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दीदी और दोस्त – Incest Story written by ‘Chutiyadr’

दीदी और दोस्त – Update 24 | Incest Story

आज मुझे इतना सकून हो रहा था जैसे कोई बढ़ा बोझा सर से उतर गया हो ,मैं जब घर आया तब शाम रात में तब्दील होने को थी,मेरे आते ही दीदी ने मुझे बड़ी ही परेशांन निगाहों से देखा

‘कहा था तू इतने देर से ,पता नहीं क्यों मुझे इतनी बेचैनी हो रही थी,कॉल भी नहीं उठाया और राहुल कहा है ,उसने भी कॉल नहीं उठाया कही जाते हो तो ठीक है पर कॉल तो कर सकते थे ना ,’मैंने हलके से मुस्कान के साथ दीदी को देखा ,वो मुझे झूठे गुस्से से देखती है और आंखे बड़ी करके डराने की कोशिस करती है ,जिससे मेरी हसी छुट गयी ,और मैंने दीदी को अपनी बांहों में भर लिया,

‘आई लव यू दीदी,’मैंने दीदी के मासूम से चहरे को प्यार से सहलाते हुए उनके नर्म गालो में एक चुम्बन रसीद कर दि ,

‘मी टू भाई ,’दीदी के आँखों में चमक आ चुकी थी ,हम एक दुसरे के चहरे को बड़े प्यार से देख रहे थे की मम्मी ने किचन से ही आवाज लगायी ,,

‘अगर तुम दोनों भाई बहन का इमोशनल ड्रामा हो गया हो तो खाना लगा दू ..’मैं और दीदी हस्ते हुए अलग हो गए ….

रात मुझे दीदी से मिलाने का मन हुआ और जब मैं उनके रूम पंहुचा तो वो किसी से विडिओ चैट कर रही थी ,वो हस रही थी शर्मा रही थी,उन्होंने मुझे देखा तो इशारे से मुझे अपने पास बुला लिया ,सामने अविनाश था मैंने उसे हल्लो कहा और उन दोनों को मेरे वह होने से कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था ,बल्कि दीदी जादा खुश दिख रही थी मतलब साफ़ था की अभी ये दोनों कोई गलत चीज नहीं कर रहे थे …लेकिन दीदी उसके हर बात पर हस्ती थी,थोड़ी शर्मा जाती मैंने दीदी का ऐसा रूप कभी नहीं देखा था ,मुझे इतना तो समझ आने लगा की दीदी उससे प्यार करती है या बहुत ही जादा पसंद करती है …मैंने भी भी उससे थोड़ी फॉर्मल बात की और उसने हमें गुड नाईट कहकर चैट ख़तम कर दिया ..दीदी ने लेपी बंद किया और मुझे शर्मा कर देखा मैं उनके गोद में सो गया

‘दीदी एक बात पुछू ,’

‘हा बोलो ‘वो मेरे बालो को सहलाती रही

‘ये अविनाश मुझे ठीक नहीं लगता,’दीदी के हाथ अचानक से रुक गए

‘क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है,’मैंने सर उठाकर उनको देखा ,उनके चहरे की लाली कुछ फीकी सी थी

‘वो आपने बर्थ डे पर गौर किया इतना खर्च किया था,इतने पैसे कहा से लाया होगा ,’मैं जैसे अपने ही मन की बात कह रहा था,लेकिन दीदी फिर मुस्कुरा पड़ी

‘अरे यार उसके कांटेक्ट बहुत है ,किसी ने फिनेंस कर दिया होगा,राजनीति में ये होता है ,सभी बड़े कारोबारी अपना काम निकलने के लिए राजनेताओ की मदद लेते है ,और थोड़े पैसे पार्टी फंड में भी डाल देते है ,’

‘मगर आप तो कहती हो वो इमानदार है ‘

‘हा वो तो है ,पर यार कितना भी इमानदार हो जाय पार्टी चलने के लिए पैसे तो चाहिए ना वो तो बड़े बिजनेसमैंन ही देते है ना ,’दीदी ने मेरे गालो पर अपना हाथ रखा …

‘ह्म्म्म आप को कभी नहीं लगा की अविनाश के सम्बन्ध गलत लोगो से है ,’दीदी हस पड़ी जैसे उन्हें लगता था की मैं एक छोटा बच्चा ही हु और मुझे दुनियादारी की कोई समझ नहीं

