मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया …चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था ‘मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा’
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?… सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ…. अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
