दृश्य १: रूचि आहूजा का घर:
शिखा आतुर क्या थी, उसकी गांड फट रही थी. तीनों अफ़्रीकी लौंड़ों आकार से उसे ये तो समझ आ ही गया था कि पार्थ का हथियार बीस ही होगा. गांड मरवाने में उसे दक्षता प्राप्त थी, पर अपनी गांड सबको प्यारी होती है. पार्थ को अपनी ओर आते देख लुपलुपाने लगी. पर अपने बॉबी के लिए उसे ये बलिदान देना ही होगा. राशि ने उसकी असहजता को समझा।
राशि, “चिंता न कर, बहुत अनुभवी है ये. हर नई सदस्या की गांड मारकर ही उसे क्लब में लेता है. कइयों की तो गांड की सील भी खोली है. वो सब इससे गाँड मरवाने के लिए आज भी आतुर हैं.”
राशि की बात सुनकर शिखा को शांति मिली.
“शिखा जी, दिंची क्लब की सदस्यता की जो परीक्षा है उसमें आज आपके लिए विशेष परिवर्तन किया गया था. अन्यथा, आपका संसर्ग मुझसे एकांत में होना चाहिए था. परन्तु मैडम (राशि की ओर संकेत करते हुए) की इच्छा ये थी. और इनकी बात टालने का साहस मुझमें नहीं था. परन्तु, इसका जो दूसरा चरण है, जहाँ आपकी गांड मारी जानी है, वो आप चाहें दूसरे कमरे में जाकर पूर्ण कर सकते हैं. या यहाँ सबकी उपस्थिति में.”
शिखा सोच में पड़ गई. उसने राशि को देखा जो एक संकेत कर रही थी. उसे समझ आ गया कि उसके बॉबी के लिए वीडियो बनाई जा रही है.
“यहीं उचित है. जब सबके सामने चुद ही चुकी हूँ, तो गांड मरवाने में कैसा संकोच?”
ये सुनकर पार्थ और राशि की मुस्कुराहट बिखर गई.
पार्थ ने राशि से पूछा, “आंटी, क्या इनकी गाँड समुचित खुली है?”
राशि ने शिखा को आगे झुकाया और उसकी गाँड में लगे प्लग को दिखाया.
“हम्म्म, क्यों नहीं आप ये प्लग निकाल कर इनकी गाँड को कुछ गीला कर देतीं, तब तक मैडम मेरे लंड को गीला कर लेंगी.”
राशि इन शिखा का हाथ लिया और उसे पलंग पर घोड़ी के आसन में कर दिया. फिर धीमे से उसकी गाँड से प्लग निकाला. पार्थ ने अपने लंड को शिखा के सामने किया तो शिखा ने उसे मुँह में लेकर चाटा।
“मेरा स्वाद भी ले ले.” रूचि ने पास आकर शिखा को जताया कि पार्थ के लंड पर उसका रस भी जमा है. पर शिखा दूसरे संसार में जा चुकी थी. मोटे लंड को मुँह में लेकर चूसने का आनंद ही भिन्न होता है. और उसकी रिक्त हुई गाँड में उसकी शैली की माँ की जीभ घूम रही थी, जिसका आनंद भी उसे मिल रहा था.
दूसरी ओर सचिन बैठा व्हिस्की पीते हुए कल रात की घटना के विषय में चिंतन कर रहा था.
************
सबीना की गाँड़ मारने के बाद सचिन उसकी गाँड़ में ऊँगली डाल डाल कर उसमे से अपना रस लेकर सबीना को खिला रहा था. उसे स्वयं ये अचरज था कि इतने विशिष्ट परिवार की बेटी और बहू इस प्रकार से उसके वश में थी कि न केवल अपनी गाँड़ से निकला वीर्य चाटती थी बल्कि उसका मूत्र भी प्रेम पूर्वक पीती थी.
“सबीना डार्लिंग, कैसी रही आज की चुदाई?” सचिन ने उसके कानों में पूछा.
“मस्त रही. पर आज अकेले क्यों आये?” सबीना ने पूछा.
