********************
राशि का प्रवेश:
शोनाली ने मंजुल और नूतन के साथ मिलकर चार पाँच दिनों में ही राशि का कमरा सजा दिया. या यूँ समझिये कि चुदाई के लिए उपयुक्त बना दिया. कमरे को ऐसे व्यवस्थित किया कि किसी भी स्थान पर चुदाई की जा सकती थी. रूचि को बुलाकर अंतिम सज्जा दिखाई तो वो भी संतुष्ट हो गई. एक ही समस्या सबसे बड़ी थी, और वो थी भोजन का प्रबन्ध। पर राशि ने इसका दायित्व स्वयं पर ही ले लिया. हर दिन उसकी आवश्यकता की वस्तुएं आने वाले रोमियो अथवा नूतन और मंजुल में से कोई लेकर आने वाला था. क्लब में एक बड़ी रसोई थी तो ये समस्या भी हल हो गई.
रूचि की समझ में ये नहीं आ रहा था कि उसकी माँ इतनी सरलता से ऐसे स्थान पर जाकर रहने को क्यों मान गईं जिसे उन्होनें देखा भी नहीं था, बस सुना ही था. राशि की बातों से ये भी विदित था कि उसकी उन दोनों सहेलियों को जिन्हें उसने क्लब में प्रवेश दिलवाया था, वो समय समय पर आमंत्रित करेगी. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. पार्थ, शोनाली और रूचि की एक मंत्रणा में इस बात पर विचार हुआ कि क्या उनकी किसी अन्य सहेली को भी प्रवेश दिया जाये, क्योंकि तीन नए रोमियो जुड़े हैं? पर तीन नयी सदस्याओं का जुड़ना तय था इसीलिए इसे कुछ समय के लिए टाल दिया.
दूसरी ओर अस्थाई रोमियो की जो परिकल्पना थी उससे व्यापकता बढ़ाई जा सकती थी. उनके इस थीम पार्टी में प्रदर्शन के बाद इस विषय में चिंतन किया जा सकता था. अंततः वो दिन भी आ ही गया जब राशि को क्लब में रहने जाना था. पार्थ, शोनाली के साथ मंजुल भी आई हुई थी. शुचि भी अपनी माँ को छोड़ने आई थी. रूचि, शुचि और राशि की आँखों में आँसू थे, पर किसी भीषण दुःख के नहीं. बिछड़ने के. वे जब चाहे एक दूसरे से मिल सकते थे. जब राशि के बैग गाड़ी में रख दिया गए तो उसने पार्थ और रूचि को अपने पास खींचा.
“तुम दोनों को अब मेरा व्यवधान नहीं रहेगा. प्रेमपूर्वक रहना. चाहे भविष्य में जो भी निर्णय लो, पर तुम दोनों एक दूसरे के पूरक हो.”
“आपके रहने से हमें कोई व्यवधान नहीं था, माँ!” रूचि बोली.
“नहीं ऐसा नहीं है. अपने व्यापार के साथ तुम्हें मेरा भी ध्यान रखना पड़ता था. सच तो ये है कि मैं स्वयं कुछ समय से कहीं और में जाने के बारे में सोच रही थी. अभी मैं बूढ़ी नहीं हूँ, अपना ध्यान और काम कर सकती हूँ. तुम्हारा क्लब में रहने का प्रस्ताव मानो मेरे लिए एक वरदान है. अब प्रसन्न रहो. वैसे भी मैं अब पार्थ से नियमित मिलती रहूँगी और बीच बीच में यहाँ भी आ जाया करुँगी.”
ये कहकर सबने भीगी आँखों के साथ राशि को गाड़ी में बैठाया. मंजुल और शोनाली ने राशि को लेकर एक नयी यात्रा का शुभारम्भ किया.
जैसे जैसे कार क्लब की ओर बढ़ रही थी राशि की धड़कन भी तेज हो रही थी. उसने अपनी बेटी के सुख के लिए एक नए स्थान पर रहने का निर्णय ले तो लिया था, पर आज तक उसने क्लब को देखना तो दूर उसका कोई चित्र भी नहीं देखा था. हालाँकि उसे विश्वास था कि रूचि ने उचित स्थान ही चुना होगा. कुछ समय बाद बाहर का दृश्य परिवर्तित होने लगा और हर ओर हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार हो गई. और इसके कुछ ही समय बाद एक गेट दिखा जिस पर दो द्वारपाल थे.
“बहुत सुंदर स्थान है.”
“जी माँ जी. अभी आगे देखिये. और भी अच्छा लगेगा.”
गेट के अंदर सच में और सुंदरता थी. दोनों ओर पूरा पथ फूलों से सजा हुआ था. कोई ३०० मीटर के बाद क्लब आ गया और सब रुक गए. राशि ने देखा तो उन्हें मात्र २५ मिनट ही लगे थे और क्लब उसके घर से लगभग दस किलोमीटर ही था. गाड़ी रुकते ही नूतन बाहर आई और उसके पीछे दो रोमियो थे. नूतन के होंठों की लिपस्टिक उसके व्यस्त रहने का प्रमाण थी. मंजुल और राशि बाहर आईं तो नूतन ने दोनों का स्वागत किया. गाड़ी शोनाली चला रही थी तो उसने डिक्की खोली और दोनों रोमियो ने राशि के बैग निकाले और अंदर ले गए.
