You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 34 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 34 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ३४: आठवाँ घर – स्मिता और विक्रम शेट्टी ५

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दिंची क्लब में शोनाली और मेहुल:

शोनाली अपनी सैंडल चटखाते हुए निर्धारित कमरे तक पहुंची और दरवाजा खोला. मेहुल जो बहुत देर से उसी ओर देख रहा था अंदर आई महिला को देखकर चौंक गया. वहीँ शोनाली भी स्तब्ध रह गई.

शोनाली: “तुम! मेहुल!”

मेहुल: “शोनाली आंटीजी आप! ओह शिट!”

शोनाली: “हम्म्म, पार्थ ने मुझे बताया नहीं कि आज तुम्हारा साक्षात्कार है. उसे तो मैं बाद में ठीक करुँगी.”

मेहुल: “आंटीजी, मुझे भी सचिन ने ये नहीं बताया कि आप यहाँ की संचालिका हैं. अगर आप चाहें तो मैं अभी यहाँ से चला जाता हूँ.” ये कहते हुए मेहुल उठने लगा.

शोनाली ने मेहुल को देखा, “नहीं, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है. जो भी है हम अब एक दूसरे के विषय में जान ही चुके हैं. तो क्लब के लिए मैं इसे यूँ ही नहीं जाने दे सकती. और फिर तुम भी मेरे विचार से जाना नहीं चाहोगे. तुम बैठो, मैं स्नान करके आती हूँ.”

शोनाली स्नान करने घुस गई और सोचने लगी कि निखिल और पार्थ के साथ उनके ही आठ परिवारों के समूह में तीन तीन बड़े लंड वाले कैसे हो सकते हैं? नितिन को मिला लें तो चार हो जायेंगे. स्नान करने के बाद उसने गाउन डाला और कमरे में आ गई. मेहुल ने उसके भीगे शरीर को देखा और बालों से चूते पानी को देखकर उसका लंड खड़ा हो गया. अब उसका जाना सम्भव नहीं था.

“तो मेहुल, मैं पहले यहाँ के कुछ नियम बता देती हूँ. फिर तुम्हारा नाप लिया जायेगा, तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा लंड दस इंच से अधिक बढ़ा है.”

मेहुल उनके मुंह से लंड सुनकर चकित हुआ, “जी, विश्वास है.”

इसके बाद मेहुल को भी शोनाली ने नियम बताये.

शोनाली: “मेहुल, यहाँ पर हमारी सदस्य महिलाएं अपने शरीर की प्यास मिटाने के लिए आती है. वो यहाँ प्यार ढूंढने नहीं बल्कि चुदने के लिए आती हैं. इस बात को सदा याद रखना. कभी भी कोई सदस्या अगर अधिक निकट आने का प्रयास करे तो पार्थ या मुझे इसके बारे में बता देना.”

इसके बाद उसने कमरे में रखे फोन से नूतन को बुलाया. नूतन ने अपने हाथ में फीता लिया और कमरे में चली आई.

“नूतन, तुम्हें मेहुल के खड़ा लंड नापना है. ये कार्य तुम्हारे लिए नया नहीं है, तो मुझे अधिक कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है.” शोनाली ने नूतन से कहा.

नूतन मेहुल के पैरों के बीच बैठी और गाउन को हटाया. मेहुल के आधे खड़े लंड को देखते ही नूतन और शोनाली को पता चल गया कि नापना व्यर्थ है, पर नियम की अनदेखी भी नहीं की जा सकती थी. नूतन ने लंड को चाटा और फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. शोनाली का कहना सही था, नूतन इस कार्य में विशेष रूप से निपुण थी और कुछ ही देर में मेहुल का लंड पूर्ण रूप से तन गया.

शोनाली भी देख रही थी. उसे कालिया का लंड याद आ गया. आज मेरी गांड फटेगी!

“ठीक है नूतन, अब नापो।”

नूतन ने मेहुल को खड़े होने के लिए कहा और फिर उसके लंड को थामकर उसे नापा।

“११.८ इंच है.” नूतन ने हकलाते हुए बताया.

“हम्म्म, बहुत सही. हमारे यहाँ का रिकॉर्ड क्या है अब तक का?”

“मुझे याद नहीं है मैडम, पर ये अवश्य पता है कि १२ इंच तक कोई भी नहीं है.”

“मेरा भी यही विचार है. कालिया भी मेहुल के आसपास ही है. ठीक है तुम जा सकती हो.”

नूतन चली गई और कुछ ही देर में फोन बजा.

“मैडम कालिया का लंड ११. ७ इंच है.”

“धन्यवाद, नूतन.”

“हाँ तो मेहुल, अब बताओ कि क्या तुम अगले चरण पर जाना चाहोगे?”

“जी, बिलकुल.”

“अगर यहाँ आये हो तो अवश्य तुम्हें चुदाई की तकनीकें पता होंगी ही. तो क्यों नहीं तुम मुझे अपने मुंह और जीभ का कौशल दिखाओ.” शोनाली ने मेहुल से कहा.

“अवश्य।” मेहुल ने कहा और उसे बाँहों में लेकर होंठ चूमने लगा.

शोनाली का अर्थ कुछ भिन्न था परन्तु मेहुल ने ये जानकर भी इस प्रकार से हो आगे बढ़ने का निर्णय लिया. कुछ ही पलों में शोनाली उसकी बाँहों में कसमसाने लगी और मेहुल ने दोनों के शरीर पर लदे गाउन उतार दिए. एक दूसरे से यूँ ही लिपटे हुए चूमते हुए मेहुल सधे पाँवों से शोनाली को बिस्तर की ओर ले गया. बिस्तर के पास जाकर उसने चुंबन तोड़ा और शोनाली को बिस्तर पर लेटने का संकेत दिया. शोनाली कंपकंपाते हुए बिस्तर पर लेटी तो मेहुल ने उसके पैरों को फैलाया और फिर उसकी चूत के पास नाक लगाकर एक गहरी साँस ली. शोनाली की चूत की सुगंध उसके नथुनों से होते हुए उसके फेफड़ों में समा गई.

फिर उसने जीभ से केवल भग्नाशे को छेड़ा और कुछ समय तक बस यही करता रहा. शोनाली की साँसे अब और तीव्र हो चली थीं. इसके बाद मेहुल चूत के बाहरी भाग को चाटने लगा. हर छिद्र को उसने चाटा और इस पूरे समय शोनाली केवल आहें और सिसकारियां ही लेती रही. जैसे ही मेहुल की जीभ ने शोनाली की चूत में प्रवेश किया, शोनाली का संयम टूट गया और वो मेहुल के मुंह में ही झड़ गई. मेहुल ने कोई आपत्ति नहीं की, न ही अपने सिर को गंतव्य से हटाया. मेहुल अपनी लय में शोनाली की चूत चाटता और चूसता रहा. जब शोनाली फिर झड़ने के निकट पहुंची तो अचानक मेहुल ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली. शोनाली छटपटा उठी.

पर मेहुल ने उसकी गांड के नीचे हाथ रखते हुए उसके कूल्हे उठाये और अपनी जीभ को शोनाली की गांड की गोलाई पर फिराने लगा. शोनाली की छटपटाहट और बढ़ गई. उसने भी अपने कूल्हे और उठा लिए और मेहुल के लिए अब गांड का स्वाद लेने में सरलता हो गई. मेहुल ने भी इस सुगमता का लाभ उठाया और गांड के छेद को भरपूर चाटा। फिर जब उसे लगा कि शोनाली स्वयं को संभाल पायेगी तो उसने कूल्हे के नीचे से हाथ हटाकर गांड को खोला और जीभ अंदर कर दी. शोनाली की सिसकारी ने उसे बता दिया कि वो सही पथ पर है. पर इस आसन में ये कार्य अत्यधिक कठिन था, इसीलिए मेहुल ने इसे बाद में पूर्ण करने का निर्णय लिया और लौट कर चूत पर ध्यान लगाया. कुछ ही देर में शोनाली एक बार और झड़ी और उसके चेहरे पर तृप्ति का भाव आ गए.

“बहुत अच्छा, अति उत्तम. अब मुझे तुम्हारे लंड की शक्ति का परीक्षण करना है. तो आओ मुझे अपना लंड चूसने के लिए दो.”

मेहुल ने शोनाली को बैठाया और वो जब बिस्तर के किनारे आ गयी तो उसे अपना लंड प्रस्तुत कर दिया. शोनाली ने मेहुल के लंड को चाटने और चूसने में अपना पूरा परिश्रम लगाया. लंड बड़ा होने के कारण उसे कुछ असहजता अवश्य हुई, पर इस क्लब में बड़े लंड वाला वो पहला नहीं था तो शोनाली ने शीघ्र ही अपनी ताल पकड़ ली. मेहुल उसके सिर पर हाथ रखे हुए था और शोनाली के इस परिश्रम का आनंद ले रहा था. परन्तु उसके मन में एक विचार और चल रहा था.

उसकी तीव्र बुद्धि ने शीघ्र ही ये समझ लिया कि अगर पार्थ और उसकी बुआ इस प्रकार के क्लब के संयोजक हैं तो उनके परिवार में भी कौटुम्बिक व्यभिचार परम्परा होगी. अब उसे ये पता था कि राणा परिवार इसमें संलिप्त था. वहीं कल के रहस्योद्घाटन के बाद नायक परिवार में भी यही प्रथा थी. शोनाली की बेटी सागरिका का विवाह समर्थ सिंह के परिवार में तय हुआ था, तो सम्भव है कि वहां भी इस प्रकार का ही वातावरण होगा. अर्थात, इन आठ घरों में से पाँच घरों में पारिवारिक चुदाई चलती थी. ये कितना अविश्वसनीय संयोग था? तो क्या अन्य तीनों परिवार बजाज, डिसूजा और पटेल भी?

