सोचकर सचिन का लौड़ा तन गया जिसे सबीना ने भी अनुभव किया. अब सना के चित्र पूरे घर में लगे हुए तो और उसकी सुंदरता से कोई अछूता नहीं रह सकता था. ऐसी लड़की चोदने की कल्पना मात्र से सचिन उत्तेजित हो गया. सचिन के रेंगते हुए लौड़े से सबीना की गाँड की खुजली बढ़ गई और वो कसमसाने लगी.

“सना के बारे में सोच कर उसकी माँ को चोदने वाले हो क्या?” सबीना ने पूछा.

“हाँ, जिसकी माँ इतनी रसभरी हो उसकी बेटी में कितना नशा होगा यही सोच रहा था.”

“हाँ, सच है और वो उन टट्टुओं से चुद कर बड़ी खुश हो रही है. जब उसके अब्बू चोदते हैं तो इतना चीखती है जबकि इन लौडुओं की चुदाई से ऊँह भी नहीं करती. यही उसके नानू और मामू से चुदने का है. और नूर और समीर उन्हें तो छोड़ ही दो.”

“अब ये आप ठीक नहीं कर रही हैं. उसके साथ आप भी तो उन तीनों से ही चुदवाती थीं. हम मिले तो आपको सही चुदाई का आनंद मिला. अब बेचारी उसके पहले ही चली गई तो क्या जानेगी?”

हर माँ को अपनी बेटी का पक्ष लेने वाले से प्रेम होता है और यही सबीना के साथ भी हुआ. सचिन के मन में पहले तो आया कि यहीं बैठे हुए ही सबीना की गाँड मार ले, पर फिर उसे ध्यान आया कि उसे सबीना को क्लब के वीडियो भी दिखाने हैं. और सबीना ने भी किसी वीडियो के विषय में कहा था.

“आपकी अम्मी ने क्या भेजा है?”

“अरे मैं तो भूल ही गई. चलो उधर बैठो, मैं टीवी पर लगती हूँ.”

सचिन ने पूछा कि क्या एक पेग और बनाये तो सबीना ने स्वीकृति दे दी. सचिन ने नए पेग बनाये और बिस्तर पर बैठ आया. सबीना आई और उसके साथ बैठ कर अपना ग्लास उठा लिया. फिर रिमोट से टीवी पर एक चैनल पर लगाया और टीवी पर चल रहे दृश्य को देखकर सचिन का लौड़ा टनटना गया.

दो सोफों पर अमीना बी और निगार बैठी हुई थीं. ये दिखाई दे रहा था कि उनके नीचे दो पुरुष थे पर उनके चेहरे नहीं दिख रहे थे, बस पाँव दिखाई दे रहे थे. अमीना और निगार सामने कैमरे को देख रही थीं. और उनके पैरों के बीच में दो पुरुष बैठे थे. उनकी शरीर बनावट से पता चल रहा था कि वे युवा थे. उनके चेहरे अमीना और निगार की चूतों पर लगे हुए थे. सबीना को समझते देर न लगी कि दोनों की गाँड में लंड थे.

अमीना: “देख सबीना, मैंने तुझे कहा था न तेरे बेटे को सिखाकर लाऊँगी। तो देख कैसे मेरा मूत पी रहा है अपना लाडला नूर.”

उस लड़के ने केवल सिर हिलाया.

निगार: “और मेरा मूत तो मेरा लाडला समीर ही पीने से नहीं थकता, पर तेरे बेटे को भी पिला रही हूँ कल से. अब तेरे पास आएगा तो तेरा भी पियेगा.”

ये सुनते ही बिना कुछ किये ही सबीना झड़ गई.

“चलो, आपके लिए ये अच्छा हुआ. अब माँ बेटे मिलकर एक दूसरे का मूत पिया करना.”

इतने में नूर और समीर हट गए और उन्होंने कैमरे की ओर देखा. दोनों के चेहरे भीगे हुए थे पर आँखों में एक चमक थी.

“अम्मी, बहुत मस्त है ये काम. बस अब आपके पास आने के लिए मन मचल रहा है. फिर आपका भी मूत्र पियूँगा और आप चाहोगे तो मामी के समान आपको भी पिलाऊँगा।” नूर ने निगार का रहस्य खोल दिया.