राशि चारों ओर क्लब को देख रही थी. अत्यन्त नयी बनावट का भवन था. मंजुल और नूतन उसे अंदर ले गयीं जहाँ रिसेप्शन देखकर वो प्रभावित हुई. बहुत ही सुंदर कलाकृतियाँ से सजावट की गई थी. कुछ ही पलों में शोनाली गाड़ी लगाकर आ गई. राशि को शीतल पेय दिया और अन्य सबने भी पिया.
“आइये माँ जी, अब आपको पहले आपका कमरा दिखा दें. उसके बाद नूतन आपको पूरे क्लब की यात्रा करवा देगी. आप जब चाहें काम और स्थान समझना आरम्भ कर सकती हैं. आज से दो तीन दिन तक भोजन इत्यादि लेकर कोई न कोई आएगा. उसके बाद जैसा आप चाहें.” शोनाली ने कहा.
शोनाली और मंजुल राशि को उसके कमरे में ले गयीं. कमरे की विशालता और सुंदरता देखकर राशि का मन भावविभोर हो गया. ये उसकी कल्पना से कहीं अधिक था. उसे अपनी बेटी पर गर्व हुआ. दोनों रोमियो उसके बैग रखने के बाद वहीँ खड़े थे.
कमरा एक डबल स्टूडियो था. (स्टूडियो कमरे में बैठक, शयन, रसोई और बाथरूम एक ही कमरे में होते हैं. इनका आकार लगभग ३०० sft होता है.). कमरा लगभग ६०० sft का था, इसीलिए बहुत विशाल लग रहा था.
भोजन करने के लिए एक चार लोगों के योग्य टेबल थी. सोफे और टीवी इत्यादि का प्रबंध भी था. एक कोना ऑफिस के समान बनाया गया था, जहाँ एक लैपटॉप इत्यादि रखे हुए थे. कमरे में दो पलंग लगे थे. इसका कोई औचित्य समझ नहीं आया तो मंजुल ने समझाया.
“ये रूचि मैडम ने लगवाया है. जो वो बड़ा पलंग है, वो आपका है. उसके बड़ा होने का कारण आप समझ सकती हैं. दूसरा अगर आपका कोई अतिथि आ जाये उसके लिए है. रूचि मैडम ने कहा है कि वो, या आपकी दूसरी पुत्री और आपकी सखियाँ हैं. अगर वो आपके साथ रहना चाहें तो अगर आवश्यक न हो तो कोई और कमरा न उपयोग में लाना पड़े.”
राशि को ये तर्क उचित लगा. मंजुल ने कमरे में उपस्थित उपकरण इत्यादि के बारे में समझाया. राशि ने बाथरूम जाकर देखा तो वो भी किसी सात सितारा होटल से कम न था. राशि एक सोफे पर बैठ गई. कमरे में चार अलमारियाँ लगी हुई थीं, हालाँकि अभी राशि के पास इतना सामान नहीं था. एक मिनी रसोई थी, चाय इत्यादि के लिए, पर किसी प्रकार की तलने की मनाही थी.
शोनाली ने इस समय जाने की आज्ञा माँगी तो राशि ने उसे गले से लगाकर धनयवाद किया. शोनाली के जाने पर मंजुल ने पूछा कि क्या वो अपने बैग खोलना चाहती हैं, तो राशि ने मना कर दिया कि मैं स्वयं ही कर लूँगी। उसने चारों अलमारियों का निरीक्षण भी किया, चारों लगभग एक समान थीं. बाथरूम में भी एक कपड़ों के लिए अलमारी थी. राशि ने कहा कि ये उसके लिए पर्याप्त हैं.
जब मंजुल ने कहा कि अब नूतन आपको क्लब घुमा देगी तो राशि ने दोनों रोमियो, जिनमे से एक से वो चुदवा चुकी थी, की ओर देखकर पूछा कि क्या वो यहीं रुकेंगे. मंजुल के कुछ कहने के पहले ही एक रोमियो बोल पड़ा.
“नहीं मैडम. आज नहीं. हम सब कल से आपकी सेवा के लिए उपलब्ध रहेंगे.”
मंजुल ने आगे बात संभाली, “आपके लिए आज कुछ विशेष आयोजन किये गए हैं. कुछ अन्य प्रबंध भी करने शेष हैं. आज से नूतन या मैं भी रात्रि में क्लब में रुकेंगे. एक सप्ताह में एक रहेगी. हमारे तीन रोमियो भी यहाँ रहने के लिए मान गए हैं. उनके लिए भी एक कमरा लगा दिया गया है. आज आप क्लब घूमो, इसके विभिन्न छेत्र देखो और उन्हें किस प्रकार से अधिक उपयोग में लाया जा सकता है इस विषय में सोचो. शाम को आपके लिए विशेष आयोजन है और कल से आप क्लब का प्रबंधन संभाल सकती हैं.”
मंजुल ने बात समाप्त की ही थी कि उसे स्मरण आया, “माँ जी, आपको रोमियो के कमरे में जाने की अनुमति नहीं है. इस विषय पर पार्थ, शोनाली और रूचि मैडम का कठोर आदेश है. कृपया इसका पालन करियेगा.”
राशि को आभास हुआ कि जहाँ पार्थ और शोनाली का नाम लिया गया था, वहीँ रूचि को मैडम करके सम्बोधित किया जा रहा था और उसे माँ जी.”
इसके बाद राशि को नूतन को सौंप कर मंजुल रिसेप्शन के पास के कमरे में गई जहाँ शोनाली बैठी थी. उसे आते देख शोनाली उठी और फिर दोनों क्लब से निकल गए. कार में बैठकर दोनों ने आगे बातें कीं.
“सब ठीक रहा न?” शोनाली ने पूछा.