क्या इस विषय में उसे कुछ छानबीन करना चाहिए? अगर पता चल भी गया तो क्या अंतर पड़ेगा? फिर उसकी आँखों में उन परिवारों की स्त्रियों के चेहरे और भरेपूरे शरीर घूमने लगे. अवश्य, अंतर तो पड़ेगा. उसने इसके लिए अपने नए मित्र सचिन की सहायता लेने का निश्चय किया. सचिन भी अपनी माँ की चुदाई करता था और माँ बेटे इस क्लब का हिस्सा थे, माँ सदस्या के रूप में तो सचिन रोमियो की भूमिका में. इस योजना के बारे में आगे सोचने का निश्चय करने के बाद उसने शोनाली के मुंह में अपने लंड के धक्के लगाने आरम्भ किये. शोनाली जो अब तक अकेली ही सारा परिश्रम कर रही थी, इस सहायता से प्रसन्न हो गई. शोनाली के मुंह में झड़ने के बाद शोनाली ने उसके वीर्य को पीने में कोई कोताही नहीं की.

शोनाली को मेहुल के रस में कुछ नया ही स्वाद आया. उसे अपनी नन्द सुमति के भाग्य पर जलन हुई जो गांड में छोड़े हुए रस का पहला स्वाद लेने वाली थी. पर शोनाली ईर्ष्या करने वाली स्त्रियों में तो थी नहीं, उसने अपने इन विचारों को शीघ्र ही मन से दूर कर दिया.

“तुम्हें कितना समय लगेगा?” शोनाली ने मेहुल से पूछा फिर उसके लंड को देखा. लंड अभी भी उसी स्थिति में था, हाँ कुछ कड़ापन कम हुआ था पर उसका आकार अभी भी यथावत था.

“अधिक नहीं, बस कुछ ही मिनट.” मेहुल ने घड़ी की ओर देखा तो उन्हें अभी २५ मिनट ही लगे थे, अर्थात अन्य दो चरणों के लिए पर्याप्त समय था.

शोनाली उससे कुछ इधर उधर की बात करने लगी. इतना अनुभव कैसे है, कितनी स्त्रियों को चोदा है, इत्यादि. उसे आश्चर्य हुआ कि मेहुल का लगभग सम्पूर्ण अनुभव मध्यम आयु या उनसे बड़ी स्त्रियों के साथ ही था. क्लब के लिए इसका ये अनुभव बहुत मूल्यवान होने वाला था, अगर वो उत्तीर्ण होता. पर मेहुल के लंड की वर्तमान स्थिति को देखकर शोनाली को विश्वास था कि ऐसा न होने की संभावना नगण्य थी. शोनाली की अपेक्षा के अनुसार अधिक देर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. अपने हाथ से इस पूरे समय वो मेहुल के लौड़े को सहलाती रही थी. जब उसे लगा कि वो अंगड़ाइयाँ लेने लगा है तो अपने मुंह से कुछ देर चाटकर उसे गीला किया.

“मेरे विचार से अब चुदाई की परीक्षा की जा सकती है. तुम मुझे जिस प्रकार से भी चाहो चोद सकते हो. क्लब में हर लौड़े से चुदवा चुकी हूँ तो मुझे नहीं लगता कि कोई कठिनाई होगी. पर पहले मेरी चूत को चाटकर समुचित रूप से गीला कर दो.”

शोनाली ने लेटते हुए अपने पैर खोल दिए. मेहुल ने कुछ समय उसकी चूत को चाटा और फिर अपने लंड को उसपर रखते हुए घिसने लगा. चूत से हल्का पानी रिसा और मेहुल ने सही अवसर जानकर एक अच्छा धक्का लगाया और उसके लंड का आधा भाग शोनाली की चूत में प्रविष्ट हो गया. शोनाली को आनंद की अनुभूति होने लगी. उसे विश्वास हो गया कि मेहुल की माँग क्लब में बहुत अच्छी रहने की आशा थी. मेहुल ने शोनाली के चेहरे को देखा और किसी प्रकार की व्यथा को न देखकर लंड को बाहर निकाला और इस बार के धक्के ने उसे लगभग पूरी गहराई तक पहुंचा दिया.

“ओह! सचमुच बड़ा है. कुछ बचा है क्या?” शोनाली को लगा कि अब लंड पूरा घुस चुका होगा.

मेहुल ने कोई उत्तर नहीं दिया। वो अपने पाशविक रूप में लौटने लगा था. उसने लंड को फिर से बाहर निकाला और इस बार के धक्के की शक्ति इतनी अधिक थी कि न केवल लंड पूरा अंदर समा गया, बल्कि इतना सुगठित पलंग भी हिल गया. शोनाली की भी स्थिति एकदम परिवर्तित हो गई. उसकी चूत में मानो कोई चाकू चल गया हो. इतने लौड़े लेने के बाद भी मेहुल के शक्तिशाली धक्के ने उसकी नींव हिला दी.

मेहुल अब कहाँ रुकने वाला था. वो लम्बे धक्कों के साथ शोनाली की चुदाई करने लगा. एक बार लंड की ताल सही बैठे के बाद उसने शोनाली के मम्मों पर हाथ रखे और उन्हें मसलते हुए उसकी उग्रतम चुदाई करने लगा. शोनाली को इस सब से संतुलित होने में कुछ समय लगा पर फिर उसने भी मेहुल का साथ देना प्रारम्भ कर दिया. मेहुल का लंड शोनाली की हर गहराई को छू रहा था और शोनाली को भी इसमें पूर्ण आनंद मिल रहा था.

मेहुल की शक्ति और सामर्थ्य से वो बहुत प्रभावित हुई. क्लब की कुछ विशिष्ट महिलाएं जो इस प्रकार की चुदाई के लिए लालायित रहती थीं उनके लिए तो मेहुल एक वरदान होने वाला था. विशेषकर उसकी क्षमता और तीव्रता जो किसी इंजन के पिस्टन के समान द्रुत गति से चलायमान था. शोनाली भी इस चुदाई से आल्हादित होकर पानी छोड़ रही थी. उसकी जलमग्न चूत में मेहुल के लंड के चलने से ऐसी ध्वनि आ रही थी मानो कोई नौका चल रही हो.

“छप, छप, छप, छप, छप, छप.”

शोनाली की चुदाई करते समय मेहुल के सामने उस महिला की भी छवि आ रही थी जिसे उसने रिसेप्शन पर देखा था. उसकी आयु पचपन की रही होगी, पर चुदाई में पूरा आनंद देगी. उसकी गांड मारने में क्या आनंद आएगा. पर उसके पहले उसे शोनाली आंटी की गांड का फालूदा बनाना था. और इसके लिए भी वो उत्सुक था. उसकी तीव्र गति से चुदाई और मन में चल रहे अनेक कलुषित विचारों के ही कारण उसके लंड में अब उबाल आने लगा था. शोनाली भी अब सम्भवतः दो बार झड़ चुकी थी तो उसे अब झड़ने में कोई समस्या नहीं दिखी. उसने शोनाली को बताया कि वो झड़ने वाला है और शोनाली ने उसे उत्साह से झड़ने के लिए आमंत्रित किया. कुछ ही पलों में मेहुल का वीर्यरस शोनाली की चूत को सींच रहा था. अपने लंड से अंतिम बून्द निकलने तक मेहुल ने लंड को अंदर ही जमाये रखा और फिर बाहर निकाल लिया.

शोनाली ने उसे पास बुलाया और लेटे हुए उसके लंड को स्वच्छता प्रदान की. इसके बाद उसने मेहुल को हटने के लिए कहा और फिर वैसे ही लेटे हुए अपनी चूत में से मिश्रित रस को निकालकर चाटा। बस यही मिल सकता है. गांड वाला मिश्रण तो सुमति दीदी के लिए सुरक्षित रखना होगा. कुछ देर लेटे रहने के बाद वो उठी और टेबल में से गांड बंद करने वाला प्लग निकाला। उसे ढूंढकर एक मोटा प्लग निकाला क्योंकि उसकी गांड का फैलाव छोटे प्लग को रोक नहीं पाता और सुमति के लिए उसकी गांड में कुछ नहीं बचता.

शोनाली ने मेहुल को समझाया कि उसकी गांड में झड़ने के पश्चात उसे उसकी गांड को उस प्लग से बंद करना है. मेहुल ने इसके लिए हामी भरी. पर इसके साथ ही उसे ये भी विश्वास हो गया कि इस परिवार में भी चुदाई की प्रथा है. क्या सच में इतने परिवार इस प्रकार से लिप्त हैं? आंटी किसके लिए उसके वीर्य को संभाल रही हैं? पार्थ के परिवार के बारे में सोचा तो उसे सुमति पर सबसे अधिक संशय हुआ. उसका लंड अब फिर से अपने रौद्र रूप में आ रहा था. शोनाली उसकी इस प्रतिक्रिया से मुस्कराई. मेहुल का लंड कालिया से किंचित ही बड़ा था, इसीलिए समस्या कोई नहीं थी. पर एक अनावश्यक सी झुनझुनी उसकी गांड में हो रही था. सम्भवतः ये सोचकर कि जब सुमति को पता लगेगा कि उसका आज का भोग पड़ोस के ही लड़के का है तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी।

शोनाली ने घड़ी देखी, अब केवल ४५ मिनट ही शेष थे.

