You dont have javascript enabled! Please enable it! कामिनी - गहरी चाल | Update 11 | Erotic Adult Sex Story - KamKatha
कामिनी – गहरी चाल Suspense Thrill Story with Erotic Sex Tadka

कामिनी – गहरी चाल | Update 11 | Erotic Adult Sex Story

कामिनी & पुराणिक अपने-2 ऑफीस चले गये थे & पाशा & शत्रुजीत 1 कार मे कही जा रहे थे,कार पाशा चला रहा था,”साइट पे ही चलना है ना भाई?”

“हां,बेटा.”,दोनो केस के बारे मे बाते करने लगे & शायद इसी वजह से उनका ध्यान उस काली फ़ोर्ड एंडेवर पे नही गया जोकि ट्रॅफिक की भीड़-भाड़ का फ़ायदा उठा के उनके कुच्छ पीछे चल रही थी.

साइट पे बहुत तेज़ी से काम चल रहा था,बड़ी-2 मशीन्स & बहुत सारे मज़दूर इंजिनीयर्स की देख-रेख मे उस इमारत पे काम कर रहे थे.1 बड़ी सी टॉवेर क्रॅन 1 तरफ से सेमेंट की बोरिया उठाती & उसे बन रही इमारत की दसवी मंज़िल पे पहुँचा रही थी.साइट के सुपोवर्विज़र से बात करने के बाद पाशा बाथरूम चला गया & शत्रुजीत अकेला ही घूमने लगा.उसके ज़हन मे नत्थू राम के केस की ही बात घूम रही थी.वो अपने ख़यालो मे खोया हुआ था की तभी उसे पीछे से किसी ने ज़ोर का धक्का दिया & वो रेत के ढेर पे गिर पड़ा,वो धक्का देने वाला शख्स उसके उपर था.शत्रुजीत कुच्छ समझता ठीक उसी वक़्त उसके गिरते ही सेमेंट की 5 बोरिया वही पे गिरी जहा पे वो पहले खड़ा था.

उसकी समझ मे सब आ गया,इस इंसान ने उसकी जान बचाई थी.वो कपड़ो से धूल झाड़ता उठा & हाथ बढ़ा के उस अंजन आदमी को उठाया,तब तक वाहा काम करने वाले & पाशा उसके पास भागते हुए आ चुके थे.शत्रुजीत ने उस आदमी को सहारा दे के खड़ा किया,”शुक्रिया.”

वो आदमी बस हांफे जा रहा था,उसके कपड़ो पे गिरने से धूल जम लग गयी थी मगर फिर भी सॉफ ज़ाहिर था की वो पहले से ही बड़े पुराने & मैइले हैं.उसकी दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी & वो काफ़ी कमज़ोर लग रहा था,”तुम यहा काम करते हो?,जवाब मे उसने इनकार मे सर हिलाया.शत्रुजीत अपनी जेब मे हाथ डालता उस से पहले ही पाशा ने अपनी जेब से वॉलेट निकाल के उसके सारे पैसे उस आदमी की ओर बढ़ाए,”ना…मैने जो किया इंसानियत के नाते..मैं ये पैसे नही लूँगा..”,वो हांफता हुआ घुमा & 4 कदम चल के चक्कर खा के गिर गया.सभी दौड़ के उसके करीब पहुँचे,शत्रुजीत ने उसे उठाया,”पाशा,ये बीमार लगता है..देखो बेहोश तो नही हुआ पर फिर भी आँखे नही खोल पा रहा है..”

“हां,भाई.इसे हॉस्पिटल ले चलते हैं.”

“हां,चल.”

उस काली फ़ोर्ड एंडेवर मे बैठे माधो & जगबीर ठुकराल ने ये देखा & वाहा से निकल गये,”सब ठीक जा रहा है,माधो.”

“हां,हुज़ूर.