“हाँ. मुझे नहीं लगता कि वो किसी भी प्रकार की समस्या खड़ी करेंगी. बहुत सादी और सरल महिला हैं.”
“हाँ, ये तो सच है. चलो, आशा है कि इससे आगे भी कुछ लाभ होगा.”
“अभी भी हो ही है.” मंजुल हंसी।
शोनाली ने उसे देखा, “कैसे?”
“अरे रूचि की माँ यहाँ है और पार्थ रूचि को उसके घर पर चोद रहा होगा.”
इस बात पर दोनों हंस पड़े.
राशि को लेकर नूतन क्लब दिखाने लगी. क्लब में कई प्रकार के कमरे और हॉल थे. कुल आठ कमरे थे, जिनमें से सबसे बड़ा राशि को को ही दिया गया था. दो कमरे शोनाली और पार्थ के लिए थे, जिनमें वो रोमियो और नई सदस्याओं का परीक्षण करते थे. इसके बाद पाँच अन्य कमरे थे, ये भी आकार में छोटे थे,पर अन्यथा हर प्रकार से परिपूर्ण. रोमियो का कमरा छोड़कर नूतन ने सभी कमरे दिखाए. इसके बाद तीनों हॉल दिखाए. जिस हॉल में इस माह की पार्टी होनी थी वो सबसे बड़ा था. नूतन ने बताया कि इसमें अन्य प्रबंध एक दिन पहले ही किया जाता है. उसमें एक स्टेज भी बना हुआ था. दो अन्य हॉल भी थे. इन दोनों में १०० लोग आ सकते थे और बड़े वाले में लगभग २५०.
इसके बाद राशि को रसोई दिखाई गई जो एक कोने में थी और एक प्रकार से शेष क्लब से कटी हुई थी. ऐसा इसीलिए था कि इसका उपयोग पार्टी के ही समय अधिक होता है और गोपनीयता के लिए इसे दूर बनाया गया है. राशि ने देखा कि रसोई हर रूप से परिपूर्ण है.
उसका दूर होना ही एक समस्या थी, पर इतनी बड़ी भी नहीं। तो उसने नूतन से अपनी संतुष्टि व्यक्त की. राशि ने एक बार फिर क्लब का चक्कर लगाया. इस बार उसका उद्देश्य क्लब में सुधर और उन्नति करने का था. क्लब का प्रथम उद्देश्य था अतृप्त विवाहित, तलाक या विधवा महिलाओं की शारीरक और उससे सम्बन्धित मानसिक संतुष्टि करना. इस विषय में नूतन से कुछ प्रश्न पूछने आवश्यक थे. कमरों का भी एक बार और निरीक्षण किया गया. शोनाली और पार्थ के कमरों को एक बार फिर देखा गया. राशि के मन में एक योजना थी पर कुछ उत्तर मिलने आवश्यक थे.
इसके बाद वो राशि के कार्यालय में गए. ये पहले एक अस्थाई कार्यालय था जिसे अब क्लब के मुखिया के अनुसार परिवर्तित कर दिया गया था. राशि को उसके स्थान पर बैठाने के बाद नूतन उसके सामने बैठ गई.
“माँ जी, पहले तो आपको बधाई हो. हमें पूरा विश्वास है कि आपके निर्देशन में क्लब अब और उन्नति करेगा. अब तक इसे एक हॉबी या रूचि के रूप में चलाया जा रहा था. रूचि मैडम के जुड़ने से कुछ व्यावसायिकता में बढ़ोत्तरी हुई है. अब आपके आने से उसमें और प्रशस्ति होगी.”
“मैं प्रयास करुँगी, मैंने पहले कभी कोई व्यवसाय नहीं सँभाला है. पर मैं अपनी पूरी निष्ठां से कार्य करूंगी.”
“वैसे माँ जी. मेरा भी एक छोटा सा व्यापार है, तो मैं कुछ तो आपकी सहायता कर ही सकती हूँ.”
“ये अच्छा रहेगा, पर अब मुझे क्लब के विषय में कुछ प्रश्न पूछने हैं. ये वित्त संबंधी नहीं हैं. वो कार्य रूचि का है और वही देखेगी. मुझे क्लब के सामान्य कार्य-कलापों में अधिक रूचि है.”
इसके बाद राशि ने कई प्रश्न पूछे जिनका उत्तर देते देते नूतन समझ गई कि रूचि की अपार बुद्धि और सफलता का श्रोत क्या है. उसे विश्वास था कि अब क्लब को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता.
दोपहर का भोजन भी हुआ और शाम भी हो गई. राशि पूरी तन्मयता से अपने कार्य में लगी हुई थी. नूतन उसे लगभग हर प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम थी. परन्तु कुछ उसके लिए भी कठिन थे. राशि एक डायरी में ये सब लिख रही थी. प्रश्न, फिर उत्तर. उनसे निकले अन्य प्रश्न और अनुत्तरित प्रश्न. इस बीच में वो दो बार कुछ विशेष स्थानों को देखने के लिए भी गई. चूँकि पूरे क्लब में CCTV का विस्तार था तो किन स्थानों पर कैमरे हैं ये भी जानना आवश्यक था. कैमरे सामान्य कैमरों के समान बाहर दिखाई नहीं देते थे पर थे अत्यंत शक्तिशाली.