पर निगार तो अब अपनी गाँड में घुसे लौड़े पर उछल रही थी. उसे इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ा कि उसका रहस्य खुल गया है. कैमरे वाले ने उन दोनों को चुदाई में सम्मिलित होने के लिए कहा तो पता चला कि वो निगार का पति नदीम था.

अमीना बोली: “आजा बेटा, अपने बाप के साथ मिलकर चोद मुझे.”

नूर ने अपना लौड़ा अपनी नानी की चूत में पेला और ये पता चल गया कि अमीना की गाँड सबीना का पति नासिर मार रहा था और निगार अपने ससुर सलीम के लौड़े पर कूद रही थी और जिसकी चूत में उसके बेटे समीर ने अपना लौड़ा पेल दिया था. सम्भवतः अमीना सबीना को केवल मूत्र पिलाने के दृश्य के लिए ही ये वीडियो भेजी थी क्योंकि इसके बाद वीडियो समाप्त हो गया.

सचिन ने सबीना की ओर देखा जो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी.

“चलो बाथरूम में, तुम्हें भी मूत्र पीने का मन हो गया है न?”

सबीना ने उसकी ओर देखा और चमकती हुई आँखों से उठी और बाथरूम में चली गई.

सचिन अब तक सबीना के स्वभाव और उसकी विकृतियों को भली भाँति समझ चुका था. इसमें उसकी सबसे बड़ी सहायिका उसकी माँ रमोना थी. सबीना के साथ निकले समय और कर्मों के विषय में वो रमोना से विमर्श करता था और रमोना उसे सबीना के विषय में कुछ और उपयोग करने के सुझाव देती थी. उनके कारण ही वो सबीना की कुंठाओं से अब परिचित हो चुका था. सबीना प्रेम की प्यासी थी, परन्तु उसके परिवार के व्यवसाय ने उसके भाग का प्रेम छीन लिया था. पति को पिता ने अपने व्यवसाय में दस वर्ष पूर्व लगाया था, उसके पहले उसका जीवन अत्यंत सुख से बीत रहा था.

विगत दस वर्षों में पति दूर होता गया. जब तक उसका बेटा नूर उसके साथ था तब तक उसका मन लगा रहा फिर नासिर ने नूर को भी अपने साथ लगा लिया. अब उसके पास केवल सना थी. परिवार में चुदाई की परम्परा बहुत पहले से थी. परिवार और संबंधियों की लगभग हर स्त्री को उसने अपने अब्बू और भाई से चुदते देखा था तो वहीँ अम्मी को भी. निगार के आने के बाद ये और बढ़ गया था. बिना किसी पुरुष के सना और वो दोनों चिड़चिड़ी होने लगी थीं. फिर उसकी नन्द फातिमा ने अपने लड़कों को पढ़ाई के लिए भेजना का प्रस्ताव दिया। सबीना को इसमें एक अवसर का आभास हुआ.

फातिमा का पति एक गाँडू था. न जाने उसने क्या खा कर तीन लड़के निकाल दिए थे. पर अपनी पत्नी फातिमा और अम्मी ज़रीना के लाख कहने पर भी उसकी गाँड मरवाने की आदत नहीं छूटी तो फातिमा ने उससे शारीरिक संबंध तोड़ लिए. अपने लड़कों के बड़े होने पर उन्हें अच्छे से चुदाई में प्रशिक्षित किया था. पर वो भी बाप पर ही गए थे और उसे कई बार असंतुष्ट छोड़ देते थे. सबीना के पास आने पर सबीना ने भी उन्हें कुछ नए गुर सिखाये थे. वो अब ठीक ठाक चुदाई कर लेते थे. पर जबसे नीलम के बँगले पर उसकी चुदाई सचिन और साथियों ने की थी, उसे अपने जीवन में एक नए आनंद का संचार होता अनुभव हुआ था. अब उसके पति और अब्बू ने उसे क्लब में जाने की अनुमति भी दे ही दी थी.

सचिन सबीना के पीछे उसके बाथरूम में गया. सबीना कमोड पर बैठ गई और आशा से सचिन को देखने लगी.

“ऑंखें बंद करो.” सचिन ने कहा तो सबीना ने मुँह खोला और ऑंखें बंद कर लीं.