“मिस्टर.सिंग,इस आदमी ने 2 दीनो से कुच्छ नही खाया है,केवल पानी पिया है.इसकी हालत देखते हुए मुझे लगता है की उसके पहले भी इसने ठीक से खाया-पिया नही है.इसी वजह से ये बहुत कमज़ोर हो गया है & अभी इसे 3-4 दीनो तक तो यहा रहना ही होगा.”,डॉक्टर शत्रुजीत सिंग & अब्दुल पाशा को उस अंजान शख्स की हालत से वाकिफ़ करा रहा था.

“आप जो ठीक समझे वो करे,डॉक्टर.इसके इलाज का पूरा खर्च मैं दूँगा.”,उसने डॉक्टर से हाथ मिलाया & दोनो वाहा से निकल आए.

दूसरे दिन सुबह दोनो भाई फिर हॉस्पिटल पहुँचे तो देखा कि वो आदमी जगा हुआ था,”अब तबीयत कैसी है तुम्हारी?”,शत्रुजीत ने उस से पुचछा.

“जी,अब पहले से बेहतर लग रहा है.”

“मेरा नाम शत्रुजीत सिंग है & ये मेरा भाई अब्दुल पाशा.”,उसने सर हिला के दोनो का अभिवादन किया.

“मेरा नाम टोनी है.”

“टोनी,तुम क्या काम करते हो?”

“कुच्छ नही.”,वो खिड़की से बाहर देखने लगा.दोनो भाइयो ने 1 दूसरे की तरफ देखा,शत्रुजीत ने बात आगे बढ़ाई,”तुम यही पंचमहल के हो?”,उसने इनकार मे सर हिला दिया.शत्रुजीत & पाशा 1-1 कुर्सी खींच कर बैठ गये.

“टोनी,हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं.तुम्हारी इस हालत की वजह अगर तुम ना बताना चाहो तो भी हुमारे इरादे से हम नही डिगेंगे.फिर भी,अगर तुम अपने बारे मे हमे सब बता दो तो हमे तुम्हारी मदद करने मे शायद आसानी ही होगी.”

“या शायद आप भी मुझे नीची नज़र से देखने लगेंगे.”,टोनी के होंठो पे फीकी सी मुस्कान थी.

“नही,हम ऐसा नही करेंगे.तुम अपनी कहानी सूनाओ.”,टोनी ने 1 लंबी सांस भरी & फिर शत्रुजीत की ओर देखने लगा.

“मेरा पूरा नाम अँतोनी डाइयास है & मैं गोआ का रहने वाला हू.स्कूल के दीनो से ही मुझे आक्टिंग का शौक रहा है & बड़ा होते-2 ये शौक जुनून बन गया.गोआ मे नाटको & 1-2 टीवी प्रोग्रॅम्स मे मेरी आक्टिंग की लोगो ने तारीफ की & मैं अपने बूढ़े मा-बाप को छ्चोड़ किस्मत आज़माने बोम्बे चला गया.वाहा बहुत दीनो तक आएडियाँ घिसने के बावजूद मुझे कोई कामयाबी हासिल नही हुई & मैं मायूस हो गया.मायूसी मुझे कब शराब & ड्रग्स की ओर ले गयी मुझे याद नही.”

“..इस दौरान मैं 1 बड़ी प्यारी लड़की से मिला,हम दोनो ने शादी भी कर ली पर वो मेरी बुरी आदते च्छुडा नही पाई.अब ज़िंदगी चलाने के लिए पैसे तो चाहिए थे ना,कभी कही छोटा-मोटा रोल मिल जाता तो कर लेता नही तो विदेशी सैलानियो को चरस,सस्ते होटेल रूम या फिर उनकी हवस मिटाने के लिए लड़के-लड़किया दिलवा देता.इस काम मे मेरी अछी अँग्रेज़ी & 1-2 और विदेशी ज़बानो का काम चलाऊ ज्ञान मेरी बहुत मदद करता.मगर यही काम मुझे क़ानून की नज़र मे मुजरिम बनाता था.”,दोनो गौर से उसकी बात सुन रहे थे.