शाम को छह बजे तक राशि यूँ ही कार्यरत रही. नूतन भी उसकी क्षमता से प्रभावित हो गई. छह बजे दोनों राशि के कमरे में लौटे. राशि स्नान करने के लिए गई तो नूतन एक सोफे पर बैठी टीवी पर कुछ देखने में व्यस्त रही. राशि स्नान के बाद एक बहुत झीना गाउन पहन कर बाहर आई. सोफे पर बैठने से पहले उसने कमरे में बने बार में से दो बियर के कैन निकाले. एक नूतन को देते हुए वो भी टीवी देखने लगी.
“तो क्या विशेष आयोजन है आज? क्लब में तो मुझे कोई हलचल नहीं दिख रही है.” इससे पहले कि नूतन कुछ कहती राशि ने आगे कहा, “इससे मुझे ध्यान आया. क्या मुझे यहाँ पर CCTV के कैमरों को देखने का प्रावधान हो सकता है? तो अगर हो सके तो एक रिकॉर्डर की व्यवस्था कर दो. हमारी बातें अगर में आज रिकॉर्ड कर पाती तो अच्छा रहता.”
नूतन बोली, “ठीक है, मैं बोल देती हूँ. जो भी कल दोपहर का खाना लाएगा वो ये दोनों वस्तुएँ भी ले आएगा. अगर कुछ और भी हो तो दस बजे तक बता दिजियेगा. लाइए आपके फोन में मैं अपना और मंजुल का नंबर डाल देती हूँ.”
“हाँ और शोनाली का भी डाल दो.”
“ठीक है.”
तभी कमरे पर किसी ने खटखटाया.
“लगता है आपका विशेष आयोजन आ गया.”
राशि ने स्वयं की कमरा खोला तो पार्थ को खड़ा पाया. उसके हाथ में एक बैग था, जिसमें खाना था.
“ओह! पार्थ तुम?” राशि ने आश्चर्य से पूछा.
“जी. और आपका खाना लाया हूँ.”
“वो तो ठीक है पर तुम तो रूचि के…..”
“उसने ही भेजा है.” पार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा तो राशि को ‘उन्होंने’और ‘उसने’ का अंतर सुनाई दिया. इसका अर्थ था कि वे दोनों निकट आ रहे थे.
“कह रही थी कि मेरी माँ नए स्थान पर गई हैं. तो उन्हें कहीं डर न लगे. तो रात में उनके साथ सो जाना.” पार्थ के चेहरे की मुस्कराहट बनी रही. पीछे से नूतन की हँसी का स्वर गूँज उठा. राशि का चेहरा लाल हो गया. वो कुछ भी न कह सकी. वो एक ओर हट गई और पार्थ अंदर आ गया.
नूतन: “मैं अपने कमरे में जाती हूँ.”
राशि: “नहीं. अभी रुको. मैंने आज बहुत कुछ समझा है. मैं चाहती हूँ कि कल रूचि और शोनाली, आ जाएँ जिससे कि मैं अपने सुझाव तुम तीनों को बता सकूँ. अगर तुम सबकी सहमति मिली तो कुछ परिवर्तन और कुछ वृद्धि करना चाहूँगी। इसमें व्यय बहुत अधिक नहीं आना चाहिए, परन्तु हमारी आय में कुछ वृद्धि अवश्य होने की संभावना है.”
पार्थ: “ठीक है. मैं दोनों को कहता हूँ. बुआ रूचि के साथ ही आ जाएँगी.”
पार्थ ने दोनों से फोन पर बात की तो रूचि ने शोनाली को अपने साथ लेकर आने का विश्वास दिलाया.
“चलिए, ये हो गया.”
“मेरा एक अनुरोध भी है. चूँकि नूतन और मंजुल अब यहाँ रात में रुकेंगी तो मैं चाहूँगी कि उन्हें शोनाली का कमरा दिया जाये. इस विषय में कल हम विस्तार से बात कर सकते हैं, पर आज क्या वो उस कमरे में रह सकती है?”
“अवश्य, इसमें कोई समस्या ही नहीं है. इन दोनों को वैसे भी किसी भी कमरे में रहने की अनुमति है, इस कमरे में भी. भले इनके पास क्लब की भागीदारी न हो, पर ये क्लब की सबसे महत्वपूर्ण प्रबंधक हैं. इन्हें किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है.”
ये सुनकर नूतन की आँखें भीग गयीं.
पार्थ: “चलिए, अब खाना खाया जाये.” ये कहकर उसने टेबल पर पैकेट रखा.
दोनों रोमियो को भी बुला लिया गया और चार की टेबल पर पाँचों ने प्रेमपूर्वक भोजन किया. भोजन समाप्त होने से पहले पार्थ ने नूतन को संकेत कर दिया था. प्लेट इत्यादि हटाकर उन्हें एक ओर रखा तो एक नई समस्या का ध्यान आया. बर्तन धोने का कार्य कौन करेगा. किसी भी क्लब के कर्मी को ये कार्य देना उचित नहीं था. एक बर्तन धोने की मशीन लगी थी, पर उसे एक अकेले के लिए चलना व्यर्थ था. राशि ने कहा कि इस विषय में अभी चिंता नहीं करते हैं. दो तीन दिनों में कोई समाधान निकल ही जायेगा.
नूतन ने कहा कि अब वो जाना चाहेगी. उसने दोनों रोमियो को भी कहा कि वे भी अपने कमरे में जाएँ. उनके जाने के बाद राशि ने पार्थ से बैठने को कहा.
“मुझे ये जानना है कि मुझे पूरे क्लब में जाने का अधिकार है, केवल इन लड़कों के कमरे में नहीं, ऐसा क्यों?”