‘अरे मेरे प्यारे भाई ,नेता लोगो को तो सबसे सम्बन्ध बना कर रखना पड़ता है ना ,क्या अच्छा और क्या बुरा ,तू इन सबके बारे में मत सोचा कर ,तू अपनी पढाई और अपनी सेहत पर ध्यान दे ,तू जिम भी रेगुलर नहीं जा रहा है कुछ दिनों से ,और हा आयशा पर भी थोडा ध्यान दे ,’दीदी खिलखिलाकर हस पड़ी ,दीदी सचमे अजीब थी दुनिया में कुछ भी हो रहा हो ,उनके साथ कुछ भी हुआ हो पर मेरे पास ,मेरे साथ आकर वो सारे दुखो को ताक में रख देती है ,सिर्फ मेरी ख़ुशी उन्हें बस यही दिखता है और कुछ नहीं ,मैं दीदी के दुःख को कभी ना पड़ पाया कभी समझ नहीं पाया क्योकी वो मुझे अपने दुखो से हमेशा दूर रखती थी ,मेरे लिए उनके पास जो था वो था बस खालिस प्यार ,प्यार और प्यार ,…मैंने उनके चहरे को अपनी तरफ झुकाया और अपने होठो को उनके होठो पर मिला दिया ,दीदी भी मेरा साथ देने लगी और वो मेरे साथ ही लेट गयी,आज हवस मुझसे खोशो दूर था और दीदी का जिस्म मुझे आकर्षित नहीं कर रहा था ,मैं बस अपनी आँखे मूंदे उनके प्यार को अहसास करना चाहता था,उनके होतो की नशीली शराब को बस पीना चाहता था ,

मैंने उनकी आँखों में देखा मुझे एक प्यार भरी तमन्ना दिखाई दि मुझे लगा जैसे वो मुझे कुछ कहना चाहती हो मैंने आँखों से उन्हें पूछ ही लिया की क्या बात है ,

‘तुम्हे वो दिन याद है जब तुमने कहा था की दीदी की चूत,’मैं थोडा शर्मा गया

‘क्या दीदी आप भी उसे पकड़ कर बैठी हो,हो गया ना अब वो ख्याल भी मेरे मन में नहीं है,अब मैं किसी भी असमंजस में नहीं हु ,मुझे पता है हमारे बीच कुछ भी गलत नहीं हो सकता,जो भी होगा वो महज प्यार होगा ,कोई वासना नहीं ,’दीदी मुस्कुराते हुए मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर अपने निकर के अन्दर डालती है ,मैं उनके नर्म बालो का अहसास अपने हाथो से कर उन्हें सहलाने लगता हु,

‘अच्छा तो मेरा भाई यहाँ भी छू सकता है ,वो भी प्यार से ,’मैं उनके योनी को सहलाता हु और उनके बालो को अपनी उंगलियों में फेरता हु ,

‘हा दीदी मैं आपको हर जगह छू सकता हु ,वो भी प्यार से ,बिना किसी वासना के बिना किसी उत्तेजना के ,…(मैं कह ही रहा था की मेरे लिंग में थोड़ी अकड़ होनी शुरू हो गयी )सॉरी उत्तेजना तो होगी पर वासना नहीं ‘दीदी फिर खिलखिला पड़ी और मुझे किस करने लगी मैं अब उनकी निकर को निकल देना चाहता था ,मैंने उसे पकड़कर निचे खीचा दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया ,

‘अभी नहीं ,अभी तुम्हे मुझे बहुत प्यार करना है ,फिर इसे उतरना ,’दीदी के चहरे पर एक शरारती मुस्कान थी .

‘मैं आपके लिए सब करूँगा ,पर क्या आपको ये पसंद आएगा की आपका भाई आपको नंगा करे ,’ना जाने मेरे मुह से ये क्या निकल गया था ,

‘नहीं मुझे अच्छा नहीं लगेगा ,’मेरा चहेरा थोडा दुखी हो गया ,लेकिन दीदी ने मेरे गालो पर अपने हाथो को रगडा

‘मैं चाहती हु की मेरा भाई मुझे इतना प्यार करे की हमारे बीच कपडे जैसे शब्द का अर्थ ही ना रह जाए ,ये सेक्स ये जिस्म,ये कपडे ,ये समाज के बंधन ,ये सब चोचले सब ख़तम हो जाय ,क्या तू मुझे इतना प्यार देगा की तेरी दीदी इन सबसे आजाद हो जाय और तुझमे ही मिल जाय ,’दीदी की सांसे भारी थी और आँखों में आंसू थे बड़ी अजीब सी शर्त थी दीदी की वो मुझमे मिलना चाहती थी पर कैसे मुझे पता नहीं वो क्या चाहती थी मुझे पता नहीं ,पर जो समझ आया वो था प्यार बस प्यार और प्यार ….