“पर्याप्त हैं.” ये सोचकर वो उठी और मेहुल को पीछे आने के लिए कहा.

बिस्तर पर जाकर घोड़ी बन गई और टेबल की ओर संकेत करके मेहुल को जैल की ट्यूब लेने के लिए कहा.

“क्या मैं कुछ समय इस सुंदर गांड की सराहना कर सकता हूँ?” मेहुल ने प्रश्न किया तो शोनाली ने उसे अनुमति दे दी.

“वाओ आंटीजी. आपकी गांड बहुत ही मस्त है और क्या गोलाई है.” मेहुल ने उसके नितम्ब पर हाथ से सहलाते हुए कहा.

कुछ देर यूँ ही हाथों से सहलाने के बाद उसके गांड के दोनों और के गोलार्धों को अलग किया तो लुपलुप करती गांड का छेद उसके सामने खुल गया. अपनी जीभ से गांड की बाहरी झुर्रीदार त्वचा को चाटा तो शोनाली सिहर गई. मेहुल ने अपनी जीभ से बाहर के हर छिद्र हर रोम को चाटकर लाल कर दिया. फिर गांड के अंदर जीभ से कुरेदना आरम्भ किया. जब उसे लगा कि गांड अब लौड़े के लिए उतावली हो रही है तो उसने ट्यूब से जैल निकाला और गांड में अच्छे से भर दिया. दो उँगलियों की सहायता से गांड पूर्ण रूप से चिकनी हो गई. अपने लंड पर भी जैल चिपड़ने के बाद उसने घड़ी देखी, ३५ मिनट.

“आंटीजी, मैं आ रहा हूँ.” मेहुल ने चेताया.

“स्वागत है.” शोनाली ने उत्तर दिया, “अपने ढंग से मारो. गांड मेरी बहुत मारी गई है, इसीलिए हर प्रकार के आक्रमण के लिए सदैव उत्सुक रहती है.”

मेहुल ने गांड में सुपाड़ा डाला, जो बिना किसी अड़चन के अंदर चला गया. इतने बड़े लौडों से मरवाती है, खुली तो होनी ही थी. तीन इंच तक लंड को अंदर डालने के बाद मेहुल रुका, फिर लंड को बाहर खींचा और एक तीव्र धक्के के साथ पूरे लंड को अंदर पेल दिया. शोनाली की चीख निकली और वो औंधे मुंह बिस्तर पर गिर गई. इस कारण उसकी गांड में लंड और तंग हो गया. मेहुल ने शोनाली को उठने या सम्भलने का अवसर नहीं दिया. इस प्रकार उसे गांड में कुछ अधिक घर्षण मिल रहा था और वो लम्बी थापों के साथ शोनाली की गांड मारने में जुट गया.

तीन चार मिनट तक इस प्रकार से गांड मारने के बाद उसने गति कम की और शोनाली को घोड़ी के आसन में लौटने में सहायता की.

“बड़े निर्मम हो, मेहुल.” शोनाली ने कहा तो सही पर इसमें अभियोग का अभिप्राय नहीं था.

एक बार सही स्थिति में आने के बाद मेहुल ने फिर से शोनाली की गांड का बैंड बजाना आरम्भ कर दिया. शोनाली अब तक मेहुल की अद्भुत शक्ति और सामर्थ्य की प्रशंसक बन चुकी थी. उसने भी गांड हिला हिला कर, उछाल उछाल कर मेहुल की ताल से ताल मिलाई। मेहुल को शोनाली की ये प्रतिक्रिया बहुत भा गई. अधिकतर उससे गांड मरवाने वाली आंटियां उसे ही पूरा परिश्रम करने देती थीं और बस ऊह आह वाह के अतिरिक्त कोई और अन्य प्रतिक्रिया कम ही देती थीं. इसका अर्थ ये नहीं की उन्हें गांड में उसका लौड़ा अच्छा नहीं लगता था, बस वो इतनी उन्मुक्त होकर नहीं चुदवाती थीं.

“आंटीजी, क्या गांड है आपकी, और आपकी ये थिरकते हुए गोल गोल नितम्बों का तो कोई सानी नहीं. सच में आपकी गांड मारने में जो मजा आ रहा है उतनी किसी और गांड में नहीं आया. यू आर टू गुड ए फक.” मेहुल प्रशंसा किये बिना न रह सका.

शोनाली ने भी अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए उसका उत्तर दिया, “लौड़ा तेरा भी मस्त है. क्या गांड की सिलाई खोल रहा है. सच में तुझसे गांड मरवाने के लिए मुझे अपना कलेंडर बनाना पड़ेगा. पार्थ के साथ भी इतना…” शोनाली झोंक में बोल तो गई पर रुक कर भी उसने सच्चाई को उजागर कर ही दिया. वो चुप हो गई.

“आंटीजी, मैं बच्चा नहीं हूँ, मैं समझ चुका हूँ कि पार्थ आपकी चुदाई करता ही होगा. अन्यथा इस प्रकार से आप दोनों इस क्लब का प्रबंधन नहीं कर रहे होते. पर मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता है. ये आपके बीच का विषय है. बस मुझे बीच बीच में अपनी गांड मारने का अवसर देती रहना.”

शोनाली ने गहरी श्वास भरी और अपनी गांड को फिर उछालने लगी, मेहुल ने भी निर्भीक होकर गति और गहराई दोनों को चपल कर दिया. कमरे में गूंजती थापों का संगीत सुरीला हो चला था. उसमे शोनाली की सिसकारियां और मेहुल के हू हू के स्वरों ने नया ही रंग भर दिया था. दो बार झड़ चुकने के कारण अब मेहुल बहुत देर से शोनाली की गांड मार रहा था. परन्तु इस गति ने उसे भी अब अपने अंत तक ला ही दिया था.

“आंटीजी, मैं झड़ने ही वाला हूँ. प्लग से आपकी गांड बंद कर दूँगा जैसा अपने कहा है.”

“ओके ओके. भर दे मेरी गांड और बंद कर दे उसे. मेरा भी अब और झड़ने का संबल नहीं है.” शोनाली ने एक प्रकार से चैन की साँस ली.

कुछ और तेज धक्कों के बाद मेहुल ने अपना लंड जड़ तक गाढ़ दिया और झड़ने लगा. प्लग को उसने अपने हाथ में लिया और उसे शोनाली की चूत से झरते पानी से गीला किया. झड़ने के बाद उसने अपने लंड के सुकड़ने तक लंड को पूरा अंदर गाड़े रखा. फिर अत्यंत सावधानी से लंड को बाहर निकाला. और प्लग से शोनाली की गांड को बंद कर दिया. कुछ बूँदे अवश्य बाहर छूट गयीं. शोनाली ने हाथ पीछे कर के प्लग की जाँच की. जो कुछ बूँदे उसकी उँगलियों के सम्पर्क में आयीं उन्हें इकट्ठा करके चाट लिया. मेहुल ने घड़ी देखी. दो घंटे पूरे होने में बस दो ही मिनट शेष थे. शोनाली ने भी ये देखा और मुस्कुरा दी.

“अब तुम हटो पाँच मिनट के लिए.” शोनाली ने कहा.

उसके बाद उसने अपने बैग से एक बेल्ट निकली जिसे कमर में बाँधा। उस बेल्ट में एक और बेल्ट थी जो नीचे की ओर जाती थी. उस बेल्ट को भी बाँधा और मेहुल को उसका अभिप्राय समझ आ गया. दूसरी बेल्ट के बाँधने से अब प्लग गांड से निकल नहीं सकता था. पर इससे शोनाली को अवश्य असुविधा हो रही होगी. मेहुल ने उस स्त्री के प्रति शोनाली के प्रेम को देखकर उसके मन में शोनाली के प्रति आदर और बढ़ गया.

इसके बाद शोनाली ने कपड़े पहने और मेहुल से कहा कि वो चाहे तो स्नान कर सकता है. मेहुल ने झटपट स्नान किया और कमरे में आकर अपने कपड़े पहन लिए.

“मैं दिंची क्लब के रोमियो के रूप में तुम्हारा स्वागत करती हूँ. फिर मिलेंगे. अब मुझे निकलना होगा.” ये कहते हुए शोनाली ने फॉर्म पर उत्तीर्ण लिखकर हस्ताक्षर किये और सैंडल चटकाती हुई चली गई.

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मेहुल का प्रस्थान:

मेहुल कपड़े पहनकर बाहर आया तो देखा कि उसके बगल वाले कमरे से सोनी निकल रही हैं. उसने उन्हें नमस्ते कहा.

“हैलो, मैडम.”

“हैलो यंग मैन, क्या नाम है तुम्हारा?”

“जी मेहुल. आज मेरा इंटरव्यू था यहाँ काम के लिए.” मेहुल सोनी के साथ चलते हुए बोला।

“गुड़, इसका अर्थ हम मिलते रहेंगे. मैं भी आज सदस्या बनी हूँ.”

“जी बहुत अच्छा. अवश्य ही मिलना होगा तब तो. आप संतुष्ट हैं?” मेहुल ने पूछा तो सोनी ने उसकी ओर देखा.

मेहुल को लगा उसने गलत प्रश्न कर दिया, “मेरा अर्थ है क्लब से, वातावरण इत्यादि.”

“हाँ संतुष्ट हूँ. क्लब से भी, वातावरण से भी और इत्यादि से भी. इत्यादि से सबसे अधिक.” ये कहते हुए सोनी हंस दी.