“क्योंकि आप क्लब की मुख्य प्रबंधक हैं. आपके उनके पास जाने से उनके मन में आपके प्रति आदर कम या समाप्त हो जायेगा. आपके कमरे में आकर आपको चोदना उन्हें आपके अधीन रखता है. ऐसा करने से आप उन पर आश्रित हो जाएँगी.”
“ये बात सही है. तुम्हारी सोच ठीक है.”
“ये रूचि का नियम है. यहाँ आने के पहले उसने कुछ नियम बनाये हैं. केवल यही ऐसा है जिसमें आप पर अंकुश है. शेष नियम अन्य लोगों के लिए हैं. मैं आपको बताता हूँ.”
पार्थ ने अन्य नियम बताये, जिनका सार ये था कि राशि को पूर्ण सम्मान दिया जाना चाहिए. राशि के बुलाये बिना कोई भी रोमियो उनके कमरे में नहीं जायेगा. कोई कार्य होने पर नूतन या मंजुल को बताकर राशि से मिल सकते हैं. राशि को समझ आया कि इन नियमों के बिना उसे यहाँ रहने में अड़चनें आना स्वाभाविक था. उसने पार्थ को धन्यवाद किया.
पार्थ: “तो अब मुख्य बात. मुझे रूचि ने आज रात्रि आपके साथ रहने के लिए इसीलिए कहा है कि आपके क्लब में जुड़ने के लिए जो आवश्यक नियम था उसे त्याग दिया था. पर अब आप अगर यहाँ रहेंगी और प्रबंधन करेंगी तो उसका पालन करना ही होगा.”
राशि: “ओह, और वो क्या नियम है?”
पार्थ: “आपकी चुदाई. आज मुझे आपके मुँह, चूत और गाँड तीनों को अपने रस से भरना है. जो स्त्रियाँ जिन्होंने पहले गाँड नहीं मरवाई होती हैं, अगर वो संकोच करें तो उन्हें इसके लिए विशेष सत्र के लिए बुलाया जा सकता है. उनकी सदस्यता उसके बाद ही स्वीकृत होती है. आज आपको मेरी हर आज्ञा माननी होगी. कल से सब सामान्य हो जायेगा.”
राशि का मन मचल उठा. “तो मुझे क्या करना है?”
पार्थ के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गई, “आपको ये भूलना होगा कि आप रूचि की माँ नहीं हैं. आपको मेरी आज्ञा माननी होगी.”
राशि इठलाते हुए बोली, “कौन रूचि?”
पार्थ हंस पड़ा. “जाइये पहले स्नान करके आइये. और पोंछियेगा नहीं, यूँ ही आइयेगा।फिर आपका क्लब में स्वागत समारोह करेंगे.”
“मुझे भी भीगे शरीर में चुदना बहुत अच्छा लगता है.” राशि ने उत्तर दिया और नहाने चली गई.
पार्थ अपने कपड़े उतारकर बियर लेकर सोफे पर बैठ गया. अपने फोन से उसने एक संदेश भेजा. उसे तुरंत ही उत्तर मिल गया. वो मुस्कुराया और खड़ा हो गया. वो अपनी प्रेयसी की बात कैसे टाल सकता था.
**************
उधर नूतन की आज लॉटरी लगी हुई थी. कार्य में व्यस्तता और सदस्याओं की अपेक्षाओं को पूरा करने में उसे अपनी इच्छा की पूर्ति का कम ही अवसर मिलता था. आज पार्थ उसे दोनों रोमियो की सेवाएँ उपयोग करने के लिए कहा था. जब पार्थ ने उसे संकेत दिया था तब उसने उसका अर्थ उल्टा समझा था. उसने पार्थ की दो उँगलियाँ का हिलाने कर अर्थ ये समझा था कि पार्थ राशि के साथ उसे भी चोदना चाहता है. पर पार्थ ने तुरंत ही दोनों रोमियो की ओर ऑंखें कीं तो नूतन को समझ आया और उसका मन उछल गया. और अब वो शोनाली के लिए आरक्षित कमरे में उन दोनों के बीच सिमटी हुई खड़ी थी.
उसे आगे और पीछे से दोनों मसल रहे थे पर उनके होंठ उसके होंठों और गर्दन पर ठीके हुए थे. नूतन को कई दिनों बाद ये सुअवसर प्राप्त हुआ था. अधिकांश बार उसे अपनी प्यास क्लब में उपस्थित किसी रोमियो से ही बुझानी पड़ती थी. पर आज वो इस राजसी कक्ष में इसका आनंद ले रही थी. तीनों के कपड़े कमरे में कहीं तितर बितर पड़े थे. उन्हें अगर ध्यान था तो एक दूसरे के नंगे शरीरों से धधकती ज्वाला का जो उन्हें झुलसा रही थी.
“आप पहली बार हाथ में आई हो मैडम! हमें तो आप देखती भी नहीं हो!” पीछे से उसे मसलते हुए रोमियो ने कहा तो नूतन ने घर श्वास भरी पर कुछ कहा नहीं. इस समय उसके कहे हुए कथन उसे बाद में हानि पहुंचा सकते थे. वैसे भी को कुछ बोलने के लिए अक्षम थी क्योंकि उसके होंठ तो सामने वाले रोमियो ने अपने होंठों से जोड़े हुए थे. पर सामने वाले रोमियो ने अपने होंठ हटाए और उसे डपटा.
“ये बकवास मत करना. इस क्लब में हमारा स्थान है, उससे अधिक उड़ने का प्रयास मत करना. आगे आकर मैडम से क्षमा माँगो।”
ये सुनकर उस रोमियो की गाँड फट गई वो आगे आया और नूतन के पैरों में गिरकर उससे क्षमा माँगने लगा.