आज दीदी को जी भर कर किस किया जी मुझे लग रहा था की आज के बाद वो मुझे नहीं मिलेगी,मैं अपना प्यार देना चाहता था पर बिना किसी हवास के,मैं उनकी शरीरी से आती गंध को अपने नथुनों में भरना चाहता था,मैं उनके मुलायम त्वचा को अपने हाथो से सहलाना चाहता था मैं उनकी फूली हुए गालो को अपने होठो में भरकर उनका रस पीना चाहता था,मैं उनके शारीर के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ना चाहता था ,

मैंने उनके माथे को अपने होठो से लगाया और उनकी आँखों में अपनी आँखे गडा दि,उनकी आँखे एक आमंत्रण दे रही थी की आ जाओ मुझमे सामने आओ ,मैं उनके नाक से अपनी नाक टिका दि ,और हमारी आती जाती सांसे एक दुसरे में घुलने लगे ,उनके उन्नत वक्षो को अपने विशाल छाती से रगड़ता हुआ मैं उनके होठो से आती मस्त खूसबू में डूब गया और अपने होठो को उनके होठो पर लगा कर उनके गुलाबी नर्म होठो के गीलेपन को और गिला करने लगा ,मेरी जीभ उनके जीभ से टकराई और मैंने उनकी जीभ को अपने अंदर खीचने लगा ,वो बिना किसी स्वाद के भी मीठा था,और हमारी थूक आपस में मिलाने लगी ,मेरा शारीर अब उनके नाजुक शारीर को पूरी तरह ढके थी और वो मुझमे ऐसे समायी थी जैसे कभी अलग ही ना होना चाहती हो ,मैं उनके नाजुक जिस्म को मचलता हुआ आगे बढ़ रहा था की उनकी सांसे भी भरी होने लगी थी और मेरे जिस्म की हर हरकत उनके मुह से आह के रूप में निकल जाती ,

मेरा हाथ अब उनके स्तनों का आभाश कर रहा था की कितने नर्म ,मुलायम ,लेकिन कसे हुए थे ,निप्पलो ने तो अपनी सीमा तक अपने को ताने हुए थे ,जैसे किसी पर्वत की चोटी को मात देने चले हो ,मेरा हाथ पड़ते ही वो सिसकी ,

‘आह भाआआअ ईईई ‘उनकी मादक सिसकी ने मेरे हाथो को पकड़ बढ़ने पर मजबूर कर दिया था और मैं उन्हें मसलता हुआ उनके अहसासों में खोया जा रहा था ,उनकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी अब कुछ भी ना रहे अपना बस खो जाओ ,खो जाओ उस मस्तानी सी धड़कन के अहशास में ,मैंरा लिंग ना जाने कब से ताना हुआ अब दर्द देने लगा था ,सायद यौवन के इस अद्भुत शिखर पर वो अपनी भी मर्जी चलाना चाहता था,मैंने दीदी के जन्घो के बीच उसे जगह दि की वो उतावला सा एक ही झटके में फुंकर मरने लगा मैंने उसे थोडा और और दबाया की दीदी ने मुझे अपने बांहों में कस दिया और मेरे होठो को काटने लगी ,जवाब में मैंने भी एक अपने हाथो को उनके स्तन पर और अपने लिंग को उनकी योनी पर मसल दिया

