Update- 45
आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- पता है.. अब मैंने सोचा है कि सूरज को खुद फँसाएंगे.. पहले तो वो तुमको फंसा रहा था और तंग करता था.. अब तुम खुद मेरे साथ मिल कर उसे सताओगी और तंग करोगी.. फिर देखना कितना मज़ा आएगा।
मैंने सारा प्रोग्राम रश्मि को समझाया और फिर हम दोनों रसोई में खाना बनाने के लिए आ गए।
जैसे ही दोपहर में सूरज घर वापिस आया तो सबसे पहले मैंने उसे वेलकम किया। मैन गेट पर उसने मुझे किस किया.. और फिर मुझे पानी लाने का बोल कर अपने कमरे में चला गया।
मैं रसोई में आ गई और रश्मि को मुस्कुरा कर पानी ले जाने को कहा।
रश्मि ने मुझे एक आँख मारी और फिर ठंडी पानी का गिलास भर कर हमारे बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
अब आगे..
मैं भी उसके साथ-साथ ही थी.. मैं बेडरूम के दरवाजे के एक तरफ रुक गई और रश्मि अन्दर कमरे में चली गई।
अन्दर कमरे में सूरज अभी-अभी वॉशरूम से मुँह-हाथ धो कर आया था।
सूरज ने रश्मि को पानी लाते हुए देखा तो वो बहुत खुश हुआ। रश्मि भी जवाब में मुस्कुराई और एक अदा के साथ पानी का गिलास लेकर अपने भाई की तरफ बढ़ी।
सूरज ने पानी का गिलास लेकर उसमें से एक घूँट लिया और फिर गिलास टेबल पर रख कर रश्मि का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

रश्मि ने भी कोई विरोध नहीं की और अपने भाई के सीने से लग गई। सूरज ने अपने होंठों को रश्मि के होंठों पर रखा और उनको चूमने लगा।

सूरज ने अपनी बहन को किस करने के बाद छोड़ दिया और बोला- चलो अब जाओ.. तुम्हारी भाभी बेडरूम की तरफ आती ही होंगी।
रश्मि- वाह जी वाह.. भाई, अगर इतना ही अपनी बीवी से डरते थे.. तो क्यों मुझ पर डोरे डाले और क्यों मुझे अपने झूठे प्यार में फँसाया था?
यह कहते हुए रश्मि अपने भाई के साथ लिपट गई।
सूरज तो जैसे बौखला सा गया, वो उसे खुद से अलग करते हुए बोला- नहीं नहीं रश्मि.. ऐसी बात नहीं है.. मेरा प्यार झूठा नहीं है, ना मैं तुमसे प्यार से इन्कार कर रहा हूँ.. यह तो मैं इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हारी भाभी को हमारे बारे में पता ना चल सके वरना वो हंगामा खड़ा कर देगी।
रश्मि सूरज की शर्ट के बटन खोलती हुई बोली- भाई भाभी से डर गए हो.. तो दुनिया को कैसे बताओगे कि तुम अपनी बहन से कितना प्यार करते हो? कहीं मैंने तुम जैसे बुज़दिल मर्द से प्यार करके कोई गलती तो नहीं कर ली?
यह कहते हुए रश्मि ने सूरज की शर्ट उतार दी और उसके नंगे सीने पर हाथ फेरने लगी।

सूरज ने रश्मि को पीछे की तरफ धकेला और घबरा कर बोला- अभी नहीं.. जैसे ही मौक़ा मिलेगा.. मैं खुद तुम्हारे पास आऊँगा मेरी जान।
लेकिन रश्मि तो किसी और ही मूड में थी.. उसने थोड़ा सा पीछे होकर अपनी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ा और ऊपर उठा कर अपनी शर्ट को अपने जिस्म से उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया।



रश्मि को इस हालत में देख कर सूरज की तो जैसे फट कर हाथ में आ गई हो.. उसके चेहरे का रंग उड़ गया और माथे पर पसीना बहने लगा।
वो फ़ौरन ही दरवाजे की तरफ भागा, मैं जल्दी से रसोई में चली गई।
सूरज ने बाहर झाँक कर देखा और फिर अन्दर आकर दरवाज़े को लॉक कर लिया और तेज़ी के साथ रश्मि की तरफ बढ़ा।
रश्मि ने अपनी दोनों बाज़ू फैलाए और बोली- आ जा मेरे राजा.. मुझे अपनी बाँहों में ले लो न..
सूरज ने उसकी शर्ट बिस्तर से उठा कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा- रश्मि आख़िर आज क्या हो गया हुआ है तेरे को ?
रश्मि- भाई मुझे क्या होना है.. वो ही हुआ है ना.. जो आपने मुझे किया है.. मेरे कुँवारे जिस्म में अपने प्यार की आग लगा दी है.. जो अब हर वक़्त सुलगती रहती है.. अब आप ही बताओ कि मैं अपनी यह प्यास कैसे बुझाऊँ?
सूरज उसकी टी-शर्ट को उसकी गले में डालते हुए बोला- मैं ही बुझाऊँगा तेरी प्यास.. लेकिन थोड़ा टाइम तो आने दे ना मेरी जान.. लेकिन रश्मि थी कि मेरे प्लान के मुताबिक़ सूरज के साथ चिपकती जा रही थी और अपनी चूचियों को उसके सीने के साथ रगड़ रही थी।
इतने में मैंने बाहर दरवाजे पर नॉक किया..