“उठो. और जिन नियमों को तुम्हें समझाया था उन्हें फिर से पढ़ना कल. अब कुछ मत बोलो और जिस कार्य के लिए मेरे पास आये हो उसे अपनी क्षमता के अनुरूप पूरा करो.”
“जी मैडम। एक बार फिर मैं सॉरी बोल रहा हूँ.”
नूतन ने उन दोनों रोमियो को देखा जो उसके सम्मुख थे. धीरज जिसने अभी क्षमा माँगी अपना सिर झुकाये खड़ा था. और दूसरा सुक्खी (सुखविंदर) था. नूतन को ये देखकर सांत्वना मिली कि धीरज का केवल सिर ही झुका था, लौड़ा अभी भी पूरे वैभव में था.
“ओके, धीरज. अब आगे से ध्यान रहे. पार्थ और शोनाली नियमों के लिए बहुत कठोर हैं. पर इस व्यवधान से बहाव टूट गया है तो जाओ सबके लिए ड्रिंक लेकर आओ.”
***********
जैसा रूचि का संदेश था उसको मानकर पार्थ भी बाथरूम में घुस गया. राशि अभी स्नान ही कर रही थी. उसने नंगे पार्थ को देखा तो वो कुछ शर्मा गई. पार्थ उसकी बेटी का प्रेमी जो था.
“मैंने सोचा कि स्नान तो मुझे भी करना ही है, तो क्यों पानी व्यर्थ किया जाये.” ये कहते हुए पार्थ राशि से सट गया. ऊपर से फौहारा दोनों को भिगोने लगा.
पार्थ ने राशि को अपनी बाँहों में समेटा और उसे चूम लिया. राशि ने उसका साथ दिया और फौहारे के नीचे दोनों एक दूसरे से लिपट गए. पार्थ ने चुंबन तोड़ा और राशि के कंधे पर हाथ रखा. राशि ने उसे देखा तो पार्थ मुस्कुरा रहा था। पार्थ ने राशि के कंधे पर दबाव डालते हुए उसे नीचे बैठा दिया.
“मैं सोच रहा हूँ कि आप मुझे मुख मैथुन का आनंद यहीं दे दें तो अच्छा होगा.”
पार्थ ने अपने लंड को राशि मुँह से लगा दिया. फौहारे के पानी को कुछ कम कर दिया जिससे कि राशि को कठिनाई न हो. राशि ने मुँह खोला और पार्थ के विशाल लंड को निगल लिया. क्लब के रोमियो से चुदवाने का अनुभव होने के कारण राशि को पूरा लौड़ा मुँह में लेने में अधिक कठिनाई नहीं हुई. पार्थ ने उसके भीगे बालों में हाथ घुमाया और फिर राशि को उसका कार्य करने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया. वो चाहता था कि वो एक बार झड़ जाये जिससे कि अगली बार अधिक समय तक चुदाई कर सके. उसने अभी ये निर्णय नहीं लिया था कि वो पहले राशि की गाँड मारेगा या उसकी चूत को भोगेगा.
राशि अपनी पूरी तन्मयता से पार्थ के लंड को चूसने में मग्न थी. ऊपर गिरती हल्की पानी की फौहार उसे भली लग रही थीं. आज पहली बार वो स्नान करते हुए किसी का लंड चूस रही थी और उसे आशा थी कि अब ये एक नियमित घटना हो जाएगी. राशि ने लंड चूसने में अधिक जोर लगाया पार्थ ने उसकी सहायता करने हेतु उसके मुँह में अंदर बाहर करके उसके कार्य को सरल बनाने का प्रयास किया. राशि के दस मिनट के परिश्रम के फलस्वरूप पार्थ ने उसे बताया कि वो झड़ रहा है और राशि को पूरा रस पीना है. पार्थ ने फौहारा बंद किया जिससे राशि को पूरा पानी पीते हुए देख सके.
जब पार्थ ने झड़ना आरम्भ किया तो राशि ने अपना अनुभव दिखाया. पार्थ को आशा थी कि कुछ रस बाहर गिरेगा. पर राशि ने स्वयं को इस प्रकार से उसके नीचे आसन लगाया कि जो रस मुँह में नहीं गया वो उसके वक्ष पर गिरा. जब पार्थ का झड़ना बंद हुआ तो राशि ने लंड चाटा और अपने स्तनों पर गिरे रस को उँगलियों में लेकर चाट लिया.
“ये स्वीकार्य है न?” पूरा रस ग्रहण करने के बाद राशि ने पूछा.
“हाँ. और आप सच में निपुण हैं. मुझे बहुत आनंद आया, इस प्रकार से पानी की बौछार के नीचे लंड चुसवाने में.”
“और मुझे चूसने में.”
पार्थ ने फिर से फौहारा चला दिया. राशि ने पानी से कुल्ला किया। पार्थ ने केवल भीगने के ही लिए फौहारा चलाया था और उसे बंद कर दिया. फिर राशि का हाथ पकड़कर वो कमरे में आ गया.
“पार्थ कुछ पूछूँ?”
“जी”
“क्या तुम रूचि के लिए गंभीर हो?”
पार्थ ने गहरी श्वास ली, “हाँ, पर रूचि विरोध कर रही है. उसके अनुसार उसका मुझसे पंद्रह वर्ष बड़ा होना एक बड़ी अड़चन है. मुझे इसमें समस्या नहीं है.”
“मैं उसका कारण समझ रही हूँ, मैं कल सुबह तुम्हें बताऊँगी। क्या तुम जानते हो कि उसने कई दिनों से किसी भी अन्य पुरुष को छुआ भी नहीं है?”