मेहुल ने भी उसके हंसी में साथ दिया. रिसेप्शन पर पार्थ और शोनाली खड़े थे. शोनाली ने सोनी की बिगड़ी चाल को देखा तो मुस्कुरा पड़ी.

धीरे से पार्थ के कान में फुसफुसाई, “इसकी चाल बदल दी तुमने.”

“आइये सोनी जी, मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ.” पार्थ ने सोनी से कहा तो सोनी ने अपने पर्स से कार की चाबी उसे थमा दी.

फिर नूतन की ओर देखकर बोली, “नूतन धन्यवाद.”

नूतन का चेहरा खिल उठा. उसे इस प्रकार से कम ही लोग धन्यवाद करते थे, “आपका स्वागत है, मैडम. क्लब की सदस्या बनने के लिए आपका आभार और बधाई.”

“फिर मिलते हैं, नूतन.” ये कहकर सोनी पार्थ के साथ बाहर चली गई.

“तुम कैसे आये हो, मेहुल?”

“जी, अपनी कार से.”

“हम्म्म, नूतन क्या कोई अन्य कार्य है आज?”

“नो, मैडम. आल डन फॉर द डे.”

“तो चाहो तो मेहुल के साथ चली जाओ, सिक्युरिटी को लॉक करने का आदेश दे देते हैं.”

“धन्यवाद, मैडम.” ये कहते हुए नूतन ने सिक्युरिटी को बुला भेजा.

“मेहुल, मैं चलती हूँ. तुम नूतन का ध्यान रखना.” ये कहते हुए शोनाली ने मेहुल को आँख मारी और अपनी कार की ओर चली गई.

सिक्युरिटी के आने के बाद उसे प्रभार देकर नूतन ने अपनी पुस्तक, पर्स इत्यादि लिया और मेहुल के साथ निकल गई.

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पार्थ और सोनी:

पार्थ सोनी को लेकर चल पड़ा. सोनी के चेहरे पर संतुष्टि और समर्पण के भाव थे, जिन्हें पार्थ भली भांति समझता था. एक गहरी साँस लेते हुए पार्थ ने हर नई सदस्या के साथ चली बात को दोहराया. उसने सोनी को समझाया कि क्लब प्रेम करने का स्थान नहीं है. इसे केवल वो अपनी शारीरिक तृप्ति का ही एक मार्ग समझे. ऐसा करने से उसे कभी भी भविष्य में दुःख नहीं पहुंचेगा. सोनी भी बुद्धिमान थी और उसने पार्थ को विश्वास दिलाया कि उसका ऐसा कोई आशय नहीं है, न ही पहले था. वो अपने जीवन से संतुष्ट थी, और जो कमी थी उसका उसे उपचार मिल गया था.

इसके बाद सोनी ने पार्थ से पूछा कि राशि ने और किन किन स्त्रियों के नाम सुझाये हैं. सोनी के अतिरिक्त जो चार और नाम थे वो उसने सोनी को बताये. और ये भी बताया कि वो केवल एक ही को अभी सदस्यता दे सकता था.

“सबको लेने में क्या बुराई है?” सोनी ने पूछा.

“क्लब में अभी इतने रोमियो नहीं हैं कि हम इससे अधिक सदस्य बना सकें. आज एक जुड़ा है इसीलिए दो स्थान बने हैं. हम एक रोमियो के जुड़ने पर ही एक या दो सदस्य बनाते हैं.”

“हम्म्म, बात तो सही कह रहे हो, पार्थ.” इसके बाद सोनी ने उन चारों में से एक का नाम सुझाया.

“सुंदर है, धनी है, विधवा है, और मेरे समान चुड़क्कड़ है, हम सबसे अधिक. जहाँ तक मुझे पता है वो अवश्य सबसे पहले जुड़नी चाहिए. उसके बाद…” ये कहते हुए सोनी ने अपनी सूची पार्थ को बता दी. पार्थ ने उसे याद कर लिया।

“और क्लब में क्या क्या चलता है? क्या करती हैं यहाँ पर इतनी सारी महिलाएं?”

पार्थ: “कुछ तो आपको इस महीने के अंत की पार्टी में पता चल जायेगा. हर माह के अंतिम शनिवार और रविवार को पार्टी होती है. इसमें सभी रोमियो आते ही हैं और अधिकांश सदस्याएं भी आती हैं. ये एक सेक्स पार्टी होती है जिसमें आपको अनेकानेक प्रकार की चुदाई के दृश्य देखने मिलेंगे. आप स्वयं भी अपनी इच्छानुसार भाग ले सकती हैं. अगले सप्ताह आप की एक और सहेली के भी जुड़ने का अनुमान है.”

सोनी: “क्या किसी महिला की कोई विशेष कामना भी होती है?”

पार्थ ने गियर बदला और कुछ देर सोचने के बाद बोला, “मैं आपको किसी का नाम नहीं बताऊंगा, पर कुछ की विशिष्ट इच्छाओं और कामनाओं के बारे में बता देता हूँ.”

सोनी ध्यान से सुनने लगी.

“एक महिला हैं जो फ्लफर की भूमिका निभाती हैं. ये ऐसी भूमिका है जिसमें वो एक प्रकार से स्वच्छता का बीड़ा उठाती हैं. जब भी किसी महिला की चुदाई पूर्ण होती है तो वो उसकी चूत या गांड को चाटकर साफ करती हैं और उनके रस को पीती हैं. पार्टी के समापन के निकट आने पर ही वो अपनी चुदाई करवाती हैं. परन्तु जितनी चुदाई पार्टी में चलती है, तो उनके लिए हर स्थान पर उपस्थित होना सम्भव तो नहीं होता, परन्तु उनकी इस लालसा से अब अन्य सदस्य महिलाएं अवगत हैं तो वो उनकी प्रतीक्षा करती हैं या स्वयं ही उनके सामने चली जाती हैं.”

सोनी आश्चर्य से सुन रही थी.

“एक महिला हैं जो स्वयं को लेस्बियन मानती हैं, वे कभी भी लंड को चूत में नहीं लेतीं। उन्होंने जीवन में केवल चार या पांच लंड ही अपनी चूत में लिए हैं. उनमें से एक मेरा भी है, सदस्या बनने के लिए उन्होंने ये बलिदान किया था.” पार्थ ने हंसकर कहा तो सोनी भी हंस पड़ी.

“तो वो क्लब में आती ही क्यों हैं?”

“उन्हें अपनी चूत में लंड अच्छे नहीं लगते, परन्तु गांड मरवाने में बहुत रूचि है. तो उन दो दिनों में वे लगभग हमारे सारे रोमियो से अपनी गांड मरवाती हैं. फिर उन्हें अपनी संगत के लिए चूतें भी मिल जाती हैं. कई महिलाओं को उनसे अपनी चूत चटवाने में असीम सुख मिलता है.”

“ओके”

पार्थ ने सोनी की ओर देखा, “क्या आप सच में कुछ और सुनना चाहेंगी?”

सोनी ने हामी भरी.

“हमारी एक सदस्या हैं जिनका एक अलग ही व्यसन है. इसे अंग्रेजी में गोल्डन शॉवर कहते हैं.”

“ये क्या होता है?”

पार्थ ने सोचा फिर बता ही दिया, “उन्हें रोमियो और अन्य स्त्रियों के मूत्र पीने या उससे स्नान जैसा करने में आनंद आता है. क्योंकि इसके कारण उनकी चुदाई बाद में कम होती है, तो पहले वो मन भर के चुदवाती हैं और फिर अपनी इस इच्छा को पूरा करती हैं. अपनी चुदाई के बाद वो अधिकांश समय बाथरूम के टब में ही रहती हैं, जहाँ जब किसी को जाना होता है तो वो उन्हें अपना मूत्र दान करता है.”

“छी छी छी.” सोनी के मुंह से निकल पड़ा.

“इसीलिए मैंने पूछा था. सेक्स में कई लोगों के अपने अपने विचार और विकृतियां होती हैं. बड़ी बात ये है कि क्लब में इन्हें पूरा करने का हम सम्पूर्ण प्रयास करते हैं. दूसरी ओर कोई भी किसी दूसरे की विकृति से घृणा नहीं करता. सब अपने आनंद में डूबे रहते हैं.”

“पार्टी में डबल और ट्रिपल चुदाई सबसे अधिक होती है. आप समझ रही होंगी. इसका अर्थ है कि एक ही स्त्री की चूत और गांड में दो अलग लंड, और कभी मुंह में तीसरा लंड भी होता है. सबसे अधिक प्रचलित यही है.”

सोनी सोच रही थी कि उसने तो अपने जीवन में कुछ देखा ही नहीं. सोनी का घर भी आ गया था. उसने पार्थ के होंठ चूमे और उसे धन्यवाद दिया.

“मुझे बताना आपने किसे चुना. वैसे राशि भी क्लब की पार्टी में आएगी क्या?”

“अब तक तो नहीं आयी हैं, परन्तु आगे के बारे में कहना सम्भव नहीं. हो सकता आ ही जाएँ. और आपकी जिस सहेली को चुनूँगा आपको अवश्य बता दूंगा.”

सोनी उतर कर घर चली गई, पार्थ उसकी मटकती गांड को देखता रहा और फिर अपने घर के लिए चल पड़ा.