‘भाई मैं मर जाउंगी ,आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह भाआयआआ ईईईई ‘दीदी की सिस्कारियो ने मेरी उत्तेजना को और भी बड़ा दिया था और मैंने उनके टी शर्ट को उतरने लगा दीदी ने मुझे पूरा सहयोग किया किया,मैं अब उनके नर्म सुडोल उन्नत स्तनों का आभास सीधे अपने जिस्म पर कर पा रहा था ,मैंने अपने हाथो से उनके सर को पकड़ा और थोडा तिरछा कर अपने होठो को उनके होठो से मिलकर चूसने लगा,मेरी उंगलिया उनके बालो में फसी थी,और दोनों के जिस्म की गर्मी आपस में मिल रही थी , हम दोनों चाहते थे की अब रुकना नहीं है ,पर कैसे मैं आगे जाऊ मैं एक ओहापोह में था,मैं अपने शारीर से ही उनके नग्न शारीर को रगड़ रहा था की दीदी ने मुझे ऊपर से नग्न कर दिया और मेरे निकर को निकाल फेका,मेरा पूरा शारीर अब नग्न था,और मेरा लिंग अब सीधे दीदी के झीने निकर से उनकी योनी में प्रहार कर रहा था हर प्रहार दीदी के शरीरी को कापा देती थी और ना जाने वो कैसे इतनी गीली हो रही थी मेरा लिंग उनके कामरस का आभाश उनके निकर के ऊपर से ही कर ले रहा था,मेरा लिंग अब फिसल कर उनकी योनी की फंको में फिसलता चला गया और लिंग का सिरा उनकी नाभि को छूने लगा ,ये रगड़न दीदी के लिए आफत ही बन गयी क्योकि अब मेरा लिंग उनकी योनी पर लेता हुआ था उनकी फांके मेरे लिंग को गोलियों को अपने में समाये हुए थी पर वो उसे भेद नहीं रही थी ,बल्कि लेटे हुए थी ,दीदी ने मेरे होठो को इतनी जोर से काटा की मेरे होठो से खून की थोड़ी सी धार निकल पड़ी पर परवाह किसे था ,दर्द कहा था जो भी था बस प्यार था बस प्यार का खुमार था,नाभि पर मेरे लिंग के शिखर को महसूस कर दीदी ने नेरा सर उठाया और मेरी आँखों में देखने लगी ,उनकी निगाहे आधी बंद थी जैसे कोई नशा किये हो ,वो अपने सांसो को सम्हालते हुए कह पायी ,

‘कितना बड़ा है भाई तेरा ,’मैंने उनके मदहोश चहरे को देखा और कोई जवाब दिए बिना ही मैंने अपने उनके होठो पर एक लार गिरा दि और उस चिपचिपे लार को फिर से चिपचिपा करने लगा मैंने दीदी के निकर तक अपने हाथ ले जाकर उसे उतरने लगा पर दीदी ने अब मेरे हाथो को रोका और अपने सर पर ले जा रख दिया ,मेरे लिए अब रुकना बड़ा ही मुस्किल था मैंने कमर उठाया और निकर के ऊपर से फिर एक जोरदार दबाव उनकी योनी में दे दिया दीदी फिर छटपटा गयी और उनकी योनी की थिरकन उनके पुरे शरीर में फ़ैल गयी वो काप गयी ,और मुझे जोरो से भीच लिया ,मैं जनता था की दीदी अभी अपने आखिरी वस्त्र को निकलना नहीं चाहती ,शायद वो अपने भाई से इतनी ही दूरी चाहती है ,मेरे लिए रुकना तो मुस्किल था पर दीदी के मर्जी के खिलाफ अपने प्यार की तिलांजलि देना मैंने कभी उचित नहीं समझा ,मैं उनसे प्यार करता हु,ना की वो मेरे लिए कोई वस्तु है जिसे मैं भोगु ,

‘दीदी र्रुका नहीं जा रहा ,खोल दो ना ,’मैंने पहली बार ऐसा आग्रह उनसे किया था,’उनकी आँखों में पानी थी भीगे हुए आँखों से वो मुझे देखने लगी ,

‘मैं भी यही चाहती हु भाई , मुझसे भी नहीं रुका जा रहा पर ये हमारे प्यार की इन्तहान है की हम कहा पर रुक सकते है ,कम से कम आज तो रुक जा ,अगर तू चाहे तो खोल दे पर मैं चाहती हु की तू रुक जा …’मेरे गालो को अपने हाथो से सहलाती वो प्यार का ऐसा इंतहान बता गयी जो एक यौवन के गुरुर में डूबे और उत्तेजना के शिखर पर पहुच चुके लड़के के लिए लगभग असंभव होता है ,पर मैंने दीदी के आँखों का पानी देखा और मेरा प्यार मेरी उतेजना पर हावी होने लगा मैंने आगे बढकर तुरंत ही उनके आँखों के उस पानी को अपने होठो में भर लिया और उस खारेपन को महसूस करता हुआ ना जाने मेरे आँखों में कब पानी आ गया ,मैंने उनके मासूम से चहरे पर अपने होठो को लगाया और उनके गालो को चूसने लगा ,जब तक की मेरा लिंग शांत नहीं हो गया ,वो भी जनता था की उसकी उतेज्जना का महत्व बस आज इतना है था ,दीदी ने अपने भाई के अपने लिए अथाह प्यार को महसूस कर मुझे अपनी बांहों में भिचा और फिर हमारे होठ मिल गए हम एक दूजे से तब तक मिले रहे जब तक की नींद ने हमें बेहोश ना कर दिया ……

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