“..पोलीस लॉक-अप आना-जान तो मेरे लिए आम बात हो गयी.इस बीच मेरे मा-बाप भी गुज़र गये & 1 दिन मेरी हर्कतो से परेशान हो मेरी बीवी भी मेरे बेटे के साथ मुझे छ्चोड़ गयी.उस दिन मुझे एहसास हुआ की मैं कितनी ग़लत ज़िंदगी जी रहा था.अगर चाहता तो मैं शराफ़त से भी चार पैसे कमा सकता था,मगर नही मुझे तो नशा भी करना था ना!..& उसके लिए जो पैसे चाहिए थे वो शराफ़त की कमाई से तो नही मिलते.”,उसका गला भर आया था & वो 1 बार फिर खिड़की के बाहर देखने लगा.

“..मैने अपने बीवी-बच्चे को बहुत ढूनदा पर वो नही मिले…इधर-उधर भटकता हुआ यहा पहुँचा & फिर आपसे मुलाकात हो गयी.”,दोनो खामोशी से उसे देख रहे थे.

“टोनी,अब तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही.तुमने अपनी मुश्किल दास्तान सुनके मेरी नज़र मे और ऊँचे ही हो गये हो.1 इंसान जो 2 दिन से भूखा हो & फिर भी वो हज़ारो रुपये ठुकरा दे,वो इंसान ग़लत नही हो सकता…हां!तुम भटक गये थे मगर अब सही रास्ते पे हो.तुम्हे मैं कोई ना कोई काम दिलवा दूँगा लेकिन शर्त ये है की तुम नशे से दूर रहोगे.”

“मुझे मंज़ूर है,साहब.”

“तो ठीक है,अब तुम आराम करो.यहा से छुट्टी मिलते ही तुम हुमारे साथ काम करोगे.”,दोनो वाहा से निकल गये.

“अब्दुल..”,दोनो कार मे बैठ गये.

“हां,भाई.पता तो लगे ये सच बोल रहा है की नही.”

“ठीक है,भाई.”,उसने कार गियर मे डाली,”..मगर भाई..”

“हां..”

“काम क्या दोगे उसे?”

“ड्राइवर बना लूँगा.”

“हैं?!”

“हां…आबे तू कब तक ड्राइवरी करता रहेगा….& फिर सोच ऐसा ड्राइवर कहा मिलेगा जो 24 घंटे बस हमारी खिदमत मे लगा रहेगा!”,दोनो हंस पड़े.ये 1 ऐसा लम्हा था जो कभी-2 ही आता था-पाशा को हंसते शायद कभी ही किसी ने देखा हो.

सुबह चूत मे कुच्छ महसूस होने पे कामिनी की नींद खुली,उसने देखा कारण उसके पेट पे हाथ फेरते हुआ उसकी चूत चाट रहा है.कल रात को वो करण के साथ उसके घर आ गयी थी & उसके बाद दोनो ने पूरी रात जम कर चुदाई की थी.उसने प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा तो करण की जीभ उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगी,”..उउम्म्म्मम…!”

विवेक उसे कभी भी सुबह को नही चोद्ता था,दोनो को काम पे जाने की इतनी जल्दी होती थी कि वो उठ के बस तैय्यार हो कोर्ट पहुँचने की हड़बड़ाहट मे रहते थे.मगर उसके तीनो आशिक़ तो जैसे उसे बस दिन हो या रात अपने बिस्तर मे अपनी बाहो मे सुलाए रखना चाहते थे!

उसकी चूत गीली हो चुकी थी & उसमे वही मीठा तनाव बन चुका था जोकि उसे झड़ने के पहले महसूस होता था.उसने करण के बाल पकड़ कर हल्के से खींचा,करण उसका इशारा समझ गया.वो उसकी चूत से मुँह हटा उसके पेट को चूमते हुए उपर आने लगा.कामिनी ने टांगे फैलाते हुए उसे बाहो मे भर लिया.

करण उसकी चूचियो के कड़े हो चुके निपल्स को चूसने के बाद उसके चेहरे को हाथो मे ले चूमने लगा.कामिनी भी गर्मजोशी से उसकी किस का जवाब देने लगी.उसकी बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी,उसने अपना बाया हाथ करण की पीठ पे ही रखा & दाए को दोनो के जिस्मो के बीच ले जाके उसके लंड को पकड़ अपनी चूत का रास्ता दिखाया.