*********************

नूतन और मेहुल:

मेहुल नूतन को लेकर चल पड़ा. नूतन की चूत में हलचल मची हुई थी. उसने जब से मेहुल के लंड नापा था चुदवाने की कल्पना मात्र से ही उत्तेजित हो गई थी. शोनाली ने उसे इस इच्छा को पूरी करने का सुअवसर तो दिया था, पर क्या मेहुल भी उसका साथ देगा?

“तो कैसा रहा क्लब में प्रवेश?” उसने बात आरम्भ करने के प्रयोजन से पूछा.

“अच्छा और अप्रत्याशित.” मेहुल ने उत्तर दिया. पर ये नहीं बताया कि उसने शोनाली के इस रूप की कभी कल्पना भी नहीं की थी.

“शोनाली और मैं कॉलेज में साथ थीं.” नूतन ने बताया. इस बात पर मेहुल चौंक गया और उसने नूतन को देखा.

“आप दिखती तो नहीं हैं. मुझे तो आप बहुत युवा लगती हैं. कैसे?”

इस बात पर नूतन खिलखिला पड़ी. “मस्का मार रहे हो? और अगर इस मस्के से कुछ पाना चाहते हो तो…”

“तो?”

“पा सकते हो, जो चाहो, जैसे चाहो.” ये कहकर नूतन ने अपने हाथ मेहुल की जांघ पर रखे और सहला दिया.

“हम्म्म, सुझाव अच्छा है. अगर आपको कोई आपत्ति नहीं तो मैं क्यों कर पीछे हटूँगा। पर पहले आप शोनाली मैडम और अपने विषय में कुछ बताइये.”

“हम दोनों कॉलेज में एक साथ थीं. हॉस्टल के एक ही कमरे में हम एक साल रहीं थीं, फिर शोनाली की माँ ने हमें एक फ्लैट किराये पर दिलवा दिया था. हम दोनों एक दूसरे से तो संबंध हॉस्टल में ही बना चुके थे, पर फ्लैट में आने के बाद तो हम लड़कों से भी चुदवाने लगे. ये हमें बहुत समय बाद पता चला कि शोनाली की मम्मी का हमें फ्लैट दिलवाने का उद्देश्य क्या था.”

“जब हम दोनों कॉलेज में होतीं तो हमें बताये बिना वो फ्लैट में आतीं और चुदवाती थीं. घर वैसे ही साफ सुथरा रहता और हम दोनों को कभी भी कोई शंका नहीं हुई. हम दोनों के कमरे अलग थे और फिर बॉय फ्रेंड भी बन गए. मैं तो एक हो बॉय फ्रेंड के साथ छह आठ महीने रहती थी, पर शोनाली किसी को एक महीने से अधिक नहीं टिकने देती थी. एक दिन मुझे कॉलेज में ही बहुत तेज ज्वर चढ़ गया तो मैं अपने फ्लैट में लौट गई. देखा तो शोनाली के कमरे में से कुछ पटकने जैसी ध्वनि आ रही थी. शोनाली तो कॉलेज में थी, तो यहाँ कौन था.”

“मैंने डरते हुए कमरे में झाँका तो शोनाली की मम्मी दो लड़कों से चुदवा रही थीं. समस्या ये हुई कि उन्होंने मुझे देख लिया था, हालाँकि मुझे उस समय पता नहीं चला. मैं अपने कमरे में गई और दवा लेकर लेट गई. कुछ देर में मुझे नींद आ गई. दो या तीन घंटे बाद मेरे कमरे में कोई आया तो मैंने आँख खोली. शोनाली की मम्मी खड़ी हुई थीं.

“नूतन, बेटी क्या हुआ?” उनके स्वर में चिंता थी, पर कोई ग्लानि नहीं थी.

“आंटीजी, बहुत तेज ज्वर है. अब कुछ ठीक लग रहा है.” आंटी ने मुझे पानी पिलाया और फिर खाने के लिए कुछ लेकर आ गयीं. मुझे प्रेम से खिलाया और फिर मुझे लिटा दिया.

“अगर अब तक तुम नहीं समझी हो तो मैंने ये फ्लैट जितना तुम दोनों के लिए लिया है, उतना ही अपने लिए भी.”

मैंने उन्हें देखा पर कुछ बोला नहीं.

“मेरे तलाक के बाद मुझे भी चुदाई की इच्छा होती है. तुम दोनों तो इसके लिए तरसती नहीं हो, पर मुझे अपने नगर में चुदवाने में बहुत कठिनाई है. तो शोनाली ने मुझे ये रास्ता सुझाया था. अगर तुमने उन लड़कों को नहीं पहचाना हो तो वो दोनों शोनाली के बॉय फ्रेंड रह चुके हैं. मुझे नए नए लंड दिलवाने के लिए ही वो इतनी जल्दी बॉय फ्रेंड बदलती है. और फिर उन्हें मुझे सौंप देती है.”

“जिस दिन उसे कोई सही लड़का मिल जायेगा, उस दिन ये सब भी रुक जायेगा. तब तक मैं भी इसका पूरा आनंद ले रही हूँ.”

“इस रहस्य के खुलने के बाद आंटी हमारे पास नियमित रूप से आने लगीं. फिर शोनाली को उनके पति जॉय मिल गए और मुझे अपने पति. दो वर्ष बाद हम दोनों ने विवाह कर लिए. आंटी ने वो फ्लैट दो तीन वर्ष और रखा और फिर छोड़ दिया. उन्हें भी एक पुरुष मित्र ने विवाह के लिए प्रस्ताव रखा और उन्होंने विवाह कर लिया और इन सबसे दूर हो गयीं.”

“शोनाली और उसके पति जॉय सेक्स के विषय में उन्मुक्त थे और उन्होंने अन्य साथियों के साथ चुदाई करना आरम्भ कर दिया. मैं अपने पति के प्रति उनके देहांत तक निष्ठावान रही. उनके बीमे के कारण मुझे काफी धनराशि मिल गई, पर उनके व्यवसाय को संभालना मेरे लिए कठिन था. शोनाली के समझाने पर मैंने उसके पति जॉय को दस प्रतिशत का हिस्सा बेच दिया और फिर उन्होंने उसे अच्छे से संभाल लिया. अब वो उसमे ३०% के भागीदार हैं और इतने पर ही हम सब संतुष्ट हैं.”

मेहुल ध्यान से सब सुन रहा था.

“मेरे पति के देहांत की बरसी के कुछ दिन बाद शोनाली ने मुझे अपने जीवन को फिर से जीने का आग्रह किया. हमारे कोई संतान नहीं थी, तो एकाकीपन सताता था. उसने मुझे आग्रह किया कि अगले कुछ दिन तक जो वो कहेगी, वही मैं करुँगी और जीवन के रस से पुनः आनंद लूँगी। उसके अगले दिन उसने पार्थ को मेरे पास भेजा. इसके बाद क्लब से जुड़ना हुआ और अब हालाँकि मैं अपने पति के लिए दुःखी हूँ पर अन्य रूप से जीवन जीने का प्रयास कर रही हूँ.”

मेहुल को उसकी इस कहानी से उसके प्रति आदर बढ़ गया. और शोनाली के प्रति भी. नूतन का घर भी आ गया था. गाड़ी लगाकर दोनों अंदर चले गए.

**************

शोनाली:

शोनाली ने कार में बैठते ही सुमति को फोन किया और बता दिया कि वो घर लौट रही है, उसके लिए उपहार लेकर. सुमति बहुत प्रसन्न हो गई और शोनाली ने फोन काट दिया. आज उसे कुछ अधिक ही संतुष्टि मिली थी. इसका एक कारण मेहुल के द्वारा की गई श्रेष्ठ चुदाई, दूसरा मेहुल के साथ मिलना जो एक आश्चर्य था और जिसके लिए उसने पार्थ की खिंचाई करनी थी. और फिर नूतन को मेहुल के साथ भेजना. उसे विश्वास था कि मेहुल नूतन की भी भरपूर चुदाई करेगा. अन्यथा नूतन को न जाने कब मेहुल का साथ मिलता, ये कहना सम्भव नहीं था.

कल उसे क्लब के अगले सप्ताह की नियुक्तियाँ देखनी होंगी, फिर माह के अंत की पार्टी भी सिर पर आ चुकी थी. इस बार उसे नहीं लगता था कि वे कोई विशेष कार्यक्रम कर पाएंगे. उसने कल सिमरन से बात करके कैटरिंग का प्रबंध करने का निर्णय लिया. अन्य कार्यक्रम के लिए भी उसे पार्थ और रूचि से बात करनी होगी. वैसे भी वो इस बार रूचि की माँ राशि को आमंत्रित करना चाहती थी. वो सदस्या थीं, परन्तु क्लब कभी आई नहीं थीं. इस बार उनकी दो सहेलियाँ भी रहेंगी, तो हो सकता है आ जाएँ.

घर पहुंचकर उसके कार बंद करने के पहले ही तड़ाक से दरवाजा खुला और सुमति का उद्वेलित चेहरा सामने दिखा. शोनाली को हंसी आते आते रह गई. कार से निकलकर उसने सुमति का हाथ थामा और दोनों शोनाली के कमरे में चली गयीं. सुमति ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और शोनाली को आशा से देखने लगी. सुमति भी अब तक अपने कपड़े निकाल चुकी थी. वो जाकर सोफे पर बैठ गई और अपने पैर फैला लिए. सुमति उसके सामने बैठी और गांड के प्लग को देखा.

“बहुत बड़ा लंड था क्या, भाभी? ये मोटा वाला प्लग लगाया हुआ है.” सुमति ने पूछा.