सचिन जान कर आज अकेला आया था. उसे सबीना की कामपिपासा, सम्पत्ति और एकाकीपन का अनुमान हो चुका था. वो उसे दिंची क्लब की सदस्या बनाने के विषय में सोच रहा था.
“क्यों क्या हुआ? तुम्हारे भतीजों की याद आ गई क्या?”
“अरे उन मुओं को छोड़ो.” फिर वो सचिन के सीने से जा लगी. “सच कहूँ तो कुछ और ही बात है.”
सचिन ने उसकी ओर देखा.
“रुको, मैं तुम्हें अपने बेटे से मिलवाती हूँ.”
“आपको बेटा भी है, मैं तो समझा था कि सना ही आपकी इकलौती संतान है.”
“नहीं, वो सना से बाद है और अपने अब्बू, मामू और नानू के साथ दुबई गया हुआ है. उससे बात कराती हूँ. अभी वहां शाम ही हुई है.”
ये कहकर उसने अपना आईफोन निकाला और फेसटाइम पर नूर नाम लिखा.
“पर मैं यहाँ, कोई समस्या न हो जाये.”
“कुछ नहीं होगा, पर तुम चुप रहना बस.”
काल लगने पर एक स्मार्ट लड़का दिखाई दिया.
“हाई मॉम, क्या हाल है, ब्यूटीफुल?”
“मत बात कर मुझसे, जब तक मैं न लगाऊँ कभी मुझे नहीं फोन करता.”
“अरे मॉम, दिन भर तो नानू, मामू और अब्बू गाँड में ऊँगली किये रहते हैं, एक मिनट भी बैठने नहीं देते. बस यही समय थोड़ा विश्राम कर पाता हूँ.”
“गाँड में ऊँगली, क्या वो तेरी भी गाँड मारने लगे?” सबीना की चीख निकल गई.
“अरे नहीं अम्मीजान.” तभी उसके चेहरे पर कुछ विचित्र से भाव आये और एक हंसी का स्वर सुनाई दिया.
“तेरे साथ कोई है क्या?” सबीना ने पूछा.
“हाँ, देखो.” कैमरा नीचे गया तो एक महिला उसका लंड चाट रही थी. सचिन ने देखा कि ये खिलाडी क्लब के लिए उपयुक्त है. पर उसकी ऑंखें उस वृद्धा पर रुक गयीं.
“अम्मी! आप कब दुबई गयीं?”
अमीना बेगम ने अपने नाती के लंड चाटते हुए बताया, “आज ही सुबह पहुँचे हैं. मन लग नहीं रहा था.”
“मुझे क्यों नहीं बुलाया?”
“तुझे तो चोदने के लिए बड़े जवान लौंडे आ रहे हैं, क्या करती बुला कर. कभी हमारे बारे में भी सोचती तो यहाँ न आना पड़ता.”
“और कौन गया?”
“निगार भी आई है, समीर के साथ.”
“वो कहाँ है?”
“मॉम, मामी को तो नानू मामू और अब्बू अपने साथ चोदने के लिए ले गए हैं. और समीर भाई मेरे साथ हैं. हम दोनों मिलकर अब नानी को चोदने वाले हैं. अब मॉम बाद में बात करते हैं. नानी इतने दिन मिली हैं, इन्हें अच्छे से चोदने दो आज.”
ये कहकर काल बंद हो गया. और सबीना उदास हो गई. सचिन को लगा कि लोहा अभी गर्म है और चोट की जा सकती है.
“सबीना डार्लिंग. मेरे पास आपके अकेलेपन का एक हल है.”
“बताओ.”
“मेरी एक मित्र मंडली है, इन सबसे भिन्न. हम सभी आपके जैसी दुखी महिलाओं के अकेलेपन को दूर करते हैं. और सबके लौड़े मेरे जितने या मुझसे बड़े हैं. और हम सब चुदाई में पारंगत हैं. आप चाहो तो मैं आपके लिए बात कर सकता हूँ अगर वो आपको सम्मिलित करने के लिए मान जाएँ.”
“ओह! ये ठीक रहेगा. कर लो बात. मेरे शौहर, बेटा, भाई और अब्बू तो अब दो महीने बाद ही आएंगे.”