“..ऊओउउइई…!”,करण ने 1 ही झटके मे पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत मे घुसा दिया.कामिनी के हाथ उसके सर से ले के उसकी गंद तक फिसलने लगे.करण कभी उसके चेहरे को चूमता तो कभी चूचियो को.उसके हाथ तो बदस्तूर उन बड़ी गोलैयो को दबाए जा रहे थे.

दोनो की ही मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी.कामिनी के नाख़ून करण की गंद पे निशान छ्चोड़ रहे थे तो करण के धक्के भी बड़े गहरे हो गये थे.कामिनी ने अपनी टांगे उसकी कमर पे कस दी & उसकी गंद मे नाख़ून धँसते हुए उठाते हुए करण के बाए कान मे पागलो की तरह जीभ फिराने लगी,उसकी चूत करण के लंड पे और कस गयी थी.करण समझ गया की उसकी प्रेमिका अपनी मंज़िल तक पहुँच गयी है,उसने उसी वक़्त अपने गाढ़े पानी को उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया & अपना सफ़र भी पूरा कर लिया.

झड़ने के बाद दोनो वैसे ही 1 दूसरे को बाहो मे कसे प्यार से 1 दूसरे के चेहरे को चूम रहे थे की कामिनी का मोबाइल बजा,”हेलो!”,दूसरी तरफ षत्रुजीत सिंग था.

“कामिनी,क्या तुम कोर्ट जाने से पहले सिटी हॉस्पिटल आ सकती हो?”

“हॉस्पिटल!सब ठीक है ना?”,करण अभी भी उसके उपर चढ़ा उसके बाए निपल पे जीभ फिरा रहा था.

“हां-2,घबराने की कोई बात नही है…शायद हमे अपने केस के लिए 1 बड़ा अहम गवाह मिल गया है.”

“ओके.मैं आ जाऊंगी.”,कामिनी ने मोबाइल किनारे रखा,”..चलो हटो अब…ऑफीस नही जाना?”

“दिल तो नही कर रहा.”,करण ने मुँह हटाया तो हाथ को निपल पे लगा दिया.

“मगर फिर भी जाना तो पड़ेगा!”.कामिनी ने मुस्कुरा के उसके हाथ को अपनी छाती से अलग किया & उसे अपने उपर से उतार बाथरूम मे चली गयी.

“ये आदमी 14 तारीख को बहार गूँज के 1 होटेल मे था,मैने अपनी आँखो से देखा है,सर.”,आंतनी डाइयास उर्फ टोनी हॅयास्पिटल बेड पे लेटा शत्रुजीत से मुखातिब था.कामिनी & अब्दुल पाशा गौर से उसकी बात सुन रहे थे.शत्रुजीत पाशा के साथ जब सवेरे उसे देखने आया तो वो टीवी पे न्यूज़ देख रहा था & उसी मे जब नत्थू राम वाली खबर मे नत्थू राम के चेहरा दिखाया गया तो वो चौंक पड़ा.

“..मैं रेलवे स्टेशन से निकल कर इधर-उधर भटक रहा था.अब बहार गूँज कैसा बदनाम इलाक़ा है ये तो आप सब मुझसे बेहतर जानते होंगे-आख़िर आप सब तो यही के हैं.14 तारीख को वही के 1 फूटपाथ के किनारे अख़बार बिच्छा के पड़ा हुआ था.उसी वक़्त ये आदमी सामने के होटेल से निकला & शराब की दुकान पे गया.1 बॉटल खरीद के उसने कुर्ते की जेब मे डाल ली & फिर बगल मे खड़े अंडे के ठेले से उबले अंडे खरीदने लगा..”

“..अंडे वाले को पैसे देने के लिए उसने जेब से पैसे निकाले तो 1 हवा का झोंका आया & नोट उसके हाथो से उड़ गये,1 50 का नोट मेरे पास भी आया.मैने वो उठा के उसे वापस किया तो वो बाकी पैसे भी सड़क से उठा अंडे वाले को उसकी कीमत चुकाने के बाद मुझे शुक्रिया अदा कर चला गया.”