“हाँ बहुत बड़ा था, और उसने मेरी गांड को पूरा भरा हुआ है. उसका रस मेरी गांड में तैर रहा है. थोड़ा ध्यान से निकालना प्लग को नहीं तो बाहर गिर जायेगा फिर आपको दुःख होगा.”

“वाह क्या बात है, वैसे कौन था?”

“बाद में बताउंगी. पहले अपना काम करो.”

सुमति ने शोनाली की गांड के नीचे अपनी जीभ फैलाई और फिर धीरे से प्लग को निकाला. प्लग के कुछ ही बाहर आते आते शोनाली की गांड से रस बहने लगा. सुमति ने उसे चाटते हुए प्लग को निकालना चालू रखा. जैसे जैसे प्लग बाहर आता, रस भी बाहर निकलता. अब प्लग उस स्थान पर था जहाँ से उसे पूरा ही बाहर निकला था. सुमति ने अपने अनुभव के आधार पर शोनाली की गांड को ऊपर उठाया और प्लग को बाहर खींचा और एक ही झटके में अपना मुंह शोनाली की गांड पर लगाकर खोल दिया. शोनाली की गांड से रस की नदी सुमति के मुंह में प्रवेश कर गई.

आरम्भ की धार जब चुक गई तो सुमति ने अपनी जीभ से शोनाली की गांड को अंदर से चाटा और हर बून्द को पी लिया. ये सुमति का अद्भुत अनुभव ही था कि एक भी बून्द उसके मुंह के बाहर नहीं गिरी. अंदर बाहर से गांड को चाटने के बाद सुमति संतुष्ट हो गई और चटखारे लेते हुए बैठ गई.

“बहुत स्वादिष्ट मिश्रण था आज तो दीदी, कौन है वो?”

“मेहुल, आठ नंबर वालों का लड़का. और उसका लंड अब तक का क्लब का सबसे बड़ा और मोटा लंड है.”

“ओह! तो फिर मुझे भी चुदवाओ न भाभी. एक नए मोटे लौड़े से गांड मरवाने की बड़ी इच्छा है.”

“ठीक है, देखती हूँ कब आपकी ये इच्छा पूरी कर पाती हूँ. पर शीघ्र ही उसके लौड़े से अपनी चूत और गांड फड़वाने के लिए आप मन बना लीजिये. चलिए अब मैं नहा लेती हूँ. फिर देखते हैं घर में और क्या चल रहा है.”

फिर कुछ सोचते हुए, “दीदी, मैं पार्थ की क्लास लेने वाली हूँ. उसने मुझे बताया नहीं कि मेहुल है आज का नया रोमियो. तो आप बीच में मत पड़ना, ठीक है?”

सुमति अपने बेटे के ऊपर क्रुद्ध शोनाली को देखती रही. फिर उसने सिर हिलाया.

“मैं जानती हूँ भाभी, आप उसे भी आहत नहीं करोगी. पर क्या आप ये करते हुए इस बात को निश्चित कर सकती हैं कि मैं वहाँ नहीं रहूँ.”

“ठीक है. अब मैं नहा लेती हूँ.”

इसके बाद शोनाली नहाने चली गई और सुमति अपनी जीभ और मुंह में बसे स्वाद को लिए हुए बाहर.

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महक की भावी ससुराल:

महक जब राणा परिवार के घर पहुंची तो सुबह के दस बजे हुए थे. सुनीति ने उसे अंदर खींचा और गले से लगा लिया. फिर उसे कंधों से पकड़कर कुछ दूर करते हुए ध्यान से देखा.

“सच में तुम बहुत सुंदर हो महक. असीम को तुमसे अच्छी पत्नी नहीं मिल सकती थी.”

महक शर्मा गई. पर इसका उसके पास कोई उत्तर तो था नहीं.

“अब ये बताओ कि क्या लोगी? फिर मैंने कुमार को कहा है वो हमें जहाँ जाना है ले जायेगा.” सुनीति ने उसे सोफे पर बैठाते हुए पूछा.

“चाय या कॉफी, कुछ भी ठीक है.” महक ने कहा.

सुनीति ने सलोनी को कॉफी बनाने के लिए कहा और फिर बोली कि तब तक कपडे बदलकर आती है. सलोनी चाय लेकर आई और इतने में सुनीति भी आ गई. सुनीति ने सलोनी को कुमार को बुलाने के लिए कहा और भावी सास बहू चाय पीने लगीं. कुमार आया और उसने महक को नमस्ते की और फिर अपनी चाय पीने लगा.

“तो मॉम, क्या कार्यक्रम है आज आपका? मुझे दो बजे तक छोड़ देना, कुछ काम है.”

“ठीक है, वैसे महक भी गाड़ी चला ही लेती है, तुम चाहो तो हमें मॉल में छोड़कर भी जा सकते हो. तुम्हारे रहने से व्यर्थ का व्यवधान ही रहेगा और तुम भी बोर हो जाओगे.” सुनीति ने कहा.

“ये भी ठीक है. तो चलें?” कुमार के कहने पर सब उठे ही थे की जीवन भी आ गए. महक ने उनके पाँव छूकर आशीर्वाद लिया.

“अरे अब ये सब कौन करता है बहू? जीती रहो.” जीवन ने भी उसे आशीर्वाद दिया. “कहाँ जाने का कार्यक्रम है?”

“बाबूजी, महक को शॉपिंग के लिए ले जा रही हूँ. फिर ये यहीं रुकेगी आज.”

“ये तो बड़ी अच्छी बात है, तो फिर हम शाम को बैठेंगे.”

महक चल पड़ी फिर कार में बैठकर सुनीति से बोली, “मैंने घर में आज रुकने के लिए नहीं बताया.”

सुनीति ने कहा, “कोई बात नहीं, मैं अभी स्मिता से कहे देती हूँ. और सलोनी तुम्हारे घर से तुम्हारे रुकने के लिए आवश्यक वस्त्रादि ले आएगी.”

सुनीति ने स्मिता से आज्ञा ली, और फिर सलोनी से कहा कि वो दोपहर में जाकर आठ नंबर वाले घर से महक का बैग ले आए.

“चलो, अब कोई चिंता नहीं. अब ये बताओ कि तुम साड़ी कैसी पहनती हो?”

“जी, मेरी ऐसी कोई विशेष रूचि नहीं है और मैं आप जैसा चाहेंगी, वही पहन लूँगी.”

“वैसे तुम्हारी मम्मी भी तुम्हारे लिए यही सब करने वाली हैं, पर मेरी इच्छा है कि तुम एक रस्म में तो मेरी साड़ी पहनो.”

“बिलकुल, आप जैसा चाहो.”

“वैसे तुम्हें मैं बता दूँ, आज तुम मेरे और अपने ससुरजी के साथ सोने वाली हो.”

महक ने कुछ नहीं कहा पर कुमार ने लम्बी आह भरी.

“अब तुझे क्या हो गया?” सुनीति ने हंसकर पूछा.

“मैं सोच रहा था कि भाभी आयी हैं तो मुझे भी कुछ प्यार मिलेगा.”

“वो सब भी मिलेगा, अब तो नियमित आया करेगी महक. हैं न महक?”

“जी”

“तो फिर मेरा और भैया का क्या होगा?”

“क्यों तेरी दीदी नहीं है क्या?”

“अरे मम्मी वो आज अपनी सहेली के घर रहने वाली हैं. आपको बताया तो था.”

“अरे हाँ. चल कोई नहीं सलोनी को बुला लेना दोनों भाई. पर आज के लिए महक केवल हम दोनों पति पत्नी की ही है. समझे.”

“समझा मॉम. अब आपकी बात तो माननी ही होगी न?” कुमार ने ऐसे नाटक करते हुए बोला कि महक हंस पड़ी.

“हँसते हुए और भी सुंदर लगती हो महक. ऐसे ही रहा करो. हमारे बीच में कोई दीवार नहीं होनी चाहिए. बहू भी हमें बेटी ही लगती है.”

“हाँ भाभी. सलोनी मौसी हमारी असली मौसी नहीं हैं, पर हम उन्हें मम्मी की बहन ही समझते हैं और भाग्या को अपनी. आप बिलकुल औपचारिकता में मत पड़ना. मम्मी पापा इसीलिए आज आपको अपने साथ रहने के लिए कह रहे हैं कि आपका डर या अन्य भावनाएं मिट सकें और हम सब प्रेम से आगे एक साथ जीवन का आनंद ले सकें.”

महक को ये बात बहुत भाई. उसे पता था कि उसकी मॉम और श्रेया भाभी की मॉम के बीच सहज संबंध नहीं थे. हालाँकि पिछले कुछ दिनों से सुजाता आंटी का व्यवहार कुछ बदला हुआ लग रहा था. मॉम की उनके प्रति राय भी अब कुछ बदल सी रही थी. मॉल आने के बाद कुमार ने सुनीति और महक को कार की चाबी दे दी और फिर मोबाइल से उबर बुक की. सुनीति और महक मॉल में चले गए और कुछ देर बाद कुमार भी निकल गया.

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स्मिता का घर:

सुनीति से बात होने के बाद स्मिता ने फोन काटा और अपने पति विक्रम को बताया कि महक आज अपने भावी ससुराल में ही रहेगी.

“वैसे ये आवश्यक भी है. मेरे सिवाय परिवार में कोई उनसे संबंधियों के रूप में अब तक मिला नहीं है. हम दोनों परिवारों को एक बार साथ मिलने का कार्यक्रम बनाना चाहिए.” स्मिता ने कहा.