“हाँ. मैंने उसे इस प्रकार से बंधने के लिए मना किया है. वो कहती है कि ये मेरे लिए आवश्यक हो सकता है, उसके लिए नहीं. इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं है.”
राशि पलंग पर बैठी तो पार्थ उसे देखने लगा. राशि कुछ देर में शर्मा गई.
“क्या देख रहे हो?”
“रूचि की सुंदरता का रहस्य. और नूतन ने जो बताया है उसके अनुसार उसकी प्रखर बुद्धि का स्त्रोत भी.”
“ऐसा कुछ नहीं है. मैं समझने के लिए ही प्रश्न पूछ रही थी.”
“किस समय, किससे क्या पूछना है, यही जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान होता है. चलिए उसके विषय में कल विस्तार से चर्चा करेंगे. रूचि और मामी १० बजे आएंगे.”
“तब तक के लिए मैं तुम्हारी आज्ञा मानने को विवश हूँ. पर मैं क्या पहले मेरी गाँड मारने का अनुरोध कर सकती हूँ?”
“आप अनुरोध कर सकती हैं, उसे मानना मेरी इच्छा पर निर्भर है. पर मैं आपसे सहमत हूँ. मैं भी इस सुंदर चिकनी गाँड मारने के लिए लालायित हूँ.”
राशि ये सुनकर तुरंत घोड़ी के आसन में आ गई और अपनी गाँड हिलाने लगी. राशि की इस चपलता को देखकर पार्थ के लंड ने करवट ली और फनफनाकर फुँफकारने लगा.
“हाय रे, कैसे नाच रहा है मुझे देखकर.” राशि ने कहा.
“हाँ. पर कह रहा है कि इसे इसके साथ नाचने वाली भी चाहिए.” पार्थ ने उसके पास आकर कहा और धीरे से राशि को आगे झुका दिया.
इस आसन में राशि की गाँड अब उसके सामने आ गई. पार्थ ने एक बार तो सोचा कि उसका स्वाद ले, फिर उसे दूर कर दिया. उसने टेबल की ओर देखा जहाँ जैल की ट्यूब होनी चाहिए थी. पर वहाँ कुछ न दिखा.
“रुकिए, मैं जैल लेकर आता हूँ.” पार्थ ने कहा तो राशि ने उसे रोका.
“मैंने ही हटाया था उसे. स्वाभाविक और प्राकृतिक ढंग से ही मारो. जैसे तुमने रूचि की मारी होगी.” राशि ने कहा तो पार्थ ने सोचा कि इन्हें कैसे बताऊँ कि राशि की गाँड जब पहली बार मारी थी तो नितिन का लौड़ा उसकी चूत में था. परन्तु उसने सास-तुल्य राशि की बात मान ली. गाँड को उसने थूक सी गीला किया और उँगलियों से उसे स्वाभाविक रूप से खोलने की चेष्टा करने लगा. जब उसे लगा कि अब राशि की गाँड मारने के योग्य हो गई है तो उसने उँगलियाँ निकालीं.
“ध्यान रहे, सासू-माँ, आज मेरी इच्छा चलेगी और कल से आपकी.”
पार्थ के मुँह से सासू-माँ का सम्बोधन सुनकर राशि का मन प्रफुल्लित हो गया.
उसने पीछे मुड़कर देखा और बोली, “पार्थ, मैं जानती हूँ कि रूचि तुमसे प्रेम करने लगी है. तुम्हारे और रूचि के बीच में जो भी हो, मैं तुम्हें मन में अपना दामाद स्वीकार कर चुकी हूँ. और आज मैं तुम्हें अपना तन और मन दोनों न्यौछावर कर रही हूँ. आज मैं पूर्ण रूप से तुम्हारी हूँ. आज तुम्हारी हर इच्छा पूरी करना मेरा कर्तव्य है.”
पार्थ ने अपने लंड के टोपे को गाँड के छेद पर रखा और दबाव बनाया. फक्क की धीमी ध्वनि के साथ सुपाड़े ने अंदर प्रवेश कर लिया, और रही की हल्की सी आह निकल गई. पार्थ चाहता तो दो या तीन धक्कों में ही अपने लंड का प्रताप दिखा सकता था. परन्तु राशि की भावनात्मक वचन के कारण वो अत्यंत धीमे लंड को एंड की ओर धकेल रहा था. समय के साथ उसका लौड़ा राशि की गाँड में अपना आधिपत्य जमा रहा था. राशि श्वास रोके हुए पार्थ के लंड को अपनी गाँड की गहराइयों में बढ़ता हुआ अनुभव कर रही थी. अचानक ही वो चिहुंक पड़ी. उसे लगा कि उसकी गांड अब पूर्ण रूप से बंद हो चुकी है. पार्थ के लंड का अवसान भी रुक गया था. उसने पीछे देखा। पार्थ के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. और इसका एक ही अर्थ था कि पार्थ उसकी गाँड पर विजय प्राप्त कर चुका था.
“क्या?”
“आपकी गाँड बहुत टाइट है, सासु माँ. और बहुत बहुत गर्म. ऐसा लग रहा है जैसे किसी भट्टी में लंड डला हुआ है.”
“सब तुम्हारे ही लंड का प्रताप है बेटा। इतने दिनों से गाँड मरवाने के बाद भी आज जो सुख और संतोष मिल रहा है उसका वर्णन करना भी मेरे लिए सम्भव नहीं है. कुछ देर यूँ ही रुके रहो. बाद में जो करना हो कर लेना.”
