59 दर्शन
सोनिया की सदैव कामतत्पर योनि मारे पूर्वानुभूति के मारे आर्द हो रही थी। पार्टी के असली कार्यक्रम के प्रारम्भ होने तक उससे संयम नहीं बरता जा रहा था, सो अपनी निडर प्रवृत्ति के अनुसार, उसने स्वयं श्रीगणेश करने की ठान ली।
“अरे! यहाँ अच्छा-खासा स्विमिंग पूल है, तो फिर हम ड्राइंग रूम में बैठे भला क्यों गप्पें मार रहे हैं? कौन मेरे साथ स्विमिंग पूल में खेलेगा ?” सोनिया अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुरा कर बोली।
लोगों ने शीघ्र उसके प्रस्ताव को मान लिया, और कपड़े बदलने को बाथरूम की ओर चले गये। जय जब सोफ़ा से उठकर बेडरूम की ओर चला, तो लगता था, किसी परेशानी से छुटकारा पा लिया हो। रजनी जी विलक्षण कामुक महिला थीं। जिस लुभावने अंदाज में वे बार-बार हाथों से अपने चेहरे पर गिरते बालों को समेटती, रह-रह कर अपने पल्लू को वक्षस्थल पर व्यवस्थित करतीं, लाल लिपस्टिक से सजे होठों से मुस्कुरातीं, खिलखिलातीं, और अपने हरे रंग के नटखट नैनों से उसकी ओर आमंत्रण भरे भाव से देखतीं, टाँग पर टाँग रखकर नुकीली हील वाली सैंडल को हिलातीं, जय की तो परेशानी बढ़ती चली गयी थी। उसे लगता था, अपनी पैंट में ही वीर्य स्खलित कर देगा।
बेडरूम में उसने स्विमिंग टूक पहना, और एक तौलिया लेकर, गलियारे से होता हुआ, स्विमिंग पूल की ओर चला। गलियारे से जाते हुए, उसकी निगाह दूसरे बेडरूम के अंदर पड़ी, आधे खुले दरवाजे में उसे एक नग्न नारी देह की झलक दिखी तो वो ठिठक कर खड़ा का खड़ा रह गया। वो एक कदम पीछे लौटा, और सावधानी से अंदर झाँकने लगा। जब उसने निकट आकर निरीक्षण किया तो पाया कि आकर्षक देह किसी ओर की नहीं, उसकी चहेती रजनी जी की है, जो कपड़े बदल रही थीं। उन्होंने साड़ी और पेटीकोट उतारा ही था, और आइने के सामने केवल ब्लाऊज और छोटी सी काले रंग की पैन्टी पहने खड़ी थीं।
दहलीज पर खड़ा जय अपनी पड़ोसन को निहारने लगा, और उसी क्षण उसका लिंग स्विमिंग ट्रैक के भीतर उदिक्त होने लगा। उनकी हर हरकत पर जय की दृष्टि थी, उसके आग्नेय नेत्रों से वासना टपक रही थी। जय स्तब्ध होकर मुँह बाये रूपवती रजनी जी के नग्न स्तनों, और महीन पारदर्शी कपड़े की बनी पैन्टी के पार झलकते योनि स्थल को एकटक देखता ही रह गया। जय की उपस्थिति से अनभिज्ञ, रजनी जी गीत गुनगुनाती हुई आईने में अपने वक्ष स्थल को प्रशंसा पूर्वक निहार रही थीं, किसी मॉडल की तरह विभिन्न पोज दे-दे कर अपनी उंगलियाँ स्तनों पर फेर रही थीं। अपने अति – विशाल दूधिया स्तनों को हथेली पर टेक कर, आईने में अपनी ही मुस्कुराती छवि को भेंटपूर्वक अर्पित कर रही थीं। उंगलियाँ अपने लाल होठों पर रखकार उन्होंने स्वयं को एक हवाई चुंबन दिया और फिर एक हाथ अपनी जाँघों के मध्य गिरने दिया। जय को तो जैसे साँप सूंघ गया, उस महिला को अपनी उंगलियाँ पेड़ पर सहलाते देख , उसकी हृदय गति धौंकनी सी तेज हो गयी थी। ‘साली सच में बड़ी रन्डीबाज है’, रजनी जी को अपनी लम्बी पतली उंगलियों द्वरा अपनी योनि कोपलों पर पैन्टी के नम वस्त्र को मलते देख कर को उसने विचार किया।
जय का लिंग शिला जैसा कठोर हो चला था, और वो अपनी दृष्टि को उनके झूलते स्तनों पर गाड़े, अपने स्विमिंग ट्रैक को लिंग की लम्बाई पर धीमे-धीमे रगड़ने लगा था। कुछ समय उपरान्त रजनी जी की सम्पूर्ण देह काँप उठी, और उन्होंने आईने का झुक कर सहारा लिया, उत्तेजना के मारे उनके घुटने झुक गये थे और वे अपने योनि स्थल को कस के अपने रगड़ते हाथों पर चिपटाये हुए थीं। जय हतप्रभ होकर उन्हें घूरता रहा!