“परन्तु कुछ नियम हैं.” सचिन ने मछली को काँटे में फँसते देखा तो बोला, “इस विषय में आप किसी को भी कभी भी नहीं बता सकतीं, क्योंकि इनमें आपके जैसे ही प्रतिष्ठित परिवारों की महिलाएं हैं. और ये सेवा फ्री नहीं है.”
“मैं पूरा विश्वास दिलाती हूँ कि मैं किसी से भी नहीं कहूँगी. तुम मेरा ये स्वभाव अकेलेपन के कारण देखते हो. तुमने देखा होगा, जब से तुम सब मुझे चोदने लगे हो मैं शांत हो गई हूँ.”
फिर सबीना कुछ सोचने लगी. “क्या निगार भी जुड़ सकती है?”
“पर.”
“मुझे उसपर विश्वास है और हम दोनों की स्थिति भी एक जैसी ही है. मुझे तो लगता है कि कहीं अम्मी भी न मचलकर हठ करने लगें. अर्शी और सना को भी जोड़ लेंगे.”
“नहीं, ये सेवा पैंतीस वर्ष से अधिक मात्र विवाहित या विधवा महिलाओं के लिए ही है. ऊपर की कोई सीमा नहीं है. एक दो तो सत्तर वर्ष के निकट की महिलाएं हैं.”
“ठीक है, तो हम तीनों ही सही.”
“मुझे पूछना होगा. पर आपने ये तो पूछा है नहीं कि इस सेवा की कीमत कितनी है?”
“जो भी हो, मुझे स्वीकार है. सप्ताह में तीन चार बार जम कर चुदाई हो जाये और क्या चाहिए. पर कितनी है?”
“प्रवेश शुल्क ५ लाख, और अगर आप में तीन चार बार सेवा लेंगी तो हर महीने के लगभग दो से तीन लाख.” सचिन ने बढ़ा कर बताया।
अगर सचिन ने सोचा था कि सबीना मोलभाव करेगी तो उसे आश्चर्य हुआ.
“ठीक है. मैं बोनस भी दे दूंगी. अब अम्मी और निगार लौटें तो तुम्हें उन्हें भी चोदना होगा. फिर उन्हें भी मिला लेंगे.’
अचानक सामने से कुछ ध्वनि सुनकर सचिन का ध्यान वर्तमान में लौटा.
************
भला हो प्लग का जिसने शिखा गाँड को भलीभाँति खोल दिया था. राशि की लप्लपाती जीभ को उसमे विचरण में कोई समस्या खड़ी नहीं हुई. जब राशि को लगा कि अब गाँड की राह इसे अधिक सुगम नहीं हो सकती तब हट गई. शिखा पार्थ के लंड को अब तक चूस कर पर्याप्त रूप से चिकना कर चुकी थी. तो अब रुकने का औचित्य ही नहीं था. पार्थ सामने से हटा और शिखा के पीछे जा खड़ा हुआ. अपने हाथों से उसकी गाँड सहलाते हुए नितम्बों की गोलाई और सुडौलता को देख रहा था. पार्थ अब तक न जाने कितनो ही परिपक्व स्त्रियों की गाँड मार चुका था. पर उसे आज तक हर गाँड की सुंदरता और आकार मानो कंठस्थ थे. राशि ने सहायता हेतु, थोड़ा तेल शिखा की गाँड में डाला और कुछ पार्थ के लंड पर मल दिया. फिर लंड को गांड के छेद पर रखा और हट गई.
पार्थ ने अपने चारों ओर देखा, सब उसकी ही ओर देख रहे थे. अपने घुटनों पर बल डालते हुए लंड को गाँड में प्रविष्ट कर दिया. सुपाड़ा अंदर जाते ही शिखा ने हल्की सी सिसकारी ली. राशि उसके आगे जा खड़ी हुई और उसके मम्मों से खेलने लगी. पार्थ बिना रुके अपने लंड को अंदर डाले जा रहा था और शिखा को उसके शक्तिशाली लौड़े की प्रगति का पूरा आभास था. किस प्रकार से उसकी गांड भरती हुई अनुभव हो रही थी. एक स्थान पर आकर पार्थ रुक गया. अभी लगभग आधा ही लंड अंदर गया था. वो इसी स्थिति में लंड को आगे पीछे करने लगा. शिखा की हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं. राशि द्वारा उसके मम्मों को निचोड़े जाने के कारण भी वो अत्यधिक उत्तेजित हो रही थी. इसका प्रभाव उसकी चूत से बहते हुए रस के रूप में दिख रहा था.