पार्थ ने उनके मम्मों को अपने हाथों में लिया और उनसे खेलने लगा. उसका लंड उसी प्रकार से राशि की गाँड में स्थापित रहा. पर राशि की चूत ने रोना आरम्भ कर दिया. उसके आँसुओं की धारा इतनी तीव्र हो गई कि बिस्तर भीगने लगा. पार्थ को उसके स्त्राव की सुगंध आई तो उसने एक हाथ मम्मों से हटाकर उसके भग्नाशे पर रखा और उसे छेड़ने लगा. गाँड में लौड़ा, और मम्मे और भग्न से छेड़छाड़ के कारण राशि का शरीर काँपने लगा. उसकी चूत से रस की धार और बढ़ गई.
पर पार्थ रुका नहीं. बल्कि उसके इसे सही समय मानकर अपने लंड को धीमी गति से राशि की गाँड में अंदर बाहर करना आरम्भ कर दिया. राशि की कामोत्तेजना और बढ़ गई. उसके मुँह से सिसकियों की ध्वनि अब और तेज होने लगीं.
“उई माँ. उई माँ!” राशि की ये बात सुनकर पार्थ ने अपना लंड पूरा बाहर खींचा और एक शक्तिशाली धक्के के साथ रही की गाँड में जड़ दिया. रही की सिसकारी बंद हो गई और चीखें निकलने लगीं.
“मैंने कहा था सासू माँ. आज मैं जैसे चाहूँगा वैसे चोदुँगा। आपकी मलमली गाँड बहुत आनंद देने वाली है.” पार्थ ने गुर्राते हुए कहा तो राशि की गाँड फट गई. ये दुष्ट गाँड तो मार ही रहा है अब और क्या करेगा?
परन्तु अब उसके वश में नहीं था. पार्थ ने अपने पूरे लौड़े को न केवल उसकी गाँड में डाला हुआ था बल्कि वो अब उसकी गाँड को मथ रहा था जैसे ओखली में किया जाता है. राशि ने अपनी गाँड को ढ़ीला किया और ऐसा करते ही उसके शरीर में आनंद की एक लहर दौड़ गई. पार्थ ने लंड की गति बढ़ा दी और राशि की सिसकारियों और चीत्कारों के बीच का अंतर मिटने लगा.
“क्या मस्त गाँड है सासू माँ. इतने दिन तक इसे क्यों छोड़ा इसका खेद रहेगा मुझे। पर अब मुझे रूचि से अनुमति लेनी होगी. जब भी में क्लब में आऊँ तो एक बार इस गाँड का आनंद लेकर ही जाऊँ। अगर रूचि मान गई तो सच में मैं उसकी हर बात मान लूँगा।” पार्थ बोल तो रहा था पर इसका अनुकूल प्रभाव राशि पर पड़ रहा था. वो स्वयं भी यही चाहती थी और उसे आशा थी कि रूचि उसकी बात नहीं टलेगी. और सम्भव हुआ तो शुचि को भी पार्थ की भेंट चढ़ा देंगे.
पार्थ के धक्के अब तीव्र थे और राशि होनी गाँड उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी गाँड में ले रही थी. सास दामाद (झूठे ही सही) इस कामक्रीड़ा में पूरे डूबे हुए थे. कमरे में ठप ठप की ध्वनि छाई हुई थी.
राशि इतने दिनों से रोमियो से चुद रही थी कि उसे उनकी क्षमता का पूरा अनुभव था. पार्थ भी उसपर भलीभांति खरा उतर रहा था. गाँड मारने में न उसकी गति कम हुई न ही धक्कों की शक्ति. राशि की गाँड ने अवश्य हार मान ली थी, पर वो अब विवश थी. जब तक पार्थ स्वयं नहीं झड़ता तब तक उसे मुक्ति नहीं मिलनी थी. राशि की आत्मा शांत हो गई. उसे अपने दामाद की शक्ति पर गर्व हो रहा था और अपनी बेटी के भाग्य से ईर्ष्या.
कई मिनट तक राशि की गाँड का भर्ता बनाने के बाद पार्थ ने झड़ने की घोषणा की. और राशि की गाँड में अपना वीर्यपात कर दिया. पार्थ इसके बाद भी राशि की गाँड मारता रहा और फिर अंततः जब उसका लंड सिकुड़ गया तो उसे बाहर निकाला.
“सासू माँ. बहुत आनंद आया आपकी गाँड मारकर. अब इससे दूर नहीं रहा जा सकता.”
“तेरी ही बेटा, जब चाहे आकर मार लिया कर.”
“पर अभी आपको मेरे लंड को साफ करना है.”
राशि को इससे कोई आपत्ति नहीं थी सो उठकर उसने पार्थ के लंड को चाटकर चमका दिया. और फिर लगी.
पार्थ हंस पड़ा, “क्या हुआ सासू माँ?”
“मुई चूत बहुत तरस रही है इसके लिए.”
पार्थ ने अपने लंड को उन्हें चूसने दिया क्योंकि वो स्वयं आज पूरी रात अपनी कथित सासू माँ की चूत और गाँड का निर्विघ्न भोग लगाने के लिए आतुर था. उसका ध्यान एक बार के लिए नूतन की ओर गया जो आज दो रोमियो से चुदवा रही थी. पर उस विषय में उसने बाद में विचार करना ही उचित समझा. रही के सिर को सहलाते हुए वो अपने लंड को उसके मुंह में चलाने लगा.
रात शेष थी और चुदाई की गाथा भी.