विक्रम: “हाँ, ये कर सकते हैं. मैं एक दो दिन में आशीष से बात करूँगा। फिर देखते हैं. वैसे तुम और सुनीति ही इस पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था करोगी और तुम दोनों को मना करने का साहस किसी में नहीं है.” विक्रम ने चुहल की.

स्मिता: “ठीक है. कल आप आशीष से बात करना मैं सुनीति से कर लूँगी। अब एक अन्य बात है.”

“क्या?”

“मेरे पास समुदाय के प्रबंधन समिति के सदस्य के लिए प्रस्ताव आया है. वैसे भी चुनाव होगा. परन्तु आपसे पूछे बिना मैं कुछ नहीं करुँगी। “

“मुझे क्या आपत्ति हो सकती है. हाँ ये अवश्य है कि तुम अत्यधिक व्यस्त हो जाओगी, पर वो भी ठीक है. एक वर्ष की ही तो बात है. पर महक का विवाह भी है तो ये निर्णय मैं तुम पर ही छोड़ता हूँ. मेरी ओर से स्वीकृति है.”

“ठीक है, तो मैं नामांकन भर देती हूँ. आवश्यक तो है नहीं कि जीत ही जाऊँगी। और आज क्या सोच रहे हैं? महक है नहीं. मेहुल बाहर है. पता नहीं कब लौटेगा? मोहन भी श्रेया के साथ गया हुआ है और सम्भवतः दोनों श्रेया के मायके में ही रुकेंगे. तो हम दोनों ही हैं आज. आप ऑफिस जा रहे हो क्या?”

“रहने दो. इतने दिनों तो हमें एकांत मिला है. तो मैं ऑफिस से छुट्टी मरता हूँ और हम दोनों अपने पूर्व समय के समान घूमने, और आनंद करने चलते हैं. फिर शाम को अपनी पार्टी करेंगे.”

“अच्छा सुझाव है. कहाँ चलना है?”

“तुम तैयार हो और सोचो. तब तक मैं भी सोचता हूँ. पर चलते हैं कहीं अच्छे स्थान पर.”

स्मिता तुरंत चली गई और विक्रम फोन पर आसपास के स्थानों को देखने लगा जहाँ वो अन्य पर्यटकों को भेजता है. एक स्थान उसे उपयुक्त लगा और उसने वहीँ जाना तय किया. फिर वो भी तैयार होने के लिए अपने कमरे में चला गया.

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अब शाम हो चुकी है.

सुजाता का घर:

शाम होते तक मोहन और श्रेया सुजाता के घर पहुंच गए. सुजाता उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हो गई. श्रेया और सुजाता गले मिलीं और मोहन के साथ श्रेया बैठक में जा बैठी. कुछ ही देर में अविरल और विवेक भी आ गए. सुजाता के पाँव तो जैसे आज थिरक रहे थे. उसने तुरंत उठकर अविरल, मोहन और विवेक के लिए ड्रिंक्स की व्यवस्था की. फिर उसने अपने और श्रेया के लिए भी हल्की ड्रिंक्स बनाईं। फिर पुरुष वर्ग को अकेला छोड़कर माँ बेटी दूसरी ओर बैठ गयीं.

श्रेया: “मॉम, अपने मुझे बताया क्यों नहीं कि मेहुल का लंड इतना बड़ा और मोटा है? सच में बहुत आनंद आया उसके साथ चुदाई में.”

सुजाता: “उसने मुझसे प्रण लिया था कि मैं किसी को भी नहीं बताऊँगी, तुमसे भी यही कहा होगा?”

श्रेया: “हाँ, और मैं भी अपनी बात पर अडिग हूँ.”

सुजाता: “तेरी गांड मारी या नहीं?”

श्रेया: “नहीं मॉम, उस दिन समय कम था. वैसे अभी तक उसने मम्मी जी की गांड भी नहीं मारी है. तो ये तय हुआ है कि हम दोनों की गांड एक साथ मारेगा. बड़ा मजा आने वाला है उस दिन. आपकी गांड मारी थी क्या?”

सुजाता की आँखें जैसे स्वप्निल हो गयीं, “हाँ मारी थी और ऐसा अनुभव दिया था कि मैं उसके सामने नतमस्तक हो गयी. अब तो अगर वो मुझे बुलाये और मुझे बीच सड़क में भी नंगा करके गांड मारना चाहे तो मैं दौड़ी चली जाऊँगी।”

“ओह हो, मॉम. आप तो उसकी दीवानी हो गयी हो, पापा को कोई चिंता तो नहीं करनी चाहिए?” श्रेया ने हसंते हुए पूछा.

सुजाता: “उन्हें न आज तक करने की आवश्यकता पड़ी और न ही आगे पड़ने वाली है. एक बात कहूँ?”

“जी.”

सुजाता: “मेहुल तुझे बहुत मानता है. उसे समझाना कि वो स्नेहा को थोड़ा प्यार से चोदे. स्नेहा उसकी इतने दिनों तक यूँ ही उपेक्षा करती रही है. न जाने क्यों मुझे एक डर सा सता रहा है अपनी बच्ची के लिए.”

श्रेया: “मॉम, मेहुल से शालीन और सौम्य लड़का और दूसरा कोई नहीं है. आप कहती हो तो मैं उसे बोल दूँगी पर डरने जैसी कोई बात मुझे लगती नहीं.”

दो ड्रिंक्स और पीने के बाद सुजाता और श्रेया किचन में खाना लगाने के लिए गए और इतने में ही स्नेहा भी आ गयी. उसने सुजाता और श्रेया को तो देखा नहीं पर मोहन को देखते ही उछल पड़ी.

“जीजू! कब आये? मुझे बोला क्यों नहीं मैं पहले लौट आती.” उसने दौड़कर मोहन को गले लगा लिया और उसे चूमने लगी.

“बस यूँ मन किया तो चले आये. साली से मिले हुए जो इतने दिन हो गए थे.”

“ये अच्छा किया. दीदी कहाँ हैं?”

“किचन में.”

स्नेहा किचन में गई और श्रेया के गले लग गई. दोनों बहनें एक दूसरे को चूमते हुए मिल रही थीं. सुजाता की आँखों में आंसू आ गए. फिर तीनों ने खाना लगाया और सबने बैठकर सप्रेम भोजन किया. भोजन के बाद कुछ देर यूँ ही गपशप चलती रही.

“तो फिर आज सोने का क्या प्रावधान है, सुजाता?”

“मैं तो कहती हूँ सब एक ही कमरे में रहें. बहुत दिन हो गए हमें साथ में चुदाई किये हुए. क्या कहते हो सब?”

सबने अपनी स्वीकृति दी और ये निश्चय हुआ कि अविरल और सुजाता का कमरा ही इस कृत्य के लिए श्रेष्ठ है. घर को बंद करने के बाद सभी उस कमरे में चल दिए.

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स्मिता का घर:

स्मिता और विक्रम दिन भर घूमने के बाद शाम को घर पहुंचे. दोनों को इस प्रकार से अकेले घूमने से अपने पुराने समय की याद आ गयी. उन्होंने निश्चय किया कि महीने में कम से कम एक बार वो इसी प्रकार से बाहर जाया करेंगे. घर पहुंचने के बाद दोनों नहाये और फिर बैठक में विक्रम ने पीने के लिए ड्रिंक्स बनाये. रात के लिए खाना वे साथ ले आये थे.

स्मिता: “चलो, अब हम अकेले हैं. मोहन और श्रेया सुजाता के घर पर हैं और महक अपनी भावी ससुराल में. बस मेहुल को ही आना है. तो देखते हैं कब लौटेगा.”

विक्रम के मन में एक विचार आया, “देखो तो सही कहाँ है, और अगर वो भी किसी मित्र के साथ है और रुकना चाहे तो रुक जाने देना.”

स्मिता: “लगता है आज आपका मूड कुछ अधिक रोमांटिक है.”

विक्रम ने स्मिता को बाँहों में भरते हुए बोला, “सच यार, हमारे पास अब एक दूसरे के लिए पर्याप्त समय ही नहीं रहता. कोई न कोई कार्यक्रम या घटना हमें दूर रखती है. इसीलिए कह रहा हूँ.”

स्मिता ने मेहुल को फोन लगाया.

स्मिता: “हैलो मेहुल? हाँ कहाँ हो अब तक आये नहीं.”

मेहुल: “”

स्मिता: “अच्छा अपनी किसी मित्र के साथ हो, आज आओगे या नहीं?”

मेहुल: “”

स्मिता: “अगर चाहो तो वहाँ ही रुक सकते हो. तुम्हारे पापा ने भी अनुमति दी हुई है.”

मेहुल: “”

स्मिता: “बहुत शरारती हो गए हो. आना कल तो तुम्हें सिखाऊँगी।” हँसते हुए स्मिता ने उत्तर दिया.

मेहुल: “”

स्मिता: “ठीक है, कल सुबह मिलते हैं. एन्जॉय.”

स्मिता ने फोन काटा और विक्रम की ओर देखा, “चलो अब कोई रोड़ा नहीं है. जो मन में आये सो करो आज.”

दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपटे हुए अपने जीवन के अविस्मरणीय पलों के बारे में बातें करते रहे और ड्रिंक्स भी लेते रहे. आज की रात भिन्न थी.