“अब मत रुको, पूरा डाल दो.” राशि ने पार्थ से कहा.
पर पार्थ जानता था कि अगर अभी तीव्रता दिखाई तो आगे समस्या हो सकती है. उसने राशि की ओर देखा तो राशि भी समझ गई और उसकी ओर आई. पार्थ ने अपना लंड बाहर निकाला और राशि ने उसे मुंह में लेकर चाटा और फिर से शिखा की अधखुली गाँड पर रख दिया. शिखा की गाँड अब बंद होने लगी थी. पार्थ ने फिर से उसकी गाँड में लंड डाला और इस बार कुछ और आगे तक ले गया. शिखा कुनमुनाने लगी. पार्थ ने इतनी ही गहराई तक उसकी गाँड मारने का निश्चय किया और लंड धीमी गति से अंदर बाहर करने लगा. शिखा को आनंद आने लगा और राशि फिर उसके मम्मों पर ध्यान देने लगी. कमरे में उपस्थित अन्य सभी पार्थ के संयम और प्रताप को देखकर प्रभावित थे. किस प्रकार से चुदाई का आरम्भ किया जा सकता है ये उनके लिए एक पाठ था.
पार्थ इसी प्रकार से लंड को शिखा की गाँड में अंदर बाहर करता जा रहा था, परन्तु हर बार कुछ और अंदर तक भी डाल रहा था जिसका आभास शिखा को नहीं हो रहा था. कोई दस मिनट के बाद पार्थ ने एक गहरी श्वास भरी और नीचे देखा. उसका लौड़ा शिखा की गाँड में पूर्ण रूप से स्थापित हो चुका था. दर्शक दीर्घा की ओर से तालियों की ध्वनि सुनकर शिखा को आभास हुआ कि उसकी गाँड में पार्थ का विशाल लौड़ा पूरा अंदर है. उसने अपनी गाँड हिलाकर उसका स्वागत किया. रूचि आगे आई और उसने पार्थ को चूमा और कहा कि अब वो स्वतंत्र है शिखा की गाँड पर विजय प्राप्त करने के लिए. पार्थ ने अब धीमी गति से ही अपने लंड को शिखा की मखमली गाँड में अंदर बाहर करना आरम्भ किया.
शनैः शनैः उसने अपनी गति बढ़ाई और कुछ ही मिनटों में उसके लंड के पूरे प्रताप से शिखा दोहरी होकर चीखने लगी.
“अब मेरे यहाँ रुकने का कोई अर्थ नहीं है.” राशि ने कहा और उस ओर चल पड़ी जहाँ रोमियो बैठे हुए ये कुकृत्य देख रहे थे. सचिन ने जब राशि को अपनी ओर आते देखा तो उसे अमीना बेगम का चेहरा और शरीर का स्मरण हो आया. उसे राशि में अमीना दिख रही थी.
“सो बॉयज? अब मेरी बारी है. फिर तुम्हें शिखा की भी चुदाई करनी है.” राशि मेहुल के सामने बैठते हुए बोली. फिर वो गौरव की ओर देखते हुए बोली, “आजा बेटा चढ़ जा मेरे ऊपर. इतनी देर से चुदाई देखकर मेरी आग भड़क गई है.”
गौरव उठा तो साथ में फिलिप भी उठ खड़ा हुआ.
“एक से आपका क्या होगा आंटीजी, आप मेहुल के लंड को चूसो, हम आपकी सेवा करते हैं.”
“हाय कितने सयाने बच्चे हैं. तो फिर यहाँ नहीं हो पायेगा. बिस्तर पर ही चलो.” चारों पलंग चल पड़े जिन्हें देखते हुए सचिन, ओडुम्बे, डिगबो और गातिमु देखते रहे. वो उधर देख रहे थे और सचिन अमीना के विषय में ही सोच रहा था.