सचिन ने अपने लंड को उठाया और फिर पहले सबीना के मुँह में धार छोड़ दी. फिर उसके चेहरे पर धार छोड़कर उसे पूरा भिगा दिया. और फिर उसके मम्मों पर मूतने के बाद अंत में फिर उसके मुँह में रहा सहा मूत्र डाल दिया. सबीना ने जैसे ही चेहरे पर से धार हटी थी ऑंखें खोल ली थीं और सचिन को देख रही थी. जब सचिन का कार्य सम्पन्न हुआ तो सबीना ने हाथों से उसे अपने ऊपरी भाग पर मल लिया. सचिन उसे देखकर मुस्कुराया. उसे ज्ञात था कि उसे किस प्रकार के वीडियो दिए गए हैं. उसे एक बात का खेद रहने वाला था. सबीना अब उसके साथ अब कम ही चुदाई करने वाली थी. क्लब में प्रवेश का अर्थ ये भी था कि किसी प्रकार के भावनात्मक संबंध न बनाये जाएँ.

“मैं नहा कर आती हूँ.” सबीना उठी और फौहारे के नीचे जा खड़ी हुई. जाते हुए उसने अपनी गाँड में ऊँगली डालकर सचिन को संकेत कर दिया कि अब उसे आगे क्या करना है. सचिन कमरे में लौटा और एक एक पेग अपने और सबीना के लिए बनाया. फिर न जाने उसने कुछ सोचा और एक ग्लास उठाकर उसमे मूत्र भर दिया. सबीना नहाकर नंगी आई और उसने स्वयं को पोंछा भी नहीं था उसके मादक शरीर से पानी की बूंदें टपक रही थीं. सचिन सब भूल गया और सबीना को अपनी बाँहों में भींच लिया.

“छोड़ो न. क्या खा जाओगे?” सबीना ने हँसते हुए कहा पर उसे भी सचिन के इस व्यवहार से आनंद मिल रहा था. जिस प्रकार से सचिन और उसके मित्र उसे रगड़ रगड़ कर चोदते थे उसे अपने परिवार के पुरुषों की चुदाई का स्मरण हो आता था. उसका पति और अब्बू उसे ऐसे ही चोदते थे. पर नूर उसे बड़े प्यार से चोदा करता था. अब मूत्र पीने पिलाने के बाद उसमें कितना परिवर्तन होगा ये देखना होगा. सचिन पीछे से सबीना के मम्मों को मसलते हुए उसकी गर्दन और कानों को चूम रहा था. उसका मोटा तना लौड़ा सबीना की गाँड से टकरा रहा था. आज की रात ये गाँड उसके लिए थी. दो दिन बाद से कब वो क्लब की सम्पत्ति हो जाएगी तब उसे बिना आज्ञा सबीना को छूना भी असम्भव होगा. इसीलिए आज वो इस सुंदर मांसल स्त्री का पूरा भोग करना चाहता था.

“खा सकता और पा भी सकता तो कबका खा लिया होता आपको. सच में आपमें जो नशा और स्वाद है वो अपर्याय है. मुझे आपसे दूर होने का दुःख होगा.”

“क्यों दूर होंगे?”

“नियम है. अब आप जब मेरा साथ चाहेंगी तो क्लब के माध्यम से ही आना होगा. और वो भी महीने में दो से अधिक बार नहीं कर सकते. अन्यथा हम दोनों के लिए समस्या हो जाएगी.”

“ओह! कोई बात नहीं. तब की तब देखेंगे. आज तो मुझे चोद चोद कर लाल कर दो. रगड़ दो मुझे फाड़ कर रख दो मेरी चूत और गाँड। जब तुम्हारा बॉस मुझे चोदे तो उसे इतनी खुली मिलें कि उसे अपने लौड़े पर संदेह हो जाये.”

“ऐसा ही करूँगा” सचिन ने मन में हँसते हुए कहा. पार्थ का लौड़ा ऐसी महा चुड़क्कड़ स्त्रियों को भी छठी का दूध याद दिलाने में सक्षम था. सबीना में मम्मों को भींचते हुए उसने उसे आगे बढ़ाया और बिस्तर पर घोड़ी बना दिया. सबीना के शरीर से पानी की बूँदे गिर रही थीं. सबीना के पैरों को चौड़ा करते हुए उसने गाँड के छेद पर थूक लगाया.

