You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 44 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 44 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ४४: मिश्रण 7
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दृश्य ३: सुमति और प्रकाश

जब सुमति पार्क से घर लौटी तो शोनाली रसोई में ही थी.

“दी. इसमें शर्माने की बात नहीं है. आपको प्रकाश अच्छा लगा न? हमें भी अच्छा लगा. और पार्थ को भी. अगर बात आगे बढ़े तो हम सबको प्रसन्नता होगी.”

सुमति ने शोनाली को चूमा, “धन्यवाद, भाई क्या बोला?”

“वो भी हैप्पी है.”

सुमति अपने कमरे में चली गई पर इस बार उसकी चाल में एक लचक थी.

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सुमति के भीतर जाते ही शोनाली ने दिया को फोन लगाया. उस घर में भी बहुत उत्सुकता थी तो ये तय हुआ कि महिला समिति की तुरंत मंत्रणा की जाये. ११ बजे का समय निर्धारित हुआ और फोन कट गया.

११ बजे जब प्रकाश और सुमति सुंदर जीवन के स्वप्न देख रहे थे महिला मंडली एक होटल में मंत्रणा में व्यस्त थी. वहीँ रूचि ने भी शतरंज पर अपनी चाल चल दी थी और अचानक ही चंद्रु को इस नगर में अपना व्यापार करने के लिए धन उपलब्ध हो गया. जब उसने ये प्रकाश को बताया तो उसकी मुस्कराहट ने चंद्रू का मन मोह लिया.

महिला मंडली का निर्णय शीघ्र ही हो गया था. उसके बाद अन्य विषयों पर बात हुई. फिर आगे की योजना को परिपूर्ण करने के लिए सब घर चले गए.

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अगले दिन जब सुमति पार्क से लौटी तो शोनाली ने फिर चाय पिलाई.

शोनाली: “दी, आपको आज सिया ने नौ बजे घर पर बुलाया है.”

सुमति न जाने क्यों ये सुनकर शर्मा गई. फिर अपने कमरे में चली गई. अधिक समय नहीं था तो तुरंत ही नहाकर कपड़े पहने और कई वर्षों बाद हल्का मेकअप भी किया. फिर समय देखा तो नौ बजने को कुछ ही मिनट शेष थे. ये देखकर वो घर से निकल गई और पटेल परिवार के घर जाकर घण्टी बजाई। दिया से खोला और उसे आश्चर्य से देखने लगी.

“वो वो शोनाली बोली कि आपने मुझे बुलाया है.”

दिया ने झट से द्वार बंद किया और तब सुमति ने देखा कि उसके वस्त्र बहुत अस्त व्यस्त थे.

“मैंने रात नौ बजे के लिए कहा था. पर कोई बात नहीं. आइये.”

अभी सुमति बैठने ही वाली थी कि भीतर से कुछ गिरकर टूटने की ध्वनि आई. दिया अंदर की ओर लपकी तो सुमति भी बिना सोचे हुए उसके पीछे दौड़ी. कमरा खोलकर दिया अंदर गई और उसके पीछे सुमति. और सुमति वहीं ठहर गई. आगे का दृश्य देखकर वो ठगी सी रह गई. सामने पलंग पर हितेश लेटा हुआ था और उसकी माँ सिया उसके ऊपर चढ़ी हुई थी. पीछे से प्रकाश उसके बालों को पकड़कर उसकी गाँड मार रहा था. सुमति का ध्यान केवल प्रकाश पर ही था जिसके लंड के सिया की गाँड में आवागमन को वो देख रही थी.

पलंग के एक ओर एक ग्लास टूटा पड़ा था. प्रकाश को तो जैसे इस बात का भान भी नहीं था कि कुछ टूटा भी था. दिया उसे उठाने के लिए आगे बड़ी तो हितेश ने सुमति की ओर संकेत किया, “मौसी, आंटी!”

दिया झटके से मुड़ी और उसने सुमति को देखा. फिर हितेश के देखकर आँख मारी फिर सुमति की ओर आकर बोली, “चलो चलो हम बाहर बैठते हैं.”

पर सुमति टस से मस न हुई. वो प्रकाश को सिया की गाँड मारते हुए एकटक देखे जा रही थी. दिया को तो लगा कि कहीं उसका मानसिक संतुलन तो नहीं बिगड़ गया. पर सुमति एक तंद्रा में थी. और धीमे से बोली.