* रन्डी साली, खुद ही चूत को रगड़-रगड़ कर झड़ा दिया !”, दबे स्वर में वो फुसफुसाया।
रजनी जी ने एक लम्बा दम भरकर अपने तमतमाये चेहरे को आईने में देखा, फिर अपनी उंगलियों को पैन्टी के इलास्टिक बैंद में अटका कर उस महीन वस्त्र को अपने चिकने चौड़े कूल्हों पर से सरका कर नीचे उतार दिया। उसके व्यूह में जैसे ही रजनी जी के नम योनि रोमों का दृष्य प्रकट हुआ, जय तो लगभग वीर्य स्खलित ही कर बैठा। रजनी जी ने अपनी टाँगें उठा कर पैन्टी को अपनी ऐड़ियों पर से उतारने के लिये आगे झुकीं, तो जय को उनकी भीगी, रोम मंडित योनि का अनवृद्ध दृष्य प्राप्त हुआ।
वे जय की ओर अपने नग्न नितम्ब किये हुए खड़ी थीं, और जब आगे झुकीं, तो उनकी नग्न जाँघों के मध्य से उसे योनि के लालिम मार्ग की झलक प्राप्त हुई, तो रोमांच के मारे जय ने एक आह भरी। भीगी पैन्टी को बिस्तर पर फेंक कर, रजनी जी ने स्विमिंग कॉस्टयूम की जाँघिया पहन ली। उस सूक्ष्म वस्त्र से उनकी देह का कितना कम हिस्सा की ढक पाता था, यह देख कर जय की बाछे खिल गयीं। बिकीनी का टॉप भी वैसा ही सूक्ष्म था, जिसे रजनी जी ने जैसे ही पहना, जय ने देखकर अपने होठों पर जिह्वा फेरी। वत्र के छोटे से टुकड़े से उनके निप्पल ही ढक पाये थे,
अलबत्ता अति उदारता से विशाल स्तनों की दूधिया कोमलता का प्रदर्शन अवश्य हो रहा था। जय उन्हें ये लिबास पहने स्विमिंग पूल में तैरता देखने को बेसब्र हो रहा था, जब भीगी बिकीनी उनकी कामुक देह से चिपकी हुई हो। यह तो उन्हें फिर से नग्नावस्था में देखने के समतुल्य ही होगा। फ़र्क केवल इतना की स्विमिंग पूल में वो जितना चाहे, उनके समीप आकर, जितनी देर चाहे, निहार सकता था।
जय का लिंग वज्र सा कठोर होकर उसकी उंगलियों के बीच में उग्रता से फड़क रहा था। रजनी जी के ललचाते प्रदर्शन ने नवयुवक की देह में प्रचण्ड कामग्नि प्रज्वलित कर दी थी। रजनी जी की बिकीनी पहनी देह पर एक अंतिम निगाह फेरकर, अपनी युवा देह में सुलग पड़ी तीव्र कामाग्नि को शांत करने के ध्येय से, वो बाथरूम की दिशा में पलट गया। उसे विश्वास था कि बस कुछ ही मिनटों के लिये उनके कामुक बदन पर ध्यान लगा कर हस्तमैथुन करने के उपरांत वो वीर्य का प्रचुर स्खलन करता हुआ यौन तृप्ति प्राप्त कर लेगा। ना ही कोई उसकी पूल पर अनुपस्थिति पर अधिक ध्यान देने वाला था :: : वैसे भी, अपनी स्विमिंग ट्रंक में उदिक्त लिंग के बोझ को ढोकर बाहर जाना भी संभव कहाँ था ?
जय दबे पाँव बाथरूम गाया और उसका हड़बड़ाहट में दरवाजा बन्द कर चिटखनी लगाने की चेष्टा करने लगा। परन्तु व्यर्थ, क्योंकि चटकहनी तो जाम हो गयी थी! जय खीज उठा, पर उसे समस्या का हल मिल गया, जब उसने देखा कि टॉयलेट और स्नानघर के मध्य एक शटर था, जिसे यदि कोई और बाटरूम में आये, तो वो आराम से बंद कर सकता था।