“मेरी अम्मी और निगार के लिए वीडियो बना दो. उन्हें भी तो पता चले कि मेरी गाँड कैसे मारते हो.” सबीना ने अनुरोध किया.

सचिन ने सबीना के आई-फोन को रिकॉर्डिंग पर डाला फिर सबीना के चेहरे की ओर से जाकर उसकी गाँड तक का वीडियो बनाया. फिर अपने लंड की ओर करते हुए दिखाया कि सबीना की गाँड में जाने वाला लौड़ा किस स्तर का है. फिर उसे पास में बिस्तर की ओर इंगित करते हुए देखा कि सही कोण से दिखाई दे रहा है या नहीं.

“तो मैडम, आप अपनी गाँड मरवाने के लिए रेडी हो?” सचिन ने वीडियो के लिए ये कहा.

“हाँ. और फाड़कर रख दो मेरी गाँड जैसे मेरे अब्बू और मेरे पति फाड़ते हैं. कोई दया मत करना. अम्मी को भी पता चले कि उनकी चुदाई कैसे लौडों से होने वाली है यहाँ इंडिया लौटकर.”

“और आपकी भाभी? उनका क्या?”

“अरे वो भी देखेगी. अम्मी और वो हर लौड़े से मिलकर चुदती हैं.”

सचिन ने अपने लंड को सबीना की गाँड पर लगाया और फोन की ओर देखा और मुस्कुराया. फिर सबीना के कूल्हों पर हाथ रखा.

“ओके अब सम्भलो!” ये कहते हुए एक दमदार धक्के के साथ लगभग एक चौथाई लौड़ा सबीना की गाँड में पेल दिया.

“उई अम्मी!” सबीना ने हल्की सी चीख के साथ अपनी माँ को पुकारा जैसे अब वो उसकी गाँड बचा लेगी.

अचानक सचिन के मन में एक प्रश्न कौंधा, उसने अपना मुँह आगे किया और सबीना से पूछा, “क्या ये वीडियो आपकी अम्मी ही देखेंगी या पूरा परिवार.”

“सब देखेंगे. पर तुम चिंता न करो. सबको पता है कि मैं दते हुए कोई सीमा नहीं बाँधती। तुम चोदो मस्ती से उन्हें मैं देख लूँगी अगर कोई बात हुई भी तो. अब्बू को मनाना मेरे बाएँ हाथ का खेल है.”

ये सुनकर सचिन का साहस लौटा और उसने सिर पीछे किया और अगले धक्के में आधे लंड को गाँड में धँसा दिया. और फिर अगले दो धक्कों ने उसके पूरे लंड को सबीना की गाँड में स्थापित कर दिया. सचिन ने फोन की ओर देखकर थम्ब्स अप किया और फिर सबीना से कहा कि वो अपनी अम्मी को सलाम भेजे. सबीना ने फोन की ओर मुँह करते हुए आँख मारी क्योंकि हाथ तो उठाने की उसकी अभी स्थिति नहीं थी.

“अब मारो गाँड,” फिर फोन को देखकर, “देखो अम्मी, कैसे मारेगा ये मेरी गांड अब. जैसे अब्बू मारा करते हैं.”

सचिन हर बार अपनी तुलना सलीम से सुनकर कुछ गुस्सा गया. उसने पूरे लौड़े को बाहर खींचा और ऐसा शक्तिशाली धक्का मारा कि लंड एक ही बार में गाँड पार कर गया. सबीना की चीख ने कमरे को हिला दिया. सचिन ने मन ही मन में सोचा कि अब इसे अपने अब्बू नहीं याद रहने वाले. अगला धक्का उससे भी तीव्र था और सबीना की चीख का स्तर भी उतना ही अधिक था. इसके बाद के अगले दस धक्के पिछले धक्कों की तुलना में तीव्र और गहरे थे. सबीना की चीखों ने अपना शिखर पा लिया था और अब क्षीण हो चली थीं. जब सबीना ने घुटने तक दिए तब सचिन ने धक्के धीमे किया और सामान्य गति से गाँड मारने लगा. दो तीन मिनट के बाद सबीना जैसे चैतन्य हुई.

“क्या हुआ भोसड़ी के? गाँड मेरी मार रहा है और फट तेरी गई है क्या? धक्के क्यों धीमे कर दिए? अपनी माँ समझा क्या मुझे मादरचोद?”