“कितनी अच्छी चुदाई करते हैं न ये.”

“हाँ, पर अभी चलें?”

“नहीं. मुझे देखना है. आप जाओ.”

पर दिया नहीं गई और सुमति के साथ खड़ी देखने लगी. कामक्रीड़ा समापन पर थी और कुछ ही देर में प्रकाश ने एक तीव्र चिंघाड़ के साथ सिया की गाँड में अपना पानी छोड़ दिया. शोनाली ने दिया को सुमति के व्यसन के बारे में बताया था और इसी कारण से इस घटना को रचा गया था. अब ये देखना था कि क्या सुमति सिया की गाँड से प्रकाश का वीर्य पीयेगी या नहीं.

प्रकाश ने अपना लंड बाहर निकाला और बोला “भाभी आज तो सच में बहुत आनंद आया.”

ये बोल ही रहा था कि उसे अपने लंड पर किसी के होठों का स्पर्श हुआ. और उसका लंड निगल लिया गया.

“क्या दिया, ये कब से करने लगीं तुम. मैं तो तुम सबको मना मना के हार गया. अब भाभी की गाँड भी चाट लो तो जीवन सफल हो जाये.”

“हो जायेगा.”

ये सुनकर प्रकाश ने देखा तो दिया उसके सामने ही थी. सिया अभी तक हितेश पर चढ़ी हुई थी और हितेश उसे अभी भी चोदे जा रहा था, पर ये खेल भी कुछ ही पलों का था. प्रकाश ने नीचे देखा कि कनिका तो नहीं. पर उसकी आँखें सुमति से जा मिलीं. वो एक झटके से दूर हो गया. उसे लगा कि उसका बनता हुआ घर उजड़ने वाला है. पर सुमति की आँखों में ऐसा कुछ नहीं था. वो मुस्कुराई और सिया की ओर मुड़ी. उसकी कमर पर हाथ रखा तो दिया ने हितेश को ठहरने के लिए संकेत किया.

सुमति ने सिया की गाँड से बहते हुए रस को अपनी जीभ से चाटा और मुंह खोलकर प्रकाश को दिखाया. फिर अपने मुँह गाँड पर लगाया और उसमें से सोखने लगी. अनुभव की धनी होने के कारण कुछ ही पलों में सिया की गाँड का रस सुमति के मुँह में था. उसने फिर प्रकाश को देखा और उसे पी गई. अपने होठों पर जीभ दौड़ाई और मुस्कुरा दी. प्रकाश भी मुस्कुरा दिया और उसकी ओर आया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया.

हितेश ने चुदाई पुनः आरम्भ कर दी थी और वो कुछ ही पलों में झड़ने वाला था. दिया की आँखों में आँसू थे.

प्रकाश: “मुझे तो लगा था कि मैंने तुम्हें खो दिया.”

सुमति: “नहीं. अब ऐसा कभी नहीं होगा. आपकी हर इच्छा पूरी करुँगी।”

प्रकाश: “और मैं तुम्हारी.”

हितेश के झड़ने की चीख से उनका ध्यान उधर गया. सिया भी झड़कर उसके लंड से उतर रही थी. सुमति ने प्रकाश को देखा तो उसने सिर हिलाकर स्वीकृति दी. सुमति जाकर सिया की चूत से हितेश का वीर्य पीने लगी और उसे पूरा सोखकर ही हटी.

“वाओ आंटी, यू आर ग्रेट.”

“आंटी नहीं, चाची बोल. होने वाली चाची.”

भले ही सुमति के मुँह पर हितेश का रस लगा था पर वो ये सुनकर शर्मा गई. दिया ने उसे पीछे से बाँहों में ले लिया.

“अब आओ, इन्हें कुछ समय लगेगा. हम बैठक में बैठते हैं.”

दोनों बाहर गए और प्रकाश बाथरूम में गया तो हितेश ने अपनी माँ को उनका फोन दिया.

सिया ने एक संदेश लिखा और भेज दिया: “मिशन सफलता पूर्वक पूर्ण किया गया.”

और ये पढ़कर शोनाली नाचने लगी.