************
सचिन अमीना के बारे में सोचने वाला अकेला नहीं था. सबीना भी उनके ही विषय में सोच रही थी. उसे पता था कि उसकी माँ रात भर चुदी होगी और अभी थककर सो रही होगी. पर उससे अधिक प्रतीक्षा नहीं हो पा रही थी. उसने अपने आई-पैड से उन्हें फेसटाइम पर कॉल लगा दी. आश्चर्य से अमीना ने तुरंत ही कॉल ले ली. उनके मुस्कुराते चेहरे को देखकर सबीना को संतोष हुआ कि उसने उन्हें जगाया नहीं.
“सही समय पर कॉल किया. हम सब तेरे ही विषय में बात कर रहे थे.” ये कहते उन्होंने अपना आई-पैड घुमाया और सबको दिखाया. सबीना ने अपने परिवार के सभी लोगों को नंगे बैठे देखा तो उसकी चूत खुजलाने लगी. निगार की आँखें बंद थीं और उसके होंठ कांप रहे थे.
“क्या समीर यहीं भाभी का मूत्र पी रहा है?” सबीना ने अचरज से पूछा. उसे समीर के व्यसन का पता था कि वो अपनी अम्मी की चूत से दिन में कई बार मूत्र नहीं पीता उसे शांति नहीं मिलती थी. दुबई में वो कैसे रह पाता होगा ये भी एक चिंतन का विषय था. निगार ने आँखें खोलीं और आई-पैड की ओर देखा.
“कैसी को सबीना. देखो न तुम्हारा लाडला भांजा सुबह से चार बार मेरा मूत पी चुका है पर इसका पेट नहीं भरा.”
“अरे भाभी, पेट भर भी गया होगा. पर मन नहीं भरा होगा अपने शहजादे का.”
इतने में समीर भी फ्रेम में आ गया. उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था. अपने होंठों पर जीभ घुमाते हुए बोला, “यस मामी. अम्मी का हर पानी मुझे अमृत लगता है. अब जब तक हैं तब तक तो अच्छे से पियूँगा.”
“ठीक है. जब आएगा तो अपनी मामी का भी पी लेना.”
“ओह यस मामीजान। इस चूजे को पिलाया कि नहीं?” नूर की ओर देखते हुए पूछा.
“इसे कहाँ प्यार है मुझसे जितना तू करता है.” सबीना ने हँसते हुए कहा.
“अम्मी, ऐसा नहीं है. अपने कभी कहा नहीं. अब देखना जब आयूंगा तब.”
“मेरा राजा.” सबीना का मन मातृत्व से गदगद हो गया.
अमीना बी ने आई-पैड अपनी ओर किया.
“क्या बात करने के लिए फोन लगाई है?”
“अम्मी, वो जो मुझे चोदने वाले लौंडे हैं न, उनमें से एक ने बताया कि उनकी एक मंडली है. और सबके लौड़े लम्बे मोटे हैं. वो कई शादीशुदा और बड़ी उम्र की औरतों को चोदते हैं. अब नासिर तो मुझे कम ही मिलने आते हैं. तो मैं सोच रही थी कि क्यों न मैं भी…”
“मुझे कोई आपत्ति नहीं है, बेगम. पर जब मैं वहां रहूँ तब ये नहीं चलेगा.”
“हाँ. मैं भी आप जब यहाँ रहोगे तो कौन सी फ्री रहूँगी। आप सब मुझे चोदोगे ही, तो उनके पास जाने का कोई अर्थ ही नहीं बनेगा.”
अचानक सबीना के भाई नदीम ने टोका, “वो सब ठीक है, हमारा भी यहाँ रहना नितांत आवश्यक है. पर कोई लफड़ा नहीं चाहिए अपुन को.”
“कोई लफड़ा नहीं होगा. मैं उस लौंडे की अम्मी को जानती हूँ.”
तभी निगार बोल पड़ी, “मुझे भी मिलवा दो न? ये तो यहाँ हैं, मेरी चुदाई के लिए कोई नहीं है. अब तो बच्चे भी इनके साथ आने लगे हैं.”