सचिन के तन मन में आग लग गई. यही गलती सबीना ने नीलम के बँगले पर भी की थी. ये उसकी मानसिक समस्या थी. वो अधिक उत्साह में उल्टा पुल्टा बोल देती थी और बाद में पछताती थी. सचिन का लहू अब उबाल पर आने के कारण वो बिना रुके पूरे लौड़े के साथ सबीना की गाँड मारने में जुट गया. ऐसा लगता था कि वो कोई राक्षस था जिसमे असीम शक्ति का प्रवाह हो गया था. ठप ठप की ध्वनि तो गूंज ही रही थी पर देखने पर पता चलता कि सबीना की मोटी गाँड अब लाल हो गई थी. जिस जकड़ के साथ सचिन ने उसके नितम्ब थामे हुए थे उनके चिन्ह उसकी गाँड पर दिखाई देने लगे थे.

सबीना का शरीर आगे पीछे झूल रहा था और उसका वश अपने शरीर पर नहीं था. जो भी उसका शरीर अनुभव कर रहा था वो सचिन के परिश्रम का ही फल था. आज की सबीना उस दिन नीलम के बँगले की सबीना भी नहीं थी. अब तक वो सचिन के विशाल लौड़े से चुदने की अभ्यस्त हो चुकी थी. और कई बार सचिन उसकी गाँड बाहर निर्दयता से मार भी चुका था. पर आज उसके लौड़े में एक विशेष बल था और उसकी चुदाई भी एक दानवीय क्रूरता का रूप ले चुकी थी. सबीना को इसमें कष्ट अवश्य था पर रह रह कर उसे ये भी लग रहा था कि क्लब में उसे इस प्रकार से चोदने के लिए नए नए युवा लौड़े मिल जायेंगे. उसका मन और तन इसी कल्पना से टूट रहा था और चूत ! वो तो बहे जा रही थी और बिस्तर को गीला किये जा रही थी.

सबीना ने सचिन को छेड़ना बंद कर दिया था. उसकी गाँड जितनी निर्ममता झेल सकती थी झेल चुकी थी.

“अब थोड़ा धीरे, प्लीज़।” सबीना ने विनती की तो सचिन ने अपनी गति कम कर दी. क्लब की ट्रेनिंग ने उसे उसे इसके लिए उपयुक्त ज्ञान दिया था. गति कम होते ही सबीना की आहें और सिसकारियाँ कमरे में सुनाई देने लगीं.

कुछ समय और लगा और फिर सचिन के लंड ने भी अपना रस सबीना की गाँड में छोड़ दिया. सचिन उसके ऊपर लेट गया फिर उसके ऊपर से हटकर उसके साथ लेट गया.

“आज तुमने बहुत अधिक बर्बरता दिखाई है, ऐसा क्या हुआ?” सबीना ने पूछा. उसने सचिन के लंड को हाथ में लिया हुआ था और उसे सहलाकर अपने हाथ को चाट रही थी.

“तुम्हें मेरी माँ को बीच में नहीं लाना चाहिए था.” सचिन ने उत्तर दिया.

“वो तो मैंने झोंक में कह दिया होगा. मेरा ऐसा कोई आशय नहीं था.” सबीना को जैसे याद ही नहीं था कि उसने क्या बोला था. वो सचिन की ओर देखने लगी और फिर सचिन के भाव देखकर अचानक उसे समझ आ गया.

“हाँ, और उन्हें भी ऐसी ही चुदाई अच्छी लगती है. वो भी हमारे क्लब में हैं. मुझे सामान्यतः ऐसी बातें नहीं चुभतीं पर आज न जाने क्यों?”

“कोई बात नहीं सचिन. आगे से मैं ध्यान रखूँगी। जब मुझे ऐसे चुदने की इच्छा होगी तब उनका नाम ले लिया करुँगी.” ये कहकर सबीना हंस पड़ी. वो रमोना से नीलम के बँगले पर मिल चुकी थी और जानती थी कि सचिन उसे भी चोदता है.

“दुष्ट.” सचिन भी हंस पड़ा.

सचिन कुछ समय सोच में डूबा रहा. अब उसे अपने मिशन के अगले भाग को पूरा करना था. उसने सबीना की गाँड में ऊँगली डालकर अपना वीर्य निकाला और ऊँगली सबीना के मुंह में डाली. सबीना उसे चट कर गई. सचिन ने फिर यही उपक्रम दोहराया.