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कुछ ही देर में पहले प्रकाश और फिर सिया के साथ हितेश आ गए. दिया ने सुमति को फलों का रस पीने के लिए दिया था. सुमति खड़ी हो गई तो सिया ने आकर उसे गले से लगा लिया. फिर हितेश आगे बढ़ा और सुमति को बाँहों में लेकर उसकी गाँड दबा दी. सुमति उछल गई. प्रकाश मुस्कुरा दिया.

“तो सुमति, अब तो तुम्हें पता चल गया है कि हम परिवारिक सम्भोग में विश्वास रखते हैं. हमें प्रकाश के लिए तुम्हारे ही समान पत्नी की खोज थी जो इसमें बुराई न देखे और सम्मिलित हो जाये. लगता है कि वो खोज पूरी हो गई. प्रकाश और तुम एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो. हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है. शोनाली भी यही कह रही है. मेरा सुझाव है कि तुम दोनों दो तीन दिनों के लिए कहीं चले जाओ. देखो कि क्या साथ रहने में कोई अड़चन तो नहीं आती. उसके बाद जो भी निर्णय लेना है ले लेना.” सिया ने सुमति को समझाया.

“सच तो ये है कि हम सब भी इसी प्रकार रहते हैं. मैं पार्थ से कई वर्षों से चुदवा रही हूँ. यहां आकर भाई भी जुड़ गए. मुझे आपका सुझाव अच्छा लगा है. मैं भाई से पूछूँगी फिर बताती हूँ.”

“मैंने पूछ लिया दी.” ये सुनकर सबने उस ओर देखा तो शोनाली मुस्कुराती हुई अंदर आ रही थी. “आपके भाई से पूछने का काम मैंने कर लिया है. अब प्रकाश को निर्णय लेना है कि जाना कब है और कहाँ है.”

“आप सब इतने आतुर क्यों हो?” सुमति ने पूछा.

“क्योंकि हम सबको दिख रहा है कि तुम दोनों एक दूसरे को चाहते हो. बिन बोले भी तुम्हारे हाव-भाव साक्षी हैं. और हम नहीं चाहते थे कि तुम दोनों अक्कड़ बककड़ के चक्कर में एक दूसरे को खो दो. तो हम सबने ये सब खेल रचा था. आप दोनों के लिए.”

सुमति ने शोनाली को गले से लगा लिया और रोने लगी.

“आई ऍम सो लकी, जो आप मेरी भाभी हो. आई लव यू.”

प्रकाश अपने फोन पर कुछ ढूँढ रहा था. फिर उसने सुमति के कंधे पर हाथ रखा. सुमति ने उसे देखा तो प्रकाश ने अपना फोन दिखाया. सुमति ने सहमति में सिर हिलाया.

“कल जाएँगे शाम को. ऊटी.”

“और दी, आपको दिया ने रात नौ बजे बुलाया था और आप सुबह ही आ गयीं. पर अच्छा ही हुआ, ये भेद खुल गया और आगे की समस्या सुलझ गई. अब रात तो आपको आना ही है और चाहो तो यहीं रुक जाना अपनी ससुराल में.” शोनाली ने छेड़ते हुए कहा.

“धत, बदमाश.”

“नहीं, ये सही कह रही हैं. आप आज यहीं रुकना.”

“नहीं, मैं ऐसा नहीं करुँगी. मैं नौ बजे आ जाऊँगी पर लौट भी जाऊँगी।”

अब सुमति को मनाने का कोई औचित्य नहीं था.

“आओ दी, अब अपने घर चलते हैं.” ये कहकर शोनाली सुमति को लेकर अपने घर चल पड़ी.

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अपने घर पहुंच कर उन्होंने देखा कि सभी सदस्य बैठे उनकी ही राह देख रहे थे. और अंदर आते ही शोनाली ने उन्हें शुभ समाचार दिया तो पार्थ ने उठकर अपनी माँ को अपने सीने से लगा लिया. सुमति उसके आलिंगन में रोने लगी.

“अब मत रो. सब अच्छा होगा.” पार्थ ने कहा तो दूसरी ओर से जॉय ने उसे पकड़ा और उसकी बात का विमोचन किया.