“तुम्हे पूरा यकीन है कि ये वही आदमी है?”,कामिनी ने टीवी की ओर इशारा किया.

“अदालत मे ये बात कह सकोगे?”

“क्यू नही,मेडम!”

“देखो,वाहा सरकारी वकील तुम्हे गैर भरोसेमंद बताने के लिए तुम्हारी पिच्छली ज़िंदगी के बारे मे भी पुच्छ सकता है.”

“मैं किसी भी सवाल का जवाब दूँगा मेडम,मगर अपना भला चाहनेवाले पे आँच नही आने दूँगा.”

“ठीक है,तब तो हमारी मुश्किल आसान हो गयी.”,कामिनी ने शत्रुजीत की ओर देखा.

“ह्म्म…लेकिन 1 सवाल अभी भी है?’,पाशा की भारी आवाज़ बड़ी संजीदा थी.

“क्या?”

“वो हमारे फार्महाउस के अंदर कैसे पहुँचा.”

“ये तो वो खुद अपनी ज़ुबान से बताएगा.”,कामिनी ने जवाब दिया.

“मिलर्ड!अब मैं आपके सामने ऐसा गवाह पेश करना चाहती हू जिसका बयान मेरे मुवक्किल के खिलाफ इस केस को झूठा साबित कर देगा.”,जड्ज ने इशारे से उसे गवाह को पेश करने की इजाज़त दी.

“आप का नाम क्या है?”,टोनी कटघरे मे खड़ा था.

“आंतनी डाइयास.लोग मुझे टोनी भी बुलाते हैं.”

“आप पंचमहल के ही रहने वाले हैं.”

“जी नही.मैं गोआ से हू,अभी बॉमबे से इधर आया हू.”

“आप क्या काम करते हैं?”

“जी कुच्छ नही.”,फिर टोनी ने अपनी ज़िंदगी के बारे मे संक्षेप मे बताया.

“मिलर्ड!हम यहा इनकी दास्तान सुन के वक़्त क्यू ज़ाया कर रहे हैं?आख़िर इनका क्या ताल्लुक है इस केस से?!”,सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ था.

“कामिनी जी!मुकद्दमे को आगे बढ़ाइए.”,जड्ज ने कामिनी से कहा.

“जी!मिलर्ड.मिस्टर.डाइयास 14 तारीख की रात को आपने क्या देखा?

टोनी ने सारी बात बता दी.कोर्ट मे ख़ुसर-पुसर होने लगी,”ऑर्डर!ऑर्डर!”

“मिलर्ड!हम इस इंसान की बातो पे क्यू यकीन करे?!ये इंसान अपने मुँह से खुद के नशेबाज़ & 1 अपराधी होने की बात कह चुका है.क्या ऐसे आदमी की गवाही कोई मायने रखती है?”

“मिलर्ड!मेरे हिसाब से गवाह केवल सच्चे & झूठे होते हैं..& मिस्टर.डाइयास ने वो बुरा रास्ता छ्चोड़ दिया है & अब नेकी से ज़िंदगी जीना चाहते हैं.अगर सरकारी वकील साहब जैसे लोग उन्हे इसी तरह नीची निगाह से देखेंगे तो वो 1 अच्छे इंसान कैसे बनेंगे?”

“फिर भी मिलर्ड,इनकी गवाही को मानने के लिए कोई सबूत भी तो होना चाहिए.”

“सबूत है,मिलर्ड!मुझे 1 और गवाह पेश करने की इजाज़त दें.”

“इजाज़त है.”

1 40-45 साल की उम्र का थोड़ा मोटा सा आदमी,1 फाइल पकड़े कटघरे मे आके खड़ा हो गया.देखने से वो कोई व्यापारी लगता था,”अपना नाम बताइए?”

“अरुण चड्ढा.”

“मिस्टर.चड्ढा,आप क्या काम करते हैं.”

“मेरा बहार गूँज मे शालीमार डेलक्स नाम का होटेल है.”

“ये जो शख्स सामने बैठा है..”,उसने नत्थू राम की ओर इशारा किया,”..इसे आपने पहले देखा है?”