“मैं कुछ वीडियो लाया हूँ, जैसा आपको पता है.” इससे पहले कि सचिन कुछ और कहता सबीना ने उठकर अपना फोन बंद कर दिया. अपनी अम्मी को दिखने योग्य उसके पास पर्याप्त सामग्री हो चुकी थी.

“हाँ मैं लगाती हूँ.”

“पहले मैं बता दूँ कि उनमें क्या है, उसका सार समझा देता हूँ. आपको क्लब में किस प्रकार की सुविधाएँ या ये कहें कि अपनी इच्छापूर्ति के अवसर मिलेंगे.”

“ओह! ये तो अच्छा है. मैं फिर निर्णय ले सकूँगी कि हमें क्या क्या करना है.” सबीना अपनी माँ और भाभी के विषय में भी सोचते हुए बोली.

सचिन ने बताना आरम्भ किया भी नहीं था कि उसे टेबल पर रखे तीनों ग्लास दिखे.

“चलो, एक ड्रिंक लेते हैं. आपके लिए एक विशेष प्रबंध किया है अगर अच्छा लगे तो.” सचिन ने कहा.

दोनों जाकर सोफे पर बैठे. दो ग्लास में मदिरा तो स्पष्ट रूप से दिख रही थी, पर तीसरे ग्लास में पानी का रंग हल्का पीला ही था. सबीना ने उसे उठाकर सूँघा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई.

“अपना मूत्र मिलाकर व्हिस्की पिलाओगे? बहुत चतुर हो गए हो. पर ये बासी है.” ये कहते हुए सबीना ने उसे दो ही घूँट में पी लिया. फिर अपना व्हिस्की का ग्लास सचिन को दिया. इसमें बोतल की व्हिस्की और अपनी व्हिस्की दोनों डालो. जब पीना ही है तो ढँग से पिया जाये.

सचिन कब मना करने वाला था. उसने सबीना के ग्लास में थोड़ी व्हिस्की और डाली और अपने लंड से हल्के से उसे मूत्र से ऊपर रक भर दिया. सबीना ने एक घूँट लिया.

“मिला जुला स्वाद है, कुछ तीखा सा. पर अच्छा है. तो अब बताओ क्लब के बारे में क्या बता रहे थे.”

सचिन ने सिर हिलाया. सबीना के द्वारा उसके हर सुझाव पर स्वीकृति ने उसे विश्वास दिलाया कि सबीना क्लब में सबसे अधिक आनंद लेने वाली स्त्रियों में से एक होगी. उसने बताना आरम्भ किया.

इसके कुछ अंश आप इस अध्याय में भी पढ़ सकते हैं जिसमें नूतन मेहुल को क्लब के विषय में बताती है.

“क्लब में हमें रोमियो के नाम से पुकारा जाता है. क्लब की सदस्याओं की हर उचित इच्छा को पूरा करना हमारा दायित्व है. उचित का अर्थ है जहाँ किसी प्रकार की अतिरिक्त हिंसा न हो और किसी भी प्रकार से किसी को भी चोट न लगे. ये महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकतर स्त्रियाँ उच्च समाज से आती हैं और उन्हें अपने देख और रूप का बहुत ध्यान है. क्लब में एक रोमियो के साथ आप एक माह में दो से अधिक बार नहीं मिल सकतीं. हाँ अगर समूह हो तो तीन या कभी कभी चार बार की अनुमति है. पर ऐसा कम ही होता है.”

“क्लब की अधिकतर महिलाओं को सामान्य सम्भोग से भी संतुष्टि मिल जाती है. वे एक समय में अधिकांश एक ही रोमियो से चुदवाती हैं. परन्तु कभी कभी वो दो या तीन रोमियो की सेवाओं का भी लाभ उठाती है. ये लगभग एक तिहाई हैं. अन्य दो तिहाई एक से कम ही चुदाई करवाती हैं और ग्रुप सेक्स में अधिक रूचि रखती हैं. एक साथ मुँह, चूत और गाँड मरवाने में इन्हें सुख मिलता है. ये कई बार दो या तीन रोमियो को बुक करती हैं और उनसे घंटों तक चुदवाती हैं.”