सुमति ने कुछ समय बाद अपना रोना बंद किया। फिर सागरिका और पारुल ने उसे पकड़ा और फिर से रोना गाना आरम्भ हो गया. कुछ समय बाद सब शांत हो गए और अपने नित्य कर्म में लग गए. पार्थ ने शोनाली को सबीना, अमीना और निगार के विषय में सूचित किया. साथ ही उसे राशि को क्लब में ही रहने के लिए भी मनाया. क्योंकि रूचि का इस उपक्रम में एक बड़ा योगदान था तो सबसे उच्चतम कमरे को उसे आवंटित करना ही उचित था. शोनाली ने क्लब में फोन करके उस कमरे को लम्बे आवास के अनुरूप बनाने के निर्देश दे दिए.

फिर शोनाली ने पार्थ से कहा कि वो और जॉय आज सुमति को न चोदे क्योंकि उसे कल प्रकाश के साथ जाना है तो उसे विश्राम करना चाहिए. पार्थ हँसते हुए बोला कि ये बात प्रकाश को भी समझा दो. शोनाली ने कहा कि वो अभी ये काम कर देगी.

“मामी, अब क्लब कुछ ठीक चलने लगा है. मैं सोच रहा हूँ कि हम दोनों अन्य लोगों को इंटरव्यू लेने के लिए सोच सकते हैं. ये तीनों नयी महिलाओं के बाद हम पुराने रोमिओस को इसका अवसर दे सकते हैं. अब माँ के विवाह की भी बात होगी, सागरिका का तो तय हो ही चुका है. हमें अपने परिवार को अब अधिक समय देने के विषय में विचार करना चाहिए.”

“तुम्हारा रूचि के साथ क्या चल रहा है?”

पार्थ आश्चर्य से उसे देखने लगा.

“ऐसे मत देखो. मैंने तुम दोनों को साथ देखा है. क्या चक्कर है?”

“हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं. पर इससे अधिक कुछ नहीं कर पाएंगे.”

“क्यों नहीं? क्या आयु के अंतर के कारण? प्रियंका चोपड़ा अपने पति से १५ वर्ष बड़ी है. तो समस्या क्यों है?”

“नहीं, ये कारण नहीं है. सम्भव है कि अधिक मेल मिलाप के बाद इस विषय में सोचा जाये. परन्तु अभी रूचि और मैं इसे सीमित ही रखना चाहेंगे.”

“क्या इसीलिए तुम इंटरव्यू का कार्य छोड़ना चाहते हो?”

“नहीं ऐसा तो मैंने नहीं सोचा है. पर हाँ, मैं उनके साथ अधिक समय अवश्य बिताना चाहूँगा।”

“और राशि के क्लब में जाने से ये सरलता से सम्भव हो जायेगा.”

“हाँ, पर उसका एकमात्र उद्देश्य ये नहीं है.”

शोनाली ने पार्थ का हाथ पकड़ा.

“मैं समझ सकती हूँ. और मैं इस बात से भी अत्यंत प्रसन्न हूँ कि रूचि ने प्रकाश के व्यवसाय के लिए इतनी शीघ्र फंडिंग करवा दी. वो एक अच्छी महिला है. तो क्या आज तुम उसके घर जाओगे?”

“नहीं. एक बार उनकी माँ क्लब चली जाये तब.”

अचानक शोनाली ने पार्थ को देखा, “राशि को चोदा अब तक या नहीं?”

“नहीं.”

“तो क्लब की उसकी पहली रात उसके साथ ही रहना. वो भी इससे संतुष्ट होगी.”

“ओके.”

इसके बाद दोनों लौटे. सब अपने काम पर जा रहे थे तो पार्थ भी कुछ देर में निकल गया.

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रात में सुमति और शोनाली पटेल के बंगले पर गए. उनके स्वागत में आज मुख्य रूप से गुजराती भोजन बना था. इसके बाद दिया ने बहुत सारा खाना उन्हें डब्बे में भी दिया. प्रकाश और सुमति में अधिक वार्तालाप तो नहीं हुआ बस आँखों से ही बात हुई. दोनों अपने घर लौट आईं और सुमति अपने कमरे में सोने चली गई. शोनाली से बात होने के कारण प्रकाश को अपने कमरे में ही जाने के लिए कहा गया. वो इसका कारण जान कर हँसते हुए चला गया.

“देवरजी अब कुछ शांत हो गए हैं. पहले ऐसा बोलने पर लड़ जाते.” सिया बोली.

चंद्रू : “हाँ अच्छा है. अगर इसका क्रोध शांत हो जाये तो इसकी बुद्धि अच्छी है और सफलता अवश्य मिलेगी.”