नदीम: “ठीक है. पर जैसा नासिर ने कहा, जब हम वहां रहेंगे तब सब बंद रहेगा.”
निगार प्रसन्न हो गई, “ठीक है.”
“तो बेगम, आप अकेली क्यों तरसोगी? आप भी जुड़ जाओ.” ये सबीना के अब्बू सलीम ने अमीना बी को बोला तो उन्होंने चुपचाप सहमति दे दी.
“ठीक है, मैं उनसे बात करुँगी। आप कब लौट रहे हो?”
“दस दिन बाद. नूर और समीर भी आएँगे दो सप्ताह के लिए.”
“वाह !” सबीना ने ताली बजाई, “अम्मी, अब्बू. एक बात और है.”
“बोलो.” सलीम ने अपने लौड़े को सहलाते हुए बोला।
“उनकी फ़ीस है, फ्री में नहीं है.”
“ओह! लगता है यहाँ की बीमारी इंडिया में भी पहुंच गई है. कितनी है?”
“पहले पाँच लाख और फिर हर महीने दो तीन लाख, कितने लड़के और कितनी बार पर निर्भर है.”
“ओह! ये तो बहुत अधिक है. पर ठीक है. थोड़ा मोल भाव करो, आखिर तीनों मिलकर जा रही हो.”
“ठीक है, अब्बू. मैं कम करवा लूँगी। आप सबको ये स्वीकार है न?”
सबने हामी भरी. सलीम ने निगार को अपना लंड दिखाया तो वो उनके आगे झुककर चाटने लगी. सबीना समझ गई कि अब बात समाप्त हो चुकी है. पर उसका उद्देश्य पूरा हो गया था. उसने कॉल काटी और सचिन को कॉल किया.
*************
जहाँ एक ओर पार्थ की गति तीव्रता पकड़ रही थी और अंतिम चरण पर थी, वहीँ उसके साथ में फिलिप नीचे लेट चुका था और राशि उसके ऊपर चढ़कर अपनी चूत में उसके लंड को ले रही थी. पार्थ ने राशि को आगे झुकते हुए देखा और उसकी गाँड पर मुग्ध हो गया. आज तक पार्थ ने राशि को नहीं चोदा था, न ही शुचि को. अब उसे लगा कि इस त्रुटि को ठीक करने का समय आ गया था. अगर राशि क्लब में रहने लगेगी तो उसका भोग लगाने में पार्थ को अधिक समय नहीं लगेगा.
राशि ने आगे झुकते हुए अपनी गाँड को फैलाया और उसके पीछे खड़े गौरव ने बिना किसी देरी के अपना लौड़ा उसकी गाँड में पेल दिया. राशि की चूत और गांड में मोटे लम्बे लौड़े स्थापित हो गए थे. मेहुल ने राशि के मुंह में अपना लंड डाला क्योंकि राशि के दोनों हाथ पलंग पर ठीके थे. और फिर उसने गौरव को चुदाई आरम्भ करने का संकेत दिया.
शिखा अपनी सहेली की माँ का ये रूप देखकर विस्मित थी. पर उसके साथ भी आज ये होना ही था. इसी सुख की खोज में तो वो आज यहां आई थी. पार्थ ने एक हुंकार भरी और शिखा को अपनी गांड में पार्थ के लंड का मोटा होते होना अनुभव हुआ. और पल भर की देरी में उसे अपनी गाँड में पार्थ के रस की ठंडक का अनुभव हुआ. पार्थ ने कुछ देर तक अपने लंड को यूँ ही भीतर बाहर किया और फिर निकाल कर एक ओर हट गया.
और इसी बीच सचिन का फोन बज उठा. एक ओर टेबल पर रखे फोन को देखा तो सबीना का कॉल था. उसने पार्थ को साथ आने का संकेत किया और कमरे से दोनों बाहर निकल आये. अब तक सबीना ने फोन काट दिया था तो सचिन ने उसे फोन किया.
“हेलो डार्लिंग! कैसी हो?”
“तुम्हारी ही याद में खोई हुई हूँ. पर मैंने फोन इसीलिए किया है कि मेरी घर पर बात हो गई है. अब्बू और भाई ने अम्मी और भाभी को भी इजाजत दे दी है. तो हम तीनों ही जुड़ेंगी. पर एक समस्या है.”