“ये भी लगभग एक तिहाई हैं. इनके अतिरिक्त जो महिलाएं हैं वो सेक्स के हर बार नए आयाम खोजती हैं. इन्हें गैंगबैंग और अन्य विकृत चुदाई में रूचि है. ये एक साथ कई रोमियो बुक करती हैं और कई बार एक या दो दिन तक चुदाई में मग्न रहती हैं. इनमें से कई एक साथ दो दो लौड़े अपनी चूत और गाँड में लेने में संकोच नहीं करतीं. ऐसी चुदाई के समय इनमें से कुछ मूत्र पान से भी आपत्ति नहीं करतीं हैं, हालाँकि इसके सिवाय वे इसमें कोई रूचि नहीं रखतीं.”

सचिन ये बताते हुए सबीना के चेहरे के भाव देख रहा था जो कुछ विस्मयकारी थे. उसने इस प्रकार के आयोजनों के विषय में कभी कल्पना भी थी.

“एक साथ चूत में दो लंड और गाँड में भी?” उसने धीमे स्वर में पूछा.

“दो चूत में और एक गाँड में या दो गाँड में और एक चूत में.”

“और मूत भी पीती हैं? मेरे जैसे?”

“हाँ. कई बार तो चुदवाती हुई भी पी लेती हैं या उनके ऊपर मूत्र त्याग किया जाता है.”

“ओह!” सबीना सच में अचरज में थी.

“इसके बाद एक विशेष वर्ग है जो चुदाई तो करवाती ही हैं पर कुछ को दूसरी चूतों और गाँड को चाट कर साफ करने में आनंद आता है.” सचिन ने आगे बताया, “इनकी हमारी पार्टियों में सबसे अधिक माँग होती है. चुदने के बाद महिलाएं इन्हें बुलाती हैं और अपनी चूत और गाँड को इनसे साफ करवाती हैं.”

सबीना अब बिलकुल ही अविश्वास की भूमिका में थी. पर सचिन को अंतिम तीर चलाना था.

“और अंत में अति विशिष्ट वर्ग है, जिसमें मुझे लगता है कि आप भी शीघ्र ही जुड़ जाएँगी.”

सचिन ने सबीना का रिक्त ग्लास लिया, उसमें व्हिस्की और मूत्र मिलाया और उसे थमा दिया.

“ऐसा क्यों कह रहे हो?”

“क्योंकि वो महिलाएं पार्टी में एक दो बार चुदाई करने के बाद बाथरूम में टब में जाकर लेट जाती हैं. और फिर पूरे समय हर महिला या रोमियो उन्हें मूत्र पिलाता है या उनके ऊपर मूत्र त्याग करता है. इसे हमारे क्लब में गोल्डन शॉवर कहते हैं. और पार्टी के अंत के पहले ही वो निकलती हैं और फिर कई रोमियो से चुदवाने के बाद ही संतुष्ट होती हैं.”

“ऐसा भी होता है क्लब में?”

“हाँ, जिसकी जैसी रूचि वैसा उसका सम्मान.”

“ये सम्मान है?”

“अगर आपकी इच्छा पूर्ण की जाये तो क्या वो सम्मान नहीं है? किसी की इच्छा के विरुद्ध कुछ भी नहीं किया जाता.”

सचिन ने सबीना को देखते हुए कहा.

“इस बार की पार्टी तीन सप्ताह बाद आयोजित है. और मैं आपको आधी पार्टी के बाद उस टब में मूत्र स्नान करते हुए देखना चाहूँगा। क्या आप ऐसा करेंगी?”

“तीन सप्ताह? तब तो अम्मी और निगार भी होंगी.”

“तो क्या हुआ? यही तो क्लब का मंत्र है. अपनी इच्छाओं को पूरा करना. उन्हें संतुष्ट होने के अपने ढ़ंग मिल जायेंगे.”

सबीना सोच में पड़ गई. अपने ग्लास से व्हिस्की पीती हुई वो कुछ न बोली. फिर उठी और बाथरूम जाने लगी और सचिन को संकेत से बुलाया. सचिन उसके पीछे गया और सबीना की प्यास मिटाकर लौटा. सबीना मुँह धोकर आई.

सबीना ने सचिन की ओर देखा और अपना निर्णय सुना दिया

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top