“अभी ये चार पाँच दिन नहीं है, तो यहाँ जो काम आरम्भ करना है उसका क्या होगा?”

“उसके लिए मैं हितेश को ले लूँगा। वैसे भी ये यहीं रह रहा है तो अपना बिज़नस भी कुछ सीखेगा. प्रकाश के आने पर उसके हस्ताक्षर इत्यादि ले लेंगे. वो और हर्षित सहभागी हो जायेंगे.”

“ये अच्छा है. चलो अब देर हो रही है. दर्शन कहाँ गया हुआ है?”

“अरे वो रात में आएगा. उसके किसी मित्र का विवाह है तो वहीं गया हुआ है दो दिन से.” दिया ने बताया.

सबको आश्चर्य हुआ कि दो दिन से घर का बेटा बाहर है और प्रकाश और सुमति में इतना खो गए थे कि उन्होंने ध्यान भी नहीं दिया. हितेश अपने माता पिता के साथ ही उनके कमरे में जा घुसा तो सबको समझ आ गया कि आज सिया की भरपूर चुदाई होगी. अन्य सभी अपने कमरों में जाकर सो गए. रात भर सिया के कमरे से चीखें सुनाई देती रहीं. पर बंगले के बाहर नहीं जा पायीं.

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अगले दिन शाम चार बजे सुमति और प्रकाश निकल पड़े. उन्हें सबने भावुक मन से भेजा और सफलता की कामना की.

चंद्रेश हँसते हुए बोला “अरे चार ही दिन के लिए जा रहा है. अभी आ जायेंगे.”

उसे ये नहीं पता था कि ये दोनों चार दिन नहीं दो सप्ताह बाद लौटने वाले थे. प्रकाश आने की टिकट आगे बढ़ाता रहा और सुमति उसके साथ घूमती रही. हर शाम दोनों भोजन के बाद एक दूसरे में खो जाते. हर प्रकार के यौन सुख का आनंद दोनों ने लिया। परन्तु किसी अन्य व्यक्ति को अपने आनंद में सम्मिलित नहीं किया. उसके लिए उनका परिवार ही श्रेष्ठ था.

सुमति ने प्रकाश से कुछ भी नहीं छुपाया. उसके व्यसन के बार में सुनने के बाद प्रकाश बहुत उत्तेजित हो गया था और सुमति की गाँड मारकर उसे अपने रस को खिलाया था. इसके बाद तो ये उनके लिए एक सामान्य कर्म हो गया.

चंद्रेश ने नए व्यापार की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, केवल प्रकाश के आने की प्रतीक्षा थी. और वो हर तीसरे चौथे दिन आना टाल देता था. अंततः दो सप्ताह बाद प्रकाश ने बताया कि वो देर रात्रि में पहुंच रहे हैं.

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अगर इस पूरे प्रकरण से कोई अछूता था तो वो पार्थ था. उसे अपने कुछ आवश्यक कार्य सम्पन्न करने का समय मिल गया. राशि क्लब में रहने के लिए चली गई. और जैसा शोनाली ने कहा था, क्लब की उसकी पहली रात पार्थ से चुदाई करवाते हुए निकली. पार्थ ने भी उसे पूरे बल और सामर्थ्य से चोदा था. और शोनाली के कथनानुसार राशि पूर्ण रूप से संतुष्ट हो गई थी. उसने अगले दिन प्रातः में पार्थ से एक बार और चुदवा कर अपनी बेटी को भी सुखी रखने का वचन ले लिया था.

राशि के क्लब में रहने के अधिकाधिक लाभ मिले. इस माह की पार्टी की कमान राशि ने संभाल ली. राशि, रूचि, शोनाली और पार्थ ने पार्टी संचालन हेतु एक मंत्रणा की. इसमें राशि के सुझाव पर सचिन और निखिल को भी बुलाया गया. सबका ये अनुमान था कि रोमियो की सँख्या कम पड़ सकती है. परन्तु इसका कोई उपाय नहीं सूझ रहा था. अचानक ही सचिन ने कहा कि क्यों न हम ऐसे अब आयोजनों के लिए अस्थाई रोमियो का प्रबंध करें. नितिन इस श्रेणी में आ सकता है. इस पर विचार किया गया तो लगा कि ये सम्भव है कि सदस्याओं और रोमियो से भी इस विषय में पूछा जा सकता था. कुल मिलाकर अगर चार से पाँच ऐसे लड़के मिल सकेंगे तो पार्टी का आनंद ही अलग स्तर का होगा.