पार्थ भी सुन रहा था और उसे तीन नए सदस्याओं के जुड़ने से आनंद आ गया. सचिन के पूछने पर सबीना ने बताया.
“पहली बात तो ये है कि जब हमारे आदमी यहाँ होंगे, तब हम आपसे मिलने नहीं आएंगी. और दूसरी कि अब्बू ने कहा कि आप फीस अधिक माँग रहे हो. तो आपको कम करनी होगी.”
पार्थ ने हथेली दिखाकर सचिन को बताया कि इसे थोड़ा लटकाओ, फिर १० मिनट बाद कॉल करना.
सचिन: “पहली बात के लिए तो आपको कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं है. आप जब आना चाहे आयें और जब न चाहें न आएं. दूसरी के लिए मुझे हमारे लीडर से पूछना होगा. और अगर वो माने तो आपका इंटरव्यू भी वही लेंगे. मैं दस मिनट में फोन करता हूँ.”
इसके बाद सचिन और पार्थ ने बात की और केवल पहली फ़ीस कम करने पर सहमति हुई. क्योंकि अभी उन्हें इन तीनों की चुदाई की क्षमता का पता नहीं था. परन्तु कुछ सोचकर पार्थ ने कहा कि दो लाख से बिल ऊपर जाने पर दो बार की फ़ीस छोड़ देंगे. सचिन को भी ये सुझाव उत्तम लगा और उसने सबीना को फोन करके बता दिया. फिर उसे बताया कि उसका इंटरव्यू दो दिन बाद है जिसके लिए वो उसे लेने आएगा. सबीना ने बताया की उसकी अम्मी और भाभी दस दिन बाद आएंगे. तो सचिन ने उनके इंटरव्यू की भी तिथि बता दी. उसके बाद दोनों अंदर चले गए जहाँ राशि की घनघोर चुदाई अपने चरम पर थी.
***********
शिखा अभी भी राशि की चुदाई देखकर अचरज में थी. जिस शक्ति और तीव्रता के साथ उसकी चुदाई की जा रही थी उसे देखकर उसकी आत्मा कांपने लगी थी. पर राशि की चीखों से तो मानो आनंद की अनुभति हो रही थी. उसकी स्वयं की भी इस प्रकार से कई बार चुदाई हुई थी, पर जो बल और लौड़े रोमियो प्रयोग में ला रहे थे वो उसके अनुभव के सामने क्षीण थे. पार्थ और सचिन भीतर आये तो रूचि उनकी ओर गई. पार्थ ने उसे अमीना, निगार और सबीना के बारे में बताया. रूचि भी नगर के प्रतिष्ठित परिवार के बारे में जानकर सन्न रह गई. परन्तु उसने इसे क्लब के आगे बढ़ने के लिए सहर्ष स्वीकार किया.
गौरव, फिलिप और मेहुल ने राशि को भिन्न भिन्न आसनों में चोदा था और अब झड़ रहे थे. एक एक करके वो रणभूमि से हटते गए और राशि संतुष्टि के साथ पलंग पर ही ढेर हो गई. उसके मुँह, चूत और गाँड से रस भी जा रहा था. पर वो अचेत सी पड़ी हुई थी. उसके चेहरे की मुस्कान और संतुष्टि के भाव ही उसके सुख का प्रमाण थे. चुदाई के इस संग्राम में अब एक विश्राम का समय था. सो व्हिस्की के पेग बने और सब पीने में व्यस्त हो गए.
रूचि अपनी माँ की एक ओर ले गई और उन्हें क्लब में रहने के विषय में पूछा. राशि सहर्ष ही मान गई. रूचि के मन से एक बोझ उतर गया. उसने पार्थ को संकेत दिया कि सब ठीक है.
शिखा आज रात्रि यहीं रुकने वाली थी. रोमियो में से तीन अपने घरों को जाने वाले थे. पार्थ ने रूचि के ही साथ रुकने का निर्णय लिया। अब शिखा और राशि की रात भर चुदाई होने वाली थी.
रात अभी शेष थी.