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नूतन और मेहुल:

जब स्मिता का फोन आया तो मेहुल नूतन के घर में उसके बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था. नूतन उसके लंड को चूस रही थी. क्लब से आने के बाद नूतन ने खाना बाहर से मंगा लिया था और खाने के बाद नूतन को मेहुल के लंड से चुदवाने का अवसर भी मिला था. पर इस सब में समय बहुत निकल गया था और शाम हो चुकी थी. नूतन चाहती थी कि अगर सम्भव हो तो मेहुल आज की रात वहीं रुक जाये और उसने मेहुल से भी इसके लिए निवेदन किया था. मेहुल ने कुछ उत्तर नहीं दिया था.

परन्तु जब फोन पर बात हो गई तो नूतन मेहुल की बातों से जान गई कि उसकी प्रार्थना मान ली गई है. मेहुल के लंड को वो और तीव्रता से चूसने में जुट गई. मेहुल ने फोन काटा और नूतन से कहा कि वो आज की रात उसके साथ बिताने के लिए उपलब्ध है. नूतन के आनंद की सीमा न रही. वो खाने के बाद हुई निर्बाध चुदाई की याद करते हुए सिहर उठी.

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सुनीति का घर:

सुनीति और महक शॉपिंग समाप्त करते हुए चार बजे घर पहुंच गयीं थीं. इस अवधि में भावी सास बहू में बहुत बातचीत हुई और उनमे घनिष्टता भी बढ़ गयी. महक को अब सुनीति के साथ कोई भी झिझक नहीं रह गई थी. वैसे तो ये दोनों परिवार एक दूसरे के साथ वर्षों से रह रहे थे और एक दूसरे से अच्छे परिचित भी थे, परन्तु अब होने वाली घनिष्टता और अंतरंगता उस सब पर हावी थी. घर पहुंचकर सलोनी ने महक का बैग उसे दिया और महक और सुनीति स्नान करने चली गयीं।

बाहर आने पर सलोनी ने चाय बनाई हुई थी. कुछ देर अब बैठकर बातें करने के बाद जीवन भी आ गए और वो भी बातों में सम्मिलित हो गए. महक भी जीवन के बलशाली व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना न रह सकी. जीवन ने बताया कि उनके परम मित्र और सुनीति के माता पिता दो दिन बाद आने वाले हैं. कल ड्राइवर को गाड़ी लेकर भेजा जाना है. ये सुनकर सुनीति की प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं रही. उसने जीवन के गले लगा लिया और उन्हें चूमने लगी. तब तक सलोनी भी आ गई. उसे ये भी जानकर कि बलवंत और गीता आ रहे है बहुत प्रसन्नता हुई.

घर का वातावरण कई स्तर और प्रफुल्लित हो उठा. उसके बाद छह बजे तक परिवार के अन्य सदस्य भी घर आ गए. असीम को देखकर महक का मन विचलित हो गया. परन्तु वो समुदाय के नियम जानती थी. विवाह तक उन्हें दूर रहना था. वे अन्य किसी के भी साथ चुदाई कर सकते थे, परन्तु एक दूसरे के साथ नहीं. असीम और महक भी एक दूसरे को आँखें चुराकर देख रहे थे. पर कुछ करने की स्थिति में नहीं थे. कुछ देर बाद सलोनी ने सबके लिए पीने पिलाने की व्यवस्था कर दी और दिन भर में हुई घटनाओं के बारे में बातें चलती रहीं. सुनीति ने महक के लिए ली गयी वस्तुओं को सबको दिखाया और जैसा अपेक्षित था सबको बहुत अच्छी लगी.

ड्रिंक्स के बाद भोजन हुआ और फिर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुनीति महक को अपने कमरे में ले गयी. असीम और कुमार पहले ही सलोनी पर घात लगाए हुए थे तो सलोनी ने कुछ समय बाद उनके कमरे में आने का आश्वासन दिया. अग्रिमा जीवन की गोद में जा बैठी और फिर उसके साथ ही चली गयी. असीम और कुमार अपने कमरे में चले गए और सलोनी की प्रतीक्षा करने लगे.

सुनीति महक को अपने कमरे में ले गयी.

सुनीति: “महक, पहले जाकर स्नान कर लो, हम सभी ये करते हैं और तुम्हें भी शाम को स्नान करना चाहिए.”

“जी मम्मीजी, हम भी घर में सोने जाने के पहले स्नान करते हैं. मैं अभी जाती हूँ.” ये कहकर उसने अपने बैग में से उचित वस्त्र निकालने लगी.

“इनको आवश्यकता नहीं पड़ेगी,” सुनीति ने मुस्कुराते हुए कहा. “बाथरूम में बाथरोब है, वही पहन लेना.”

“जी.”

“वैसे स्नान करने से त्वचा मुलायम और कोमल हो जाती है. चुदाई में अधिक आनंद आता है, क्यों?”

“जी, मम्मीजी. आपने सही कहा. इसी कारण हमने भी ये पद्धति अपनाई है. पर हम चुदाई के बाद स्नान नहीं करते, जिससे कि एक दूसरे के रस को हम यूँ ही न बहा दें.”

“सच है, रस में नहाकर पानी से नहाना व्यर्थ ही ही.” सुनीति ने कहा और फिर महक की थोड़ी पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया. फिर हल्के से उसके होंठ चूमते हुए बोली, “तुम बहुत सुंदर हो महक. हमारा भाग्य अच्छा है जो तुम जैसी बहू मिलने जा रही है. असीम बेचारा तुम्हारे सानिध्य से इतने दिन दूर रहेगा. कहीं पागल न हो जाये मेरा बेटा।”

“मम्मीजी, अपने विवाह की कोई तिथि निश्चित की है क्या अब तक?” महक ने पूछा.

“हाँ, कल पंडितजी आये थे. तीन महीने बाद की तिथि दी है. कल मैं स्मिता से बात करूंगी. अगर उनके लिए वो तिथि उपयुक्त है, अन्यथा चार महीने और प्रतीक्षा करनी होगी. लगता है तुम भी असीम से मिलने के लिए इच्छुक हो.”

“मम्मीजी, अपने भावी पति से मिलने के लिए कौन इच्छुक नहीं होगा. पर नियम के अनुसार हम चुदाई के सिवाय किसी भी अन्य रूप से मिल सकते हैं. घूमने जा सकते है, चुंबन ले सकते हैं, एक दूसरे को छूकर या सहला कर संतुष्ट कर सकते हैं, परन्तु चुदाई नहीं कर सकते, मौखिक भी नहीं.”

“हाँ मुझे बताया गया है. चलो तुम नहा कर आ जाओ. तुम्हारे ससुर भी आते ही होंगे, इन्हें समाचार देखना अधिक आवश्यक लगता है अपनी बहू से मिलने के स्थान पर.”

महक उनकी बात पर धीमे से हंस दी.

“बहुत मोहक हंसी है. सदा यूँ ही हंसती रहना. चलो अब जाओ.”

महक स्नान के लिए गई और सुनीति ने आशीष को अंदर बुला लिया.

“अब समाचार बाद में देख लेना. अंदर आइये.”

आशीष पीने के सामान के साथ अंदर आ गया.

“और पीनी है आपको?”

“देखेंगे, मन किया तो. वैसे एक एक पेग यहाँ अलग से पीकर महक की धड़क निकल जाएगी, क्यों.”

“आपको तो बहाना चाहिए. चलिए ठीक है. महक स्नान कर ले तो आप चले जाना. फिर मैं जाऊंगी।”

इतने में ही महक बाहर आ गई, बाथरोब में और उसका शरीर पानी की बूंदों से झिलमिल कर रहा था. आशीष उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो उठा. फिर वो नहाने चला गया. नहाते हुए भी उसका लंड महक की सुंदरता के कारण खड़ा हो गया. स्नान के बाद उसने भी बाथरोब पहना पर उसका खड़ा लंड उसमें से भी विदित था. बाहर आया ही था कि सुनीति तपाक से अंदर चली गई. महक ने भी अपने भावी ससुर के लंड की स्थिति को देख लिया, पर शर्माते हुए आँखें झुकाकर खड़ी रही.

“अरे शर्माने जैसी कोई बात ही नहीं है. तुम तो इन सब खेलों में हम सबसे भी अधिक अनुभवी हो. इतने वर्षों से समुदाय में जो हो. तो फिर झिझक किस बात की है, महक.”

“जी, वो अलग बात है. पर अब मैं इस घर में बहू जो बनके आने वाली हूँ तो कुछ तो लाज आएगी न, पापाजी.”

“हम्म्म, बात तो तुम्हारी सही है. और यही कारण है कि सुनीति ने तुम्हें आज आमंत्रित किया और रुकने के लिए कहा. शर्म और झिझक जितनी पहले हट जाये उतना ही अच्छा है सबके लिए.”

“जी, पापाजी.”

ससुर बहू एक दूसरे का आकलन कर रहे थे. महक का इन दो मिनट की बातचीत से ही बहुत कुछ संकोच दूर हो गया था. इतने में सुनीति भी स्नान करके बाहर आई और उसी प्रकार के बाथरोब में थी. सुनीति की सुंदरता को देखते ही महक की जैसे साँस ही रुक गई. उसके बालों से गिरता हुआ हल्का पानी और तराशा हुआ सुंदर शरीर किसी अप्सरा की कल्पना के समान था. आशीष भी सुनीति को देखकर गर्व से फूल गया. सुनीति ने उन दोनों को देखा तो कुछ शर्मा सी गई. विशेषकर महक की आँखों की चमक और लालसा देखकर. आज उसे अपनी भावी बहू के सानिध्य का आनंद मिलने वाला था और महक को देखकर वो समझ गई कि उसे दोनों प्रकार के सुख का अनुभव है.

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