इस बार पार्टी की थीम थी “परिवार”. क्लब में ऐसे दस सदस्याओं और रोमियो के जोड़े थे जो एक ही परिवार से थे. कुछ रोमियो को सदस्याओं ने जोड़ा था तो कुछ सदस्याओं को रोमियो ने. माँ, मामी, चाची, बुआ इस प्रकार के विभिन्न संबंध थे. इनका एक विशेष शो होना था. और उसके बाद दो दिनों तक व्यभिचार की अनूठी कथा लिखी जानी थी.

इस संदर्भ में सचिन के मन में एक नाम था, नूर का, जिसका लौड़ा उसने देखा था. और सबीना के कहे अनुसार उसके कज़न भाई नदीम भी इसी प्रकार से सुसज्जित था. पार्टी की थीम में भी ये पूर्ण रूप से सटीक बैठते थे. और दोनों उपलब्ध भी रहने वाले थे. इस प्रकार से तीन का तो प्रबंध हो ही चुका था. पर अभी उसने इस विषय में कुछ कहा नहीं. जब पार्थ ने शोनाली से उनके साक्षात्कार के बारे में पूछा क्योंकि ये क्लब की प्रतिष्ठा का प्रश्न था. वो कुछ कहती इससे पहले ही राशि बोल पड़ी.

“अब अस्थाई हैं तो शोनाली को क्यों घसीट रहे हो. मैं हूँ न.” उसकी आँखों की चमक उसके मन के उद्भव व्यक्त कर रही थी. सबने सहर्ष इसे स्वीकार किया.

इसके बाद क्लब की सदस्याओं को एक संदेश भेजा गया. “इनमे से किसी को कॉल करो.” इसके बाद शोनाली और राशि के नाम दिए गए. कुछ ही समय में उनके फोन बजने लगे.

दूसरा समान संदेश रोमियो को भेजा गया और उन्हें पार्थ, सचिन और निखिल को कॉल करने का आदेश दिया. इसके बाद दोनों गुट नए अस्थाई रोमियो की खोज में लग गए.

पार्थ अब हर दूसरी या तीसरी रात रूचि के ही साथ बिताता था. सागरिका भी वहीं सुप्रिया के घर अधिक रुकने लगी थी. नितिन और उसकी अच्छी पटती थी और निखिल को कोई जलन नहीं होती थी. इस कारण जॉय, शोनाली और पारुल को अधिक समय साथ रहने का अवसर मिल रहा था जिसका वो भरपूर लाभ भी उठा रहे थे.

इस बीच पार्थ ने सबीना का यथोचित साक्षात्कार करने के बाद उसे क्लब में प्रवेश दे दिया गया था. अब उसी माँ और भाभी आ चुके थे और उनके साक्षात्कार कल से निर्धारित थे. पार्थ का मन एक बार डोला कि अगर उसकी माँ आ रही है तो उसकी चुदाई का आनंद पहले ले. पर एक अच्छे व्यापारी के समान रूचि ने समझाया कि सुमति कहीं भागी नहीं जा रही है, और रात तो वो उसे चोद ही सकता है.

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रात्रि ग्यारह बजे के लगभग एक टैक्सी सुमति और प्रकाश को छोड़कर चली गई. दोनों का अपने अपने घरों में भरपूर स्वागत हुआ. प्रकाश और सुमति दोनों के चेहरे दमक रहे थे. शोनाली और पारुल ने तो सुमति के ऊपर चुंबनों की बौछार ही कर दी. पार्थ खड़ा अपने माँ के इस नए रूप को देख रहा था. कई वर्षों बाद उसे अपनी माँ के चेहरे पर एक चमक और शांति दिख रही थी. उसे अपने इस निर्णय पर प्रसन्नता हुई कि उसने अपनी माँ के भविष्य के लिए कुछ अच्छा किया. रूचि ने प्रकाश की सहायता करके ये सुनिश्चित कर दिया था कि उसकी माँ अब इस कॉलोनी में नहीं भी हुआ तो इसी नगर में रहेगी. लगभग इसी आशय के भाव जॉय के मन में भी उमड़ रहे थे.