“जी हां.14 तारीख को शाम से ये हमारे होटेल मे रुके थे.”,कोर्ट मे फिर से ख़ुसर-पुसर शुरू हो गयी.

“युवर विटनेस.”,कामिनी ने मुस्कुराते हुए सरकारी वकील को इशारा किया.

“मिस्टर.चड्ढा,आपके पास क्या सबूत है की ये आदमी आपके होटेल मे ठहरा था.”

“जी!हम हर गेस्ट से उसका 1 आइड कार्ड माँगते हैं,फिर उसकी फोटो कॉपी उसके नाम & फोन नंबर के साथ अपने रेकॉर्ड मे रखते हैं…ये है इनका रेकॉर्ड.”,उसने हाथो मे पकड़ी फाइल आगे कर दी.वकील ने वो फाइल देखने के बाद जड्ज को भिजवा दी,”नो मोर क्वेस्चन्स.”

“मिलर्ड!मुझे लगता है मिस्टर.सिंग अपने पैसे & रसुख का इस्तेमाल करके नत्थू राम को झूठा साबित करने के लिए ये चाल चल रहे हैं…नही तो मिलर्ड अगर थोड़ी देर को मान भी ले की नत्थू राम उस रोज़ होटेल मे था तो वो अपना सही आइड कार्ड क्यू इस्तेमाल करेगा?”

“उसी वजह से जिस वजह से आप मेरे क्लाइंट पे नत्थू राम को अपना नाम बता कर अगवा करने का इल्ज़ाम लगा रहे हैं.”,कामिनी ने सरकारी वकील की दलील का जवाब दिया & फिर जड्ज से मुखातिब हुई,”..मिलर्ड!सरकारी वकील साहब अगर खुद कोई दलील दे तो वो सच्ची मान ली जाए & अगर वैसी ही दलील मैं दू तो वो झूठ है,चाल है!”

“मिलर्ड!मैं चाहती हू कि नत्थू राम को कटघरे मे बुलाके अब उस से इस बारे मे सवाल किए जाएँ?”

“इजाज़त है.”

“नत्थू राम जी,क्या ये सच है की आप शालीमार डेलक्स होटेल मे ठहरे थे.”

“जी”,सर झुका के धीमी आवाज़ मे उसने जवाब दिया.कोर्ट मे इस बार फिर लोग बाते करने लगे,”ऑर्डर!ऑर्डर!”

“हुज़ूर,मैं..मैं…कुच्छ कहना चाहता हू.”,नत्थू राम ने जड्ज की ओर देखा.

“कहो.”

“जी..मैने..मैने ये सब …ये सारा …कुच्छ नाटक किया था…”

“क्या?”

“जी.मुझे बस सनक सवार हो गयी थी कि मुझे अपना मकान नही बेचना है,ये लोग हर दूसरे दिन आके मुझे ऐसा करने को कहते थे…बस 1 दिन मैने सोचा कि क्यू ना ऐसा करके इन्हे मज़ा चखाऊँ!”

“ज़रा तफ़सील से कहो.”

“मैने पहले अपनी बेटी को कुच्छ इस तरह से सारी बात बताई…ये मकान बेचने वाली बात..कि उसे लगे की ये लोग मुझे बहुत परेशान कर रहे हैं..”,उसने शत्रुजीत की ओर इशारा किया,”..फिर 14 तारीख को मैं होटेल मे बिना बताए चला गया.उस रात मैं कोई 12 बजे के करीब इनके फार्महाउस पहुँचा.इनके फार्महाउस मे कोई ऐसी कड़ी सेक्यूरिटी है नही बस 1 केर्टेकर रहता है..मैं उसके बारे मे सब पहले पता कर चुका था…उसका आउटहाउस बस 1 कमरे का है & उसके 2 बच्चे हैं…रात को जब बच्चे सो जाते हैं तो दोनो मिया-बीवी उन्हे उस आउटहाउस मे बंद करके खुद फार्महाउस के बेडरूम मे चले जाते हैं…& फिर अपना..अपना काम करने के बाद सवेरा होने से पहले वापस आउटहाउस मे आ जाते हैं..”,कोर्ट मे हँसी की 1 लहर दौड़ गयी,केर्टेकर भी वाहा मुजूद था.उसका चेहरा तो शर्म से लाल हो गया था & उसने नज़रे नीची कर ली.कामिनी भी मुस्कुराए बगैर ना रह सकी.