तो उस वक़्त रश्मि ने अपना हाथ सूरज के लंड पर रख दिया हुआ था।

सूरज के तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने जल्दी से उसे किस किया और उसे बाथरूम की तरफ धकेला।
मैंने आवाज़ दी- सूरज क्या कर रहे हो.. दरवाज़ा खोलो ना.. और यह रश्मि कहाँ चली गई है..?
रश्मि अब भी बाथरूम में जाने का नाम नहीं ले रही थी और सूरज से चिपकी जा रही थी। सूरज ने जल्दी से उसे खुद पर से हटाया और उसे बाथरूम की तरफ धकेलने लगा।
उसे बाथरूम में लगभग फेंकते हुए वो वापिस दरवाजे की तरफ भागा और फिर दरवाजा खोल दिया। मैं अन्दर गई तो सूरज के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था.. वो काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा और बोली- क्या बात है सूरज.. तुम ठीक तो हो ना?
सूरज घबरा कर बोला- हाँ हाँ.. ठीक हूँ मैं.. कुछ नहीं हुआ मुझे..
मैं सूरज की क़रीब आई और आहिस्ता से उसके साथ चिपक गई और बोली- क्या बात है जानू.. नाराज़ हो क्या मुझसे..
मेरी बात सुन कर वो थोड़ा रिलेक्स हुआ और बोला- नहीं नहीं.. नाराज़ तो नहीं हूँ जान.. बस ऐसे ही थोड़ा थका हुआ हूँ।
मैंने उसके गालों पर एक किस की और अपना हाथ उसकी पैन्ट की ऊपर से उसके लण्ड की तरफ ले जाते हुए बोली- आओ फिर मैं तुमको भी थोड़ा रिलेक्स कर दूँ।

यह कहते हुए मैं नीचे फर्श पर बैठ गई और उसकी पैन्ट की बेल्ट खोलने लगी।

सूरज ने थोड़ी सी विरोध की लेकिन फिर खुद से ही अपनी पैन्ट नीचे उतार दी।
मैंने नीचे बैठ कर उसके लण्ड को अपनी मुँह में लिया और चूसने लगी।

धीरे-धीरे उसके ऊपर के हिस्से को अपनी ज़ुबान से चाटती और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगाती।

मेरी कमर दरवाजे की तरफ थी और दरवाज़ा खुला हुआ ही था और मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर में रश्मि भी अन्दर देखने लगेगी।
मैंने अपना चेहरा ऊपर किया और सूरज की तरफ देखने लगी.. मुझे उसके चेहरे के हाव-भाव से साफ़ पता चल रहा था कि रश्मि दरवाजे पर आ चुकी है।
मेरी नज़र सूरज के पीछे पड़ी हुई ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी.. तो उसके शीशे में मुझे रश्मि का अक्स नज़र आया।

रश्मि अब सूरज की तरफ देख रही थी और सूरज की नज़र भी उसकी बहन के ऊपर ही थी।
मैंने देखा कि रश्मि ने दरवाजे में खड़े-खड़े अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर आहिस्ता से अपनी शर्ट को ऊपर करते हुए अपनी चूचियों को एक्सपोज़ कर लिया।

जैसे ही सूरज की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।

मैं भी उसकी गोटियों को सहलाते हुए उसके लण्ड को चूस रही थी और आज मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।




उधर रश्मि अब अपनी टाइट्स के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी और आँखें बंद किए हुए खुद को ओर्गैज्म पर ले जाने की कोशिश कर रही थी।

जैसे-जैसे रश्मि की मस्ती बढ़ रही थी.. वैसे-वैसे ही सूरज में भी जोश आता जा रहा था। वो पहले से भी जोर-जोर से धक्के मार रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल रहा था।


रश्मि भी फुर्ती से दरवाजे से हट गई और सूरज मुझे रोकता ही रह गया लेकिन मैं वहाँ से चली आई।
कुछ ही देर में सूरज भी चेंज करके बाहर आ गया। उसने अपना एक बरमूडा पहन लिया हुआ था। रश्मि ने जैसे ही अपने भाई को देखा तो उसे अपने नज़रों से ही चिढ़ाने लगी। मैं रसोई में ही रही तो वो मुझे बता कर बाहर निकली और आँख मार कर बोली- भाभी, मैं भाई से मिल कर अभी आती हूँ।
हम दोनों हँसने लगे।
रश्मि बाहर गई तो सूरज टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. रश्मि सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।

लेकिन रश्मि कहाँ मानने वाली थी।

रश्मि- क्या बात है भाई.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे.. क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?