शोनाली और पारुल से मिलकर जब सुमति ने अपने भाई और बेटे को देखा तो दौड़ कर उनके पास आई. उसका चेहरा इतनी ही देर में आँसुओं से भीग गया. दोनों ने उसे अपनी बाँहों में लिया और फिर से चुंबनों का क्रम आरम्भ हो गया. जब ये भावुक मिलन ठहरा तो सुमति ने धीमे से कहा.

“मैंने आप दोनों का अभाव बहुत अनुभव किया इतने दिनों. मैंने शोनाली और पारुल से पूछ लिया है. आप आज रात मेरे साथ रहो. प्रकाश को भी मैंने पहले ही बता दिया था और उसे कोई आपत्ति नहीं है.”

सुमति के इस कथन से कि प्रकाश को आपत्ति नहीं है ये सिद्ध हो गया कि अब दोनों का भविष्य एक है. पार्थ भी मन ही मन झूम उठा. अब उसे अपनी माँ की चुदाई के लिए कल रात्रि की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी. जॉय और पार्थ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये तो शोनाली ने पास आकर सुमति का हाथ पकड़ा.

“चलो दी, आप पहले नहा लो नहीं तो ये दोनों आपको कुछ नहीं करने देंगे.” फिर जॉय की ओर देखकर बोली, “आप पार्थ और दी के कमरे में चलो. मैं इन्हें लाती हूँ.”

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वहीं पटेल गृहस्थी में दिया, सिया, नीलम और कनिका ने प्रकाश को घेरा हुआ था. प्रकाश की बातों से उसके भविष्य में सुमति से विवाह करने का निर्णय सिद्ध हो चुका था. घर के पुरुष भी उतने ही प्रसन्न थे परन्तु उन्हें ये प्रकट करने का अवसर नहीं मिल रहा था. जब प्रकाश को महिलाओं ने मुक्त किया तो उसके चेहरे पर लिपस्टिक के इतने चिन्ह थे कि पूरा मुंह रंगबिरंगा हो गया था. अब उसे छेड़ने का अवसर पुरुषों को मिला. और प्रकाश जो पहले बहुत शीघ्र चिढ़ कर क्रोधित हो जाता था उनके इस खेल में मुस्कुराकर साथ दे रहा था.

दर्शन और हर्षित तो उसे सबसे अधिक छेड़ रहे थे, “चाचा, क्या हुआ चाची साथ नहीं आई? चाची को अपने बताया कि आप ऐसा करते हो वैसा करते हो?” इत्यादि। पर प्रकाश हंसकर उनका उत्तर देता रहा. उसके इस परिवर्तित व्यक्तित्व से सबको शांति मिली. और उन्होंने आज की रात इसका उत्सव मनाने का निर्णय लिया. बहुत दिनों से घर में सामूहिक चुदाई का अभाव था.

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दोनों परिवारों में इतनी रात होने के बाद भी ऐसा वातावरण था मानो सब अभी उठे हों. शोनाली जब सुमति को लाई तो पारुल भी साथ ही आ गई. पारुल और शोनाली ने सुमति को पार्थ के हाथ सौंपा और पारुल के साथ एक ओर सोफे पर जा बैठी. सागरिका ने सुबह तड़के आने का विश्वास दिलाया था.

उधर पटेलों ने अपनी बैठक में ही कामक्रीड़ा करने का निर्णय लिया. उसके लिए स्थान को उपयुक्त बना दिया गया. दर्शन, हितेश और कनिका ने जितनी स्फूर्ति दिखाई वो प्रशंसनीय थी. कुछ ही समय में क्रीड़ांगन सज गया.

आज इस कॉलोनी के पाँचवें और छठे घर के एकीकरण का उत्सव था.

खेल अभी आरम्भ होने के थे.

रात अभी शेष थी.

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विशेष सूचना:

राशि का क्लब में रहने का विवरण एक विशेष अध्याय में दिया जायेगा. इस अध्याय में ही आप ओडुम्बे, डिगबो और गातिमु के क्लब में परीक्षण और सबीना, अमीना और निगार के क्लब प्रवेश के साक्षात्कार के भी विषय में जान पाएँगे।

ये सम्भवतः ५0 वाँ अध्याय रहेगा.

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