“ऑर्डर!ऑर्डर!”,जड्ज ने अपना हथोदा ठोंका,”..मगर तुम्हे ये सब कैसे पता?”

“साहब..कोई 15 दिन पहले मैं फार्महाउस मे पहली बार घुसा था.पीछे की तरफ अगर दीवार के सहारे कुच्छ खड़ा होने को मिल जाए तो अंदर काफ़ी आसानी से घुसा जा सकता है.मैने 1 रेहडी वाले का ठेला लगाकर दीवार फांदी & फिर अंदर जाकर ये सब मालूम कर लिया.14 तारीख को भी केर्टेकर अपनी बीवी के साथ मशगूल था,जब मैं फार्महाउस के अंदर दाखिल हो गया.इसने चाभी वही हॉल के मेज़ पे छ्चोड़ दी थी & खुद बीवी के साथ बेडरूम मे चला गया था..”,उसने केर्टेकर की तरफ इशारा किया.

“..मैने चाभी उठा के 1 कमरा खोला & अंदर जाकर उस कमरे की खिड़की खोल ली.फिर मैने रूम को वापस बंद किया & छिप कर केर्टेकर & उसकी बीवी को देखने लगा..”,अदालत मे 1 बार फिर लोग दबी आवाज़ मे हंस पड़े,केर्टेकर ने तो उसे ऐसी नज़रो से घूरा जैसे उसे मार ही डालेगा!

“..जब ये बाहर आने लगे तो मैं भी बाहर चला गया & उस खुली खिड़की से वापस अंदर दाखिल हो गया.आने से पहले ही मैने पोलीस को गुमनाम फोन किया था कि मुझे अगवा करके फार्महाउस मे रखा गया है…बस उसके बाद सवेरे पोलीस ने मुझे वाहा से बरामद कर लिया.”

“तुम ये बयान किसी दबाव मे तो नही दे रहे?”

“नही,साहब.”

“ह्म्म….तुमने बहुत ग़लत काम किया है.1 इज़्ज़तदार शहरी पे झूठा इल्ज़ाम लगाके साज़िश के तहत उसे फँसाने की कोशिश की है.तुम्हारे & बाकी गवाहॉ के बयान & सबूत भी इसी तरफ इशारा करते हैं.अदालत तुम्हे मुजरिम मानती है & केर्टेकर & शत्रुजीत सिंग को बैइज़्ज़त बरी करती है.अदालत लंच ब्रेक के लिए बर्खास्त की जाती है.मुजरिम की सज़ा उसके बाद सुनाई जाएगी.”

“बेटा,टोनी के बारे मे पता कर लिया?”,षत्रुजीत सिंग अपने ऑफीस मे बैठा अपने कंप्यूटर पे कुच्छ काम कर रहा था,शायद पाशा ने उसकी बात नही सुनी थी.शत्रुजीत ने कंप्यूटर से नज़रे उठा कर अपने मूहबोले भाई की ओर देखा…ना जाने वो किन ख़यालो मे गुम था,”अब्दुल!”

“हुन्न….हाँ.”,जैसे वो नींद से जागा.

“क्या सोच रहा है भाई?”

“कुच्छ नही…बस ऐसे ही.”

“टोनी के बारे मे पता चल गया?”

“हां,भाई.उसने सारी बातें सच ही कही थी.”

“तो उसे रखे रहते हैं ड्राइवर की नौकरी पे,क्यू?”,नत्थू राम को सज़ा मिल गयी थी,साथ ही वो मकान बेचने को भी तैय्यार हो गया था.शत्रुजीत ने इसके बाद टोनी को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते ही अपने ड्राइवर की नौकरी पे रख लिया था.

“हां.रखे रहते हैं..”,पाशा फिर से अपने ख़यालो मे डूब गया.

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